जशपुर – जिले के बरांगजोर गांव का बेटा शहीद लेओस खेस के स्मारक में सीआरपीएफ ने शहीद की विधवा,ग्रामीणों और स्कूली बच्चों के साथ शहीद को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।आज ही के दिन 6 अप्रैल 2010 को दंतेवाड़ा के ताड़मेटला गांव में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के 76 जवानों की निर्मम हत्या की थी।जिसमें सिपाही लेओस खेस शहीद हुए।
दरअसल,सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल आईपीएस अनीस दयाल सिंह के निर्देशानुसार व साकेत कुमार सिंह,IPSमहानिरीक्षक छत्तीसगढ़ सेक्टर, राज कुमार,उप महानिरीक्षक
ग्रुप सेंटर बिलासपुर के मार्गदर्शन में आज के दिन चिंतलनार ताड़मेटला नक्सली हमले में शहीद हुए सभी 76 जवानों के गांवों में सीआरपीएफ के अधिकारी पहुंचकर उन्हें अपनी श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं।इसी कड़ी में कुनकुरी थाना इलाके के बरांगजोर गांव में भी लेओस खेस के शहीद स्मारक पर ग्रुप सेंटर बिलासपुर से असिस्टेंट कमांडेंट अंकित कुमार ,इंस्पेक्टर मोहम्मद परवेज जवानों के साथ पहुंचे हैं।
असिस्टेंट कमांडेंट अंकित कुमार ने इस मौके पर बताया कि 62 बटालियन के शहीद सिपाही लेओस खेस का जन्म 1 मार्च 1968 को हुआ था। 26 दिसम्बर 1995 में लेओस ग्रुप केंद्र रामपुर और 62 बटालियन में तैनात रहे।दंतेवाड़ा में तैनाती के दौरान 6 अप्रैल 2010 को चिंतलनार से नक्सली गतिविधियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए तलाशी अभियान में अपनी पार्टी के साथ निकले थे।तभी ताड़मेटला गांव में घात लगाए बैठे नक्सलियों ने उनकी पार्टी पर हमला कर दिया जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के बहादुर सिपाही लेओस खेस समेत 76 जवान शहीद हो गए।जिन्हें याद करते हुए परिवार के लोग भावुक हो रहे हैं और अपने बेटे/भाई के बलिदान पर गर्व भी कर रहे हैं।
इससे पहले सीआरपीएफ की ओर से शहीद की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर सलामी दी गई।फिर असिस्टेंट कमांडेंट ने शहीद लेओस की विधवा कलिस्ता को शाल ओढ़ाकर सम्मानित करते हुए हौसला बढ़ाया। कलिस्ता अपनी दो बेटियों के साथ अपने पति को याद करते हुए बार-बार भावुक हो रही थी।गांव के सरपँच पेत्रुस खेस ने इस मौके पर कहा कि आज के दिन मेरा दोस्त देश के लिए उग्रवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गया।यह परिवार के लिए काफी दुखदायी है।हम सब गांव के लोग देश के अपनी जान देने वाले जवान के परिवार के साथ खड़े हैं और शहीद की पत्नी को हर राष्ट्रीय पर्व में मुख्य अतिथि बनाकर उनका सम्मान भी करते हैं।
शहीद जवान की बहन सरोज खेस ने कहा कि मुझे मेरे भाई की शहादत पर गर्व है।उसकी कुर्बानी बेकार नहीं गई है।उसकी वीरता की कहानी सुनकर बेटी भी फौज में जाने की तैयारी कर रही है।