जशपुर पुलिस ने फरार आरोपियों पर घोषित किया नकद इनाम, 8 प्रकरणों में कुल 40 हजार का इनाम

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जशपुर, 17 अक्टूबर 2024: जिले में कानून व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से जशपुर पुलिस ने फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए नकद इनाम की घोषणा की है। पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने विभिन्न गंभीर अपराधों में फरार आरोपियों की गिरफ्तारी में मदद करने वाले लोगों के लिए कुल 40,000 रुपये का इनाम घोषित किया है। इस इनाम के तहत हर मामले में 5000 रुपये की राशि दी जाएगी। पुलिस ने अपील की है कि जो कोई भी इन फरार आरोपियों की पुख्ता जानकारी देगा, उसका नाम पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा। प्रमुख फरार आरोपी और उनके खिलाफ प्रकरण: 1. अन्नू घांसी: वर्ष 2011 में हत्या के प्रयास और अन्य गंभीर अपराधों में लिप्त आरोपी अन्नू घांसी (25), जो आरा चौकी, जशपुर का निवासी है, घटना के बाद से फरार है। 2. प्रेम कुमार गेडाम: धार्मिक सौहार्द्र बिगाड़ने के आरोपी प्रेम कुमार गेडाम, जो महाराष्ट्र के चंद्रपुर का निवासी है, 2022 में अपराध करने के बाद से फरार है। 3. कृष्णा यादव: लूट और डकैती के आरोपी कृष्णा यादव (20), निवासी बिदुरपुर यादवपारा, फरसाबहार, 2023 में वारदात के बाद से फरार है। 4. मो. शहीद खान: छत्तीसगढ़ कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम के उल्लंघन के मामले में आरोपी शहीद खान (40), गुमला (झारखंड) का निवासी है, जो जनवरी 2023 से फरार है। 5. लाल खान उर्फ लल्लू खान: पशु तस्करी के मामलों में लिप्त और 2022 से फरार चल रहे लाल खान पर भी इनाम की घोषणा की गई है। 6. उमेश यादव: हत्या के प्रयास और अन्य गंभीर अपराधों में फरार उमेश यादव (2019 से), जो करडेगा, जशपुर का निवासी है, पर भी इनाम घोषित किया गया है। 7. मनोज कण्डुलना: सिमडेगा (झारखंड) निवासी मनोज कण्डुलना, जो डकैती और आम्र्स एक्ट के तहत फरार है, पर भी इनाम घोषित किया गया है। 8. इन्ताब खान और अन्य: पशु क्रूरता और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामलों में फरार इन्ताब खान और उसके साथी, जो 2020 से फरार हैं, पर भी इनाम की घोषणा की गई है।   पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने जनता से अपील की है कि फरार अपराधियों की गिरफ्तारी में मदद करें। जो कोई भी व्यक्ति इन आरोपियों की जानकारी देगा, उसका नाम गुप्त रखा जाएगा और उसे 5000 रुपये का नकद इनाम दिया जाएगा। संपर्क के लिए महत्वपूर्ण फोन नंबर: 1. पुलिस अधीक्षक जशपुर: 9479193600 2. अति. पुलिस अधीक्षक: 9479193601 3. पुलिस अनु. अधि.: 9479193605 4. थाना प्रभारी कुनकुरी: 9479193613 5. थाना प्रभारी जशपुर: 9479193608 6. थाना प्रभारी तपकरा: 9479193609    

बिलासपुर में गरीब और मध्यमवर्गीय पर कड़ी कार्यवाही, बड़े भू-माफियाओं को राहत क्यो?

