बिलासपुर,17 अक्टूबर 2024: कलेक्टर अवनीश शरण द्वारा शासकीय भूमि पर अवैध कब्जों के खिलाफ की जा रही कार्यवाही इन दिनों चर्चा में है। मोपका के खसरा नंबर 993 और खमतराई के खसरा नंबर 551 पर की गई कार्रवाई ने लोगों का ध्यान खींचा है, जहां अवैध कब्जे हटाए गए और जमीन बेचने वालों पर एफआईआर दर्ज की गई। जनता इसे सराह रही है, क्योंकि शासकीय भूमि को बचाने के प्रयास दिख रहे हैं। लेकिन इस अभियान का एक और पक्ष है, जो आम जनता के सामने नहीं आया है।
कलेक्टर, नगर निगम कमीशनर, एसडीएम, और पुलिस की संयुक्त कार्यवाही में ज्यादातर गरीब और मध्यमवर्गीय लोग प्रभावित हो रहे हैं। इन लोगों ने किसी न किसी जाल में फंसकर अवैध जमीन खरीदी थी। अब न उनके पास जमीन बची और न ही उनके द्वारा दिए गए पैसे वापस मिल रहे हैं।अब ऐसे लोग न घर के रहे न घाट के। वहीं, बड़े भू-माफियाओं द्वारा कब्जाई गई कीमती शासकीय जमीनों पर कार्यवाही की रफ्तार धीमी नजर आ रही है। सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इन माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने में हिचकिचा रहा है?
लिंगियाडीह में शासकीय भूमि पर माफियाओं का कब्जा
बिलासपुर के लिंगियाडीह क्षेत्र में खसरा नंबर 54/1 की शासकीय भूमि, जो करोड़ों रुपये मूल्य की है, पर बड़े भू-माफियाओं का कब्जा है। जनवरी 2024 में इस कब्जे की शिकायत कलेक्टर और एसडीएम को की गई थी, लेकिन दस महीने बीतने के बाद भी इस जमीन को मुक्त नहीं कराया गया है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या प्रशासन केवल गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों पर ही कार्यवाही कर रहा है, जबकि बड़े माफियाओं पर कार्रवाई करने से कतरा रहा है?