गंगा-जमुनी तहज़ीब: भारतीय समाज में सद्भाव और एकता का प्रतीक

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निर्मल कुमार (लेखक अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक आर्थिक मुद्दों के जानकार हैं।यह उनके निजी विचार हैं।) उत्तरप्रदेश के बहराइच जिले में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने एक बार फिर भारत की सामाजिक एकता की बुनियाद को चुनौती दी है। ये घटनाएं केवल कानून-व्यवस्था के लिए खतरा नहीं हैं, बल्कि उस साझा सांस्कृतिक विरासत के लिए भी खतरा हैं जिसने सदियों से भारत की पहचान को परिभाषित किया है। ऐसे समय में, हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों को अपने साझा अतीत को याद करते हुए उन मूल्यों को अपनाने की आवश्यकता है जिन्होंने कभी उन्हें एक-दूसरे से जोड़ा था। भारत का उपमहाद्वीप धार्मिक और सांस्कृतिक मेल-जोल की एक अनमोल धरोहर का घर है। विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा-जमुनी तहज़ीब की संस्कृति, जो हिंदू-मुस्लिम परंपराओं का अनोखा संगम है, इस साझी विरासत का प्रतीक है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो चीजें हमें जोड़ती हैं, वे उन चीजों से कहीं अधिक मजबूत हैं जो हमें बांटती हैं। गंगा-जमुनी तहज़ीब वह भावना है जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों ने मिलकर पर्व-त्योहार मनाए, और एक-दूसरे के रीति-रिवाजों का सम्मान किया। दिवाली और ईद का मिलकर मनाना, सूफी संतों और भक्ति कवियों के प्रति साझा श्रद्धा, यह सब हमारी संस्कृति में पारस्परिक सम्मान और सह-अस्तित्व का प्रतीक हैं। यह सिर्फ एक साझा अतीत नहीं है बल्कि एक ऐसा भविष्य भी दर्शाता है जहां विविधता को बांटने का कारण नहीं बल्कि एकता का आधार माना जाए। सदियों से हिंदू और मुस्लिम समुदायों ने एक साथ रहते हुए भाषा, कला, संगीत, भोजन और जीवनशैली को साझा किया है। यह सांस्कृतिक मिलन इन दोनों समुदायों की समृद्धि का स्रोत रहा है और इस धरोहर को हमें हर हाल में संजोकर रखना चाहिए, चाहे हालात कैसे भी हों। धर्म के प्रति सम्मान: शांति और सद्भाव की बुनियाद है ऐसे कठिन समय में, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एक-दूसरे के धार्मिक विश्वासों का सम्मान ही शांति और सामाजिक सौहार्द की बुनियाद है। मंदिरों और मस्जिदों के प्रति आदर, त्योहारों और रीति-रिवाजों का सम्मान, यही वह नींव है जो हमें एकजुट रखती है। सच्चा धर्म तभी होता है जब हम इस विविधता का सम्मान करें, इसे बांटने के साधन के रूप में नहीं बल्कि समाज को जोड़ने के एक सशक्त माध्यम के रूप में देखें। हिंदू और मुस्लिम समुदायों ने हमेशा एक-दूसरे की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में भाग लिया है। सूफी परंपराओं में हिंदू देवी-देवताओं का जिक्र और हिंदू मंदिरों में इस्लामी वास्तुकला का प्रभाव इस गहरी सांस्कृतिक बुनावट के जीवंत उदाहरण हैं। बहराइच, जो सूफी संत सैयद सालार मसूद गाज़ी से जुड़ा हुआ है, वहां इस साझी विरासत का विशेष महत्व है। लेकिन हाल की घटनाओं ने इस विरासत को चुनौती दी है। इस समय यह जरूरी है कि हम उन तत्वों से सावधान रहें जो नफरत और बंटवारे का खेल खेलते हैं। ये लोग, चाहे राजनीतिक स्वार्थ के लिए हों या कट्टरपंथी एजेंडा के लिए, समाज में विभाजन पैदा करके ही अपना लाभ देखते हैं। उनके नफरत भरे भाषण, अफवाहें और प्रचार केवल हिंसा को बढ़ावा देते हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में जहां सही-गलत जानकारी तेजी से फैलती है, यह जरूरी है कि हम इन कोशिशों को समझें और इनसे बचें। हमारी असली ताकत नफरत की इन आवाजों को अस्वीकार करने में है। हमें हिंसा के बजाय संवाद, सहानुभूति और समझ का रास्ता अपनाना चाहिए। इस हिंसा के बाद एक और जरूरी सबक यह है कि कानून पर भरोसा बनाए रखें। किसी भी सभ्य समाज में न्याय की प्राप्ति कानून के जरिए ही होनी चाहिए, न कि भीड़ के गुस्से से। भीड़तंत्र केवल अराजकता और विभाजन को गहरा करता है। भारत का न्यायिक तंत्र, हालांकि इसमें सुधार की गुंजाइश है, फिर भी सभी नागरिकों के लिए न्याय और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बना है। अगर हम हिंसा का रास्ता चुनते हैं, तो न केवल कानूनी प्रक्रिया कमजोर होती है, बल्कि समाज में अराजकता भी बढ़ती है। हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वे कानून में भरोसा रखें और जहां जरूरी हो उसे सुधारने की दिशा में काम करें, न कि खुद कानून अपने हाथ में लें। जब हम कानूनी रास्ता अपनाते हैं, तो यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी अपराध के लिए उचित न्याय मिले और हिंसा भड़काने वालों को सजा दी जाए। किसी भी शिकायत का समाधान हिंसा से करना किसी भी शांतिपूर्ण समाज का रास्ता नहीं है और न ही यह हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के मूल्यों का सही प्रतिनिधित्व करता है। बहराइच हिंसा के बाद, यह जरूरी है कि दोनों समुदाय न केवल घावों को भरें बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भी एकजुट हों। गंगा-जमुनी तहज़ीब की धरोहर को केवल अतीत की याद के रूप में नहीं बल्कि एक जीवंत आदर्श के रूप में फिर से अपनाना जरूरी है जो हमारे वर्तमान और भविष्य को दिशा दे सके। दोनों धार्मिक समुदायों के नेताओं को संवाद के माध्यम से विश्वास का निर्माण करना चाहिए और अपने अनुयायियों को उन सांस्कृतिक धरोहरों की याद दिलानी चाहिए जो उन्हें जोड़ती हैं। नागरिक समाज, मीडिया और शैक्षिक संस्थानों को भी विभाजनकारी कथाओं का मुकाबला करने और एकता की कहानियों को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो चीजें हमें जोड़ती हैं, वे उन चीजों से कहीं अधिक मजबूत हैं जो हमें बांटती हैं। हिंदू और मुस्लिम समुदायों ने मिलकर सदियों में एक समृद्ध सांझा विरासत बनाई है और एक घटना या हिंसा का दौर इसे खत्म नहीं कर सकता। शांति, सम्मान और कानून पर भरोसे का रास्ता चुनकर हम न केवल अपने अतीत का सम्मान करते हैं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य भी सुनिश्चित करते हैं। आज, गंगा-जमुनी तहज़ीब के मूल्यों को अपनाने और हमें बांटने की कोशिश करने वाली शक्तियों को अस्वीकार करने का समय है। (इस लेख में छपी तस्वीर गूगल से हैदराबाद खबर से ली गई है।ख़बर ज़नपक्ष आभार व्यक्त करता है।)

