आदिकालीन प्रकृतिपूजक रौतिया समाज ने मनाया करमा पर्व,पारंपरिक वेशभूषा में पूरी रात जमकर नाचे,,देखें तस्वीरें

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जशपुर/कुनकुरी,24 अक्टूबर 2024 – अखिल भारतीय रौतिया समाज के कुनकुरी मंडल में जनजातीय समाज का पवित्र त्यौहार करमा महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया।यह पर्व करमा अर्थात कर्म देवता की आराधना करते हुए घर-परिवार,समाज,पृथ्वी के समस्त प्राणियों की सुख-समृद्धि की कामना करने का त्यौहार है।जिसमें सभी लोग करम वृक्ष की डगाल लाकर पूजा स्थल में गाड़ते हैं और रातभर लोकगीतों के साथ पारंपरिक वाद्ययंत्रों ( ढोलक,मांदर,नगाड़ा इत्यादि)बजाते हुए करम नृत्य करते हैं।

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अखिल भारतीय रौतिया समाज के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम रौतिया विशेष रूप से आज के युवाओं को अपनी प्राचीन लोकसंस्कृति, परम्परा, पूजा-पद्धति से जोड़ने के लिए रौतिया भवन पहुंचे हुए थे।

दरअसल, रौतिया समाज कुछ गलतफहमियां और दस्तावेजों में हुई/की गईं त्रुटियों के कारण छत्तीसगढ़ में जनजाति समुदाय की सूची में नहीं जुड़ पाया।बीते तीन दशकों से इस विषय को लेकर समाज प्रमुखों के द्वारा सत्ता में बैठी राजनैतिक पार्टियों के सामने खुद को आदिवासी घोषित कराने के लिए लगातार प्रयास किया गया।पिछले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में भाजपा ने डबल इंजन की सरकार में समाज की मांग पूरी करने का भरोसा दिया था।

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अखिल भारतीय रौतिया समाज के कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष मीनू सिंह कहते हैं कि हम वे आदिवासी हैं जिन्हें संविधान लागू होते समय सूचीबद्ध नहीं किया गया।1954 से इसके प्रयास शुरू हुए जो आज तक जारी है।वह अलग विषय है।हम यहां करम त्यौहार मनाने इकट्ठे हुए हैं।यह त्यौहार आधुनिकता के संक्रमण से छूट रहा था,जिसे हम पुनः गौरवशाली ढंग से स्थापित कर रहे हैं।27 अक्टूबर को कंडोरा आम बगीचा में राष्ट्रीय स्तर पर यह त्यौहार मनाने जा रहे हैं।