गोकुलाष्टमी पर्व के शताब्दी वर्ष पर कंडोरा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब — मूढू बाबा की परंपरा आज भी जीवंत, 100 वर्षों से अटूट आस्था का पर्व

IMG 20251112 WA0041 1

गोकुलाष्टमी पर्व के शताब्दी वर्ष पर कंडोरा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब — मूढू बाबा की परंपरा आज भी जीवंत, 100 वर्षों से अटूट आस्था का पर्व अष्टमी के दिन आयुष जल से मां यशोदा अपने कान्हा को कराती हैं स्नान संतोष चौधरी जशपुर,12 नवंबर 2025 – महाकुल समाज के आराध्य भक्त प्रहलाद उर्फ मूढू बाबा द्वारा 1925 में प्रारंभ की गई गोकुलाष्टमी बाल लीला की परंपरा इस वर्ष अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। यह अनूठा पर्व आज भी कंडोरा गांव में उसी रीति-रिवाज और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है, जैसा एक शताब्दी पूर्व प्रारंभ हुआ था।आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मौजूदगी में गूंजेगा “जय यादव जय माधव”।   यह बाल लीला सप्तमी की रात से प्रारंभ होती है, जब नौ प्रकार की जड़ी-बूटियों को मिलाकर आयुष जल तैयार किया जाता है। अष्टमी की भोर चार बजे अविवाहित बालक-बालिकाओं को इस आयुष जल से स्नान कराया जाता है, फिर उन्हें तिलक-चंदन लगाकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। चावल के आटे, शकरकंद, छेना और घी से बनी मीठी रोटी तैयार की जाती है, जिसे दही के साथ प्रसाद स्वरूप बच्चों और उपस्थित जनों को वितरित किया जाता है। घर-घर में यही प्रसाद प्रेमपूर्वक परोसा जाता है।       इस बाल लीला का उद्देश्य है — “बालकों की आयु बढ़े तो वंश वृद्धि होगी”, इसी मंगलकामना के साथ महाकुल समाज में गोकुलाष्टमी पर्व मनाया जाता है।   गांव के बुजुर्ग ग्राम पटेल निराकार यादव बताते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत स्वर्गीय मूढू बाबा ने की थी, जिन्होंने धर्म, भक्ति और गौसेवा के पथ पर जीवन समर्पित किया। उन्होंने चारों धाम की पैदल यात्रा की थी और प्रायः मथुरा-वृंदावन जाकर गोसेवा में लीन रहते थे। मूढू बाबा कंदोरा और बोडोकछार — दोनों गांवों के जमींदार थे और लगभग 120 एकड़ भूमि के स्वामी थे। उनके तीन पुत्र हुए, जिनमें सबसे छोटे चेतन बोडोकछार में बस गए, जबकि अन्य दो पुत्र कंदोरा में ही रहे। मूढू बाबा ने 1942 में देह त्याग किया।   निराकार यादव बताते हैं कि महाकुल समाज के पूर्वज कृष्णवंशज थे, जो उड़ीसा के संबलपुर क्षेत्र से पलायन कर छत्तीसगढ़ के धर्मजयगढ़, लैलूंगा और आसपास के क्षेत्रों में बस गए। कहा जाता है कि जब उनके सामने खाड़ूंग नदी पड़ी, तो उन्होंने अपने इष्टदेव का सुमिरन किया और नदी सूख गई — जिससे वे सुरक्षित पार हो सके। धीरे-धीरे महाकुल समाज की आबादी बढ़ी और रायगढ़, जशपुर, बिलासपुर सहित पूरे अंचल में फैल गई।   ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार मूढू बाबा का जन्म 1831 में बोडोकछार गांव के मंगल भगत के घर हुआ था। 1910 में उन्होंने कंदोरा में खसरा नंबर 223 के 14 एकड़ 40 डिसमिल क्षेत्र में आम के पौधे लगाए, जो आज “अमराई” के नाम से प्रसिद्ध है। यही स्थान अब महाकुल समाज के यज्ञ नगर – गोकुलधाम के रूप में प्रतिष्ठित है। मूढू बाबा ने उड़िया भाषा में भागवत पुराण, हरिवंश पुराण और महाभारत के पवित्र ग्रंथों का निर्माण करवाया, जो आज भी सुरक्षित हैं और अष्टमी के दिन गोकुलधाम में पूजा के लिए रखे जाते हैं।   मूढू बाबा का जशपुर राज परिवार से गहरा संबंध था। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान राजा देवशरण सिंह जूदेव ने उन्हें राजसी विवाह समारोह का विशेष न्यौता भेजा था, जिसका प्रमाण आज भी मौजूद है।   1963 से कंदोरा की अमराई में गोकुलाष्टमी मेला प्रारंभ हुआ, जो इस वर्ष अपने 62वें वर्ष में है। अब यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में महाकुल समाज की आस्था, एकता और परंपरा का प्रतीक बन चुका है। इस वर्ष के गोकुलाष्टमी शताब्दी पर्व को भव्यता देने के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, पद्मश्री जगेश्वर राम यादव, शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव, प्रांताध्यक्ष परमेश्वर यादव, रणविजय सिंह जूदेव, राधेश्याम राठिया, गोमती साय, रायमुनि भगत और प्रबल प्रताप सिंह जूदेव जैसे कई प्रमुख अतिथि शामिल हो रहे हैं। प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, वहीं मेले में दुकानदार अपनी दुकानें सजा रहे हैं और मंच की तैयारी अंतिम चरण में है।   गोकुलाष्टमी पूजा समिति के अध्यक्ष रविशंकर यादव, उपाध्यक्ष कुंवर यादव, कोषाध्यक्ष बिन्नू यादव, सचिव विनोद कुमार यादव एवं सह सचिव गुले यादव अपनी कार्यकारिणी के साथ आयोजन की सफलता हेतु सक्रिय रूप से जुटे हैं।   गोकुलधाम की यह 100 वर्षीय परंपरा आज भी न सिर्फ आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश देती है —“जहां भक्ति है, वहां वंश की समृद्धि और समाज की एकता सदैव बनी रहती है।”