जिले के विद्यार्थी साइंस एंड रिसर्च में आगे बढ़ सकते हैं – कलेक्टर व्यास,जशपुर विधायक रायमुनी ने अन्वेषण कार्यक्रम का किया उद्घाटन

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जशपुर,08 नवम्बर 2024 –  विधायक रायमुनि भगत ने संकल्प शिक्षण संस्थान में “अन्वेषण” कार्यक्रम का शुभारंभ किया, जो अंतरिक्ष विज्ञान में जिले के विद्यार्थियों को प्रेरित करने का अनूठा प्रयास है। इस अवसर पर उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम और कल्पना चावला का उदाहरण देते हुए कहा कि जिले के विद्यार्थी भी विज्ञान और अनुसंधान में करियर बना सकते हैं। कलेक्टर रोहित व्यास ने इस कार्यक्रम को विद्यार्थियों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समझ बढ़ाने का अवसर बताते हुए स्पेस साइंस में करियर की संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “अन्वेषण” के तहत जिले के विद्यालयों में स्टार गेजिंग और खगोल विज्ञान की गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। “अन्वेषण” के अंतर्गत 18 नवंबर से “अंतरिक्ष ज्ञान अभियान” भी शुरू होगा, जिसमें 45 हायर सेकेंडरी विद्यालयों के लगभग 12,000 विद्यार्थियों को चलित वैन के माध्यम से अंतरिक्ष की जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा, जिले के आठ विकासखंड मुख्यालयों में 3डी-प्लेनेटोरियम शो का आयोजन किया जाएगा, जहां विद्यार्थी ग्रहों और तारों के बीच यात्रा का अद्भुत अनुभव कर सकेंगे। शुभारंभ कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के प्रभारी विश्वासराव मस्के, जिला शिक्षा अधिकारी प्रमोद भटनागर, संकल्प प्राचार्य विनोद गुप्ता और अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।  

जिला प्रशासन-पहाड़ी बकरा-जशप्योर की कोशिश रंग लाई,देशभर से बाइकर्स जुटे

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जशपुर 08 नवम्बर 2024- प्रशासन और पहाड़ी बकरा और जशप्योर के सहयोग से जशपुर में पर्यटन एवं एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए आयोजित होने वाली बाइक यात्रा में दूर-दूर से लोग आकर्षित हो रहे हैं। जशपुर में 6 से 10 नवम्बर तक विभिन्न पर्यटन स्थल का यात्रा करेंगे पुणे से तुषार गोवर्धन और सागर तथा मुंबई से शुभम गंभीर के साथ-साथ ओडिशा से आकाश, उत्तम, उत्कर्ष और बंगाल से अमित घोष जैसे बाइकर्स ने वेबसाइट पर देशदेखा क्लाइंबिंग सेक्टर के बारे में पढ़ने के बाद इस खूबसूरत जगह की यात्रा करने के लिए प्रेरित हुए हैं और बिलासपुर से अपनी यात्रा शुरू कर दी है। पहला पड़ाव जशपुर बनाएंगे। यहां वे स्थानीय व्यंजनों का स्वाद चखेंगे और देशदेखा क्लाइंबिंग सेक्टर में रॉक क्लाइंबिंग का रोमांच अनुभव करेंगे। इसके बाद, यात्री पांड्रापाट में ऑफबीट कैंपिंग का आनंद लेने के लिए रवाना होंगे, और फिर मक्करभंजा जलप्रपात की यात्रा करेंगे। यात्रा के दौरान, वे स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए कई स्थानों की सफाई भी करेंगे। जशपुर टूर के दौरान सभी पर्यटकों को जशप्योर के सेहतमंद एवं पौष्टिक उत्पाद जैसे की मिलेट कूकीज, पास्ता, लाडू एवं विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक चायों के स्वाद से भी रूबरू कराया जायेगा ।पर्यटक महुआ सेंटर और मंथन फ़ूड लैब में जशपुर की आदिवासी महिलाओं से उनके अनुभव साझा करंगे | बातचीत करके बाइकर्स स्थानीय संस्कृति और जीवनशैली के बारे में अधिक जान पाएंगे। खासकर, तुषार जो खुद एक जैविक किसान भी हैं, वे स्थानीय आदिवासियों से जैविक खेती के तरीकों के बारे में सीखने के लिए उत्सुक हैं। इस तरह की पहल न केवल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता भी फैलाएगी। बाइकर्स के इस साहसिक कार्यक्रम से जशपुर और आसपास के क्षेत्रों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। स्थानीय लोगों के लिए भी यह एक अवसर होगा कि वे अपने क्षेत्र की खूबसूरती को एक नए नजरिए से देखें। यह यात्रा जशपुर जिला प्रशासन के उन प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिनके माध्यम से जिले को एक ऐसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है जहां पर्यावरण अनुकूल और स्थायी पर्यटन मॉडल को बढ़ावा दिया जाता है। यह यात्रा न केवल पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करने का अवसर प्रदान करती है, बल्कि स्थानीय समुदायों के जीवन और संस्कृति से भी रूबरू कराती है। जशपुर जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे इन प्रयासों से न केवल जिले का विकास होगा बल्कि यह अन्य क्षेत्रों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

