
नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 – छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र से 70 लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल आज राष्ट्रपति भवन पहुंचा, जहां उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर अपनी पीड़ा साझा की। बस्तर में दशकों से माओवाद के आतंक का सामना कर रहे ये लोग, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की संवेदनशील पहल के तहत अपनी आवाज देश की सर्वोच्च सत्ता तक पहुंचाने में सक्षम हुए। राष्ट्रपति ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना और नक्सली हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।
प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को अवगत कराया कि बस्तर के लोग पिछले 40 वर्षों से माओवादी आतंक का शिकार हो रहे हैं।जिनमें से कुछ लोग आपके सामने जीवित बचकर आये हैं।उन्होंने बताया कि माओवादियों के हमलों में हजारों लोग मारे गए हैं और सैकड़ों स्थायी रूप से अपंग हो चुके हैं। बारूदी सुरंगों और बम विस्फोटों ने न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें गहरा आघात दिया है।
उन्होंने बताया कि माओवादी आतंक ने उनके घरों, जमीन और सांस्कृतिक धरोहर को बर्बाद कर दिया है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले ढाई दशकों में 8,000 से अधिक लोग इस हिंसा के शिकार हुए हैं, और आज भी कई लोग नक्सलियों के डर में जी रहे हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति के सामने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सराहना करते हुए बताया कि बस्तर में शांति बहाली और विकास के कई महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री साय की संवेदनशील पहल के तहत बस्तर के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। उनकी योजनाओं ने बस्तरवासियों में एक नई उम्मीद का संचार किया है।
प्रतिनिधियों ने बताया कि मुख्यमंत्री साय ने न केवल नक्सल उन्मूलन के लिए ठोस कदम उठाए हैं, बल्कि वहां के लोगों को एक बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर करने के लिए भी काम किया है। उनके नेतृत्व में बस्तर में शांति बहाली और पुनर्निर्माण के लिए गम्भीर प्रयास किए जा रहे हैं।
बस्तर शांति समिति के प्रतिनिधियों मंगऊ राम कावड़े और जयराम दास ने राष्ट्रपति से अपील की कि बस्तर को माओवादी आतंक से मुक्त कराने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने बस्तर को फिर से उसकी प्राकृतिक सुंदरता और शांति लौटाने की मांग की।
महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने प्रतिनिधियों की पीड़ा को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि सरकार बस्तर में शांति और विकास के लिए हरसंभव कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि बस्तरवासियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
नक्सलवाद से मुक्ति पाने के लिए छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री की नई पहल की राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है।यह मुलाकात नक्सल पीड़ितों की समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास मानी जा रही है। वहीं,राष्ट्रपति से मिलने का यह अवसर बस्तरवासियों के लिए एक आशा की किरण साबित हो सकता है, जो वर्षों से नक्सली हिंसा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।नक्सल प्रभावित लोगों में उम्मीद जागी है,जो आने वाले समय में बस्तर के भविष्य को एक नई दिशा दे सकता है।