माँ समलेश्वरी के आशीर्वाद से प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने 140 लोगों को कराई घर वापसी,कार्तिक उरांव को किया नमन

IMG 20251031 WA0032 1

  रायपुर,31 अक्टूबर 2026 – माँ समलेशवरी की पावन धरा सारंगढ़ में विराट हिन्दू सम्मेलन का भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।कार्यक्रम में अजय उपाध्याय महाराज के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम में 140 धर्मांतरित लोगों की घर वापसी हुई।इस आयोजन में प्रमुख अतिथि प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने उपस्थित होकर सभी 140 धर्मांतरित लोगों के पैर पखारकर उन्हें विधिवत सनातन धर्म में वापसी कराई। अपने उद्बोधन में प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने कहा“माँ समलेशवरी की इस पवित्र भूमि पर आज धर्म की पुनःस्थापना का एक गौरवशाली क्षण है। सनातन धर्म केवल एक आस्था नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक उत्कृष्ट पद्धति है जो समरसता, प्रेम और सत्य के मार्ग पर अग्रसर करती है।” प्रबल ने कहा “यह घर वापसी हम परम पूजनीय कार्तिक उरांव को समर्पित करते हैं जिनकी कल जयंती थी, उन्होंने अपना पूरा जीवन जनजाति समाज के संस्कृति के संरक्षण एवं उनके हक के लिए संघर्ष किया। उन्होंने आगे कहा कि – “पूज्य पिताजी कुमार दिलीप सिंह जूदेव जी द्वारा प्रारंभ किया गया घर वापसी अभियान हमारे जीवन का आधार है, और हम इसे जीवन पर्यंत आगे बढ़ाते रहेंगे। यह केवल एक अभियान नहीं बल्कि एक राष्ट्र निर्माण कार्य हैं जो हमारी संस्कृति, परंपरा और आत्मसम्मान का प्रतीक है।”   कार्यक्रम में घर वापसी छत्तीसगढ़ प्रांत की संयोजिका अंजू गबेल का विशेष सहयोग रहा. उन्होंने अपने भाषण में कहा ” छत्तीसगढ़ के युवाओं को अपने धर्म, संस्कृति के लिए एकजुटता से कार्य करने की आवश्यकता है ” कार्यक्रम की अध्यक्षता संजय भूषण पांडेय, अध्यक्ष जिला पंचायत ( सारंगढ़ ) ने की।इस अवसर पर राजकुमार चौधरी, प्रान्त प्रमुख धर्मजागरण , मेहर बाई नायक, स्वाध्याय प्रमुख, केराबाई मनहर,पूर्व विधायक,ज्योति पटेल, जिलाध्यक्ष भाजपा,मुक्ता वर्मा,उषाकला रेख बाई रामनामी, गुलाराम रामनामी, आचार्य श्रीराम भगत रामनामी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।कार्यक्रम को सफल बनाने युवा टीम में मुख्य रूप में रवि तिवारी, किशन गुप्ता, इशांत शर्मा, धीरज सिंह एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।कार्यक्रम का सफल संचालन अमित गोगले द्वारा किया गया।इस अवसर पर सभी वक्ताओं ने धर्म, समाज एवं राष्ट्र की एकता के लिए एकजुट होकर कार्य करने का आह्वान किया।

आलेख : विविधता में एकता – राष्ट्र निर्माण में संस्कृति, कला और परंपराओं की भूमिका

