कोलकाता,13 दिसम्बर 2024 – भारतीय जलक्षेत्र में मछली पकड़ते पकड़ी गईं दो बांग्लादेशी नावों और 78 मछुआरों को तटरक्षक बल द्वारा जब्त किया गया था। हालांकि, इन नावों और मछुआरों को गृह और विदेश मंत्रालय की अनुमति मिलने के बाद ही छोड़ा जा सकेगा। लेकिन इसी बीच नावों में मौजूद 170 टन मछलियों को लेकर विवाद गहरा गया है।
ओडिशा मरीन फिश प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन का विरोध
ओडिशा मरीन फिश प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने इस मामले पर सवाल उठाते हुए सरकार को चेतावनी दी है। संघ ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि यह मछलियां भारतीय मछुआरों का अधिकार हैं और उन्हें किसी भी हाल में बांग्लादेश को नहीं सौंपा जाना चाहिए। इस विवाद को लेकर संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजा है।
संघ का आरोप:
संघ ने आरोप लगाया कि 16 अक्टूबर को भारतीय नाव “जय जगन्नाथ” और “बसंती” को बांग्लादेश तटरक्षक बल ने पकड़ा और उनमें मौजूद 30 टन मछलियों को वहीं नीलाम कर दिया।हमारे 60 मछुआरे अभी तक रिहा नहीं किये गए हैं। इसके बावजूद भारतीय सरकार ने बांग्लादेशी नावों और मछुआरों को तुरंत माफी देकर वापस जाने दिया।
सरकार पर सवाल
ओडिशा मरीन फिश प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीकांत कुमार परिडा ने कहा, “हमारी सरकार का रवैया बांग्लादेश के प्रति नरम क्यों है? 170 टन भारतीय मछलियां हमारे मछुआरों की आजीविका हैं। सरकार चाहे नावें छोड़ दे, लेकिन हम मछलियों को नहीं छोड़ेंगे।”
संघ की चेतावनी
उन्होंने आगे कहा कि यदि सरकार ने तुरंत हस्तक्षेप नहीं किया, तो 15 लाख मछुआरे विरोध प्रदर्शन करेंगे और बांग्लादेशी नावों को रोकने के लिए मजबूर होंगे।
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प्रधानमंत्री के नाम पत्र का सारांश (हिंदी अनुवाद)
सेवा में,
माननीय प्रधानमंत्री,
श्री नरेंद्र मोदी,
विषय: बांग्लादेशी नावों से जब्त की गई मछलियों की नीलामी के संबंध में हस्तक्षेप की मांग
श्रीकांत परिडा, अध्यक्ष, ओडिशा मरीन फिश प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने पत्र के माध्यम से लिखा है कि जब भारतीय नावें बांग्लादेश द्वारा पकड़ी जाती हैं, तो न केवल नाव और मछुआरों को दंडित किया जाता है, बल्कि उनकी मछलियों को भी जब्त कर नीलाम कर दिया जाता है।
पत्र में उन्होंने आग्रह किया कि जब्त की गई 170 टन मछलियों को तुरंत नीलाम किया जाए और उससे होने वाली आय को स्थानीय मछुआरा समुदाय के कल्याण के लिए उपयोग किया जाए।
उन्होंने लिखा:
“यह न केवल हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन है, बल्कि स्थानीय मछुआरों की आजीविका पर भी प्रभाव डालता है। यदि सरकार तुरंत कार्रवाई नहीं करती, तो यह स्थानीय मछुआरों और समुद्री पारिस्थितिकी पर बुरा प्रभाव डालेगा।”
निवेदन:
“आपके नेतृत्व में हमें विश्वास है कि यह मुद्दा जल्द ही भारतीय मछुआरों के अधिकारों और हितों की रक्षा करते हुए सुलझाया जाएगा।”
Yours faithfully,
श्रीकांत परिडा
अध्यक्ष, ओडिशा मरीन फिश प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन

