जशपुर में क्रेडा अधिकारी पर रिश्वतखोरी का आरोप गहराया: स्क्रीनशॉट्स से खुलासा,अफ़सर पहले भी हो चुके हैं सस्पेंड

जशपुर,03 मई 2025 – जिले के क्रेडा कार्यालय में भ्रष्टाचार का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। क्रेडा के जिला प्रभारी सहायक अभियंता नीलेश श्रीवास्तव पर पब्लिक डोमेन फ़ेसबुक पर लगाए गए रिश्वतखोरी के गंभीर आरोपों के बाद अब यह मामला सोशल मीडिया के अभी प्लेटफार्म पर तेजी से वायरल हो गया है। युवा कांट्रेक्टर कपूर यादव द्वारा लगाए गए इन आरोपों में कई ट्रांजेक्शन के स्क्रीनशॉट और दस्तावेज सामने लाकर भ्रष्टाचार की पोल खोलने की कोशिश की जा रही है।

फोन-पे के जरिए ली गई कथित रिश्वत का ऐसा कबूलनामा

कपूर यादव ने दावा किया है कि क्रेडा की सौर सुजला योजना (SSY) में काम दिलाने के नाम पर नीलेश श्रीवास्तव द्वारा नगद और डिजिटल माध्यम से पैसों की मांग की गई। इसके एवज में न तो काम दिया गया और न ही भुगतान वापस किया गया। युवक का यह भी कहना है कि अधिकारी और उसके स्टाफ मिलकर खुद ठेकेदारी कर रहे हैं, और JCC प्रमाण पत्रों को पास कराने में गड़बड़ियां कर रहे हैं।

गंभीर बात यह है कि ख़बरजनपक्ष में प्रकाशित समाचार के बाद क्रेडा अधिकारी नीलेश श्रीवास्तव ने मीडिया के सामने स्वयं यह स्वीकार किया है कि कपूर यादव और उसके बेटे के खाते में ट्रांजेक्शन हुए हैं, हालांकि उन्होंने इसे ” नव्या कम्पनी की ओर से दिलाया गया प्रोसेसिंग शुल्क” बताया है। अधिकारी ने यह भी दावा किया कि कपूर यादव ने अपने नाम से श्रीराम सॉल्यूशन नामक कम्पनी खोलकर दबाव बनाना शुरू किया था, और काम न मिलने पर बदनाम करने की साजिश कर रहा है।वहीं कपूर का दावा है कि वह नव्या का कर्मचारी कभी नहीं रहा बल्कि नव्या कम्पनी से एग्रीमेंट कर पेटी कांट्रेक्टर के रूप में काम किया है।

पहले भी रह चुके हैं विवादों में

बता दें कि नीलेश श्रीवास्तव सूरजपुर जिले में 2020 में निलंबित हो चुके हैं,जिन्हें रीजनल ऑफिस में अटैच किया गया था। इसके बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री के गृह जिले जशपुर में बहाल किया गया, जिससे अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं। आमजन और ठेकेदार समुदाय में इसे लेकर काफी नाराजगी है। सोशल मीडिया में वायरल हो रहे सबूतों और बयानों से मामले की गंभीरता और भी बढ़ गई है।

 

भ्रष्टाचार पर मोदी की गारंटी और विष्णु का सुशासन सुस्त!

जिला क्रेडा कार्यालय की इस कार्यशैली से केंद्र सरकार की ‘सोलर गारंटी’ और राज्य सरकार के ‘सुशासन’ की साख पर भी सवाल उठने लगे हैं। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर ‘अक्षय ऊर्जा’ को बढ़ावा देने पर है, वहीं दूसरी ओर ऐसे मामलों से योजनाओं की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर गहरा आघात लग रहा है।

जांच की मांग तेज, कार्रवाई का इंतजार

अब देखना होगा कि जिला प्रशासन और क्रेडा के आला अधिकारी इस मामले में कितनी पारदर्शिता से जांच करते हैं। फिलहाल, पीड़ित कांट्रेक्टर न्याय की मांग कर रहा है और आम जनता सच जानने की प्रतीक्षा में है।