साक्षात्कार : “मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता ही पहला इलाज है” – डॉ. ग्रेस, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट

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छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता धीरे-धीरे बढ़ रही है, और इस बदलाव की धुरी बन रही हैं डॉ. ग्रेस कुजूर। मानसिक चिकित्सा के कई विषयों में विशेषज्ञता रखने वाली डॉ. ग्रेस, 2022 से जशपुर रोड पर तालाब के सामने चर्च गेट के पास “GK साइकोथेरेपी एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर” का संचालन कर रही हैं। उनके प्रयासों से अब तक सैकड़ों मरीज ठीक होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं। जनपक्ष के संपादक संतोष चौधरी ने उनसे एक विशेष बातचीत की। “मेरा उद्देश्य सेवा है, सिर्फ कमाई नहीं“ प्रश्न: डॉक्टर साहिबा, अपने बारे में हमारे पाठकों को बताएं। उत्तर: (मुस्कुराते हुए) सबसे पहले आपके पाठकों को मेरा नमस्कार। मैं डॉ. ग्रेस कुजूर, कुनकुरी से 16 किलोमीटर दूर केरसई गाँव की रहने वाली हूँ। मेरी पढ़ाई कुनकुरी निर्मला स्कूल से हुई, फिर 2008 में बिलासपुर गर्ल्स डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। क्लिनिकल साइकोलॉजी में मास्टर्स GGU, बिलासपुर से किया और फिर सिकंदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु और मुंबई में अलग-अलग विषयों में विशेषज्ञता हासिल की। मैं दो विषयों में पीएचडी कर चुकी हूँ—एक क्लिनिकल साइकोलॉजी में और दूसरा नेचुरोपैथी में। 2017 में छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, रायपुर ने मुझे “साइंटिस्ट अवॉर्ड” दिया था, जब मैंने विशेष बच्चों के लिए एक ऐप विकसित किया। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में 24 साल से काम कर रही हूँ और इस काम को सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि जीवन की सेवा मानती हूँ।मुझे वैज्ञानिक मनोचिकित्सक पुनर्वास एवं विशेषज्ञ के रूप में काम करने के लिए लाइसेंस प्राप्त है जिसका नम्बर C.R.R. A81006 है। “हर मानसिक बीमारी का इलाज संभव है” प्रश्न: आपके सेंटर में किस तरह के मरीजों का इलाज किया जाता है? उत्तर: हमारे सेंटर में काउंसलिंग, साइकोथेरेपी, रिलैक्सेशन थेरेपी, हिप्नोथेरेपी, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और ज़रूरत पड़ने पर एमडी के पास रेफर किया जाता है। अब तक, ✔ 10 सेरेब्रल पाल्सी के बच्चे पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। ✔ 15 ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे सामान्य जीवन जी रहे हैं। ✔ 50 मंदबुद्धि (इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी) के बच्चे ठीक हो चुके हैं। ✔ 70 से अधिक व्यस्क मानसिक रोगी, जिनमें से 40 पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। ✔ 60-75 वर्ष के बुजुर्गों में भूलने की बीमारी का भी सफल इलाज जारी है। सेंटर का मुख्य उद्देश्य जागरूकता और सही उपचार देना है, इसलिए फीस बहुत कम रखी गई है। “बाहर की नहीं, अंदर की चोटों का इलाज भी जरूरी है“ प्रश्न: इतनी पढ़ाई और अनुभव के बाद आपने कुनकुरी को ही क्यों चुना? उत्तर: जब मैं रायपुर, बेंगलुरु में पढ़ाई कर रही थी, तब मैंने देखा कि सरगुजा क्षेत्र के कई मरीज मानसिक बीमारियों के कारण दर-दर भटक रहे हैं। मुझे लगा कि अगर मैं अपने ही क्षेत्र में रहकर लोगों की मदद करूं तो ज्यादा बेहतर होगा। चूंकि मेरा घर कुनकुरी में है, तो यहाँ सेंटर खोलना सुविधाजनक भी रहा। प्रश्न: आपके अनुसार, इस क्षेत्र में किस तरह के मानसिक रोग सबसे ज्यादा हैं? उत्तर: यह कहना मुश्किल है क्योंकि मानसिक बीमारी दिखती नहीं, महसूस होती है। डिप्रेशन, एंग्जायटी, सिजोफ्रेनिया (पागलपन), एडिक्शन, डी-एडिक्शन, याददाश्त की समस्या जैसी बीमारियाँ यहाँ आम हैं। लेकिन सबसे चिंता की बात यह है कि 8वीं-9वीं के बच्चों में भी मानसिक समस्याएँ बढ़ रही हैं। ✔ बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं ✔ या तो उन्हें बहुत अधिक सुविधाएँ दी जा रही हैं, या बहुत ज्यादा दबाव यही कारण है कि बचपन से मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है।          “मुझे अपने काम पर गर्व है” प्रश्न: इतने सालों का अनुभव कैसा रहा? उत्तर: (हँसते हुए) 24 साल से इस फील्ड में हूँ और मुझे अपने काम पर बेहद गर्व है। जब कोई मरीज स्वस्थ होकर अपनी ज़िंदगी फिर से शुरू करता है, तो जो संतुष्टि मिलती है, वह शब्दों में बयां नहीं कर सकती। “मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही ज़रूरी” अंतिम प्रश्न: हमारे पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगी? उत्तर:”जिस तरह बाहर की चोट का इलाज कराते हैं, वैसे ही अंदर की चोट का भी इलाज कराना ज़रूरी है।”अगर आपको लगे कि आपका कोई प्रियजन असामान्य व्यवहार कर रहा है, तो घबराने की जरूरत नहीं है—इलाज संभव है! वैसे,ज्यादा सही होगा कि स्वस्थ दिखने वालों को भी मानसिक स्वास्थ्य की जांच करा लेनी चाहिए, जिससे बीमारी ही पैदा न हो पाए। मेरे GK साइकोथेरेपी एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में सोमवार से शनिवार, सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक आ सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए 7725093381,7067162282 पर संपर्क करें।मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हर समस्या का समाधान संभव है—बस पहला कदम उठाने की देर है!