IMG 20251030 WA0001

आलेख : विविधता में एकता – राष्ट्र निर्माण में संस्कृति, कला और परंपराओं की भूमिका भारत की एकता केवल संविधान या कानूनों से संचालित नहीं होती, बल्कि यह हमारे जीवन के हर पहलू में रची-बसी है। यह एकता हमारे त्योहारों, लोककला, संगीत, भाषा, परिधान, भोजन और परंपराओं में सांस लेती है। भारत की सच्ची ताकत उसकी विविधता में छिपी है—जहाँ अलग-अलग धर्म, भाषाएँ और संस्कृतियाँ एक साथ मिलकर एक ऐसा रंगीन मोज़ेक बनाती हैं जो दुनिया में अद्वितीय है। राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर हमें यह स्मरण करना चाहिए कि हमारी सांस्कृतिक विविधता केवल पहचान नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्र की आत्मा है। कश्मीर की सूफियाना कव्वालियों से लेकर कन्याकुमारी के भरतनाट्यम तक, राजस्थान के लोकगीतों से लेकर नागालैंड के जनजातीय नृत्यों तक, भारत का हर क्षेत्र अपनी विशिष्टता में चमकता है। यह विविधता विभाजन नहीं लाती, बल्कि एक-दूसरे के अनुभवों और भावनाओं को जोड़ती है। जब हम किसी और क्षेत्र के त्योहार में शामिल होते हैं या किसी अन्य भाषा का गीत गुनगुनाते हैं, तब हम अपने राष्ट्र की एकता को और गहराई से महसूस करते हैं। मेले, उत्सव और स्थानीय परंपराएँ केवल मनोरंजन के साधन नहीं हैं, बल्कि वे आपसी मेल-जोल और सांस्कृतिक संवाद के पुल हैं। भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका इस सांस्कृतिक निरंतरता का केंद्र बिंदु है। वे घर से लेकर समाज तक परंपराओं की संवाहक और एकता की प्रतीक हैं। किसी भी त्योहार की तैयारी, लोककला का संरक्षण, पारिवारिक रस्मों का निर्वाह या समुदायिक समन्वय—हर स्तर पर महिलाओं का योगदान अद्वितीय है। वे लोककथाएँ सुनाकर, लोकगीत सिखाकर और बच्चों में परंपरागत मूल्यों को रोपित करके न केवल संस्कृति को जीवित रखती हैं, बल्कि सामाजिक एकजुटता को भी सशक्त बनाती हैं। वास्तव में, महिलाएँ उस अदृश्य शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं जो समाज को भीतर से जोड़ती है। भारत की कला और संगीत केवल सौंदर्य की अभिव्यक्ति नहीं हैं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के उपकरण हैं। शास्त्रीय नृत्य की लय, लोकगीतों की आत्मा, नाटकों का संदेश और चित्रकला की भावनाएँ – सब मिलकर नागरिकों में साझा चेतना का निर्माण करती हैं। जब कोई बच्चा स्कूल में भांगड़ा और भरतनाट्यम दोनों सीखता है, या जब किसी कार्यक्रम में कथक और ओडिसी साथ प्रस्तुत होते हैं, तब यह केवल कला नहीं होती – यह एकता की भाषा होती है। यही कारण है कि एकता दिवस जैसे अवसरों पर बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ हमारे राष्ट्रीय चरित्र की जीवंत झलक पेश करती हैं। त्योहार भारत के समाज को जोड़ने वाली सबसे बड़ी शक्ति हैं। दीवाली की रोशनी, ईद का सेवरीं, पोंगल का भात या बैसाखी की फसल – हर त्योहार अपने भीतर साझेदारी और पारस्परिक सम्मान का संदेश रखता है। इन अवसरों पर जब समाज के लोग साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं, तो धर्म, भाषा और क्षेत्र की दीवारें स्वतः गिर जाती हैं। ऐसे साझा अनुभव सामाजिक जिम्मेदारी, सहिष्णुता और सहयोग की भावना को जन्म देते हैं। यही भावना भारत को एक ऐसा राष्ट्र बनाती है जहाँ भिन्नताएँ टकराती नहीं, बल्कि मिलकर नई पहचान बनाती हैं। संस्कृति की यह एकता केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि संस्थागत भी है। जहाँ संस्कृति लोगों को जोड़ती है, वहीं शासन और नीतियाँ उस एकता की रक्षा करती हैं। प्रशासनिक संस्थाएँ, कानून व्यवस्था और नीतिगत ढाँचे यह सुनिश्चित करते हैं कि हर नागरिक को अपनी संस्कृति और परंपरा को सुरक्षित रखने की स्वतंत्रता मिले। जब सरकार कला, संगीत, नाटक, लोककला और सांस्कृतिक त्योहारों को प्रोत्साहन देती है, तो वह न केवल कलाकारों का सम्मान करती है, बल्कि समाज की एकजुटता को भी सशक्त बनाती है। भारत की एकता का ताना-बाना कानून और जीवन दोनों के धागों से बुना गया है। संस्कृति, कला, संगीत और विविधता वह सामाजिक गोंद हैं जो हमें एक साथ बाँधते हैं, जबकि संस्थाएँ इस एकता को सुरक्षा और संरचना प्रदान करती हैं। राष्ट्रीय एकता दिवस का यह संदेश हमें याद दिलाता है कि एकता और विविधता विरोधी नहीं, बल्कि परस्पर पूरक मूल्य हैं। राष्ट्र निर्माण केवल साझा शासन से नहीं, बल्कि साझा भावनाओं, परंपराओं और मूल्यों से संभव होता है। जब हम हर संस्कृति को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं, तब हम न केवल भारत की आत्मा को समझते हैं, बल्कि उसे और मजबूत भी बनाते हैं। यही वह दृष्टिकोण है जो भारत को एक जीवंत, सशक्त, सामंजस्यपूर्ण और दूरदर्शी राष्ट्र के रूप में स्थापित करता है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय धर्मपत्नी के साथ पहुंचे छठ घाट, सर में पूजा सामग्री ढोकर आते मुख्यमंत्री की EXCLUSIVE तस्वीरें

