जशपुर,17 जनवरी 2025 – जिले के पोरतेंगा स्थित सरकारी अनुदान प्राप्त विनय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा से संबंधित गंभीर अव्यवस्थाएं उजागर हुई हैं। स्थानीय जागरूक निवासियों ने इन मुद्दों को लेकर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नितिन राय को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
छात्रावास में दुर्व्यवस्था का आरोप
छात्रावास में साफ-सफाई और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बच्चों को अस्वच्छ और असुरक्षित वातावरण में रखा जा रहा है, जिससे उनका स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है।बच्चों ने बताया कि खाट,मच्छरदानी,कम्बल घर से लाएं हैं।
बच्चों पर धार्मिक और सांस्कृतिक दबाव डालने का आरोप

बच्चों को जबरदस्ती धर्म और परंपराओं का पालन करने के लिए विवश किया जा रहा है।बच्चों ने बताया कि छात्रावास चर्च से सटा हुआ है।यहाँ चर्च में प्रार्थना करने के लिए सभी को जाना होता है चाहे बच्चे किसी भी धर्म को मानने वाले हों।छात्रावास में दैनिक समय सारणी,शनिवार समय सारणी,रविवार समय सारणी चस्पा किया हुआ है।जिसे कार्यालय,विनय बालक छात्रावास पोरतेंगा ने 1 सितंबर 2023 से जारी किया हुआ है।जिसके अनुसार दैनिक समय सारणी में छात्रावासी बालकों को सुबह उठकर 6 बजे मिस्सा करना शाम को 4 बजे बागवानी,शाम 6 बजे रोजरी अन्य गतिविधियों के साथ करना है।इसी तरह शनिवार समय सारणी में सुबह उठकर 6 बजे मिस्सा फिर शाम 3 बजे बागवानी,5:30 बजे रोजरी अन्य गतिविधियों के साथ करना है।वहीं रविवार समय सारणी के अनुसार सुबह उठकर 6 बजे मिस्सा,11 बजे गाना अभ्यास, शाम 5 बजे बेनेदिक्सन व अन्य गतिविधियां लिखी हुई हैं। ये बात समझा जा सकता है कि सभी बालकों को रोज सुबह उठने के बाद मिस्सा पूजा कर दिन की शुरुआत करनी है।रोज बागवानी करनी है।शाम को भी ईसाई धर्म के अनुसार रोजरी विनती आदि करना है।
अवैध वसूली का आरोप
प्रति बच्चे से ₹1000 की अवैध वसूली की जा रही है, जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता।बच्चों को बाकायदा इसकी रसीद दी जाती है,जिसकी पुष्टि बच्चों ने और खुद संस्था प्रमुख फादर अमित बेक ने कैमरे में की है।
शराब पीकर अनुशासनहीनता का आरोप:
विद्यालय प्रशासन पर शराब और अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया गया है, जिससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा असर पड़ रहा है।
शोषण और जबरदस्ती मजदूरी का आरोप:
बच्चों से जबरदस्ती मजदूरी करवाई जा रही है।जैसा कि बच्चों ने बताया ,”हम सभी को बागान में रोज काम करना होता है।उससे जो सब्जी उगती है उसे हमें खिलाया जाता है।जब बागान में सब्जी खत्म हो जाती है तो हमें सुकटी भात दिया जाता है।(सुकटी मतलब पत्तियों का पावडर)।खाना भी दिन में जो मिड डे मील स्कूल में मिलता है उसी को शाम को छात्रावास में दुबारा खिलाया जाता है।छुट्टी के दिन सरकारी चावल,सोयाबीन बड़ी को हॉस्टल में लाकर रखे हैं,उसे पकाया जाता है।जबकि हर महीने एक हजार की फीस ली जाती है।
सरकारी अनुदान के दुरुपयोग का आरोप
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए प्रदान किए गए ₹79 लाख के अनुदान के बावजूद, विद्यालय प्रशासन की लापरवाही और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन चिंता का विषय है।जिसकी जांच सरकारी ऑडिटर से कराई जाने की मांग है।
संस्था प्रमुख फादर अमित बेक ने आरोपों को किया खारिज

वहीं सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूल विनय प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के प्रमुख व चर्च परिसर में कथित छात्रावास चलानेवाले फादर अमित बेक ने बाल कल्याण समिति को की गई सभी शिकायतों पर अपना पक्ष रखा।उन्होंने बताया कि वह हॉस्टल नहीं है,दूर-दराज से गरीब बच्चों के अभिभावकों की सहमति-पत्र लेकर पढ़ाई करने के लिए स्थान दिया गया है।वहीं सभी बच्चे किसान के बेटे हैं,सभी को नौकरी तो नहीं मिल सकती इसलिए उन्हें खेती-किसानी साथ मे बागवानी करते हुए सीखा रहा हूँ।धर्म विशेष की पढाई करने,पूजा पाठ करने,चर्च भेजे जाने पर कहा कि किसी पर दबाव नहीं है।जो जाना चाहता है वह जा सकता है।उन्होंने यह भी बताया कि यहां अभी 23 बच्चे रहकर पढ़ रहे हैं जिसमें ज्यादातर ईसाई धर्म के बच्चे हैं दूसरे हिन्दू धर्म के हैं,मुस्लिम धर्म के बच्चे नहीं हैं।
शिकायत पर CWC ने लिया संज्ञान

बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नितिन राय ने शिकायत में उल्लेखित बिंदुओं को बेहद गम्भीर माना है।उन्होंने कहा – “शिकायत मिली है।ऐसे सभी सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में चल रहे छात्रावासों,अवैध छात्रावासों की सूची मंगा रहा हूँ।सम्बंधित विभागों को पत्र भेजा जा रहा है।इस मामले में बाल कल्याण समिति एक्शन लेगी।जांच में बाल अधिकारों का हनन और शिक्षा देने के नाम पर धर्मांतरण की कोशिश करना पाए जाने पर कानून सम्मत कार्रवाई जाएगी।”
बहरहाल, शिकायत के साथ यह भी मांग की गई है कि विद्यालय और छात्रावास में बच्चों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान किया जाए।दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच के लिए एक टीम का गठन हो।यदि इन गंभीर मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से अपील की है कि वे बच्चों के अधिकारों और उनके सुरक्षित भविष्य के लिए ठोस कदम उठाएं।