छत्तीसगढ़ में पोषण ट्रैकर एप बना आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए सिरदर्द, तकनीकी खामियों के कारण वेतन कटौती पर भड़का संघ

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जशपुर ,27 फरवरी 2025 – छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए पोषण ट्रैकर एप एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इस एप में तकनीकी खामियों के चलते प्रदेशभर में कई कार्यकर्ताओं का वेतन बिना किसी गलती के काटा जा रहा है, जिससे वे परेशान और आक्रोशित हैं। इस मुद्दे को सबसे पहले जशपुर जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ ने प्रमुखता से उठाया है और मंगलवार 25 फरवरी को जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर तत्काल समाधान की मांग की है। तकनीकी खामियां बनी बड़ी समस्या संघ की जिलाध्यक्ष श्रीमती कविता यादव के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि पोषण ट्रैकर एप के नए वर्जन में कई व्यावहारिक समस्याएं हैं। इसमें टीएचआर (टेक होम राशन) वितरण के लिए हितग्राहियों के आधार और मोबाइल से ओटीपी सत्यापन की अनिवार्यता है, जिससे कई परेशानियां खड़ी हो रही हैं— एक ही व्यक्ति को हर माह राशन लेने की अनिवार्यता – परिवार का कोई अन्य सदस्य राशन लेने नहीं जा सकता। ओटीपी सत्यापन की समस्या – कई हितग्राही ओटीपी साझा करने से मना करते हैं, जिससे उन्हें राशन नहीं मिल पाता। मोबाइल की अनुपलब्धता – कई आदिवासी और वनवासी परिवारों के पास मोबाइल फोन नहीं है, जिससे वे पोषण योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। नेटवर्क और तकनीकी दिक्कतें – कई इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने से पोषण ट्रैकर एप काम नहीं करता, जिससे राशन वितरण बाधित होता है। कमजोर मोबाइल उपकरण – आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिए गए मोबाइल इस एप को सुचारू रूप से चलाने में सक्षम नहीं हैं, जिसके लिए कम से कम 5GB रैम वाले मोबाइल की जरूरत है। रिचार्ज सुविधा का अभाव – कार्यकर्ताओं को मोबाइल रिचार्ज के लिए प्रति माह ₹500 की स्वीकृति दी जाए, ताकि वे निर्बाध रूप से अपने कार्य कर सकें। मानदेय में कटौती से बढ़ रही नाराजगी संघ का आरोप है कि विभागीय अधिकारी इन समस्याओं से भली-भांति परिचित होने के बावजूद, कोई समाधान निकालने के बजाय कार्यकर्ताओं के मानदेय में कटौती कर रहे हैं। यह कटौती केवल एप में दर्ज आंकड़ों के आधार पर की जा रही है, जबकि तकनीकी गड़बड़ियों के कारण कई बार सही डेटा दर्ज नहीं हो पाता। संघ की जिलाध्यक्ष कविता यादव ने कहा, “हम अल्प मानदेय पर कार्य करते हैं और उसी से परिवार चलता है। यदि छोटी-छोटी तकनीकी खामियों के कारण वेतन में कटौती होगी, तो हम पर आर्थिक संकट आ जाएगा। सरकार को इस समस्या का तत्काल समाधान निकालना चाहिए।” संघ ने शासन-प्रशासन से आग्रह किया है कि— टीएचआर वितरण का कार्य अन्य एजेंसी या संस्था के माध्यम से किया जाए, ताकि तकनीकी परेशानियों से बचा जा सके। पोषण ट्रैकर एप की खामियों को दूर किया जाए और इसे ऑफलाइन मोड में भी संचालित करने की सुविधा दी जाए। किसी भी कार्यकर्ता या सहायिका का मानदेय बिना उचित कारण के न काटा जाए और जब तक समस्या का समाधान न हो, तब तक कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। प्रदेश भर में फैल सकता है आंदोलन यह समस्या केवल जशपुर की नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो यह मुद्दा प्रदेशव्यापी आंदोलन का रूप ले सकता है। संघ ने सरकार से अपील की है कि पोषण ट्रैकर एप से जुड़ी तकनीकी समस्याओं को दूर कर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बिना बाधा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने दिया जाए। अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं।