कलेक्टर ने धान खरीदी की तैयारियों की समीक्षा बैठक ली

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जशपुर 06 नवम्बर 2024: आगामी धान खरीदी को लेकर कलेक्टर रोहित व्यास ने खाद्य अधिकारियों की बैठक में सभी उपार्जन केंद्रों में तैयारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने समितियों में सीसीटीवी कैमरा लगवाने, पर्याप्त बारदाने की उपलब्धता और ट्रायल रन कराने के निर्देश दिए। किसानों को 5000 रुपये तक के भुगतान की सुविधा माईको एटीएम से देने के लिए कहा गया। बगीचा में बैंक की नई शाखा 15 दिन में शुरू होगी। साथ ही, अवैध धान पर रोक के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में चेकपोस्ट स्थापित किए जाएंगे।  

बिग ब्रेकिंग: कियोस्क शाखा में गोलीबारी,एक महिला की मौत,कियोस्क संचालक घायल,पुलिस

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जशपुर,05 नवम्बर 2024 –  अभी-अभी जानकारी मिली है कि कांसाबेल थानांतर्गत बटइकेला,टोंगरीटोला गांव में एसबीआई कियोस्क ग्राहक सेवा केंद्र में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर संचालक की दादी को मौत के घाट उतार दिया है।वहीं संचालक सन्चू घायल है जिसे कांसाबेल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि दो हमलावर नकाबपोश थे जो मोटरसाइकिल में आये और सीधे दुकान में घुसकर लूटपाट करने की कोशिश करने लगे।जब नकाबपोश ग्राहक सेवा केंद्र के संचालक संजू गुप्ता को गोली मार रहे थे तो  उसकी दादी ने बहादुरी दिखाते हुए कट्टा को छीनी,जिससे हमलावरों ने 65 साल की वृद्ध महिला उर्मिला गुप्ता को मार दी। वृद्ध महिला की मौके पर ही मृत्य हो गई। इस घटना से पूरे इलाके में दहशत फैल गई है।वहीं सूचना मिलते ही घटनास्थल पर पुलिस पहुंच गई है।बताया जा रहा है कि हमलावर पैसे के लेनदेन को लेकर विवाद कर रहे थे।गोली मारने के बाद हमलावर अपनी बाइक वहीं छोड़कर जंगल मे फरार हो गए हैं।

धान खरीदी शुरू होने से पहले ही बिचौलिए बिछाने लगे बिसात! कुनकुरी में ट्रक से पकड़ाया अवैध धान

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जशपुर/कुनकुरी,05 नवम्बर2024- राज्योत्सव के साथ ही छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की तैयारी शुरू हो गई है।उधर मंडियों में बारदाने,कांटा-बाट तैयार हो रहे हैं तो मंडियों तक अवैध धान भेजने की भी तैयारी में बिचौलिए सक्रिय हो गए हैं।इस संभावना से जुड़ा पहला मामला कुनकुरी थाना क्षेत्र से सामने आया है। कुनकुरी तहसीलदार मुकदेव यादव से मिली जानकारी के अनुसार सुबह 8 बजे के करीब गोपनीय सूचना मिली कि पंडरीपानी गांव के पास रोड किनारे एक ट्रक से पिकप में धान अनलोड किया जा रहा है,जो संदिग्ध लग रहा है।जिसपर तहसीलदार अपने साथ दुलदुला तहसीलदार व कुनकुरी थाने से पुलिस बल को लेकर बताए स्थान पर पहुंचे।जहां  ट्रक खड़ा मिला जिसका मुआयना करने पर अंदर में धान से भरी बोरियां मिलीं।ट्रक चालक से पूछने पर वह गोलमोल जवाब देने लगा।धान परिवहन से सम्बंधित कोई वैध कागजात भी पेश नहीं किया। ट्रक चालक महावीर राम ने बताया कि धान जशपुर से लोड करके पत्थलगांव के राइस मिल तक ले जा रहा था लेकिन राइस मिल का नाम,पता उसे नहीं बताया गया है।ट्रक में खराबी आने से पिकअप नहीं ले रहा था जिसके कारण धान भेजनेवाला आशीष गुप्ता निवासी जशपुर छोटी गाड़ी पिकप वाहन भेजकर 150 बोरी धान उतरवा लिया। मौके पर तहसीलदार ने ट्रक के अंदर रखे तकरीबन 150 बोरी धान ट्रक समेत जब्त कर थाने में अग्रिम कार्रवाई करने के लिए भेज दिया है।ट्रक अशोक लीलैंड कम्पनी का CG15 DX 6229 भी धान भेजने वाले आशीष गुप्ता का बताया जा रहा है। इस तरह धान खरीदी से पहले धान का अवैध परिवहन करने का मामला सामने आने से लोगों में यह चर्चा है कि मंडी और बिचौलियों की सांठगांठ हो चुकी है,बस धान खरीदी शुरू हो जाये।हालांकि,प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से धान की तस्करी आसानी से होना सम्भव नहीं है।अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है?  

