जशपुर ,27 फरवरी 2025 – छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए पोषण ट्रैकर एप एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इस एप में तकनीकी खामियों के चलते प्रदेशभर में कई कार्यकर्ताओं का वेतन बिना किसी गलती के काटा जा रहा है, जिससे वे परेशान और आक्रोशित हैं। इस मुद्दे को सबसे पहले जशपुर जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ ने प्रमुखता से उठाया है और मंगलवार 25 फरवरी को जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर तत्काल समाधान की मांग की है। तकनीकी खामियां बनी बड़ी समस्या संघ की जिलाध्यक्ष श्रीमती कविता यादव के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि पोषण ट्रैकर एप के नए वर्जन में कई व्यावहारिक समस्याएं हैं। इसमें टीएचआर (टेक होम राशन) वितरण के लिए हितग्राहियों के आधार और मोबाइल से ओटीपी सत्यापन की अनिवार्यता है, जिससे कई परेशानियां खड़ी हो रही हैं— एक ही व्यक्ति को हर माह राशन लेने की अनिवार्यता – परिवार का कोई अन्य सदस्य राशन लेने नहीं जा सकता। ओटीपी सत्यापन की समस्या – कई हितग्राही ओटीपी साझा करने से मना करते हैं, जिससे उन्हें राशन नहीं मिल पाता। मोबाइल की अनुपलब्धता – कई आदिवासी और वनवासी परिवारों के पास मोबाइल फोन नहीं है, जिससे वे पोषण योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। नेटवर्क और तकनीकी दिक्कतें – कई इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने से पोषण ट्रैकर एप काम नहीं करता, जिससे राशन वितरण बाधित होता है। कमजोर मोबाइल उपकरण – आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिए गए मोबाइल इस एप को सुचारू रूप से चलाने में सक्षम नहीं हैं, जिसके लिए कम से कम 5GB रैम वाले मोबाइल की जरूरत है। रिचार्ज सुविधा का अभाव – कार्यकर्ताओं को मोबाइल रिचार्ज के लिए प्रति माह ₹500 की स्वीकृति दी जाए, ताकि वे निर्बाध रूप से अपने कार्य कर सकें। मानदेय में कटौती से बढ़ रही नाराजगी संघ का आरोप है कि विभागीय अधिकारी इन समस्याओं से भली-भांति परिचित होने के बावजूद, कोई समाधान निकालने के बजाय कार्यकर्ताओं के मानदेय में कटौती कर रहे हैं। यह कटौती केवल एप में दर्ज आंकड़ों के आधार पर की जा रही है, जबकि तकनीकी गड़बड़ियों के कारण कई बार सही डेटा दर्ज नहीं हो पाता। संघ की जिलाध्यक्ष कविता यादव ने कहा, “हम अल्प मानदेय पर कार्य करते हैं और उसी से परिवार चलता है। यदि छोटी-छोटी तकनीकी खामियों के कारण वेतन में कटौती होगी, तो हम पर आर्थिक संकट आ जाएगा। सरकार को इस समस्या का तत्काल समाधान निकालना चाहिए।” संघ ने शासन-प्रशासन से आग्रह किया है कि— टीएचआर वितरण का कार्य अन्य एजेंसी या संस्था के माध्यम से किया जाए, ताकि तकनीकी परेशानियों से बचा जा सके। पोषण ट्रैकर एप की खामियों को दूर किया जाए और इसे ऑफलाइन मोड में भी संचालित करने की सुविधा दी जाए। किसी भी कार्यकर्ता या सहायिका का मानदेय बिना उचित कारण के न काटा जाए और जब तक समस्या का समाधान न हो, तब तक कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। प्रदेश भर में फैल सकता है आंदोलन यह समस्या केवल जशपुर की नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो यह मुद्दा प्रदेशव्यापी आंदोलन का रूप ले सकता है। संघ ने सरकार से अपील की है कि पोषण ट्रैकर एप से जुड़ी तकनीकी समस्याओं को दूर कर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बिना बाधा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने दिया जाए। अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं।