महाशिवपुराण कथा: बिना ‘आधार’ के पंडित! श्रद्धालुओं को तिलक लगा रहे तो भिखारी मांग रहे भीख,आयोजन समिति और जिला प्रशासन पंडाल के अंदर,चेन स्नेचिंग हुई लेकिन FIR नहीं!
मयाली/जशपुर,22 मार्च 2025 – यह जशपुर का सौभाग्य है कि कभी पर्यटन को तरसता जशपुर आज नैसर्गिक सुंदरता के साथ मधेश्वर पर्वत के कारण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हुआ है।जिसका परिणाम है प्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा का मयाली में प्राकृतिक शिवलिंग के सामने महाशिवपुराण की कथा चल रही है। अब जरा उसपर बात की जाए, जिस शीर्षक को पढ़कर आपने मेरे ख़बर ज़नपक्ष को क्लिक किया है। 21 मार्च को बेलजोरा नदी से कलश यात्रा शुरू हुई,जिसमें कलश यात्रियों के माथे को तिलक के कई तरीकों से भरने के लिए कई लड़के रास्ते में एक थाली लेकर कूद पड़ते हैं।भक्ति भाव में डूबी महिलाएं,युवतियां तिलक लगवा लेती हैं ,फिर पंडित कहता है खुशी से जो देना हो दे दो,,सिर पर कलश थामें नारीशक्ति सम्भवतः अपनी महतारी वंदन से राशि निकालती हैं और स्वेच्छा से जो कम मूल्य का नोट बटुए से निकला उसे खुशी-खुशी दे देती हैं।यह हमें तब पता चला, जब आयोजन समिति के सदस्यों ने हमें यह बताया कि “आपलोग मीडिया वाले हैं और ये लड़के जबरन सड़क पर श्रद्धालुओं को तिलक लगाकर पैसे वसूल रहे हैं।“हमने इस बात को हल्के में लिया और कलश उठातीं नारियों के वीडियो लेने के बाद कार से आगे निकले।बमुश्किल सौ मीटर ही चले होंगे कि आगे मोड़ पर बिना कलश लिए सिविल ड्रेस में चार लड़कियाँ अचानक सेंधवार के झुंड से हाथों में तिलक लगाने की थाली लेकर सामने आए और तिलक लगाने लगे।हमने कार रोकी और उनका वीडियो बनाया।लड़कियों ने कहा कि ये क्या कर रहे हो?उनका जवाब था बनारस से आये हैं,तिलक लगाके ही आगे जाना होगा।जब हम करीब गए तो वे लड़के बड़े कांफिडेंस के साथ बोले वीडियो मत बनाओ।यह हमारा काम है।हमने कहा,ठीक है,आयोजन समिति से परमिशन लिए हो,कहाँ से आये हो? नाम बताओ, आधार कार्ड दिखाओ?चेहरे पर एक ने हाथ रखा,दूसरे ने मुंह घुमाया और तीसरा भाग गया।बोली-भाषा उनकी छत्तीसगढ़िया नहीं थी। आज दूसरा दिन,सड़क पर वैसे दसियों पंडित बिना आधार कार्ड के घूमते नजर आए।इसी बीच नए-नए भिखारी भी नजर आने लगे।फिर ये भी पता चला कि 21 मार्च महाशिवपुराण कथा की शुरुआत में तीन महिलाओं की चेन स्नेचिंग हुई है।फिर चार का सुना।अंदर पंडाल में कुछ महिलाएं,कुछ अधेड़ पुरुष,कुछ युवक तिलक लगाते नजर आए।कुछ युवक ऊंचे दाम पर पानी की बोतल बेचते दिखे।कोई लोकल नहीं थे। ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि क्या सरकार और सरकार का जिला प्रशासन इन सब घटनाओं से बेखबर है?उनका गुप्तचर विभाग क्या केवल यही बताने के लिए है कि लोग कथा का आनंद कितना ज्यादा ले रहे हैं?पुलिस केवल वीवीआइपी और वीआईपी के कानों को कथा सुनने में आनेवाली सभी बाधाओं को हटाने में पसीना बहा रही है? सवाल यह भी कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस कथा के आयोजन में आने के लिए जनता को खुद आमंत्रित किया है।क्या उनकी बुलाई जनता सुरक्षित है? आयोजन समिति के लोग इस कथा को सफल बनाने दिन-रात मेहनत कर रहे हैं,लेकिन फिर सवाल उठता है कि समिति के सभी लोग मेहनत कर रहे हैं क्या? ओजस्वी, तेजस्वी,सरस्वतीपुत्र,शिवकृपा से बड़े प्रतापी पंडित प्रदीप मिश्रा के पंडाल में भीड़ अनुमान से ज्यादा नहीं आ रही है,इससे ‘आयोजक’ का उद्देश्य पूरा नहीं हो पायेगा। ये दो दिन का ग्राउंड रिपोर्ट था।कल फिर कुछ और जानकारियां,सवालों के साथ ख़बर ज़नपक्ष आपके सामने हाज़िर होगा।