चर्चा सरेआम : कुनकुरी को क्या हो गया है? धर्मांतरण और भ्रष्टाचार को लेकर कुनकुरी की सियासत गरमाई है,आज ‘सरकार’ आ रहे हैं

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जशपुर,03 अप्रैल2025 और क्या माहौल है… कुनकुरी यह कुनकुरी विधानसभा का मुख्य शहर है,जो नगरपंचायत क्षेत्र में आता है।मतलब इस कुनकुरी से भाजपा विधायक बने विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ के ‘सरकार’ हैं और कुनकुरी शहर से नगरपंचायत अध्यक्ष बने विनयशील गुप्ता कुनकुरी के ‘सरकार’ हैं। इस शहर ने बीते एक दिन में दो बड़ी घटनाएं देखी।एक,हॉलीक्रॉस नर्सिंग कॉलेज में सिस्टर विंसी जोसफ, जिसपर छात्रा का धर्मांतरण नहीं करा पाने पर उसे फेल करने की साजिश का गम्भीर आरोप। दूसरा,कुनकुरी डेम जिसकी सफाई के 97 लखिया टेंडर पर नगरपंचायत अध्यक्ष विनयशील का प्रेस कांफ्रेंस।जिसमें विनयशील कुनकुरी डेम की सफाई भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने की बात कह रहे हैं। वे यह भी कह रहे हैं कि सीएमओ प्रवीण उपाध्याय उन्हें डेम सफाई की फाइल नहीं दिखा रहे हैं,उन पर दबाव है।बता दें कि सीएमओ नगर पंचायत का सेक्रेटरी होता है जो अध्यक्ष के नीचे प्रशासनिक व्यवस्था की बड़ी जिम्मेदारी निभाता है।सीएमओ का बयान आया कि फाइल यहीं है और जब अध्यक्ष जी कहेंगे सभी पार्षदों के सामने उसे रख देंगे।(केवल अध्यक्ष को नहीं दिखाएंगे!)सीएमओ ने यह भी बड़ी बात कह दी की अध्यक्ष जी का आरोप निराधार है,बेबुनियाद है। मतलब नगर सरकार में मुखिया और सेक्रेटरी के बीच तलवार खिंच गई है। बहरहाल,विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री और विनयशील नगर पंचायत अध्यक्ष में एक बात तो कॉमन है वह यह कि दोनों कुनकुरी शहर का खूब विकास चाहते हैं। खबर ज़नपक्ष को पुख्ता जानकारी है कि सरकार अपने गृहनिवास बगिया में नवरात्र के दौरान माँ पराशक्ति की पूजा करने आ रहे हैं।ऐसे शुभ अवसर पर दो प्रश्न हैं – धर्मांतरण के ख़िलाफ़ कोई बड़ा कदम उठनेवाला है क्या?विनयशील भ्रष्टाचार और विकास को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात करेंगे क्या?                                

महाशिवपुराण कथा: बिना ‘आधार’ के पंडित! श्रद्धालुओं को तिलक लगा रहे तो भिखारी मांग रहे भीख,आयोजन समिति और जिला प्रशासन पंडाल के अंदर,चेन स्नेचिंग हुई लेकिन FIR नहीं!