बच्चों की पढ़ाई में बड़ी बाधा बनी मधुमक्खी के छत्तों को हटाने एक्शन में आये विनयशील,5 बच्चों को मधुक्खियों ने मारी डंक

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कुनकुरी,18 फरवरी 2025 – कुनकुरी शहर की कन्या शाला में वर्षों पुरानी समस्या पर नवनिर्वाचित नपं अध्यक्ष विनयशील का ध्यान गया है।उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से मधुक्खियों के छत्ते हटाते हुए स्थायी समाधान करने पर चर्चा की है। दरअसल,आज सुबह विनयशील खेल मैदान चौक पर लोगों से मुलाकात कर रहे थे।इसी दौरान युवा कौशल शर्मा ने बताया कि कन्या शाला में सेमल के बड़े पेड़ों पर मधुक्खियों के कई सारे छत्ते हैं।जिनमे से विभिन्न कारणों से मधुमक्खियां निकलकर स्कूल के बच्चों,टीचरों समेत स्टेट हाइवे से गुजरनेवाक़े राहगीरों पर हमला कर देती हैं।आज मंगलवार की सुबह साढ़े नौ बजे के करीब स्कूल की 5 छात्राओं को मधुक्खियों ने डंक मार दिया है।कौशल ने यह भी बताया कि उसे भी स्कूटी से गुजरते वक्त तीन दिन पहले मधुमक्खी ने गाल पर डंक मारा था जिससे वे सड़क पर गिरते-गिरते बचे। इस परेशानी को जानने के बाद विनयशील ने तत्काल वन विभाग के एसडीओ कुनकुरी को फोन लगाकर इस सम्बंध में चर्चा की।विनयशील ने बताया कि इससे सैंकड़ो बच्चों के जीवन के लिए हमेशा बड़ा खतरा बना हुआ है।परीक्षा सिर पर है।स्कूल परिसर के बाहर भी भीड़भाड़ रहती है।व्यस्त सड़क है।ऐसे में मधुक्खियों के छत्तों को सुरक्षित तरीके से हटाना जरूरी है।इसे हटाने में जो भी खर्च करना पड़े,उसमें यदि फंड की कोई दिक्कत है तो निजी खर्च पर हटाऊंगा। अब देखना है कि मधुक्खियों और इंसानों का जीवन सुरक्षित करते हुए युवा नपं अध्यक्ष कब तक स्थायी समाधान कर पाते हैं।इससे पहले भी स्कूल प्रबंधन व छात्राओं ने छोटे से लेकर बड़े-बड़े जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से छुटकारा दिलाने की गुहार लगाते रहे हैं।

जशपुर की मिशन संस्था में धर्मांतरण का खेल! नन्हें-मुन्नों को धार्मिक शिक्षा का कैसे दिया जा रहा लॉलीपॉप?सरकारी अनुदान के पैसों का दुरुपयोग कर मिशनरी स्कूल से कौन कर रहा है काली कमाई? सवाल कई जवाब भी पढ़िए –

