बड़ी खबर आई है जिसमें सर्पदंश के बाद झाड़फूंक के चक्कर में नाना जी चल बसे वहीं नाती गम्भीर हालत में अस्पताल के आईसीयू में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहा है।
कोरबा – करतला थाना क्षेत्र के ग्राम सलिहाभांठा डोंगदरहा में अंधविश्वास और झाड़फूंक के चक्कर में एक बुजुर्ग की जान चली गई, जबकि उसका 16 वर्षीय नाती गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है। घटना बीती रात की है, जब 70 वर्षीय टिकैतराम यादव और उसके नाती सतीश कुमार यादव को एक जहरीले सर्प ने डस लिया। दोनों को तत्काल अस्पताल ले जाने के बजाय परिजनों ने पहले झाड़फूंक और गांव के डॉक्टर से इलाज कराने की कोशिश की, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
परिजनों ने बताया कि रात में अचानक दोनों को पेट और गले में दर्द होने लगा, लेकिन इसे मामूली समझकर नजरअंदाज कर दिया गया। जब स्थिति गंभीर हो गई और सतीश के मुंह से झाग आने लगे, तब भी परिजन अंधविश्वास के चलते इलाज के लिए अस्पताल नहीं गए। झाड़फूंक और गांव के डॉक्टर के पास समय बर्बाद करने के बाद, उन्हें सुबह करीब 6:30 बजे कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद टिकैतराम यादव को मृत घोषित कर दिया, जबकि सतीश की हालत गंभीर बताई गई, और उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है।
मृतक के परिजनों ने बताया कि समय पर 108 एंबुलेंस सुविधा नहीं मिल पाई, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। उनका मानना है कि अगर एंबुलेंस समय पर आ जाती, तो टिकैतराम की जान बच सकती थी। 108 के जिला प्रभारी प्रिंस पांडे ने कहा कि एंबुलेंस सेवा में देरी नेटवर्क समस्या के कारण हो सकती है, लेकिन इस मामले में परिजन पहले झाड़फूंक कराने गए थे, जिससे कीमती समय बर्बाद हो गया।
इस घटना से एक बार फिर अंधविश्वास और झाड़फूंक की पुरानी परंपराओं पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सर्पदंश जैसे मामलों में तत्काल चिकित्सा सहायता बेहद आवश्यक होती है। झाड़फूंक या अन्य पारंपरिक उपाय करने से समय बर्बाद होता है, जिससे जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती है।
जागरूकता की कमी से बढ़ रहा खतरा
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के कारण लोग सही समय पर चिकित्सा सहायता नहीं ले पाते, जिससे अंधविश्वास के चलते उनकी जान पर बन आती है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश और अन्य आपात स्थितियों में प्राथमिक चिकित्सा का महत्व समझाने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। सर्पदंश के मामले में तुरंत अस्पताल पहुंचना जीवन बचाने का सबसे महत्वपूर्ण कदम है, जिसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।