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मयाली/जशपुर,22 मार्च 2025 – यह जशपुर का सौभाग्य है कि कभी पर्यटन को तरसता जशपुर आज नैसर्गिक सुंदरता के साथ मधेश्वर पर्वत के कारण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हुआ है।जिसका परिणाम है प्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा की मयाली में प्राकृतिक शिवलिंग के सामने महाशिवपुराण की कथा चल रही है। अब जरा उसपर बात की जाए, जिस शीर्षक को पढ़कर आपने मेरे ख़बर ज़नपक्ष को क्लिक किया है। 21 मार्च को बेलजोरा नदी से कलश यात्रा शुरू हुई,जिसमें कलश यात्रियों के माथे को तिलक के कई तरीकों से भरने के लिए कई लड़के रास्ते में एक थाली लेकर कूद पड़ते हैं।भक्ति भाव में डूबी महिलाएं,युवतियां तिलक लगवा लेती हैं ,फिर पंडित कहता है खुशी से जो देना हो दे दो,,सिर पर कलश थामें नारीशक्ति सम्भवतः अपनी महतारी वंदन से राशि निकालती हैं और स्वेच्छा से जो कम मूल्य का नोट बटुए से निकला उसे खुशी-खुशी दे देती हैं।यह हमें तब पता चला, जब आयोजन समिति के सदस्यों ने हमें यह बताया कि “आपलोग मीडिया वाले हैं और ये लड़के जबरन सड़क पर श्रद्धालुओं को तिलक लगाकर पैसे वसूल रहे हैं।“हमने इस बात को हल्के में लिया और कलश उठातीं नारियों के वीडियो लेने के बाद कार से आगे निकले।बमुश्किल सौ मीटर ही चले होंगे कि आगे मोड़ पर बिना कलश लिए सिविल ड्रेस में चार लड़कियाँ अचानक सेंधवार के झुंड से हाथों में तिलक लगाने की थाली लेकर सामने आए और तिलक लगाने लगे।हमने कार रोकी और उनका वीडियो बनाया।लड़कियों ने कहा कि ये क्या कर रहे हो?उनका जवाब था बनारस से आये हैं,तिलक लगाके ही आगे जाना होगा।जब हम करीब गए तो वे लड़के बड़े कांफिडेंस के साथ बोले वीडियो मत बनाओ।यह हमारा काम है।हमने कहा,ठीक है,आयोजन समिति से परमिशन लिए हो,कहाँ से आये हो? नाम बताओ, आधार कार्ड दिखाओ?चेहरे पर एक ने हाथ रखा,दूसरे ने मुंह घुमाया और तीसरा भाग गया।बोली-भाषा उनकी छत्तीसगढ़िया नहीं थी। आज दूसरा दिन,सड़क पर वैसे दसियों पंडित बिना आधार कार्ड के घूमते नजर आए।इसी बीच नए-नए भिखारी भी नजर आने लगे।फिर ये भी पता चला कि 21 मार्च महाशिवपुराण कथा की शुरुआत में तीन महिलाओं की चेन स्नेचिंग हुई है।फिर चार का सुना।अंदर पंडाल में कुछ महिलाएं,कुछ अधेड़ पुरुष,कुछ युवक तिलक लगाते नजर आए।कुछ युवक ऊंचे दाम पर पानी की बोतल बेचते दिखे।कोई लोकल नहीं थे। ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि क्या सरकार और सरकार का जिला प्रशासन इन सब घटनाओं से बेखबर है?उनका गुप्तचर विभाग क्या केवल यही बताने के लिए है कि लोग कथा का आनंद कितना ज्यादा ले रहे हैं?पुलिस केवल वीवीआइपी और वीआईपी के कानों को कथा सुनने में आनेवाली सभी बाधाओं को हटाने में पसीना बहा रही है? सवाल यह भी कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस कथा के आयोजन में आने के लिए जनता को खुद आमंत्रित किया है।क्या उनकी बुलाई जनता सुरक्षित है? आयोजन समिति के लोग इस कथा को सफल बनाने दिन-रात मेहनत कर रहे हैं,लेकिन फिर सवाल उठता है कि समिति के सभी लोग मेहनत कर रहे हैं क्या? ओजस्वी, तेजस्वी,सरस्वतीपुत्र,शिवकृपा से बड़े प्रतापी पंडित प्रदीप मिश्रा के पंडाल में भीड़ अनुमान से ज्यादा नहीं आ रही है,इससे ‘आयोजक’ का उद्देश्य पूरा नहीं हो पायेगा। ये दो दिन का ग्राउंड रिपोर्ट था।कल फिर कुछ और जानकारियां,सवालों के साथ ख़बर ज़नपक्ष आपके सामने हाज़िर होगा।

जैव विविधताओं से भरे जशपुर में वीआईपी मूवमेंट से पहले बनानी होगी रणनीति,वीआईपी सुरक्षा बेहतर समन्वय से ही सम्भव