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बिलासपुर,17 अक्टूबर 2024: कलेक्टर अवनीश शरण द्वारा शासकीय भूमि पर अवैध कब्जों के खिलाफ की जा रही कार्यवाही इन दिनों चर्चा में है। मोपका के खसरा नंबर 993 और खमतराई के खसरा नंबर 551 पर की गई कार्रवाई ने लोगों का ध्यान खींचा है, जहां अवैध कब्जे हटाए गए और जमीन बेचने वालों पर एफआईआर दर्ज की गई। जनता इसे सराह रही है, क्योंकि शासकीय भूमि को बचाने के प्रयास दिख रहे हैं। लेकिन इस अभियान का एक और पक्ष है, जो  आम जनता के सामने नहीं आया है। कलेक्टर, नगर निगम कमीशनर, एसडीएम, और पुलिस की संयुक्त कार्यवाही में ज्यादातर गरीब और मध्यमवर्गीय लोग प्रभावित हो रहे हैं। इन लोगों ने किसी न किसी जाल में फंसकर अवैध जमीन खरीदी थी। अब न उनके पास जमीन बची और न ही उनके द्वारा दिए गए पैसे वापस मिल रहे हैं।अब ऐसे लोग न घर के रहे न घाट के। वहीं, बड़े भू-माफियाओं द्वारा कब्जाई गई कीमती शासकीय जमीनों पर कार्यवाही की रफ्तार धीमी नजर आ रही है। सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इन माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने में हिचकिचा रहा है? लिंगियाडीह में शासकीय भूमि पर माफियाओं का कब्जा बिलासपुर के लिंगियाडीह क्षेत्र में खसरा नंबर 54/1 की शासकीय भूमि, जो करोड़ों रुपये मूल्य की है, पर बड़े भू-माफियाओं का कब्जा है। जनवरी 2024 में इस कब्जे की शिकायत कलेक्टर और एसडीएम को की गई थी, लेकिन दस महीने बीतने के बाद भी इस जमीन को मुक्त नहीं कराया गया है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या प्रशासन केवल गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों पर ही कार्यवाही कर रहा है, जबकि बड़े माफियाओं पर कार्रवाई करने से कतरा रहा है?

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक: धान खरीदी, रोजगार और ग्रामीण पेयजल योजनाओं पर अहम फैसले

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रायपुर, 16 अक्टूबर 2024 – मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 के लिए धान उपार्जन और कस्टम मिलिंग की नीति को अनुमोदित किया गया। राज्य में धान खरीदी 14 नवंबर 2024 से शुरू होकर 31 जनवरी 2025 तक चलेगी। धान खरीदी के लिए किसानों का पंजीकरण 31 अक्टूबर तक जारी रहेगा और इस वर्ष 160 लाख टन धान उपार्जन का अनुमान है। किसानों को बायोमेट्रिक प्रणाली से टोकन जारी किए जाएंगे और इलेक्ट्रॉनिक तौल यंत्रों से धान की खरीद होगी। धान की सुरक्षित भंडारण के लिए 8 लाख गठान बारदाने की आवश्यकता है, जिसमें से 4.02 लाख गठान जूट कमिश्नर के माध्यम से खरीदे जाएंगे। रोजगार और अनुकम्पा नियुक्ति के फैसले मंत्रिपरिषद ने सहकारी समितियों में कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटरों को 18,420 रुपये प्रतिमाह मानदेय के रूप में 12 महीने का भुगतान करने का निर्णय लिया। इस पर कुल 60.54 करोड़ रुपये का व्यय होगा। इसके अलावा, दिवंगत पंचायत संवर्ग के शिक्षकों के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति देने का निर्णय लिया गया। ग्राम पंचायतों में पेयजल की सुविधा बैठक में छत्तीसगढ़ ग्रामीण पेयजल संचालन एवं संधारण नियम, 2024 को मंजूरी दी गई। इसके तहत राज्य के हर ग्राम पंचायत के घरों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। आयु सीमा में छूट छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा में सूबेदार, उप निरीक्षक, और प्लाटून कमांडर के पदों पर भर्ती के लिए एक बार के लिए अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट देने का निर्णय लिया गया। सभी छूटों के साथ यह आयु सीमा 45 वर्ष से अधिक नहीं होगी। अन्य महत्वपूर्ण निर्णय राज्य के राजनीतिक आंदोलनों से जुड़े 49 प्रकरणों को जनहित में न्यायालय से वापस लेने का निर्णय लिया गया। लोकतंत्र सेनानियों की अंत्येष्ठि को राजकीय सम्मान के साथ करने और परिवार को 25 हजार रुपये की सहायता राशि देने का फैसला भी लिया गया। औद्योगिक नीति के तहत स्टील डाउन स्ट्रीम प्रोजेक्ट्स, एथेनॉल इकाइयों, और सीमेंट उद्योगों के लिए विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज को भी मंजूरी दी गई। ये निर्णय राज्य की आर्थिक, सामाजिक, और औद्योगिक विकास को गति देने के उद्देश्य से लिए गए हैं।  

