हाईकोर्ट ने वन्यजीव संरक्षण पर की कड़ी टिप्पणी,वन विभाग को 10 दिन में जवाब देने कहा

बिलासपुर (छत्तीसगढ़),11 नवंबर 2024 – माननीय छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी याचिका पर महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान वन्यजीवों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति गहरी चिंता जताई। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डबल बेंच ने सोमवार को राज्य में बाघों की लगातार हो रही मौतों का संज्ञान लेते हुए सरकार और वन विभाग के प्रयासों पर सवाल उठाए। न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा, “वन्यजीव और जंगल नष्ट हो रहे हैं। अगर यही स्थिति रही, तो छत्तीसगढ़ में क्या बचा रहेगा?”

सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुई बाघों की मौतों को लेकर कोर्ट ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीरता से विचार किया। हाल ही में 8 नवंबर 2024 को सरगुजा के कोरिया वन मंडल के पास एक बाघ का शव मिला था, जिसे वन विभाग ने जहर के सेवन से मौत की घटना बताया है। राज्य सरकार के महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने कोर्ट को अवगत कराया कि मामले में कड़ी कार्रवाई की जा रही है। फिर भी, कोर्ट ने राज्य में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तृत जानकारी मांगी है।

मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से कहा, “टाइगर जैसे दुर्लभ प्रजाति के जानवरों की संख्या घट रही है। संरक्षण की योजनाएँ बनाने और उन्हें जमीन पर उतारने में असफलता चिंता का विषय है।” बेंच ने प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (APCCF) को नोटिस जारी कर 10 दिन के भीतर व्यक्तिगत शपथपत्र के माध्यम से यह बताने का आदेश दिया कि वन्यजीव संरक्षण के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए हैं।

छत्तीसगढ़, जो वन्यजीवों और जंगलों के लिए प्रसिद्ध है, पर इस गंभीर टिप्पणी ने राज्य सरकार और वन विभाग के लिए चेतावनी का संकेत दे दिया है। हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर अगली सुनवाई की तिथि 21 नवंबर 2024 निर्धारित की है।