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जशपुर,17 जनवरी 2025 – जिले के पोरतेंगा स्थित सरकारी अनुदान प्राप्त विनय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा से संबंधित गंभीर अव्यवस्थाएं उजागर हुई हैं। स्थानीय जागरूक निवासियों ने इन मुद्दों को लेकर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नितिन राय को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। छात्रावास में दुर्व्यवस्था का आरोप छात्रावास में साफ-सफाई और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बच्चों को अस्वच्छ और असुरक्षित वातावरण में रखा जा रहा है, जिससे उनका स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है।बच्चों ने बताया कि खाट,मच्छरदानी,कम्बल घर से लाएं हैं। बच्चों पर धार्मिक और सांस्कृतिक दबाव डालने का आरोप बच्चों को जबरदस्ती धर्म और परंपराओं का पालन करने के लिए विवश किया जा रहा है।बच्चों ने बताया कि छात्रावास चर्च से सटा हुआ है।यहाँ चर्च में प्रार्थना करने के लिए सभी को जाना होता है चाहे बच्चे किसी भी धर्म को मानने वाले हों।छात्रावास में दैनिक समय सारणी,शनिवार समय सारणी,रविवार समय सारणी चस्पा किया हुआ है।जिसे कार्यालय,विनय बालक छात्रावास पोरतेंगा ने 1 सितंबर 2023 से जारी किया हुआ है।जिसके अनुसार दैनिक समय सारणी में छात्रावासी बालकों को सुबह उठकर 6 बजे मिस्सा करना शाम को 4 बजे बागवानी,शाम 6 बजे रोजरी अन्य गतिविधियों के साथ करना है।इसी तरह शनिवार समय सारणी में सुबह उठकर 6 बजे मिस्सा फिर शाम 3 बजे बागवानी,5:30 बजे रोजरी अन्य गतिविधियों के साथ करना है।वहीं रविवार समय सारणी के अनुसार सुबह उठकर 6 बजे मिस्सा,11 बजे गाना अभ्यास, शाम 5 बजे बेनेदिक्सन व अन्य गतिविधियां लिखी हुई हैं। ये बात समझा जा सकता है कि सभी बालकों को रोज सुबह उठने के बाद मिस्सा पूजा कर दिन की शुरुआत करनी है।रोज बागवानी करनी है।शाम को भी ईसाई धर्म के अनुसार रोजरी विनती आदि करना है। अवैध वसूली का आरोप प्रति बच्चे से ₹1000 की अवैध वसूली की जा रही है, जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता।बच्चों को बाकायदा इसकी रसीद दी जाती है,जिसकी पुष्टि बच्चों ने और खुद संस्था प्रमुख फादर अमित बेक ने कैमरे में की है। शराब पीकर अनुशासनहीनता का आरोप: विद्यालय प्रशासन पर शराब और अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया गया है, जिससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा असर पड़ रहा है। शोषण और जबरदस्ती मजदूरी का आरोप: बच्चों से जबरदस्ती मजदूरी करवाई जा रही है।जैसा कि बच्चों ने बताया ,”हम सभी को बागान में रोज काम करना होता है।उससे जो सब्जी उगती है उसे हमें खिलाया जाता है।जब बागान में सब्जी खत्म हो जाती है तो हमें सुकटी भात दिया जाता है।(सुकटी मतलब पत्तियों का पावडर)।खाना भी दिन में जो मिड डे मील स्कूल में मिलता है उसी को शाम को छात्रावास में दुबारा खिलाया जाता है।छुट्टी के दिन सरकारी चावल,सोयाबीन बड़ी को हॉस्टल में लाकर रखे हैं,उसे पकाया जाता है।जबकि हर महीने एक हजार की फीस ली जाती है।  सरकारी अनुदान के दुरुपयोग का आरोप छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए प्रदान किए गए ₹79 लाख के अनुदान के बावजूद, विद्यालय प्रशासन की लापरवाही और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन चिंता का विषय है।जिसकी जांच सरकारी ऑडिटर से कराई जाने की मांग है। संस्था प्रमुख फादर अमित बेक ने आरोपों को किया खारिज वहीं सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूल विनय प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के प्रमुख व चर्च परिसर में कथित छात्रावास चलानेवाले फादर अमित बेक ने बाल कल्याण समिति को की गई सभी शिकायतों पर अपना पक्ष रखा।उन्होंने बताया कि वह हॉस्टल नहीं है,दूर-दराज से गरीब बच्चों के अभिभावकों की सहमति-पत्र लेकर पढ़ाई करने के लिए स्थान दिया गया है।वहीं सभी बच्चे किसान के बेटे हैं,सभी को नौकरी तो नहीं मिल सकती इसलिए उन्हें खेती-किसानी साथ मे बागवानी करते हुए सीखा रहा हूँ।धर्म विशेष की पढाई करने,पूजा पाठ करने,चर्च भेजे जाने पर कहा कि किसी पर दबाव नहीं है।जो जाना चाहता है वह जा सकता है।उन्होंने यह भी बताया कि यहां अभी 23 बच्चे रहकर पढ़ रहे हैं जिसमें ज्यादातर ईसाई धर्म के बच्चे हैं दूसरे हिन्दू धर्म के हैं,मुस्लिम धर्म के बच्चे नहीं हैं। शिकायत पर CWC ने लिया संज्ञान बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नितिन राय ने शिकायत में उल्लेखित बिंदुओं को बेहद गम्भीर माना है।उन्होंने कहा – “शिकायत मिली है।ऐसे सभी सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में चल रहे छात्रावासों,अवैध छात्रावासों की सूची मंगा रहा हूँ।सम्बंधित विभागों को पत्र भेजा जा रहा है।इस मामले में बाल कल्याण समिति एक्शन लेगी।जांच में बाल अधिकारों का हनन और शिक्षा देने के नाम पर धर्मांतरण की कोशिश करना पाए जाने पर कानून सम्मत कार्रवाई जाएगी।” बहरहाल, शिकायत के साथ यह भी मांग की गई है कि विद्यालय और छात्रावास में बच्चों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान किया जाए।दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच के लिए एक टीम का गठन हो।यदि इन गंभीर मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से अपील की है कि वे बच्चों के अधिकारों और उनके सुरक्षित भविष्य के लिए ठोस कदम उठाएं।