खबर खास : आदिवासी ज़मीन पर भूमाफियाओं का ऐसा फर्जीवाड़ा ! प्रशासन की अनियमितताओं से आदिवासी समुदाय पर गहरा संकट

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छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा सम्भाग में आदिवासियों की जमीनों पर भूमाफिया लगातार गिद्धों की तरह हमला कर रहे हैं।ये भूमाफिया इतने संगठित हैं कि सरकार किसी की भी हो इनके काम में कोई फर्क नहीं पड़ता।ये सरकार के हिसाब से अपने चेहरे बदल लेते हैं।पढ़िए बस्तर से यह खास रिपोर्ट,,, बस्तर,16 अक्टूबर 2024 –  आदिवासी ज़मीनों पर कब्जे से जुड़े एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें स्थानीय भूमाफिया और कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है। यह घोटाला बस्तर के जगदलपुर से सटे ग्राम तुसेल का है, जहाँ भूमाफियाओं ने सरकारी अधिकारियों की सहायता से आदिवासियों की ज़मीनों पर अवैध कब्जा कर लिया। इस साजिश का शिकार बने मासे पिता डोरा, जो माड़िया जनजाति से थे, उनकी मृत्यु के बाद उनकी ज़मीन को फर्जी दावों के आधार पर हड़प लिया गया। मासे पिता डोरा की ज़मीन का अवैध कब्जे की कहानी इस प्रकरण की शुरुआत लगभग 15 साल पहले हुई, जब ग्राम तुसेल निवासी मासे पिता डोरा की मृत्यु के बाद उनकी ज़मीन (खसरा नं. 104, रकबा 4 एकड़) पर भूमाफियाओं की नज़रें गड़ीं। इस ज़मीन को कोंडागांव निवासी भदरू पिता चैतू के नाम अवैध रूप से दर्ज करवा दिया गया। इस प्रक्रिया में स्थानीय भूमाफिया,पटवारी की भूमिका संदिग्ध रही, जिन्होंने बिना किसी वैध दस्तावेज़ के ज़मीन के नामांतरण को अंजाम दिया। यह मामला प्रशासनिक भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण है, जहाँ ज़मीन की हेराफेरी में जिम्मेदार अधिकारियों ने जानबूझकर आंखें मूंद लीं। फर्जी दावे और धोखाधड़ी का सिलसिला: भदरू की पत्नी का दावा भदरू की मृत्यु के बाद भूमाफियाओं ने एक और चाल चली। भदरू की पत्नी रुकाय ने तहसील न्यायालय में फौती का आवेदन दाखिल किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि यह ज़मीन उनके पति की थी। जबकि यह ज़मीन 1961 में शासन द्वारा आदिवासी मासे पिता डोरा को आबंटित की गई थी। रुकाय ने आवेदन में खुद को मुरिया जनजाति से बताया, जबकि असल दस्तावेज़ों के अनुसार यह ज़मीन माड़िया जनजाति के डोरा की थी। इस धोखाधड़ी में स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है, जिन्होंने जातीय हेरफेर कर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। प्रशासनिक अनियमितताएं और तहसीलदार की भूमिका इस मामले में तहसीलदार और बाबू की संदिग्ध भूमिका ने घोटाले को और गंभीर बना दिया। पहले तहसीलदार, रुपेश मरकाम ने 31 मई 2024 को एक आदेश जारी किया था। लेकिन दो महीने बाद एक अन्य नायब तहसीलदार ने उसी प्रकरण क्रमांक पर पुनः ऑफलाइन नोटशीट के आधार पर, बिना उचित दस्तावेज़ों की जांच किए, 27 जुलाई 2024 को ज़मीन फौती नामांतरण का आदेश जारी कर दिया। इस दोहरे आदेश ने ग्रामीणों के बीच संदेह उत्पन्न कर दिया है कि पहले जारी किया गया आदेश अभी तक क्यों छिपा रखा गया है? ग्रामीणों का मानना है कि यह आदेश शायद इस घोटाले को उजागर कर सकता था, जिसे जानबूझकर दबा दिया गया। 