IMG 20251028 WA0058 scaled

जशपुर 28 अक्टूबर 2025/ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय ने आज छठ महापर्व त्यौहार के अवसर पर जशपुर के कुनकुरी छठ घाट में उगते सूर्य को अर्घ्य देकर प्रदेश के सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को छठ पूजा की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज बड़े ही सौभाग्य का दिन है कि मुझे अपने विधानसभा क्षेत्र में छठ पर्व में शामिल होने का अवसर मिला। मुख्यमंत्री ने कहा कहा कि कुनकुरी छठ घाट के लिए लगभग 5 करोड़ 17 लाख की राशि से छठ का घाट का सौन्दर्यकरण किया जाएगा इस वर्ष के छठ महापर्व में व्रती महिलाएं छठ घाट में पूरे श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना भी कर रही है। इस अवसर पर बीजेपी जिलाध्यक्ष भरत सिंह,कलेक्टर रोहित व्यास, पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह सहित छठ पूजा करने वाली व्रती महिलाएं और जनप्रतिनिधीगण और ग्रामीणजन बड़ी संख्या में मौजूद थे। *छठ पर्व का धार्मिक महत्व सूर्य उपासना:* सूर्य देव को जीवन, ऊर्जा, और स्वास्थ्य का स्रोत माना गया है। छठ पूजा में सूर्य की आराधना करके श्रद्धालु उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। छठ महापर्व में व्रती (उपासक) पूरी तरह शुद्धता, और आस्था के साथ चार दिनों तक उपवास, स्नान, और पूजा करती है। छठ पूजा में समाज के सभी लोग मिलकर घाट सजाते हैं, प्रसाद बनाते हैं और एक साथ पूजा करते हैं।

उरांव महिलाओं ने दिखाई शौर्यगाथा की झलक, पारंपरिक ‘जनी शिकार’ का किया प्रदर्शन, पांच दिवसीय सम्मेलन में संस्कृति, परंपरा और अस्तित्व की रक्षा का लिया संकल्प, हजारों महिलाओं ने पुरुष वेश में नगाड़ों की थाप पर किया जुलूस, धर्मांतरण के खिलाफ गरजे गणेश राम भगत