नाबालिगों को नशे की दलदल में धकेलने वाला आरोपी गिरफ्तार, 202 सोल्यूशन ट्यूब बरामद

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छोटे गरीब मजदूरों के बच्चों को नशीले पदार्थों की लत लगाकर उनसे कबाड़ बीनने,छोटी-बड़ी चोरी कराने वालों के ख़िलाफ़ पुलिस एक्शन मोड में है। दरअसल,कबीरधाम पुलिस ने नाबालिग बच्चों को नशे की लत में धकेलने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार कर जिले में अवैध नशे के कारोबार पर बड़ी चोट दी है। आरोपी ओमंग देवांगन, जो छोटे बाजार पिपरिया में अमर सायकल स्टोर का संचालक है, बच्चों को साइकिल पंचर बनाने में उपयोग होने वाले सोल्यूशन को नशे के लिए अधिक कीमत पर बेच रहा था। सोल्यूशन बना रहा था बच्चों के भविष्य के लिए ज़हर सोल्यूशन, एक खतरनाक रसायन है, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यह न केवल उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा था, बल्कि उनके भविष्य को भी अंधकार में धकेल रहा था। पुलिस ने रची सुनियोजित योजना एडिशनल एसपी पुष्पेंद्र बघेल ने बताया कि मुखबिर से मिली सूचना के बाद पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए एक सुनियोजित योजना तैयार की। पुलिस टीम ने एक सदस्य को ग्राहक बनाकर आरोपी के पास भेजा। आरोपी जैसे ही सोल्यूशन बेचने के लिए राज़ी हुआ, पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। बरामदगी और कार्रवाई आरोपी के पास से 202 सोल्यूशन ट्यूब बरामद की गई। ये ट्यूब वह नाबालिग बच्चों को महंगे दामों पर बेचता था। पुलिस ने मौके पर ही आरोपी को हिरासत में ले लिया। गिरफ्तारी के दौरान धमकाने की कोशिश गिरफ्तारी के दौरान आरोपी ने पुलिस और गवाहों को धमकी देने का प्रयास किया और अपने आपराधिक गतिविधियों को जारी रखने की बात कही। हालांकि, पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए उसे काबू कर लिया। कड़ी धाराओं में मामला दर्ज आरोपी के खिलाफ धारा 126 और 135(3) के तहत मामला दर्ज कर उसे न्यायालय में पेश किया गया। कबीरधाम पुलिस ने इस कार्रवाई के जरिए स्पष्ट संदेश दिया है कि नशे के अवैध कारोबार पर लगाम लगाने के लिए वे पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। यह कार्रवाई न केवल नशे के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी जीत है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि ऐसे अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह गिरफ्तारी नशे के खिलाफ चल रही मुहिम में एक अहम कदम है। पुलिस का यह प्रयास बच्चों और युवाओं के बेहतर भविष्य की ओर एक सकारात्मक संदेश देता है।  