15 साल बाद घोटाले का खुलासा और पंचायत की प्रतिक्रिया करीब 15 साल बाद, जब भूमाफियाओं ने इस ज़मीन को बेचने की कोशिश की, तब ग्राम पंचायत को इसकी जानकारी मिली। पंचायत के उपसरपंच त्रिपाठी ने तत्काल इस मामले की शिकायत जगदलपुर के एसडीएम से की। उपसरपंच ने बताया कि पहले उन्हें इस ज़मीन पर हो रही गतिविधियों की जानकारी नहीं थी, लेकिन जब यह बात सामने आई कि ज़मीन की खरीद-फरोख्त की जा रही है, तब उन्होंने त्वरित कार्रवाई की। ग्राम तुसेल के ग्रामीणों और पंचायत के सदस्यों ने इस घोटाले पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह धोखाधड़ी सिर्फ ज़मीन पर कब्जा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनकी आजीविका, अधिकार और उनकी संस्कृति पर सीधा हमला है। ग्रामीणों ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है और कहा कि यह मामला प्रशासनिक भ्रष्टाचार का जीवंत उदाहरण है। दोषियों पर हो कार्यवाही अन्यथा धरना प्रदर्शन : प्रकाश ठाकुर सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने हाल ही में हुए ज़मीन घोटाले की कड़ी निंदा करते हुए इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रशासन को इस प्रकार की धोखाधड़ी और घोटालों के मामलों में अब सख्त रुख अपनाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। प्रकाश ठाकुर का कहना है कि आदिवासी समुदाय की भूमि के साथ बार-बार धोखाधड़ी होती रही है, जिससे उनकी आजीविका और अधिकारों पर सीधा असर पड़ता है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि वह जमीनी मामलों में पारदर्शिता सुनिश्चित करे और पंचायतों एवं ग्राम समितियों को सशक्त करे, ताकि भूमि से जुड़े मामलों में आदिवासी समुदाय की सुरक्षा हो सके। प्रकाश ठाकुर ने यह भी स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई नहीं की, तो सर्व आदिवासी समाज सड़क पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएगा। उनका कहना है कि अगर उनके समुदाय के अधिकारों की अनदेखी की गई तो वे धरना प्रदर्शन करेंगे और तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक न्याय नहीं मिल जाता। प्रकाश ठाकुर की यह चेतावनी आदिवासी समाज के भीतर बढ़ते असंतोष और हताशा का स्पष्ट संकेत है। यदि प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया, तो भविष्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और आंदोलन की संभावना है, जो न केवल प्रशासन बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। सर्व आदिवासी समाज की यह मांग है कि ज़मीन से जुड़े घोटालों पर तत्काल कार्रवाई हो और दोषियों को सजा मिले, ताकि भविष्य में कोई भी आदिवासी समुदाय की जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा या धोखाधड़ी करने का साहस न कर सके। इस प्रकरण ने यह उजागर किया है कि किस प्रकार भूमाफिया और प्रशासनिक अधिकारी मिलकर आदिवासियों की ज़मीनों को हड़पने का प्रयास कर रहे हैं। यह सिर्फ एक ज़मीन से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समुदायों के अस्तित्व और उनके अधिकारों पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस घोटाले पर क्या कदम उठाता है और आदिवासी समुदाय की ज़मीनों की रक्षा के लिए किस प्रकार के ठोस कदम उठाए जाते हैं। इस मामले में जगदलपुर तहसीलदार रूपेश … Read more