IMG 20250523 WA0003

जशपुर,23 मई 2025 – जशपुरनगर के तेतरटोली में 18 से 22 मई तक हिन्दू उरांव महिला समिति के बैनर तले एक पांच दिवसीय महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य उरांव समाज की महिलाओं को अपनी पारंपरिक संस्कृति, लोकगीत, नृत्य और जातिगत परंपराओं से जोड़ना था, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी मूल पहचान और गौरवशाली विरासत को समझ सकें। कार्यक्रम के अंतिम दिन ऐतिहासिक ‘जनी शिकार’ परंपरा का प्रतीकात्मक प्रदर्शन हुआ, जिसमें हजारों महिलाओं ने पारंपरिक पुरुष वेश में हाथों में पारंपरिक हथियार लेकर नगाड़ों की थाप पर शहर में विशाल रैली निकाली। यह प्रदर्शन रोहतासगढ़ की उस गौरवशाली गाथा की याद दिलाने के लिए था, जब उरांव महिलाओं ने अपने शौर्य से मुगलों को तीन बार पराजित किया था। आमसभा में जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने धर्मांतरण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि छोटा नागपुर क्षेत्र को ‘ईसाई राज’ में बदलने की साजिशें लगातार चल रही हैं, लेकिन समाज अब जागरूक हो चुका है। उन्होंने डीलिस्टिंग कानून की मांग को दोहराते हुए सरकार से इस पर ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। फोटो: पारंपरिक परिधान में दंत चिकित्सक डॉ कांति प्रधान अन्य सामाजिक नेताओं के साथ रैली में सभा में झारखंड के संदीप उरांव और अंबिकापुर से आए डॉ. आज़ाद भगत ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि यदि जनजातीय समाज अपनी भाषा, परंपरा और रीति-रिवाजों को नहीं भूले, तो धर्मांतरण जैसी चुनौतियों से सहजता से निपटा जा सकता है। इस मौके पर गणेश राम भगत ने जशपुर रेल परियोजना में अवरोध उत्पन्न करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह जनभावना से जुड़ा मामला है, और ऐसे तत्वों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही उन्होंने संरक्षित जंगलों में अंधाधुंध पेड़ कटाई पर नाराजगी जाहिर करते हुए उसकी जांच की मांग की तथा बारिश में वृक्षारोपण का आह्वान किया। इस आयोजन में हज़ारों की संख्या में महिलाएं और समाजजन शामिल हुए। तेज धूप में रैली में शामिल लोगों के सेवा में शहर के सामाजिक संगठनों ने भी भागीदारी निभाई। संवेदना फाउंडेशन, श्री बालाजी जन कल्याण समिति, और गुड मॉर्निंग ग्रुप जैसे संगठनों ने रैली में शामिल लोगों को पानी, शीतल पेय और फल वितरित कर सेवा भाव का परिचय दिया। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक जागरूकता का प्रतीक बना, बल्कि सामाजिक एकता, जनजागरण और आत्मगौरव की मिसाल भी प्रस्तुत कर गया।

मुख्यमंत्री VDS आज जगन्नाथ मंदिर दोकड़ा के उद्घाटन में होंगे शामिल,सुशासन तिहार में भी देंगे समय

IMG 20250519 WA0116

जशपुर,21 मई 2025 – प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय आज कांसाबेल विकासखंड के दोकड़ा गांव में  उतरेंगे।प्रशासनिक तैयारी  और जगन्नाथ मंदिर से जुड़े लोगों से चर्चा के अनुसार  दोकड़ा ग्राम में वर्षों पुराना जगन्नाथ मंदिर को नए सिरे से पूरी भव्यता और ओड़िशी वास्तुकला के साथ निर्माण किया गया है।इस मंदिर के निर्माण में स्वयं विष्णुदेव साय ने रुचि दिखाई और अपने विश्वस्त पुरुषोत्तम सिंह,बलराम भगत  समेत दोकड़ा के भाजपा कार्यकर्ता,पदाधिकारियों के अथक प्रयास से आज वह दिन आ गया है ,जब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अपनी धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय के साथ भगवान जगन्नाथ मंदिर के महाआयोजन में उपस्थित होंगे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का शाम 4 बजे के करीब कार्यक्रम में आने की संभावना है।जिसको लेकर प्रशासनिक तैयारियां पूरी हो चुकी है।आज सुशासन तिहार भी दोकड़ा गांव में मनाया जायेगा।इन दोनों बड़े आयोजन में शामिल होने बड़ी संख्या में लोगों का आना शुरू हो चुका है।पुलिस व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है।

*वक़्फ़ संशोधन बिल पर भाजपा का जिला स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न* *वक़्फ़ संपत्तियों की पारदर्शिता हेतु जरूरी है संशोधन : भाजपा*