केराडीह में विधिक साक्षरता शिविर का सफल आयोजन,विद्वान न्यायाधीश से बच्चों ने पूछे सवाल

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जशपुर / कुनकुरी,11 जनवरी 2025 – शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय केराडीह में आज विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर राष्ट्रीय सेवा योजना के बैनर तले आयोजित हुआ और इसमें प्रमुख वक्ताओं के रूप में प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश भानु प्रताप सिंह त्यागी और न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग नरेंद्र कुमार तेंदुलकर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती और छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। विद्यालय के प्राचार्य डी.आर. भगत और व्याख्याता असुंता किस्पोट्टा ने छात्रों के साथ अतिथियों का स्वागत किया। छात्रों ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर सभी का अभिनंदन किया। शिविर में जेएमएफसी नरेंद्र कुमार तेंदुलकर ने नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं और उससे जुड़े कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने मोबाइल के दुरुपयोग, पास्को एक्ट और यातायात नियमों के प्रति छात्रों को जागरूक किया। इसके बाद विद्वान न्यायाधीश भानु प्रताप सिंह त्यागी ने विधिक साक्षरता के महत्व और विधिक सेवा प्राधिकरण से मिलने वाले सहयोग की जानकारी दी। उन्होंने पास्को एक्ट, घरेलू हिंसा, आबकारी अधिनियम और अन्य कानूनों के बारे में छात्रों को सरल और प्रभावी ढंग से समझाया। कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने कानून से जुड़े सवाल भी पूछे। छात्र भरत मिश्रा ने शराबबंदी से संबंधित प्रश्न किया, जिस पर उन्हें शराब से जुड़े कानूनों की विस्तृत जानकारी दी गई। वहीं, नवनीत मिंज ने ड्राइविंग लाइसेंस के संबंध में जानकारी प्राप्त की। शिविर में छात्रों ने पूरे अनुशासन और उत्साह के साथ भाग लिया और कानूनी जानकारी का महत्व समझा। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी वीरेंद्र साय ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन व्याख्याता असुंता किस्पोट्टा ने किया। शिविर में विद्यालय के समस्त शिक्षक-शिक्षिकाओं और कर्मचारियों ने योगदान दिया। शिक्षकों ने कहा कि यह  विधिक साक्षरता शिविर छात्रों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि उन्हें कानून के प्रति जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा भी दी।  

हवस के दरिंदे ने पड़ोस की बालिका को भगाया,सूचना मिलते ही 3 घण्टे में पुलिस ने यूँ खत्म किया ‘ऑपरेशन मुस्कान’

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जशपुर,03 जनवरी 2025 – 2 जनवरी की सुबह 9 बजे स्कूल जाने को कहकर निकली 17 वर्षीया बालिका अपहरण का शिकार हो गई।शाम 6 बजे के करीब पुलिस को इसकी सूचना मिली।एसपी शशिमोहन सिंह के निर्देश पर तत्काल पुलिस टीम ने तलाश शुरू की जो तकरीबन तीन घण्टे में जशपुर शहर से नाबालिग बालिका को पड़ोसी युवक के चंगुल से छुड़ाने में सफल रही। फिलहाल  पुलिस अपहृत बालिका के बयान पर अपहरण करनेवाला पड़ोसी युवक को भारतीय नागरिक संहिता व बालकों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध कायम कर रही है। पीड़िता नाबालिग है इसलिए उसकी पहचान उजागर न हो इसलिए ख़बर ज़नपक्ष आरोपी पड़ोसी का नाम ,फोटो उजागर नहीं कर रहा है। उल्लेखनीय है कि जशपुर पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह के निर्देश पर बालकों व महिला सम्बन्धी अपराध पर त्वरित कारवाई की जा रही है।आंकड़े देखिए – वर्ष 2024 में दुष्कर्म के कुल 137 प्रकरण दर्ज हुए, जिनमें से 129 प्रकरणों में कुल 170 आरोपी गिरफ्तार हुए। वर्ष 2023 में 118 और वर्ष 2022 में 172 प्रकरण दर्ज हुए थे। बीते एक वर्ष में ऐसे अपराधों में कमी आना इसकी सफलता को दर्शाता है।