BIG BREAKING NEWS: सेंट्रल जेल रायपुर में दिनदहाड़े फायरिंग, पुलिस की त्वरित कार्रवाई में दो आरोपी गिरफ्तार

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रायपुर, 4 नवंबर 2024 – रायपुर के थाना गंज क्षेत्र में आज दिनदहाड़े एक बड़ा फायरिंग कांड हुआ, जिसमें मोटरसाइकिल सवार दो अज्ञात व्यक्तियों ने टिकरापारा निवासी साहिल पर फायरिंग की और घटनास्थल से फरार हो गए। यह घटना केन्द्रीय जेल रायपुर के सामने घटित हुई, जिससे पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। पुलिस को घटना की सूचना मिलते ही थाना गंज में मामला दर्ज कर लिया गया और अपराधियों की खोजबीन के लिए विशेष अभियान चलाया गया। रायपुर के पुलिस अधिकारियों ने तत्काल 10 विशेष टीमों का गठन किया, और रायपुर की सभी सीमाओं पर चेक पोस्ट लगाकर नाकेबंदी कर दी गई। पुलिस की मुस्तैदी से आरोपी रायपुर से बाहर भागने का प्रयास कर रहे थे, तभी रायपुर और दुर्ग जिले की सीमा पर नंदनवन के पास घेराबंदी कर उन्हें हिरासत में ले लिया गया। गिरफ्तार आरोपी: 1. शेख शाहनवाज उर्फ शानू महाराज, उम्र 25 साल, निवासी मौदहापारा रायपुर। 2. शाहरूख पिता मोहम्मद आरिफ, उम्र 19 साल, निवासी मौदहापारा रायपुर।   पुलिस अभी भी एक अन्य फरार आरोपी हीरा छुरा की तलाश में जुटी हुई है, जो इस घटना में संलिप्त बताया जा रहा है।  

इंटरनेट के युग में मुस्लिम युवाओं के कट्टरपंथीकरण को रोकने में मुस्लिम धर्मगुरुओं की भूमिका

