*जशपुर: राजी पड़हा की आक्रोश रैली को बताया राजनीतिक स्टंट, स्थानीय नेताओं ने जताई कड़ी आपत्ति* *विधायक रायमुनी भगत समेत कई आदिवासी नेता आये सामने*

 

जशपुर, 1 सितंबर: जशपुर जिले में 3 सितंबर को आयोजित की जाने वाली राजी पड़हा की आक्रोश रैली को स्थानीय नेताओं ने एक राजनीतिक स्टंट करार देते हुए इसका कड़ा विरोध किया है। जशपुर विधायक श्रीमती रायमुनी भगत ने इस रैली को समाज के भोले-भाले आदिवासियों को गुमराह करने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि चंद लोग राजनीतिक फायदे के लिए समाज के लोगों को भ्रमित कर रहे हैं।

विधायक श्रीमती भगत ने स्पष्ट किया कि दीपू बगीचा में राजी पड़हा द्वारा अवैध रूप से संचालित किए जा रहे छात्रावास को जिला प्रशासन ने 10 अगस्त को बंद कराया था। इस कार्रवाई को लेकर राजी पड़हा द्वारा गलत जानकारी फैलाकर समाज में भ्रम पैदा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों पर कोई रोक नहीं है, और प्रशासन ने किसी प्रकार की सीलबंदी की कार्रवाई भी नहीं की है।

श्रीमती शांति भगत, जिला पंचायत अध्यक्ष, ने भी इस मामले में राजी पड़हा के नेताओं के ऐसे प्रयासों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज आक्रोश रैली का पुरजोर विरोध करता है। शांति भगत ने आरोप लगाया कि वे राजनीतिक लाभ के लिए भोले-भाले आदिवासियों का उपयोग कर रहे हैं और प्रशासन से इस रैली की अनुमति न देने की मांग की।

कई आदिवासी नेताओं ने भी राजी पड़हा के नेताओं के निर्णय पर असंतोष जाहिर किया और इसे समाज को समाज से लड़ाने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि दीपू बगीचा में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर कोई रोक नहीं है और प्रशासन से अनुमति लेकर इन्हें आयोजित किया जा सकता है।

नगर पालिका अध्यक्ष राधेश्याम राम ने भी राजी पड़हा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राजी पड़हा ने कभी भी स्थानीय आदिवासियों को विश्वास में लेकर कार्य नहीं किया है और अब अवैध छात्रावास के मामले में समाज के लोगों को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने समाज के लोगों से अपील की कि वे राजी पड़हा के बहकावे में न आएं और इस रैली का विरोध करें।

जशपुर के विभिन्न जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने 3 सितंबर को आयोजित की जाने वाली आक्रोश रैली को लेकर अपने कड़े विरोध के स्वर बुलंद कर दिए हैं। अब देखना यह है कि इस विरोध के बीच रैली का क्या परिणाम होता है।