संविधान की छत्रछाया में मदरसा शिक्षा: न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला, मुस्लिम समुदाय के लिए शिक्षा का सुनहरा अवसर

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निर्मल कुमार (लेखक आर्थिक व सामाजिक मामलों के जानकार हैं।यह उनके निजी विचार हैं।) कोई भी कानून, सामाजिक पूर्वाग्रह, या राजनीतिक दबाव, संविधान के इस मूल अधिकार को कमजोर नहीं कर सकता। = सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा अधिनियम, 2004 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्ववर्ती फैसले को खारिज कर दिया। यह अधिनियम उत्तर प्रदेश राज्य में मदरसों की स्थापना, मान्यता, पाठ्यक्रम और प्रशासन को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत, मदरसों की निगरानी और प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने इस निर्णय को सुनाते हुए कहा कि सरकार को मदरसा शिक्षा के लिए नियमन बनाने का अधिकार है और यह संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है। इस निर्णय ने मुस्लिम समुदाय और मदरसा शिक्षा से जुड़े लोगों के बीच न्याय और समानता की भावना को प्रबल किया है। संविधान के अनुच्छेद 30 (1) के तहत अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उन्हें स्वतंत्र रूप से संचालित करने का अधिकार दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस अधिकार की पुष्टि करता है और स्पष्ट करता है कि कोई भी कानून, सामाजिक पूर्वाग्रह, या राजनीतिक दबाव संविधान के इस मूल अधिकार को कमजोर नहीं कर सकता। यह निर्णय संविधान की सर्वोच्चता को एक बार फिर स्थापित करता है और भारत के लोकतंत्र के स्थायित्व को सुनिश्चित करता है। मदरसों की ऐतिहासिक भूमिका को समझने की आवश्यकता है। इन संस्थानों ने पारंपरिक धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, वर्तमान युग में शिक्षा केवल धार्मिक या सांस्कृतिक संरक्षण तक सीमित नहीं है। इसे आधुनिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, गणित, चिकित्सा, और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों के साथ जोड़ना समय की आवश्यकता है। यह कदम न केवल मदरसा शिक्षा को प्रासंगिक बनाएगा, बल्कि इसे समुदाय की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के एक प्रभावी माध्यम में बदल देगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मुस्लिम समुदाय के लिए आत्मचिंतन और नवाचार का एक स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है। इसे एक अवसर के रूप में लेते हुए, मदरसों को अब आधुनिक शिक्षण पद्धतियों, डिजिटल उपकरणों और कौशल विकास कार्यक्रमों को अपनाना चाहिए। मदरसों का पाठ्यक्रम इस प्रकार विकसित किया जाना चाहिए, जो छात्रों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ मुख्यधारा की शिक्षा में भी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर सके। यह न केवल समुदाय के युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर देगा, बल्कि उन्हें समाज के विकास में सक्रिय योगदान देने में सक्षम बनाएगा। यह निर्णय उन संवैधानिक मूल्यों को भी मजबूत करता है जो भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला हैं। कानून के समक्ष समानता का सिद्धांत, जो अनुच्छेद 14 में निहित है, यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार किया जाए, चाहे उनकी धार्मिक, जातीय, या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो। इस फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि न्यायपालिका सामाजिक और राजनीतिक पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर संविधान के प्रावधानों की रक्षा करती है। यह निर्णय अल्पसंख्यकों को यह भरोसा दिलाता है कि न्यायपालिका उनकी आवाज सुनने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुस्लिम समुदाय को इस अवसर का उपयोग शिक्षा के माध्यम से अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए करना चाहिए। मदरसों को ऐसे केंद्रों में बदलना चाहिए, जो न केवल धार्मिक शिक्षा दें, बल्कि विज्ञान, गणित, प्रौद्योगिकी और भाषा जैसे विषयों में भी छात्रों को उत्कृष्टता प्रदान करें। विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी, डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म, और अनुसंधान केंद्रों की स्थापना से मदरसा शिक्षा को एक नई दिशा दी जा सकती है। इसके साथ ही, लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि समाज का प्रत्येक वर्ग सशक्त हो सके। यह निर्णय न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत भी है। यह अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय, को यह समझने का अवसर देता है कि संविधान ही उनके अधिकारों का सबसे सशक्त संरक्षक है। इसके साथ ही, यह भी आवश्यक है कि समुदाय संविधान और न्यायिक प्रणाली पर अपना विश्वास बनाए रखे। यह निर्णय एक संदेश है कि केवल संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से ही सामाजिक न्याय और समरसता प्राप्त की जा सकती है। आज का यह फैसला न केवल मदरसा शिक्षा के संवैधानिक अधिकारों को सुदृढ़ करता है, बल्कि यह समुदाय को आत्मनिर्भर बनने और आधुनिक शिक्षा को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यह शिक्षा ही है जो किसी भी समुदाय को सामाजिक और आर्थिक समृद्धि की ओर ले जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय केवल न्यायालय के प्रति विश्वास को पुनः स्थापित नहीं करता, बल्कि यह एक प्रेरणा है कि शिक्षा के माध्यम से समाज के सभी वर्ग अपने अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं। मुस्लिम समुदाय के लिए यह समय आत्मचिंतन और कार्य करने का है। उन्हें समझना होगा कि शिक्षा ही वह पुल है जो उन्हें पिछड़ेपन से प्रगति तक ले जा सकता है। यह निर्णय केवल मदरसों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक दिशा-सूचक है। जब समुदाय अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझकर संविधान के साथ चलने का निर्णय करेगा, तभी सामाजिक न्याय और समृद्धि का सपना साकार होगा।

