कुनकुरी का सरकारी अस्पताल बना किडनी मरीजों के लिए नई उम्मीद की किरण,मरीजों ने कहा- ‘जीवन वापसी के लिए धन्यवाद’

जशपुर,कुनकुरी 19 अप्रैल 2025 –

आदिवासी बहुल जिला जशपुर के हृदयस्थल कुनकुरी में अब किडनी रोग से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत और जीवन की नयी उम्मीद का केंद्र बन चुका है – कुनकुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत संचालित किडनी डायलिसिस सेंटर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शी सोच और दृढ़ संकल्प से यह सेंटर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और पीएमएनडीपी के तहत 21 फरवरी 2025 से शुरू किया गया। दीपचंद्र डायलिसिस सेंटर, दिल्ली के सहयोग से संचालित यह सुविधा आज सैकड़ों मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं।

मरीजों की जुबानी – जीवन वापसी की कहानी

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फोटो:रिटायर्ड फौजी विजय एक्का डायलिसिस सेंटर से निकलकर सेंटर मैनेजर अभिषेक कुमार से बात करते हुए

 

फरसाबहार विकासखंड के देवरी गांव से आये विजय कुमार एक्का, एक रिटायर्ड फौजी हैं। वे सीकेडी स्टेज 5 से पीड़ित हैं और पहले रांची व अंबिकापुर जाकर डायलिसिस कराने की परेशानी झेलते थे। अब कुनकुरी में उपचार मिल रहा है तो विजय एक्का और उनकी पत्नी को राहत की सांस मिली है। विजय कहते हैं, ” जीने की उम्मीद छोड़ दिया था,अब लगता है जीवन लंबा और आसान रहेगा। बस एक ब्लड बैंक की सुविधा और हो जाए तो  किडनी मरीजों को और राहत मिल जाएगी।”

बेमताटोली के प्रदीप पाल पहले रायपुर जाकर डायलिसिस कराते थे। हर यात्रा में 8 से 10 हजार रुपये खर्च हो जाते थे। वे बताते हैं, “अब कुनकुरी में फ्री डायलिसिस से राहत मिली है, जिससे मुझे कर्ज से निकलने की राह दिखाई दे रही है।”

चटकपुर के लाल बहादुर सिंह को सप्ताह में चार बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। वे अब आसानी से हर बार मोटरसाइकिल से 50 रुपये के पेट्रोल से कर आ-जा पाते हैं। उनका कहना है, “सरकार ने सारी सुविधाएं मुफ्त दी हैं, हम जैसे गरीबों के लिए यह बहुत बड़ी बात है।”

ऐसे ही अनुभव और भी मरीजों ने ख़बरजनपक्ष से शेयर किए।

आधुनिक मशीनें ,महानगरों जैसी सुविधा भी

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फोटो:डायलिसिस करते सीनियर तकनीशियन सुमित मिश्रा

सेंटर मैनेजर अभिषेक कुमार गिरी और सीनियर टेक्नीशियन सुमित मिश्रा मरीजों की सेवा में पूरी तल्लीनता से जुटे हैं। मरीजों को समय पर डायलिसिस, परामर्श और जीवन जीने की प्रेरणा भी दी जा रही है। अब तक सेंटर पर –

  • 21 से 28 फरवरी के बीच 14 डायलिसिस सेशन हुए,
  • मार्च महीने में 185 डायलिसिस सेशन, 17 एक्टिव मरीजों के साथ,
  • और 1 से 18 अप्रैल तक 116 सेशन हो चुके हैं।

सेंटर हर दिन सुबह 7:30 से शाम 4:30 तक चालू रहता है। एक मरीज के डायलिसिस में करीब 4 घंटे का समय लगता है। खास बात यह है कि यहाँ की मशीनें अत्याधुनिक हैं, जो किसी भी बड़े शहर के अस्पताल से कम नहीं।

जरूरत – बंद ब्लड बैंक शुरू करने की

कई मरीजों ने बताया  कि डायलिसिस से पहले ब्लड की आवश्यकता होती है, पर कुनकुरी में ब्लड बैंक बंद होने के कारण जशपुर जाकर ब्लड चढ़वाना पड़ता है। इससे न सिर्फ आर्थिक बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से भी वे परेशान होते हैं। यदि कुनकुरी में ही ब्लड बैंक की सुविधा मिले तो मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।

जानकारी का आभाव-बाकी विकासखंडों तक पहुंचे यह संदेश

इस बेहतरीन सुविधा की जानकारी अभी केवल कुनकुरी और आसपास के क्षेत्र तक सीमित है। जबकि दुलदुला, कांसाबेल, बगीचा और फरसाबहार जैसे विकासखंडों के कई मरीज अभी तक इससे अनजान हैं। जरूरत है कि शासन और प्रशासन द्वारा इन इलाकों में जागरूकता फैलाकर अधिक से अधिक मरीजों को इसका लाभ दिलाया जाए।

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फोटो:अपनी बारी का इंतजार करते किडनी मरीज व उनके अटेंडेंट

कुनकुरी का यह डायलिसिस सेंटर एक मिसाल बन चुका है – जहां सरकार की नीतियां, तकनीकी उन्नति और संवेदनशीलता का संगम दिखाई देता है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की यह पहल आदिवासी क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है। यह सिर्फ एक हेल्थ सेंटर नहीं, बल्कि सैकड़ों परिवारों की मुस्कान और उम्मीदों का केंद्र बन गया है।