*वक्फ संपत्तियों का अधूरा उपयोग और दुरुपयोग: सुधारों की आवश्यकता*

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(निर्मल कुमार) वक्फ, एक इस्लामी संस्था है जो परोपकारी संपत्तियों के दान के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका उद्देश्य संपत्ति या संपत्ति को अल्लाह की सेवा और जनता के लाभ के लिए समर्पित करना है। एक बार संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया जाता है, तो इसे धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए सौंप दिया जाता है और इसे रद्द, बेचा या बदला नहीं जा सकता। इन संपत्तियों से प्राप्त आय का उपयोग कब्रिस्तानों, मस्जिदों, मदरसों, अनाथालयों, अस्पतालों और शैक्षिक संस्थानों जैसी आवश्यक जन सेवाओं के लिए किया जाता है, जो सभी समुदायों की सेवा करते हैं। हालांकि, भारत में वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और अधूरी उपयोगिता को लेकर लंबे समय से चिंता जताई जा रही है, जिसमें भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और अतिक्रमण के आरोप लगातार लगते रहे हैं। उत्तर प्रदेश (यूपी), जहां वक्फ संपत्तियों की विशाल होल्डिंग है, इस संस्था के कुप्रबंधन का एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। राज्य में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड 1.5 लाख से अधिक संपत्तियों का प्रबंधन करता है, जबकि शिया वक्फ बोर्ड के तहत 12,000 से अधिक संपत्तियां आती हैं, सितंबर 2022 तक। इन संपत्तियों के बावजूद, इनका प्रबंधन कई विवादों में उलझा रहा है। यूपी और झारखंड वक्फ बोर्डों के प्रभारी सैयद एजाज अब्बास नकवी के नेतृत्व वाली एक तथ्य-खोज समिति ने गंभीर अनियमितताओं का खुलासा किया। उदाहरण के लिए, यह आरोप लगाया गया कि मंत्री आज़म खान ने अपने पद का दुरुपयोग करके वक्फ फंड को एक निजी ट्रस्ट में स्थानांतरित कर दिया, जिसे उन्होंने स्थापित किया था। रिपोर्ट में किराया संग्रह रिकॉर्ड में विसंगतियों की ओर भी इशारा किया गया और इस बात पर प्रकाश डाला गया कि यूपी के सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड दोनों वक्फ संपत्तियों को अवैध रूप से बेचने और स्थानांतरित करने में शामिल थे। इसका परिणाम 2019 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा मामले की जांच में हुआ, जिससे भ्रष्टाचार की व्यापकता पर प्रकाश डाला गया। यूपी और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित दारगाह बाबा कपूर की वक्फ संपत्ति, जो 550 गांवों में फैली हुई है, इन समस्याओं का एक और उदाहरण है। इस संपत्ति से होने वाली आय वक्फ बोर्ड तक नहीं पहुंचती, जिससे जनता में असंतोष पैदा होता है। एक अन्य उदाहरण में, दफनाने के उद्देश्य से आरक्षित वक्फ भूमि को एक मॉल बनाने के लिए स्थानीय राजनेताओं को बेच दिया गया, जिससे मुस्लिम समुदाय में आक्रोश फैल गया। यूपी में जो स्थिति है वह अकेली नहीं है। पूरे भारत में, वक्फ संपत्तियों को