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 निर्मल कुमार (लेखक सामाजिक,आर्थिक मुद्दों के जानकार हैं।यह लेख उनके निजी विचार हैं।) आज इंटरनेट हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, जिससे हम न केवल सूचना प्राप्त करते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। इसके जरिए लोग शिक्षा लेते हैं, संवाद करते हैं, और समाज का हिस्सा बनते हैं। हालांकि, सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव ने कई समस्याएं भी खड़ी की हैं। इनमें से एक गंभीर चुनौती है – इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से मुस्लिम युवाओं में कट्टरपंथ का प्रसार। कई अतिवादी संगठन जैसे इस्लामिक स्टेट (ISIS) और अल-कायदा ने इन प्लेटफार्मों का उपयोग कर युवा मुस्लिमों को अपने विचारों से आकर्षित किया है, जिससे वे हिंसक विचारधाराओं की ओर मुड़ जाते हैं। इन संगठनों ने धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग कर, इस्लाम के संदेशों को विकृत रूप में प्रस्तुत कर युवाओं को कट्टरपंथी बनने के लिए प्रेरित किया है। कट्टरपंथ का सामना करने में मुस्लिम धर्मगुरुओं का दायित्व इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में मुस्लिम धर्मगुरुओं (उलेमा) और इस्लामी संगठनों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। धर्मगुरुओं के पास वह धार्मिक ज्ञान और सामुदायिक प्रभाव होता है, जो युवाओं को सही राह दिखाने और कट्टरपंथी विचारधाराओं का मुकाबला करने के लिए आवश्यक है। उनके पास समुदाय के बीच एक ऐसा विश्वास है, जो युवाओं को सही संदेश देने में सहायक होता है। धर्मगुरुओं का सबसे प्रमुख कार्य यह है कि वे इस्लाम की उन अवधारणाओं की सही व्याख्या करें, जिन्हें आतंकवादी संगठन अपने उद्देश्य के लिए तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं। विशेषकर “जिहाद” और “शहादत” जैसे शब्दों का सही अर्थ सामने रखना जरूरी है। असल में, जिहाद का मतलब आत्म-सुधार और समाज की भलाई के लिए संघर्ष करना है, न कि हिंसा फैलाना। धर्मगुरु और इस्लामी विद्वान, कुरान के शांति, सहिष्णुता और आपसी भाईचारे के संदेशों को लोगों तक पहुंचाकर कट्टरपंथ का प्रभाव कम कर सकते हैं। इस्लाम का असली संदेश शांति, समानता और मानवता के प्रति प्रेम का है, जिसे कट्टरपंथी संगठन अपनी सुविधा अनुसार तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करते हैं। धर्मगुरु कुरान की उस आयत पर विशेष जोर दे सकते हैं, जिसमें कहा गया है कि एक निर्दोष की हत्या पूरी मानवता की हत्या के समान है (कुरान 5:32)। साथ ही, वे पैगंबर मुहम्मद साहब के जीवन से जुड़े किस्सों का उदाहरण देकर भी दिखा सकते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में कितनी बार सहिष्णुता, दया और मानवता का संदेश दिया। सोशल मीडिया पर सकारात्मक संवाद की आवश्यकता धर्मगुरुओं को यह समझना चाहिए कि आज के युवा ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर ही सक्रिय रहते हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि धर्मगुरु और इस्लामी संगठन उन ऑनलाइन स्थानों पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं, जहां अतिवादी संगठन युवाओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। यदि हम कट्टरपंथ का मुकाबला करना चाहते हैं, तो सोशल मीडिया पर युवाओं के बीच धर्मगुरुओं की एक सक्रिय उपस्थिति