IMG 20250404 051610

जशपुर,20 मई 2025 – भारतीय जनता पार्टी द्वारा वक़्फ़ संशोधन बिल 2025 को लेकर जनजागरूकता फैलाने हेतु सोमवार को श्याम पैलेस जशपुर में एक जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पत्थलगांव विधायक श्रीमती गोमती साय, जशपुर विधायक श्रीमती  रायमुनी भगत, भाजपा जिला अध्यक्ष भरत सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष नरेश नंदे, तथा वक़्फ़ जनजागरण अभियान जिला समिति के सदस्य एवं पार्षद फैज़ान सरवर खान ने अपने विचार व्यक्त किए। विधायक श्रीमती गोमती साय ने कहा कि वक़्फ़ संपत्तियाँ वर्षों से उपेक्षा और भ्रष्टाचार का शिकार रही हैं। संशोधन बिल 2025 इन संपत्तियों के पारदर्शी और न्यायपूर्ण प्रबंधन का रास्ता खोलता है। यह कदम सामाजिक न्याय और संसाधनों के सही उपयोग की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय है। जशपुर विधायक श्रीमती रायमुनी भगत ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह बिल किसी धर्म या समुदाय के विरोध में नहीं है, बल्कि यह सभी वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा, पारदर्शिता और सही इस्तेमाल के लिए एक आवश्यक सुधार है। उन्होंने कहा कि वर्षों से बंद पड़ी या अवैध कब्जे में चली गई वक़्फ़ ज़मीनें अब समाज के विकास में उपयोग लाई जा सकेंगी। उन्होंने जनता से अपील की कि वे भ्रम में न पड़ें और इस ऐतिहासिक पहल का समर्थन करें। भाजपा जिला अध्यक्ष भरत सिंह ने कहा कि भाजपा की सरकार हर वर्ग के हित में निर्णय लेती है। यह संशोधन मुस्लिम समाज के हितों की रक्षा करते हुए वक़्फ़ संपत्तियों की जवाबदेही तय करेगा और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लाएगा। पूर्व जिलाध्यक्ष नरेश नंदे ने अपने वक्तव्य में कहा कि अब समय आ गया है कि वक़्फ़ संपत्तियों का लेखा-जोखा सार्वजनिक हो और उनका लाभ वास्तव में जरूरतमंदों को मिले। यह बिल उस दिशा में सार्थक पहल है। पार्षद फैज़ान सरवर खान ने स्पष्ट किया कि इस बिल को लेकर समुदाय विशेष के बीच फैलाई जा रही भ्रांतियाँ निराधार हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को इसे अधिकार की लड़ाई मानकर समर्थन देना चाहिए क्योंकि यह उनकी संपत्तियों की सुरक्षा की गारंटी देता है। वक़्फ़ संशोधन बिल 2025 वक़्फ़ बोर्ड के कामकाज को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगा। यह बिल समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर प्रदान करेगा और वक़्फ़ संपत्तियों का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और सामुदायिक विकास के लिए सुनिश्चित करेगा।उन्होंने भ्रांतियों कप दूर करने के लिए तथ्यपरक जानकारी साझा की ओर स्थानीय समुदाय से सहयोग की अपील की। कार्यक्रम का संचालन जिला प्रवक्ता ओमप्रकाश सिन्हा ने कुशलतापूर्वक किया।उन्होंने अपने संचालन में इस बात पर जोर दिया कि यह अभियान केवल एक समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के कल्याण के लिए है।कार्यशाला में भाजपा पदाधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाएं एवं शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।  

नवनिर्मित श्री जगन्नाथ मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा एवं मूर्ति स्थापना अनुष्ठान में सपत्नीक शामिल होगें मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय, 21 से 27 मई तक अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित

IMG 20250519 WA0115

*21 मई से प्रतिदिन विशाल मीना बाजार का भी होगा आयोजन* दोकड़ा/जशपुर, 20 मई 2025 – नवमिर्मित श्री जगन्नाथ मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा एवं मूर्ती स्थापना अनुष्ठान कांसाबेल विकासखण्ड के ग्राम दोकड़ा में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय मुख्य अतिथि के रूप में 21 मई 2025 को शामिल होगें। दोकड़ा के प्राचीन श्री जगन्नाथ मंदिर का जीर्णोद्धार पश्चात् नव निर्मित मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा एवं मूर्ति स्थापना किया जा रहा है। इस दौरान 21 से 27 मई तक अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। जहॉ 21 मई से प्रतिदिन विशाल मीना बाजार का भी आयोजन होगा। आयोजित धार्मिक कार्यक्रम अनुसार 21 मई को दोपहर 2 बजे से मैनी नदी बगिया से मंदिर प्रांगण तक कलश यात्रा के साथ मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम प्रांरभ होगा,साथ संध्या बेला में जी टीवी कलर टीवी फेम वैशाली रायकवार की टीम प्रस्तुति देंगे। 22 मई को सुबह 7 बजे से सूर्य पूजन, गौ पूजन, मंदिर प्रवेश, पार्श्व विग्रह, नेत्र उनिजन तथा रात्रि 8 बजे झारखंड के मशहूर गायक नागपुरी संगीत से समां बांधेंगे। 23 मई को प्रातः 7 बजे से सूर्य पूजन, मंडल पूजन, शिखर कलश, एवं नीलचक्र स्थापना, पार्श्व विग्रह महास्नान एवं रात्रि ओडिशा के संबलपुर के टीम द्वारा बादी पाला का आयोजन किया जाएगा। 24 मई को प्रातः 7 बजे से सूर्य पूजन, मंडल पूजन,एवं रात्रि ओडिशा भुवनेश्वर के मशहूर गायक अरविंद मुदली द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी।, 25 मई को श्री जगन्नाथ स्वामी जी, बलभ्रद्र जी, सुभद्रा जी का मंदिर प्रवेश एवं संध्या भव्य कलश यात्रा अधिवास 26 मई को सुबह 8 बजे से अष्ट प्रहरी अखंड कीर्तन हरि नाम यज्ञ शुरू होगा,जिसमें ओडिशा,झारखंड, छत्तीसगढ़ के कीर्तन मंडली शामिल होकर प्रस्तुति देंगे। 27 मई को प्रातः 8 बजे पूर्णाहूति, दधीभंजन एवं नगर भ्रमण जिसमें ओडिशा के कीर्तन मंडली द्वारा ओड़िसा भजन की प्रस्तुति दी जाएगी। इसके पश्चात् महाप्रसाद वितरण एवं समापन होगा। श्री जगन्नाथ मंदिर समिति के आयोजकों ने सभी भक्तोजनों को अत्यंत हर्ष के साथ आमंत्रित किया गया है।