डेवलपर्स, राजनेताओं, नौकरशाहों और तथाकथित “भू-माफिया” द्वारा निशाना बनाया गया है। वक्फ भूमि अचल होती है, फिर भी कई संपत्तियां कम दरों पर लीज़ पर दी गईं या बेची गईं, और आय भ्रष्ट अधिकारियों की जेबों में चली गई। इसके अलावा, कई राज्य बोर्डों पर अवैध किकबैक के बदले वक्फ भूमि को निजी खरीदारों को बेचने का आरोप है, जो रियल एस्टेट की बढ़ती मांग से प्रेरित है। जैसे-जैसे भूमि अधिक मूल्यवान होती जा रही है, वक्फ संपत्तियां, जो जन कल्याण के लिए होती हैं, भ्रष्टाचार के प्राथमिक लक्ष्य बन रही हैं। अगस्त 2024 में, भारतीय सरकार ने वक्फ बोर्डों को सुव्यवस्थित करने और संपत्तियों के अधिक प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दो विधेयक पेश किए, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024। प्रस्तावित प्रमुख संशोधनों में से एक वक्फ संपत्तियों का अनिवार्य पंजीकरण है, जो जिला कलेक्टर को यह निर्धारित करने का अधिकार देता है कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं। हालांकि, यह प्रावधान जिला कलेक्टर के कार्यालय पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है, जिससे पंजीकरण प्रक्रिया धीमी हो सकती है। पारदर्शिता और जवाबदेही के नाम पर एक निजी इकाई के नियमन में अत्यधिक सरकारी हस्तक्षेप वक्फ बोर्डों की धार्मिक स्वायत्तता को कमजोर कर सकता है। एक अन्य विवादास्पद परिवर्तन यह है कि वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के लिए मुस्लिम होना अनिवार्य नहीं है। आलोचकों का तर्क है कि इस तरह के संशोधन वक्फ बोर्डों की धार्मिक स्वायत्तता का उल्लंघन करते हैं, जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में निहित है। भारत में वक्फ संपत्तियों का मुद्दा तुरंत और निष्पक्ष रूप से समाप्त किया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार और अतिक्रमण को रोकने के लिए सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक है, लेकिन इसे वक्फ बोर्डों की धार्मिक स्वायत्तता को बनाए रखने की आवश्यकता के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करके, इन संपत्तियों से उत्पन्न आय का उपयोग मुस्लिम समुदाय को उठाने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि अधिक कब्रिस्तानों, स्कूलों और कॉलेजों का निर्माण। वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग और उनका अधूरा उपयोग न केवल इन संपत्तियों के परोपकारी उद्देश्यों के साथ विश्वासघात है, बल्कि सामाजिक विकास के लिए एक खोया हुआ अवसर भी है। वक्फ बोर्डों को प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए, उनके संचालन को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करना होगा, और सुधारों को ईमानदारी से लागू किया जाना चाहिए। तभी वक्फ संपत्तियां वास्तव में जनता के हित में काम कर सकेंगी, जैसा कि उनका उद्देश्य था। (लेखक सामाजिक,आर्थिक मामलों के जानकार हैं।यह उनके निजी विचार हैं।)

