(समसामयिक लेख) विष्णु सरकार का सुशासन : कहीं फेल तो कहीं पास

(समसामयिक लेख)

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संतोष चौधरी

कल छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य से जुड़ी सुशासन पर दो खबरों ने मुझे काफी प्रभावित किया एक – बीजापुर-सुकमा से आई वह खबर जिसमें 108 एम्बुलेंस के दोनों कर्मचारियों ने 18 किमी पहुंचविहीन गांव से मरीज को अपने कंधों में ढोकर एम्बुलेंस तक लाया।दो – जशपुर जिले में पक्की सड़क पर अपने घर से मरीज को चार कंधों में ढोकर अस्पताल तक पहुंचाया।
यहां दोनों जगह सिस्टम खाट पर और कंधे के सहारे दिखा।मतलब एक जगह सरकार पहुंच नहीं पाई तो एम्बुलेंस के दो कर्मचारी खटिया पर मरीज को डाले और अपने कंधों पर उठाकर 18 किलोमीटर पैदल चले।दूसरी जगह सिस्टम खुद कंधे पर चलता दिखा।अब इसमें एक ओर 108 के कर्मचारियों के कारण विष्णु के सुशासन का झंडा बुलंद हुआ तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री के गांव में पक्की सड़क पर भी 108 एम्बुलेंस का नहीं पहुंचना,सुशासन के गाल पर तमाचे जैसा लगा।

ये दोनों घटना सोशल मीडिया में खूब चल रही हैं।बीजापुर के पत्रकार युकेश चंद्राकर ने 108 के कर्मचारियों के जज्बे को सलाम करते हुए लिखा –

अशक्त मरीज को खाट पे रखा, कंधे पर उठाया और 18 किलोमीटर पैदल चलकर एंबुलेंस तक पहुंचाया एंबुलेंस कर्मचारियों ने । माओवाद प्रभावित बीजापुर-सुकमा के सरहदी इलाके की तस्वीर देखिए और राय दीजिए कि माओवादी गतिविधियों के कारण नहीं बन सकी हैं कई इलाकों में सड़कें या कोई और कारण है ? मीडियम पांडू नाम के युवक को पेट और कमर में दर्द की सूचना मिली थी एंबुलेंस कर्मचारियों को । EMT रोहित ताड़पल्ली और पायलट दिलीप बोयना ने मरीज को कंधे पर उठाकर एंबुलेंस तक पहुंचाया और एंबुलेंस से हॉस्पिटल तक लाया । सलाम है दोनों भाइयों को 🙏❤️
Gyanendra Tiwari Vijay Sharma CMO Chhattisgarh’

वहीं सीएम के गृह जिले जशपुर ,ऊपर से उनकी ही विधानसभा कुनकुरी की फरसाबहार तहसील में कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोजसागर यादव ने खाट पर सिस्टम को चार कंधे पर जाते हुए दिखाया।जिसमें चार कंधों में एक कंधा गरीब परिवार की महिला को देते हुए देखकर सरकार के होने का एहसास कराना खुद सरकार को मुश्किल हो गया है।विपक्षी पार्टी के जिलाध्यक्ष मनोजसागर अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखते हैं –

जशपुर जिले मे स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी है यह अब तक आपने सीएम कार्यालय बगिया तथा भाजपा आईटी सेल के जरिए जाना है आइए हम आपको जमीनी हकीकत दिखाते हैं, इस विडीओ के माध्यम से।

‘इस खाट मे पड़ी महिला का नाम मुन्नू बाई है जो कि ग्राम बनगांव निवासी गंभीर रूप से बीमार है, दो दिन से इनके परिजनो ने 108 मे कॉल किया हर बार जवाब मिला एम्बुलेंस मौजुद नही है, आने पर भेजा जाएगा, परिजनों ने महसुस किया ऐसे तो मरीज मर जाएगा, ऐसे में उन्होंने तत्कालिक फैसला लेते हुऎ सन 1910 वाला तरीका अपनाया मरीज को चारपाई पर डाला चारों कोनों में चार लोग उठाकर उक्त बीमार महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फरसा बाहर लेकर गए।

एक और सीएम साहब जिनका स्वंय का विधान सभा क्षेत्र है , दूसरी ओर सुपर सीएम साहिबा तीसरी ओर बगिया कैंप कार्यालय जहाँ से लगभग 10 कि. मी. की दुरी का मामला,चौथी ओर कुनकुरी सेवा सदन के साथ विधानसभा से 2 निज सचिव उसके बाद ऐसी अव्यवस्था, कहाँ हैं आप सीएम साहब।

