कोई है,,,,,,साहब ने सुशासन का झंडा बुलंद करने दफ्तर छोड़ा

*जशपुर/मनोरा,02 जनवरी 2025 – जब पूरा देश नए साल के जश्न में खोया हुआ था, मनोरा ब्लॉक के कर्मठ ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर (बीईओ) संजय पटेल ने सुशासन की परिभाषा ही बदल दी। बीईओ साहब ने नए साल का स्वागत अपने “फील्ड” में किया। अब फील्ड का मतलब यहां दोहरा है – एक सरकारी क्षेत्र का, दूसरा असली खेत-मैदान वाला।

1 जनवरी को जब हमारा “सरकारी दफ्तरों में सुशासन कैसा चल रहा है?” विषय पर उनके कार्यालय का दौरा हुआ, तो वहां एक महिला पियून ड्यूटी करती मिली। दूसरे कर्मचारी, जिनका नाम  लेटगू राम है, जो घर का बिजली वायरिंग कराने के लिए पहले ही दफ्तर छोड़ चुके थे।

संजय पटेल ने बताया कि नए साल पर भी तीन कर्मचारी – दीपांशु, विभा और अन्य – छुट्टी पर चले गए थे। लेकिन खुद बीईओ साहब ने फील्ड जाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विद्यार्थियों “अपार पहचान” बनाने के लिए अभिभावकों का इंतजार करने के बाद ही फील्ड का रुख किया गया।

आपको लगता है क्या कि विष्णु के सुशासन और कलेक्टर रोहित व्यास के प्रशासन में मनोरा के बीईओ संजय पटेल जैसे अधिकारी नए साल का जश्न मनाने का साहस कर सकते हैं?

आखिर, जब जिम्मेदारी की बात आती है, तो पटेल साहब पूरे ब्लॉक को दिखा देते हैं कि सुशासन का मतलब सिर्फ कुर्सी पर बैठना नहीं, बल्कि “फील्ड” में पसीना बहाना है।ऐसे कर्मठ अधिकारी को, जो 1 जनवरी को भी सुशासन का झंडा उठाए हुए हैं, उनकी कर्मठता पर शाबाशी जरूर दी जानी चाहिए।