होनी चाहिए। इसके लिए धर्मगुरुओं को छोटे वीडियो, ब्लॉग, इन्फोग्राफिक्स और अन्य डिजिटल सामग्री बनानी चाहिए जो इस्लाम के वास्तविक संदेश को सरल और आकर्षक तरीके से युवाओं के सामने रखे। दुनियाभर में कई सफल प्रयास हो चुके हैं, जहां डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग कर कट्टरपंथ को चुनौती दी गई है। उदाहरण के लिए, यूके में क्विलियम फाउंडेशन कट्टरपंथ के खिलाफ काम कर रहा है और सोशल मीडिया के जरिए युवाओं तक शांति और सहिष्णुता का संदेश पहुंचा रहा है। इसी प्रकार, सऊदी अरब का सकीना कैंपेन सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी विचारों का विरोध कर रहा है, और संयुक्त अरब अमीरात में सवाब सेंटर आईएसआईएस के प्रचार का सामना कर रहा है। ऐसे प्रयासों को और भी बढ़ाने की जरूरत है, ताकि युवाओं को उनके भाषा और संस्कृति के अनुसार उचित और संतुलित जानकारी मिल सके। कट्टरपंथ के सामाजिक कारण और धर्मगुरुओं की भूमिका कट्टरपंथ केवल धार्मिक मुद्दा नहीं है, इसके कई सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारण भी होते हैं। बेरोजगारी, भेदभाव, गरीबी, शिक्षा की कमी और समाज में हाशिए पर होने का अहसास, ये सब कारण हैं जिनकी वजह से युवा कट्टरपंथ की ओर खिंच सकते हैं। धर्मगुरुओं और इस्लामी संगठनों को चाहिए कि वे इन मुद्दों को भी ध्यान में रखें और युवाओं को केवल धार्मिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि समाज में सशक्त बनाने के अवसर भी प्रदान करें। धर्मगुरुओं और स्थानीय मस्जिदों के साथ-साथ समुदायिक केंद्रों को भी चाहिए कि वे युवाओं के लिए रोजगार, शिक्षा और मानसिक सहयोग की सुविधाएं उपलब्ध कराएं। मस्जिदों को एक ऐसा स्थान बनाया जाना चाहिए जहां पर युवाओं को मेंटरशिप, करियर काउंसलिंग और मनोरंजन के अवसर मिल सकें। इससे न केवल उनका आत्म-सम्मान बढ़ेगा, बल्कि वे कट्टरपंथी विचारों से भी दूर रहेंगे। इसके साथ ही, इस्लामी संगठनों और धर्मगुरुओं को सरकारी एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों और नागरिक संगठनों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। एक समग्र डी-रेडिकलाइजेशन रणनीति बनाई जानी चाहिए, जिसमें युवाओं के लिए रोजगार, मानसिक स्वास्थ्य और समाज में अपनापन महसूस कराने की योजनाएं शामिल हों। अंतर-धार्मिक संवाद का आयोजन भी कट्टरपंथ का प्रभाव कम करने में सहायक हो सकता है। इससे विभिन्न समुदायों के बीच समझ और सौहार्द्र बढ़ता है, जो अतिवादी संगठनों के नकारात्मक संदेशों का सामना करने में सहायक हो सकता है। धर्मगुरुओं की भूमिका: भविष्य की ओर एक कदम मुस्लिम युवाओं का सोशल मीडिया के जरिए कट्टरपंथ की ओर बढ़ना एक गंभीर चुनौती है। इसे केवल कानून और सुरक्षा एजेंसियों के बल पर नहीं रोका जा सकता। इसके लिए धार्मिक और सामुदायिक नेताओं को जिम्मेदारी के साथ आगे आना होगा। प्रामाणिक इस्लामी शिक्षाओं का प्रचार करके, सोशल मीडिया पर सक्रिय रहकर और युवाओं के सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करके, मुस्लिम नेता और धर्मगुरु युवा मुस्लिमों को कट्टरपंथी विचारधाराओं से दूर रखने में मदद कर सकते हैं। यह लड़ाई केवल आतंकवाद को रोकने की नहीं है, बल्कि मुस्लिम समाज के सुरक्षित भविष्य की रक्षा करने की भी है। इससे युवा मुस्लिम समाज का सकारात्मक हिस्सा बन सकेंगे और एक बेहतर और समझदारी से भरी दुनिया में अपनी जगह बना सकेंगे।

