जशपुर,28 दिसम्बर 2024// कुनकुरी में वनवासी कल्याण आश्रम के 72वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी रही। मुख्य अतिथि के रूप में सत्यप्रकाश तिवारी (अधिवक्ता), यश प्रताप सिंह जूदेव और आर.एस.एस. के कई वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे।
वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना और उद्देश्य
वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना 26 दिसंबर 1952 को बालासाहेब देशपांडे द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य भारत के आदिवासी समाज को उनके सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों से जोड़ते हुए उन्हें सशक्त बनाना है। यह संगठन वनवासी समाज को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के माध्यम से सशक्त बनाकर उन्हें सनातन संस्कृति और धर्म से जोड़े रखने का कार्य करता है।
स्थापना दिवस का भव्य आयोजन
कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता, दिवंगत बालासाहेब देशपांडे और अन्य संस्थापकों के तैलचित्र पर दीप प्रज्वलित करके की गई। इसके बाद पारंपरिक लोकनृत्यों का आयोजन हुआ, जिसमें करमा, सरहुल और डंडा नृत्य की प्रस्तुति ने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।
स्थानीय लोककला के इस उत्सव में बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों ने पारंपरिक वेशभूषा में भाग लिया। विशेष रूप से बुजुर्ग महिला और पुरुषों का उत्साह देखते ही बनता था। कार्यक्रम में शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
मुख्य अतिथि का संबोधन
मुख्य अतिथि सत्यप्रकाश तिवारी ने अपने उद्बोधन में वनवासी कल्याण आश्रम की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह संगठन सनातन संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए एक मजबूत स्तंभ है। उन्होंने वनवासी समाज के उत्थान में संगठन की भूमिका की सराहना की।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में अखिल भारतीय कार्यालय प्रमुख श्रीपाद जी, प्रांतीय सचिव बासुदेव राम यादव, सरहुल समिति के जिला उपाध्यक्ष मैनेजर राम, कल्याण आश्रम अध्यक्ष विश्वनाथ सिदार और लोककला जिलाध्यक्ष जेरकू राम सहित कई प्रमुख जनप्रतिनिधि शामिल हुए।
वनवासी कल्याण आश्रम का 72वां स्थापना दिवस इस बात का प्रतीक है कि यह संगठन वनवासी समाज के उत्थान और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस आयोजन ने स्थानीय समुदाय में सांस्कृतिक एकता और गौरव का भाव जगाया।