कबीर आश्रम के कब्जे की ज़मीन पर बिजली विभाग का निर्माण कार्य रोकने धरने पर बैठे कबीरपंथी,आज दूसरा दिन

FB IMG 1747454178058

कुनकुरी/जशपुर,17 मई 2025 – डुग़डुगिया स्थित कबीर आश्रम की वर्षों पुरानी कब्जे की जमीन को कबीरपंथी सरकारी दखल के बाद आक्रोशित हैं।बिजली विभाग का संभागीय ट्रांसफार्मर स्टेशन कबीरपंथ की उस जमीन पर बन रहा है, जो वर्षों से कबीर मेला डांड के रूप में सरगुजा,झारखंड के सीमावर्ती जिलों के लोगों के एकाेत्तरी चौका,सत्संग की जगह थी। दरअसल,1950 ईस्वी से डुग़डुगिया में नेशनल हाईवे से लगा कबीर कुटिया (आज कबीर आश्रम) महंत हीरादास बाबा की कुटिया थी। आज  पचहत्तर सालों से यहां सदगुरू कबीर का दिया अनवरत जलता आ रहा है।मानवता,भाईचारे का संदेश देते हुए यह आश्रम विवादों से घिरा हुआ भी है। कबीरपंथ की आमीन माता संघ की अध्यक्षा सुशीला दास बताती हैं कि जब यह सब जंगल था तब यहां महंत हीरादास दुर्गम क्षेत्र में आकर आदिवासियों,गैर आदिवासियों के बीच सत्य का मार्ग बताने इस स्थान पर आए।बाद के वर्षों में यह आस्था का केंद्र बना।आबादी बढ़ने के साथ लोग कुनकुरी की शासकीय जमीनों पर अतिक्रमण कर मकान बनाने लगे लेकिन कबीर पंथियों ने चट्टान से लेकर करीब दस एकड़ की जमीन पर अतिक्रमण होने नहीं दिया। सुशीला दास स्व दिलीप सिंह जूदेव को याद करते हुए बताती हैं कि बीस – बाईस साल पहले महंत हीरादास का वसीयत छल कपट से विश्वनाथ सिंह  ने बनवाकर उनकी मृत्यु के बाद डेढ़ एकड़ जमीन को कई प्रभावशाली लोगों को बेच दिया।इस बात को लेकर हम लोग कुमार साहब से मिले और उन्होंने पूरी बात समझने के बाद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को चिट्ठी लिखी। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को जांच के आदेश दिए।फिर कलेक्टर कोर्ट में केस लड़े।कलेक्टर कोर्ट ने वसीयत को फर्जी पाया और बिक्री की हुई जमीन की रजिस्ट्री शून्य कर दी।इसके बाद मामला कमिश्नर कोर्ट में चला और कलेक्टर के आदेश को पलट दिया गया।हमने फिर राजस्व बोर्ड बिलासपुर में अपील की,सुनवाई चल रही है।इस मामले में बीते पच्चीस साल से भाजपा हो या कांग्रेस की सरकार सभी ने कबीर पंथ को पूरा सहयोग किया।हालांकि शहर के कुछ लोगों की नजर जमीन पर थी।वर्तमान सरकार के आते ही कबीर आश्रम को परेशान करना शुरू किए और मेलाडांड की जमीन को 1990 से बिजली विभाग को आबंटित करने का कागज दिखाकर हथिया लिया गया।जिसपर कबीरपंथियो ने प्रशासन की बात को मात भी लिया किंतु ठेकेदार और बिजली विभाग के अधिकारियों ने कबीर आश्रम से हुई बात से मुकरते हुए जबरन निर्माण कार्य करा रहे हैं।वहीं कुछ भाजपा नेताओं के दबाव में हमारे द्वारा घेरा किया गया था,उसे उखाड़कर ठेकेदार ले गया।यही नहीं आश्रम की जमीन पर भाजपा नेताओं के इशारे पर भुवनेश्वर यादव को तहसील ऑफिस से स्टे भी दे दिया गया ताकि हम अपनी जमीन को सुरक्षित न कर सकें। धरने पर बैठे कबीर पंथी सीधे तौर पर आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा की अभी की सरकार हिंदुत्व की बात करती है लेकिन कबीर पंथियों को हिंदू क्यों नहीं मानती है? हमारी आस्था पर रोज चोट क्यों पहुंचाया जा रहा है? बहरहाल,इस मामले में विवाद गहराता जा रहा है।अभी मुट्ठीभर कबीर पंथी धरने पर बैठे हैं।समय रहते शासन प्रशासन इस विवाद को सुलझा लेना चाहिए नहीं तो इस धरना प्रदर्शन में कबीरपंथियो की संख्या इतनी ना बढ़ जाए कि स्थिति संभालने के लिए सरकार को मुश्किल हो जाए।

