*ग्रामीणों का हंगामा: जंगल में अवैध कब्जा हटाने पहुंचे, हाथियों के आगमन ने मचाई हलचल,जांच अधूरी छोड़ भागे अफसर*

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फोटो:रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण क् विरोध करने पहुंचे ग्रामीण ,वन अफसर

जशपुर: महेशपुर के जंगल में रविवार को कुछ ऐसा हुआ जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। एक तरफ जंगलों की सुरक्षा के लिए सैकड़ों ग्रामीणों का हुजूम पहुंचा, तो दूसरी तरफ अचानक हाथियों के झुंड ने सभी को चौंका दिया। यह मामला न केवल ग्रामीणों के साहसिक कदम को दिखाता है, बल्कि वन विभाग की उदासीनता और हाथियों के जंगलों से बाहर निकलने की वजह पर भी सवाल खड़े करता है।

ग्रामीणों के विरोध की वजह

महेशपुर के रिजर्व फॉरेस्ट क्रमांक 984 में, झिमकी पंचायत के उपसरपंच ने सैकड़ों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा कर खेती शुरू कर दी थी। इससे महेशपुर के ग्रामीणों में गुस्सा भड़क उठा। उन्होंने इस अवैध कब्जे को हटाने के लिए एकजुट होकर जंगल की ओर रुख किया। करीब साढ़े चार सौ ग्रामीणों ने एक साथ जंगल में पहुंचकर अपनी नाराजगी जाहिर की और अतिक्रमण हटाने का फैसला लिया।

### **अचानक हाथियों का आगमन**

जब ग्रामीण जंगल में आगे बढ़ रहे थे, तभी जंगल में हाथियों के झुंड का आगमन हुआ। ग्रामीणों के लिए यह अनुभव बेहद रोमांचक और डरावना था। हालांकि, ग्रामीणों ने शांतिपूर्वक अपने विरोध को जारी रखा। हाथियों के इस अप्रत्याशित आगमन ने वन विभाग के अधिकारियों को जांच पूरी करने से रोक दिया।

### **वन विभाग की भूमिका**

इस मामले में वन विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वन समिति के अध्यक्ष अगस्तुस बेक ने बताया कि जंगल में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर जमीन को खेती के लिए तैयार किया जा रहा है। जब ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों को जंगल में ले जाकर यह स्थिति दिखाई, तो अधिकारी भी हक्के-बक्के रह गए।

 जांच अधूरी

पत्थलगांव रेंजर कृपासिंधु पैंकरा ने बताया कि शिकायत मिलते ही जांच टीम गठित की गई और जमीन की नाप शुरू की गई। लेकिन हाथियों के वन क्षेत्र में आने की वजह से जांच पूरी नहीं हो सकी। रेंजर ने आश्वासन दिया कि जांच पूरी होने पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना हसदेव अरण्य के बाद दूसरी बड़ी घटना है जब ग्रामीणों ने जंगल बचाने के लिए कदम उठाया है। ग्रामीणों का कहना है कि वे किसी भी हद तक जाकर जंगलों की रक्षा करेंगे। इस पूरे घटनाक्रम ने ग्रामीणों की जागरूकता और उनके जंगल प्रेम को उजागर किया है, जो एक सकारात्मक संदेश देता है।

इस घटना ने बता दिया कि जंगलों की सुरक्षा के लिए न केवल वन विभाग बल्कि आम जनता को भी सक्रिय होना पड़ेगा। अवैध कब्जे और कटाई को रोकने के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे, ताकि वन्यजीवों और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की जा सके।