दंतेवाड़ा,12 अक्टूबर 2024 – बस्तर दशहरा, जिसे विश्व का सबसे लंबा और अनोखा दशहरा पर्व माना जाता है।इस महापर्व में मां दंतेश्वरी की डोली और छत्र का विशेष महत्व होता है। माता दंतेश्वरी की डोली शुक्रवार को जगदलपुर के लिए रवाना हुई। इस अवसर पर आंवराभाटा में परंपरागत विधियों से विशेष पूजा-अर्चना की गई, जिसमें दंतेवाड़ा पुलिस के जवानों ने डोली को सलामी दी।
हर वर्ष की तरह इस बार भी डोली के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जो माता के आशीर्वाद के लिए बड़ी श्रद्धा से उपस्थित थे। माता की डोली और छत्र को जगदलपुर तक 10 विशेष स्थानों पर ही पूजा-अर्चना के लिए रोका जाएगा, जहां श्रद्धालु माता के दर्शन-पूजन कर सकेंगे।
मंदिर के पुजारी विजेंद्र नाथ जिया के अनुसार, इस वर्ष का आयोजन कुछ खास है, क्योंकि 50 वर्षों में पहली बार डोली नवमी तिथि को प्रस्थान कर रही है। अष्टमी और नवमी की तिथियों के एकसाथ आने के कारण यह बदलाव किया गया है। डोली की यात्रा के दौरान 28 विश्राम स्थलों पर माता का विश्राम होगा, जहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर सकेंगे।
इस अवसर पर आंवराभाटा, कारली, हारम पारा, और गीदम सहित अन्य स्थानों पर माता की डोली के स्वागत की भव्य तैयारियां की गई। बस्तर दशहरा में शामिल होने के बाद डोली दंतेवाड़ा लौटेगी, जहां बोधराज देव के लिए उपहार भी लाए जाएंगे।
बस्तर दशहरा में माता दंतेश्वरी की डोली की यह परंपरा सदियों पुरानी है, जो सामाजिक और धार्मिक एकता का प्रतीक है।
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