“शक्तिमान” बनकर जय हो टीम बाल विवाह रोकने कर रही जन जागरूकता

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जशपुर, 6 अक्टूबर 2024 – जिला प्रशासन और यूनिसेफ के संयुक्त प्रयास से जिले में बाल विवाह के खिलाफ एक विशेष जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत लोगों को बाल विवाह के दुष्प्रभावों से अवगत कराते हुए उन्हें इससे बचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन में जय हो टीम के स्वयंसेवकों ने एक अनोखा तरीका अपनाया। आज शहर के बस स्टेशन और मुख्य बाज़ार में स्वयंसेवक शक्तिमान के रूप में नजर आए। उन्होंने बाल विवाह रोकने के संदेश के साथ लोगों से संवाद किया और उन्हें इसके कानूनी और सामाजिक पहलुओं पर जानकारी दी। शक्तिमान का यह अनूठा अवतार लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा और बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों, सभी ने इस प्रयास की सराहना की। टीम के सदस्यों ने बताया कि बाल विवाह से बच्चों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, उनके स्वास्थ्य और शिक्षा पर बुरा असर पड़ता है, और इसे रोकने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है। कलेक्टर डॉ. मित्तल ने इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास जशपुर में बाल विवाह को जड़ से मिटाने के लिए बहुत कारगर सिद्ध होगा। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपने आस-पास किसी भी बाल विवाह की जानकारी मिलने पर तुरंत प्रशासन को सूचित करें। यह अभियान लोगों को जागरूक करने और समाज में बाल विवाह के खिलाफ एक मजबूत संदेश फैलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।  

जिले में बाल अपराध में कमी लाने, महिला बाल विकास विभाग कर रही जागरूकता अभियान

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जशपुर, 06 अक्टूबर 2024 कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के निर्देशन में जिला कार्यक्रम अधिकारी बी.डी. पटेल,जिला बाल संरक्षण अधिकारी शेखर यादव,जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी के मार्गदर्शन के नेतृत्व में गुरुवार 3 सितंबर को शासकीय हाई स्कूल बरपानी में आईसीपीएस एवम चाइल्ड लाइन की टीम के द्वारा आईसीपीएस (बाल संरक्ष्ण इकाई) में चलने वाली सभी योजनाओं की जानकारी दी गई। साथ ही लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण, मानव तस्करी, बाल विवाह, नशा मुक्ति,बाल श्रम,दत्तक ग्रहण, गुड टच बैड टच के बारे जानकारी दी गई। परिवीक्षा अधिकारी श्रीमती अंजना मिश्रा ने बताया कि बच्चों के विरुद्ध हो रहे अपराधों को शून्य स्तर पर लाने हेतु जिलों की भौगोलिक, सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप कार्य योजना तैयार कर बच्चों के सर्वोत्तम हित में बाल अपराधों में कमी लाने हेतु पाठशालाओं, महाविद्यालयों, छात्रावासों, पंचायतों, राज संस्थाओं एवं नवनागरिकों, शासकीय एवं अशासकीय बाल देखभाल संस्थाओं के अधिकारियों/कर्मचारियों के माध्यम से जिलेभर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।इस अभियान में कंचन प्रजापति,अमित तिड़ू, रोहित चौधरी जागरूकता के सन्देश दे रहे हैं।