*भव्य कलश यात्रा के साथ शुरू होगा भगवान जगन्नाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह,मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मुख्य आतिथ्य में पुरी के पंडितों का समूह कराएंगे पूजा*

IMG 20250516 WA0008

जशपुर,16 मई 2025 : जिले के कांसाबेल ब्लाक के दोकड़ा में स्थित प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद प्राण प्रतिष्ठा का भव्य कार्यक्रम 21 से 27 मई तक किया गया है। इस कार्यक्रम में मुख अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय धर्म पत्नी कौशल्या साय के साथ शामिल होंगे। प्राण प्रतिष्ठा के इस भव्य कार्यक्रम का शुभारम्भ 21 मई को भव्य कलश यात्रा से होगा। इस दिन बीजारोपण,पार्श्व विग्रह,गर्भधान कर्म कार्यक्रम सम्पन्न होगा। दूसरे दिन 22 मई को सूर्य पूजन,गौ पूजन,मंदिर प्रवेश,वष्टमवागिनी संस्कार,मंडल पूजा,पार्श्व विग्रह,प्राण प्रतिष्ठा,23 मई को सूर्य पूजा,गौ पूजा,मंडल पूजा,शिखर कलश,नील चक्र स्थापना,महा स्नान,यज्ञ और अधिवास,24 मई को सूर्य पूजा,गौ पूजा,मंडल पूजा,यज्ञ हवन,25 मई को प्राण प्रतिष्ठा,श्री जगन्नाथ,सुभद्रा और बलराम जी का मंदिर प्रवेश,सोलह पूजा,बीज़ मंत्र,आरती,अग्नि अभिषेक,पूर्णाहुती,छाया प्रति दर्शन,आरती,पुष्पांजलि व प्रसाद वितरण,26 मई को अष्ट प्रहरी हरि कीर्तन नाम उच्चारण प्रारम्भ 27 मई को पूर्णाहुति और प्रसाद वितरण के साथ ही यह कार्यक्रम सम्पन्न होगा। *पुरी के आचार्यो का समूह पहुंचेगा दोकड़ा* भगवान श्री जगन्नाथ महाप्रभु के प्राण प्रतिष्ठा को वैदिक रीती रिवाज़ से सम्पन्न कराने के लिए ओडिसा के जगन्नाथ पुरी से आचार्यो का समूह दोकड़ा आमंत्रित किया गया है। इस समूह में पंडित पदम्नाभो महापात्र,पंडित वासुदेव महापात्र,पंडित प्रशंत कुमार दास,पंडित जगन्नाथ मिश्र,शोभनाथ मिश्र,पंडित बादल कुमार मिश्र शामिल हैँ। आयोजन समिति के स्वयं सेवक इन दिनों प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारी को अंतिम रूप देने में जूटे हुए हैं। *मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय होंगे शामिल* दोकड़ा स्थित इस प्राचीन भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शामिल होने के लिए दोकड़ा पहुंचेंगे। आयोजन के शुभारंम के दिन उनके कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है। इस प्राचीन भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर के प्रति मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की विशेष श्रद्धा रही है। मंदिर का जीर्णोद्धार और भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन उन्ही के मार्गदर्शन में आयोजित किया जा रहा है। *आठ दशक से हो रहा भगवान श्री जगन्नाथ जी का पूजा* दोकड़ा में भगवान श्री जगन्नाथ महाप्रभु की पूजा की परम्परा 8 दशक से भी पुराना है। मंदिर के पुजारी पंडित कुमोद चंद्र सतपती बताते हैँ इस क्षेत्र में रथ यात्रा की परम्परा की नींव स्व.पंडित सुदर्शन सतपती और उनकी धर्म पत्नी स्व सुशीला सतपती ने रखी थी। 1968 में दोकड़ा में मंदिर का निर्माण किया गया था। समय गुजरने के साथ मंदिर जर्जर हो गया था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसके जीर्णोद्धार के लिए आधारशिला रखी थी। अब जीर्णोद्धार का काम पूरा हो चुका है। इस नव निर्मित मंदिर में भगवान श्री जगन्नाथ महाप्रभु,माता सुभद्रा,ब्लभद्र प्रवेश करने जा रहे है। आयोजन समिति ने अधिक से अधिक संख्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने की अपील श्रद्धालुओं से की है।