जनता अब कहने लगी हैं सीएम साहब से ज्यादा बेहतर विधायक यू डी मिंजऔर भूपेश सरकार था जिनके राज में किसी को कोई समस्या नहीं थी उनके लोग हर जगह हर समस्या के लिए जनता के साथ खड़े मौजूद होते थे ।
Bhupesh Baghel Deepak Baij Indian National Congress – Chhattisgarh’

ये दो तस्वीरें और उनपर लिखे दो पोस्ट पढ़कर लगता है कि सरकार के स्वास्थ्य सिस्टम को 108 एम्बुलेंस चला रही है।जो कहीं पास है तो कहीं फेल।
असल में 108 एम्बुलेंस या तो मरीजों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है या फिर सिस्टम में बैठे लोग लापरवाही से मरीज को समय पर एम्बुलेंस नहीं दे पाते हैं।यह सरकार को देखना होगा।
इससे ठीक एक दिन पहले जशपुर जिले के बगीचा में श्रद्धालुओं से भरी पिकप पलट गई जिसमें दर्जनभर से ज्यादा लोग घायल हो गए। 4 गम्भीर घायलों में 2 का रायपुर में सरकारी सिस्टम से बेहतर इलाज चल रहा है।इस दर्दनाक घटना में घायल फरसाबहार के फरदबहार गांव के कई लोग सीएम साय के रिश्तेदार थे और श्रद्धालुओं के काफिले में भाजपा के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में थे।पुख्ता जानकारी है कि घटना के बाद 108 एम्बुलेंस ने आने में बहुत देर कर दी,तब तक एक मीडियाकर्मी और सोनगेरसा की पूर्व सरपंच श्रीमती गणेश्वरी बाई पैंकरा के सहयोग से घायलों को निजी गाड़ियों में बगीचा अस्पताल भेजा गया।बाद में शाम 6 बजे बतौली से आये एम्बुलेंस में कम घायलों को ले जाया गया।अब यह पढ़कर चौंकिए कि मीडिया की सुर्खियां बनते ही घटनास्थल पर रात दस बजे तक दो एम्बुलेंस खड़ी थी जबकि करीब 4:30 बजे यह हादसा हुआ। वहीं सीएमएचओ डॉ. जी.एस. जात्रा पता नहीं कौन सी यात्रा में थे जिन्होंने मीडियाकर्मियों का फोन तक नहीं उठाया।

अब जशपुर जिले में 108 एम्बुलेंस के ताजा आंकड़ों की बात करें तो यहां 24 एम्बुलेंस हैं।जिसमें से 3 एम्बुलेंस गैरेज में मरम्मत कराने खड़ी है।21 एम्बुलेंस एक दिन में यानी 19 सितंबर को 3283 किलोमीटर चली जिसका औसत निकालें तो हर एम्बुलेंस ने 156 किलोमीटर की दूरी तय की है।
मेरे 108 से जुड़े सूत्र बताते हैं कि सीएम डिस्ट्रिक्ट होने के नाते ,ऊपर से सीएम सीट कुनकुरी के वोटर होने के नाते 8 से 10 एम्बुलेंस मरीजों को सीधे रायपुर ले जाने में व्यस्त रहते हैं।इसमें से ज्यादातर सीधे सीएम कार्यालय बगिया के निर्देश पर बिना रेफरल मरीज होते हैं,जो बस से भी सफर कर सकते हैं।इसका मतलब यदि एम्बुलेंस में अब तक जाने वाले मरीजों का मर्ज जानने की ईमानदार कोशिश की जाय तो आंखें फ़टी-की-फ़टी रह जाएंगी।
बहरहाल,सिस्टम के सुसंचालन हेतु स्वास्थ्य मंत्री हैं लेकिन वे अपने उन कामों को लेकर ज्यादा सुर्खियों में हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए।रही बात मुखिया की तो सवाल मुखिया से करना होता है और जवाब भी मुखिया को ही देना होता है।
ऐसे में एक सवाल जनता की ओर से ये है कि क्या मुख्यमंत्री अपनी विधानसभा के उन चार मतदाता को सम्मानित करेंगे जिन्होंने सरकारी अस्पताल में इलाज़ कराने के लिए मरीज को कंधे पर उठाया? क्या उन्हें भी कोई बड़ा ईनाम देंगे जिन्होंने खटिया में मरीज को डालकर 18 किलोमीटर लंबी यात्रा कांधे बदलते हुए की? या उन जिम्मेरदार अधिकारियों पर विशेष कृपा करेंगे जिनकी वजह से ये सब सम्भव हो पाया?

( ये लेखक के निजी विचार हैं.)