रायपुर, 15 अक्टूबर 2024: रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान होते ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। बृजमोहन अग्रवाल के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई इस सीट पर अब 13 नवंबर को उपचुनाव होगा, जबकि 23 नवंबर को मतगणना होगी। चुनाव आयोग ने 18 अक्टूबर को नोटिफिकेशन जारी करने का फैसला किया है, जिसके बाद 25 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल किए जाएंगे, और नाम वापसी की अंतिम तारीख 30 अक्टूबर तय की गई है।
बीजेपी की चुनौती: गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी
रायपुर दक्षिण सीट बीजेपी का मजबूत किला माना जाता है, जहां से लगातार बृजमोहन अग्रवाल चुनाव जीतते आ रहे थे। लोकसभा चुनाव 2024 में सांसद बनने के बाद उनके इस्तीफे से यह सीट खाली हुई। अब पार्टी के सामने इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखने की बड़ी चुनौती है।
हाल ही में रायपुर दक्षिण सीट के उपचुनाव के लिए बीजेपी ने अपने संभावित उम्मीदवारों पर मंथन किया। इस बैठक में सुनील सोनी, संजय श्रीवास्तव, केदार गुप्ता, मीनल चौबे, नंदन जैन और सुभाष तिवारी जैसे वरिष्ठ नेताओं के नामों पर विचार किया गया। जातिगत समीकरणों और जीत की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए तीन नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया है, जिनमें से एक को जल्द ही पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा।
भाजपा के लिए यह उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस सीट से हार का मतलब होगा पार्टी के गढ़ में दरार आना, जो विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
कांग्रेस की आक्रामक रणनीति: हर हाल में जीतने की तैयारी
कांग्रेस, जिसने इस सीट पर कभी जीत हासिल नहीं की, इस बार पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर रही है। पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए व्यापक रणनीति बनाई है और इसके तहत एक नौ सदस्यीय चुनाव प्रबंधन समिति का गठन किया गया है। इस समिति में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा, रविन्द्र चौबे, मोहन मरकाम, शिव डहरिया, जयसिंह अग्रवाल, पूर्व पीसीसी चीफ धनेंद्र साहू और पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा जैसे दिग्गज शामिल हैं।
कांग्रेस की योजना है कि इस सीट को जीतकर एक बड़ा संदेश दिया जाए, और इसके लिए वह जमीनी स्तर पर जातिगत और सामाजिक समीकरणों को साधने में जुट गई है। कांग्रेस की नजर भाजपा के अंतर्विरोधों और सीट खाली होने के बाद बनी असमंजस की स्थिति पर है, जिसे वह अपने पक्ष में भुनाना चाहती है।
क्यों है यह चुनाव महत्वपूर्ण?
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर पिछले दो दशकों से भाजपा का कब्जा है। बृजमोहन अग्रवाल ने 2023 के विधानसभा चुनाव में यहां से बड़ी जीत दर्ज की थी और बाद में छत्तीसगढ़ सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए गए थे। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में रायपुर से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे उपचुनाव की नौबत आई।
अब भाजपा के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है, वहीं कांग्रेस इसे जीतकर अपने प्रदर्शन में सुधार करने का सुनहरा मौका मान रही है। इस चुनाव के नतीजे राज्य की राजनीति पर भी व्यापक असर डाल सकते हैं, खासकर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले।
रायपुर दक्षिण सीट पर होने वाले इस उपचुनाव को लेकर क्षेत्र के मतदाताओं में भी उत्सुकता है। जनता के बीच यह चर्चा का विषय है कि भाजपा अपने गढ़ को बचा पाएगी या कांग्रेस इस बार कोई इतिहास रचेगी। दोनों ही पार्टियों के लिए यह चुनाव बेहद अहम साबित हो सकता है, क्योंकि इसके नतीजे आने वाले चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित करेंगे।