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  @संतोष चौधरी आपने फिल्मी गाना जरूर सुना होगा एक बरस के मौसम चार-मौसम चार,पांचवां मौसम प्यार का’।इस गाने को गुनगुनाते हुए जानिए की यह छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र जिला जशपुर है जहां एक बरस नहीं बल्कि बारहों महीने चार मौसम होते हैं।अधिक ठंडा,कम ठंडा,कम गर्म,अधिक गर्म।यही वजह है कि यहां जैव विविधता भी ज्यादा है। तो मैं हाल की एक घटना से अपनी बात शुरू करना चाहूंगा जिसमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय दीपू बगीचा में सरहुल पूजा उत्सव मनाने बतौर मुख्य अतिथि आने वाले थे।जिसमें सुबह तकरीबन साढ़े दस बजे के करीब धरती माता की पूजा करते समय बैगा (आदिवासियों के पुजारी) धूप-अगरबत्ती जला दिए जिसके धुँए से पूजा स्थल के ऊपर पीपल पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता था,वे नाराज हो गए और बैगाओं पर बरस पड़े।इस कारण आनन-फानन में मुख्यमंत्री श्री साय का कार्यक्रम स्थल बदलकर कल्याण आश्रम स्कूल परिसर करना पड़ा। इस कार्यक्रम के बाद से एक चर्चा सीएम सिक्योरिटी को लेकर चलने लगी।जिस पर मुझे लगता है कि ठीकरा फोड़ने से ज्यादा अच्छा होगा कि इस घटना से सबक लेते हुए आनेवाले हर वीआइपी, वीवीआइपी या कहूँ तो बड़े आयोजनों से पहले बेहतर समन्वय के साथ रणनीति बनानी होगी। जल-जंगल और जमीन से अमीर जशपुर जिले में वीआईपी की सुरक्षा को लेकर हाथियों के मूवमेंट को देखते हुए, मधुमक्खियों के छत्तों को बिना छेड़े कार्यक्रम कराने के कई उदाहरण प्रशासन के पास होंगे।मुझे याद आ रहा है कि पम्पशाला में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कंवर समाज के बड़े उत्सव में आने से पहले उनकी सुरक्षा से जुड़ी सारी चीजें बारीकी से जांची-परखी जा चुकी थी जिसमें कार्यक्रम से महज सौ मीटर बाद मधुमक्खियों के पचासों छत्ते थे।समय रहते यह पता चल गया और पुल के पास प्रस्तावित भोजन पकाने की तैयारी बंद कर दी गई।जिससे कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। इससे पहले की एक घटना पूर्व सीएम भूपेश बघेल से जुड़ी है जिसमें कुनकुरी पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में भेंट मुलाकात के समय रेस्ट हाउस के बगल में पानी टँकी में कई सारे छत्ते थे जिन्हें वन विभाग के मना करने के बावजूद अन्य विभाग के द्वारा जला दिया गया था। जिससे मधुमक्खियों की नाराजगी बढ़ी और रेस्ट हाउस में हर जगह भिनभिनाने लगी।सीएम का समाज के लोगों के साथ मुलाकात के कार्यक्रम व्यवधान पैदा हो गया। समन्वय का एक उदाहरण और, जैसा कि भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील गुप्ता ने मुझे बताया कि विधानसभा चुनाव प्रचार में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह विजयी रथ से कांसाबेल पहुंचे थे जहाँ से कुछ ही दूरी पर पीपल पेड़ पर मधुमक्खियों के कई सारे छत्ते थे,जिन्हें उनके आने से पहले व्यवस्थित कर लिया गया था। एक बार गर्ल्स कॉलेज जशपुर में भी एक आयोजन के दौरान सांप घुस आया था।जिसे भी प्राचार्य विजय रक्षित द्वारा भगदड़ मचने से पहले हटा दिया गया। तो यह बात समझने की है कि जब भी कोई उच्च पदधारी व्यक्ति का जिले में आगमन हो तो सभी विभाग समय से पहले हर बारीकियों और दिशा निर्देशों का पालन करें और आयोजकों से करावें। धर्म-आस्था से जुड़ी कई ऐसी चीजें भी हैं जिन्हें हमें सम्मान देते हुए समझना भी होगा।हमारे जिले की बात करूं तो यहां मधुमक्खियों को देवीसेना के रूप में मान्यता है।जिसके कारण इन्हें जलाकर हटाने की बजाए बैगा द्वारा मंत्रोच्चार कर बांधा जाता है।यदि प्रशासन इसे अंधविश्वास मानकर बिना इनकी अनुमति के छत्ते हटाने की कोशिश करेगा तो मधुमक्खियों से पहले यहां के लोग भिन्ना जाएंगे। एक्सपर्ट बताते हैं कि मधुमक्खियों को हटाने की पूरी प्रक्रिया पांच दिनों की है।पहले दिन बैगा या जानकार व्यक्ति द्वारा मंत्रोच्चार कर मधुक्खियों को भगाया जाता है । उनके छत्ता छोड़ने के बाद छत्ते को जलाया जाता है ।इसके बाद मधुमक्खियां दो दिन तक छत्ते के आसपास मंडराती रहेंगी और जब उन्हें यह मालूम हो जाएगा कि कोई नुकसान नहीं हुआ है तो फिर वे शांत हो जाएंगी और दूसरे स्थान पर नया छत्ता बनाने लगेंगी। 5 दिन के बाद ही माना जाता है कि अब वे नहीं लौटेंगी। अतः मेरे विचार से ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों के आगमन की जानकारी होते ही समय से पहले सभी विभाग बेहतर समन्वय के साथ रणनीति बनाएंगे तो कभी यूँ न होगा।सब काम सांय-सांय होगा।