*जशपुर/कुनकुरी*- पर्युषण पर्व के समापन अवसर पर कुनकुरी में भगवान श्री जी की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें अश्वरथ में व्रतियों को बिठाकर जैन मंदिर से निकलकर नगर भ्रमण कराया गया।गाजे-बाजे के साथ निकाली गई शोभा यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया। जिसमें जैन समाज के साथ सभी समाज के लोग शामिल रहे।ऐसा ही नजारा जिला मुख्यालय जशपुर,बगीचा में भी देखने को मिला।
पर्युषण पर्व प्रारम्भ से समापन तक सभी दिगम्बर जैन धर्म के लोग 10 दिनों तक भगवान की विशेष पूजा-अर्चना साधना करते है। पर्युषण पर्व का अपना अलग महत्व होता है, इसमें 7 प्रकार के सिद्धांतों का पालन करना पड़ता है।
जिसमें सबसे पहले आत्मा को शुद्ध करना होता है. इस दौरान जैन धर्म के लोग व्रत, तपस्या, और ध्यान करते हैं। इसके बाद आत्म-चिंतन और आत्म-समृद्धि की प्रक्रिया की जाती है।फिर पर्युषण पर्व के दौरान जैन धर्म के लोग भविष्य में गलत काम न करने की शपथ लेते हैं।
जैनधर्मियों द्वारा पर्यावरण का शोधन किया जाता है।इसके बाद संयम और विवेक का अभ्यास करते हैं। माना जाता है कि सालभर के सांसारिक क्रिया-कलापों के कारण जीवन में जो भी दोष आ जाते हैं, उन्हें यह पर्व दूर करता है.
इस पर्व के दौरान सभी जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन करने का प्रयास करते हैं.
जैन समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष गजेंद्र जैन ने बताया कि पर्यूषण पर्व पर कई जैन अनुयायी अपनी क्षमता के अनुसार कठिन तपस्या करते हैं. इस दौरान कुछ श्रद्धालु 10 दिनों तक निर्जला व्रत करते हैं, जिसमें बिना अन्न, जल या फल का सेवन किए उपवास रखा जाता है। दिगंबर जैन समाज के इस पर्व में कुनकुरी में 6 जैनधर्मी महिला, पुरुष और युवाओं ने उपवास कर तपस्या की है। यह उपवास आत्म शुद्धि और आत्म कल्याण के उद्देश्य से किए जाते हैं, जिसमें शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास किया जाता है।