जशपुर – मुख्यमंत्री विष्णुदे साय सोमवार-मंगलवार को गृहजिले जशपुर के दौरे पर रहे।इस दौरान उन्होंने शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल बन्दरचूंवा में प्रदेश स्तरीय पालक-शिक्षक बैठक का शुभारंभ किया।कार्यक्रम के बाद वनवासी कल्याण आश्रम के जिलाध्यक्ष बलराम भगत के घर दोकड़ा पहुंचकर उनकी माताजी के निधन पर शोक व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री साय पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 12 बजे मेगा पालक-शिक्षक बैठक में शामिल होने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बन्दरचूंवा पहुंचे। यहां उन्होंने विद्यार्थियों और उनके पालकों से बातचीत की। यह कार्यक्रम शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा कदम माना जा रहा है।
शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने जानकारी दी कि प्रदेश के 5,500 संकुल में पालकों की बैठक आयोजित की जा रही है और 48,000 सरकारी स्कूलों में साल में तीन बार पालकों की बैठक होगी। यह पहली बैठक मुख्यमंत्री के निर्देश पर आयोजित की गई है। बैठक में पालकों को बच्चों की पढ़ाई के स्तर को बढ़ाने के लिए 12 बिंदुओं पर चर्चा की गई और जानकारी दी गई। बच्चों में पढ़ाई के कारण बढ़ते तनाव को दूर करने पर भी जोर दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश में 20 बोली भाषाओं में पुस्तक बनाने का काम किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंच से कहा, ” यहां इस स्कूल में मैं पहले भी आ चुका हूं। मेरी पत्नी हर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस यहीं मनाती हैं। शिक्षा का बड़ा महत्व है और विद्वानों ने इसे विकास का मूलमंत्र बताया है। शिक्षा केवल नौकरी पाने के लिए नहीं है, बल्कि जीवन को पूर्ण बनाने के लिए जरूरी है। शिक्षा के कारण हमारा देश विश्वगुरु कहलाता था और यहां नालंदा और तक्षशिला में दुनियाभर से विद्यार्थी आते थे।”
उन्होंने आगे कहा, “मैकाले की शिक्षा पद्धति बहुत दिनों तक चली, लेकिन अब समय के साथ बदलते परिस्थितियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है, जो युवाओं और बच्चों को डिग्री, संस्कार और रोजगार के लिए कौशल विकास करने का काम करेगी। अब साल में तीन बार शिक्षक-पालक की बैठक होगी। नई शिक्षा नीति में लोकल भाषा में पढ़ाई कराई जाएगी। जशपुर में पीएमश्री योजना के तहत 263 स्कूल शामिल किए गए हैं, जिससे वे स्कूल प्रायवेट स्कूलों की तरह सुविधाओं से लैस होंगे।”
मुख्यमंत्री साय ने जशपुर में 500 सीटर और कुनकुरी में 200 सीटर नालंदा परिसर खोलने की घोषणा की। उन्होंने बन्दरचूंवा में सर्व सुविधायुक्त बस स्टैंड, प्राथमिक शाला से छेराघोघरा के लिए स्ट्रीट लाइट, बंदरचुंवा दोनों मंदिरों के जीर्णोद्धार का भी ऐलान किया। इसके अलावा, उन्होंने बन्दरचूंवा में एक मिनी स्टेडियम और छात्रावास को 50 सीट से बढ़ाकर 100 सीट करने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री साय ने पालक हरिसेवक की तारीफ करते हुए कहा कि उनका पोता यहीं से पढ़कर एमएससी कर रहा है। उन्होंने कहा, “रायपुर में नालंदा परिसर खोला गया है, जहां प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए 24 घंटे खुला रहता है। ऐसे ही नालंदा परिसर 22 जिलों में खोलने जा रहे हैं।”
इन सभी योजनाओं और घोषणाओं के साथ, मुख्यमंत्री साय ने शिक्षा और विकास के क्षेत्र में व्यापक सुधार और प्रगति का आश्वासन दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय ने भी सरकारी स्कूल के शिक्षकों को उनकी मेहनत के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि वे निजी तौर पर 1990 से स्कूलों में जाकर पालकों, विद्यार्थियों और गुरुजनों के साथ चर्चा करती आ रही हैं। उन्होंने कहा, “परीक्षा कोई भूत नहीं है जो आपको इतना डरा दे। परीक्षा के समय स्कूलों में जाकर बच्चों को समझाना, परिणाम को लेकर अच्छा वातावरण बनाने का काम हम सभी को करना चाहिए।” उन्होंने पालकों को यह भी याद दिलाया कि बच्चों को संस्कार देने का काम उनका है, जबकि शिक्षक उन्हें आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मीडिया से बात करते हुए घोषणा की है कि रेडी टू ईट योजना, जिसे भूपेश सरकार के दौरान महिला स्वसहायता समूहों से छीन लिया गया था, अब फिर से इन्हीं समूहों को सौंपने की तैयारी की जा रही है। मुख्यमंत्री साय ने सुबह बगिया निवास श्रीराम सदन में 59 कब्जाधारियों को वनभूमि के पट्टे सौंपे। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने प्रदेश में नए जिले बनाने की योजना से फिलहाल इंकार किया।