बच्चों के लिए सुरक्षित शिक्षा: जशपुर में अवैध छात्रावास से बच्चों का सफल रेस्क्यू** **शासकीय छात्रावास में स्थानांतरित बच्चों का भव्य स्वागत, SDM ने बच्चों को उपलब्ध कराई गई सभी सुविधाएं**

IMG 20240811 WA0005
फोटो:अवैध छात्रावास से रेस्क्यू किये गए बच्चों का केक काटकर स्वागत करतीं छात्रावास अधीक्षिका

 

रायपुर – जशपुर जिले से बाल अधिकार को लेकर अच्छी खबर आई है जहां दीपू बगीचा में नियम विरुद्ध संचालित एक छात्रावास से रेस्क्यू किए गए बालक और बालिकाओं को सुरक्षित रूप से सरकारी छात्रावासों में स्थानांतरित कर दिया गया। यह कदम न सिर्फ प्रशासन की ओर से तत्परता से उठाया गया बल्कि अधिकारियों ने यह भी सुनिश्चित किया कि इन बच्चों का स्वागत और देखभाल पूरे सम्मान और आदर के साथ हो। छात्रों के आगमन पर अधिकारियों और अन्य छात्रावासी बच्चों द्वारा भव्य स्वागत किया गया और केक काटकर उत्सव मनाया गया।

IMG 20240811 WA0000
फोटो:बालक छात्रावास में नव प्रवेशी बालको का केक काटकर स्वागत करते छात्रावास अधीक्षक

 

एसडीएम प्रशांत कुशवाहा के निर्देशन में इस पूरी प्रक्रिया को कुशलता से अंजाम दिया गया। उन्होंने हॉस्टल अधीक्षक और अधीक्षिका को निर्देश दिया कि वे बच्चों की विशेष निगरानी रखें और किसी भी समस्या की स्थिति में तुरंत सूचना दें। साथ ही सहायक आयुक्त आदिवासी विकास संजय सिंह और तहसीलदार राहुल कौशिक जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति इस कदम की गंभीरता को रेखांकित करती है।

उल्लेखनीय है कि स्थल जांच के दौरान, एसडीएम ने पाया कि संस्कृति कला केंद्र दीपू बगीचा और राजी पड़हा में बने दो भवनों में बच्चों को बिना किसी आधिकारिक अनुमति के छात्रावास के रूप में रखा जा रहा था, और कई तरह की अनियमितताएं सामने आई थीं। कार्रवाई के तहत बच्चों को अवैध छात्रावास से निकालकर शासकीय छात्रावास में स्थानांतरित कर दिया गया।

IMG 20240811 WA0004
फोटो: हॉस्टल के बच्चों ने नव प्रवेशी बच्चों को गुब्बारे देकर खुशी बांटी

 

इस घटना ने एक बार फिर देश में बच्चों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया है। ऐसे उदाहरण हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि शिक्षा और सुरक्षा के प्रति समाज और प्रशासन की ज़िम्मेदारी कितनी महत्वपूर्ण है। बाल अधिकारों के लिए समर्पित एसडीएम प्रशांत कुशवाहा और सहायक आयुक्त संजय सिंह जैसे अधिकारी, जिन्होंने स्वतंत्रता दिवस से पहले इस अभियान को सफलतापूर्वक पूरा किया, समाज के सामने एक मिसाल पेश करते हैं।

*भारत में बच्चों के अधिकारों के लिए महान कार्यकर्ताओं के उदाहरण पढ़िए*

भारत में बाल अधिकारों की लड़ाई में कई महान व्यक्तित्वों ने अहम भूमिका निभाई है। जिनमे

1. **कैलाश सत्यार्थी**: बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की शुरुआत की, जिसके तहत उन्होंने हजारों बच्चों को बंधुआ मजदूरी और शोषण से मुक्त कराया।

2. **मदर टेरेसा**: अपनी करुणा और सेवा के लिए विख्यात मदर टेरेसा ने समाज के कमजोर वर्गों, विशेषकर बच्चों के लिए समर्पित कार्य किया। उन्होंने ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की, जिसके तहत अनाथालयों और शेल्टर होम्स का संचालन किया जाता है।

3. **सुरभि सिंह**: ‘सोकोफाऊंडेशन’ की संस्थापक सुरभि सिंह ने सड़कों पर रहने वाले बच्चों और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए।

4. **शांति राघवन**: दिव्यांग बच्चों और युवाओं के लिए काम करने वाली शांति राघवन ने ‘एनाबिल इंडिया’ की स्थापना की। उनकी पहल से दिव्यांग बच्चों को शिक्षा और करियर के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर मिला।

इन सभी व्यक्तियों ने अपने कार्यों के माध्यम से यह दिखाया है कि जब समाज में बच्चे सुरक्षित और शिक्षित होते हैं, तभी एक समृद्ध और विकसित राष्ट्र का निर्माण संभव है। जशपुर में उठाए गए कदम बाल अधिकारों के लिए एक सार्थक पहल है और इस दिशा में अन्य राज्यों को भी प्रेरित करता है।