जशपुर/कुनकुरी – बीती रात कुनकुरी थानांतर्गत लोधमा निवासी एक 35 वर्षीय महिला अलकिस्था बरवा की सर्पदंश से मृत्यु हो गई। मृतिका के पति, विनोद बरवा ने बताया कि कल वह खेत में धान रोपाई का काम करके शाम को घर लौटे थे। रात को खाना खाकर सोने के बाद, पत्नी कलिस्ता अकेले पलंग पर सोई थी, जबकि विनोद दूसरे कमरे में सो रहे थे और बच्चे तीसरे कमरे में नानी के साथ सो रहे थे।
कुनकुरी थाने में मर्ग इंटिमेशन लिखाने पहुंचे मृतिका के पति विनोद ने बताया कि रात के करीब ढाई बजे,खपरैल मकान के ऊपर से पलंग में सोई अलकिस्था पर एक करैत सांप गिर गया और पेटिकोट में घुस गया। अलकिस्था ने इसे गिरगिट समझकर हटाने की कोशिश की, लेकिन जल्द ही समझ गई कि यह करैत सांप था और उसे सांप ने डस लिया था। अलकिस्था की चिल्लाने की आवाज सुनकर बगल कमरे में सोया भांजा सिमोन तुरंत कमरे में आया और सांप को मार दिया।
इसके बाद, घर के सभी लोग जाग गए और पता करने लगे कि अलकिस्था को वास्तव में सांप ने डसा है या नहीं। गाँव की मान्यता के अनुसार, उन्होंने उसे मिर्ची खिलाई ताकि यह पता चल सके कि उसे सांप ने डसा है या नहीं। यदि सांप का जहर शरीर में होता तो मिर्ची का तीखापन महसूस नहीं होता। लेकिन मृतिका को तीखापन महसूस हुआ, जिससे उन्हें लगा कि सांप का जहर प्रभावी नहीं हुआ है।
इस भ्रम के कारण घरवाले उसे तत्काल अस्पताल नहीं ले गए और बैगा गुनिया से झाड़-फूंक कराने लगे। जब तबियत बहुत ज्यादा बिगड़ने लगी और गले से पानी भी नहीं उतरने लगा, तब घरवाले उसे ऑटो से कुनकुरी अस्पताल ले गए, जहाँ चिकिसकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
यह मामला अंधविश्वास और लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश से होने वाली मौतें एक गंभीर समस्या बनी हुई है। जबकि सरकार ने सर्पदंश से बचाव के लिए अस्पतालों में पर्याप्त एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध कराए हैं, जागरूकता की कमी और अंधविश्वास के कारण लोग समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं ले पाते हैं।
सर्पदंश से होने वाली मौतों के आंकड़े चिंताजनक हैं। भारत में हर साल लगभग 58,000 लोग सर्पदंश के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। इनमें से अधिकांश मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं, जहाँ चिकित्सा सुविधाओं की कमी और अंधविश्वास का बोलबाला है।
स्वास्थ्य विभाग और मितानिन बहनें लगातार सर्पदंश से बचने और सही समय पर चिकित्सा सहायता लेने के लिए जागरूकता अभियान चला रही हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं दिखाती हैं कि अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सर्पदंश के प्रति जागरूक करने और समय पर चिकित्सा सहायता लेने के लिए शिक्षित करने की आवश्यकता है।
सर्प संरक्षण व जागरूकता कार्यक्रम में सक्रिय शिक्षक कैसर छत्तीसगढ़िया ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि “अंधविश्वास और लापरवाही को दूर करके ही हम सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोक सकते हैं। समय पर चिकित्सा सहायता लेना और सही जानकारी के साथ जागरूकता फैलाना ही इस समस्या का समाधान है।”