इकलौते बेटे की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत: शोक-पत्र बांटने निकले युवक की मौत, साथी गंभीर घायल

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जशपुर/कुनकुरी,04 नवम्बर2024 – चराईडांड-बगीचा स्टेट हाइवे पर आज सोमवार को हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया। अपने चचेरे दादाजी की मृत्यु के शोक में शोक-पत्र बांटने निकला इकलौता बेटा, नवीन कुमार सिंह उर्फ नंदू सिंह (25 वर्ष) की इस हादसे में मौके पर ही मौत हो गई। इस हादसे में उसके साथ बैठे शिवप्रकाश सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें कुनकुरी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना दोपहर करीब 3 बजे की है, जब नवीन और शिवप्रकाश सिंह बाइक पर सवार होकर अपने गांव बरडांड (पतराटोली) से शोक-पत्र बांटने निकले थे। थाना प्रभारी सुनील सिंह के अनुसार, चराईडांड चौक से बगीचा रोड पर 100 मीटर आगे एक पिकअप वाहन से उनकी बाइक की टक्कर हो गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि नवीन कुमार सिंह की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि शिवप्रकाश को गंभीर चोटें आई हैं। पिकअप चालक फरार, वाहन पर नहीं था नंबर हादसे के बाद पिकअप चालक मौके से फरार हो गया, और पुलिस को दुर्घटना स्थल पर बिना नंबर की पिकअप मिली। यह जानकारी मिलने पर पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है और फरार पिकअप चालक की तलाश की जा रही है। इस घटना के तुरंत बाद चराईडांड के सरपंच किशोर लकड़ा ने घटनास्थल पर पहुंचकर पुलिस को सूचना दी और घायल युवक को तत्काल अस्पताल पहुंचाने में सहयोग किया। सरपंच ने कहा कि हादसा अत्यंत दुखद है और उन्होंने पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। नवीन कुमार सिंह की असमय मृत्यु से परिवार और गांव के लोग गहरे सदमे में हैं। नवीन परिवार का इकलौता बेटा था, और अपने चचेरे दादाजी दिगम्बर सिंह के शोक में शोक-पत्र बांटने निकला था। इस दुखद हादसे ने सभी को भावुक कर दिया है, और क्षेत्र में शोक का माहौल है। पुलिस ने क्षेत्र के लोगों से अपील की है कि वे ट्रैफिक नियमों का पालन करें और सड़कों पर विशेष सावधानी बरतें। पिकअप चालक की पहचान और गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, और उम्मीद है कि जल्द ही दोषी को हिरासत में लिया जाएगा। इस हृदयविदारक घटना से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। नवीन की असामयिक मौत ने न केवल परिवार बल्कि पूरे समुदाय को स्तब्ध कर दिया है। पुलिस द्वारा इस मामले में त्वरित कार्रवाई से लोगों में न्याय की उम्मीद बनी हुई है।  

बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का बड़ा बयान, नक्सलवाद से बड़ा खतरा है धर्मांतरण, बस्तर और जशपुर को लेकर किया बड़ा खुलासा

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कांकेर,04 नवंबर2024 – बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने रविवार को कांकेर में धर्मांतरण को लेकर एक बड़ा और कड़ा बयान दिया। धीरेन्द्र शास्त्री ने इसे नक्सलवाद से भी गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि धर्मांतरण का निशाना केवल व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरा समाज है। उन्होंने धर्मांतरण को रोकने के लिए देशभर में पदयात्रा करने का संकल्प लिया है और जल्द ही छत्तीसगढ़ के बस्तर और जशपुर में कथावाचन करने की घोषणा की है। मीडिया से बात करते हुए धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कई आदिवासी क्षेत्रों में आज भी भोले-भाले लोगों को लालच देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जहां अन्य समुदायों में एकता है, वहीं हिन्दू समाज में एकजुटता की कमी है, जिसे दूर करने के लिए वह कार्य कर रहे हैं। उनका उद्देश्य हिन्दू समाज को एकत्रित करना है ताकि धर्मांतरण जैसी समस्याओं का सामना किया जा सके। इसके साथ ही, उन्होंने मिशनरियों के स्कूलों की शिक्षा के बजाय गुरुकुल शिक्षा पद्धति अपनाने की सलाह दी। कांकेर में धर्म वापसी, 11 परिवारों ने लिया हिन्दू धर्म में लौटने का संकल्प पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के कार्यक्रम के दौरान एक महत्वपूर्ण घटना भी घटी, जब मिशनरी समाज में शामिल हो चुके 11 परिवारों ने वापस हिन्दू धर्म में लौटने का संकल्प लिया। इस धर्म वापसी से धीरेन्द्र शास्त्री के मिशन को और भी बल मिला। पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने अपने कांकेर से पुराने संबंधों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वह कई साल पहले कांकेर में लंबा समय बिता चुके हैं और यहां के पहाड़ा वाली मां भुनेश्वरी के दरबार में उनकी आस्था गहरी है। आने वाले समय में बस्तर और जशपुर में होंगे कथावाचन,देशभर में करेंगे पदयात्रा धर्मांतरण को रोकने के संकल्प के तहत पंडित धीरेन्द्र शास्त्री जल्द ही बस्तर और जशपुर में भी कथावाचन करेंगे। उन्होंने कहा कि ये क्षेत्र उनकी प्राथमिकता में हैं, जहां वह धर्मांतरण की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करेंगे और लोगों को धर्मांतरण से बचने के लिए प्रेरित करेंगे। पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने धर्मांतरण को रोकने के लिए देशभर में पदयात्रा करने की घोषणा की है। उनका मानना है कि यह एक सामाजिक आंदोलन है, जिसे समाज के सभी वर्गों का समर्थन चाहिए। उन्होंने कहा, “नक्सलवाद से भी ज्यादा खतरनाक धर्मांतरण है, इसे रोकना हमारी प्राथमिकता है।” इस कड़े और दृढ़ संकल्प के साथ धीरेन्द्र शास्त्री का “मिशन अगेंस्ट धर्मांतरण” न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में हिन्दू समाज को जोड़ने और धर्मांतरण के खिलाफ एकजुट करने के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है।