जशपुर, 16 जुलाई 2024 – जिले में खेती-किसानी को उन्नत बनाने और किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के प्रयासों के तहत जशपुर में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन आईआईटी भिलाई के सहयोग से आईआईटी रुड़की द्वारा किया गया। कार्यशाला की शुरुआत कलेक्ट्रेट मंत्रणा कक्ष में हुई, जिसमें कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल भी शामिल हुए।
कार्यशाला में जिले के दस अलग-अलग विभागों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इनमें कृषि, ट्राइबल, वन, खनिज, रोजगार, शिक्षा सहित अन्य विभाग शामिल थे। आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने टिकाऊ कृषि, भूमि, जंगल और पर्यावरण सहित विभिन्न विषयों पर जानकारी दी। कार्यशाला के पहले दिन, अधिकारियों ने विशेषज्ञों से इन विषयों पर सवाल पूछे, जिनका विशेषज्ञों ने विस्तारपूर्वक उत्तर दिया। इसके अलावा, पर्यावरण और कार्बन ऊर्जा उत्पादन पर भी चर्चा की गई।
इस अवसर पर कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल ने टिकाऊ कृषि, भूमि, जंगल और पर्यावरण के प्रबंधन में ऐसी कार्यशालाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “यह कार्यशाला ज्ञान के आदान-प्रदान, सहयोग को बढ़ावा देने और स्थायी भूजल प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करती है। विशेषज्ञों और अधिकारियों की जबरदस्त प्रतिक्रिया और सक्रिय भागीदारी इस विषय के महत्व और प्रासंगिकता को दर्शाती है।”
जशपुर की प्राकृतिक सुंदरता, जिसमें नदियाँ, जलप्रपात, पहाड़ और जंगल शामिल हैं, को ध्यान में रखते हुए कार्यशाला का उद्देश्य टिकाऊ कृषि, भूमि, जंगल और पर्यावरण प्रबंधन के सफल मॉडल्स का परीक्षण करना और विशेष रूप से जशपुर जिले के लिए सर्वाधिक उपयुक्त पद्धतियों की पहचान करना है।
इस कार्यशाला का उद्देश्य पूरे राज्य में सतत और उन्नत कृषि पद्धतियों के सफल मॉडल्स का परीक्षण करना और विशेष रूप से जशपुर जिले के लिए सर्वाधिक उपयुक्त पद्धतियों की पहचान करना है। इन मॉडल्स में टिकाऊ कृषि, भूमि, जंगल, पर्यावरण और कार्बन ऊर्जा उत्पादन मूल्य श्रृंखला से जुड़े विभिन्न पहलुओं को भी शामिल किया गया है।
कार्यशाला में भाग लेने वाले अधिकारियों ने इसे बहुत ही ज्ञानवर्धक और प्रासंगिक बताया और कहा कि यह कार्यशाला जिले में टिकाऊ और उन्नत कृषि पद्धतियों को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।