एयर इंडिया फ्लाइट बम धमकी मामले में राजनांदगांव के नाबालिग से पूछताछ, सुरक्षा एजेंसियों की जांच तेज,पिता के साथ नाबालिग को लेकर जांच एजेंसी मुंबई निकली

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राजनांदगांव, 15 अक्टूबर 2024: मुंबई से न्यूयॉर्क जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट को बम से उड़ाने की धमकी देने के मामले में राजनांदगांव के एक 17 वर्षीय नाबालिग किशोर से पूछताछ की जा रही है। इस धमकी के बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर द्वारा गठित 5 सदस्यीय जांच टीम राजनांदगांव पहुंची, जहां एक स्थानीय कारोबारी के बेटे से पूछताछ की जा रही है। इस पूछताछ के बाद नाबालिग को उसके पिता के साथ सुरक्षा एजेंसी की टीम मुंबई लेकर रवाना हो गई है। फ्लाइट में बम की अफवाह से मचा हड़कंप धमकी के बाद फ्लाइट में अफरा-तफरी मच गई थी। फ्लाइट को तुरंत दिल्ली की ओर डायवर्ट कर सुरक्षित लैंड कराया गया। फ्लाइट संख्या AI-119, जिसने मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से न्यूयॉर्क के लिए देर रात दो बजे उड़ान भरी थी, में 239 यात्री सवार थे। टेकऑफ के थोड़े ही समय बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “X” (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से फ्लाइट को बम से उड़ाने की धमकी मिली। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने सक्रिय होकर फ्लाइट की आपातकालीन लैंडिंग करवाई। जांच के दौरान फ्लाइट में किसी बम की पुष्टि नहीं हो सकी। प्रारंभिक जांच के आधार पर यह पाया गया कि धमकी राजनांदगांव से जुड़े एक 17 वर्षीय किशोर के सोशल मीडिया अकाउंट से की गई थी। सुरक्षा एजेंसियों ने मुंबई पुलिस की मदद से राजनांदगांव पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद किशोर और उसके परिवार से पूछताछ की जा रही है। एएसपी राहुल देव शर्मा ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा, “ट्विटर (X) के माध्यम से एयर इंडिया फ्लाइट में बम की धमकी दी गई थी, जिसके बाद फ्लाइट को सुरक्षित दिल्ली की ओर डायवर्ट किया गया। इस मामले में राजनांदगांव पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच की गई, और महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है।” फोन हैकिंग और साइबर एंगल की जांच धमकी से जुड़े इस मामले में एक और जांच सामने आई है। बताया जा रहा है कि जिस व्यक्ति के फोन को हैक कर धमकी भरा संदेश सोशल मीडिया पर डाला गया था, उससे भी सुरक्षा एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं। जांच एजेंसियां साइबर क्राइम के एंगल से भी इस मामले की पड़ताल कर रही हैं।इस धमकी के बाद सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हो गई है।  

बृजमोहन की सीट पर 13 नवम्बर को उपचुनाव: चुनावी बिगुल बजा, बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने

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रायपुर, 15 अक्टूबर 2024: रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान होते ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। बृजमोहन अग्रवाल के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई इस सीट पर अब 13 नवंबर को उपचुनाव होगा, जबकि 23 नवंबर को मतगणना होगी। चुनाव आयोग ने 18 अक्टूबर को नोटिफिकेशन जारी करने का फैसला किया है, जिसके बाद 25 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल किए जाएंगे, और नाम वापसी की अंतिम तारीख 30 अक्टूबर तय की गई है। बीजेपी की चुनौती: गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी रायपुर दक्षिण सीट बीजेपी का मजबूत किला माना जाता है, जहां से लगातार बृजमोहन अग्रवाल चुनाव जीतते आ रहे थे। लोकसभा चुनाव 2024 में सांसद बनने के बाद उनके इस्तीफे से यह सीट खाली हुई। अब पार्टी के सामने इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखने की बड़ी चुनौती है। हाल ही में रायपुर दक्षिण सीट के उपचुनाव के लिए बीजेपी ने अपने संभावित उम्मीदवारों पर मंथन किया। इस बैठक में सुनील सोनी, संजय श्रीवास्तव, केदार गुप्ता, मीनल चौबे, नंदन जैन और सुभाष तिवारी जैसे वरिष्ठ नेताओं के नामों पर विचार किया गया। जातिगत समीकरणों और जीत की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए तीन नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया है, जिनमें से एक को जल्द ही पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा। भाजपा के लिए यह उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस सीट से हार का मतलब होगा पार्टी के गढ़ में दरार आना, जो विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। कांग्रेस की आक्रामक रणनीति: हर हाल में जीतने की तैयारी कांग्रेस, जिसने इस सीट पर कभी जीत हासिल नहीं की, इस बार पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर रही है। पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए व्यापक रणनीति बनाई है और इसके तहत एक नौ सदस्यीय चुनाव प्रबंधन समिति का गठन किया गया है। इस समिति में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा, रविन्द्र चौबे, मोहन मरकाम, शिव डहरिया, जयसिंह अग्रवाल, पूर्व पीसीसी चीफ धनेंद्र साहू और पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा जैसे दिग्गज शामिल हैं। कांग्रेस की योजना है कि इस सीट को जीतकर एक बड़ा संदेश दिया जाए, और इसके लिए वह जमीनी स्तर पर जातिगत और सामाजिक समीकरणों को साधने में जुट गई है। कांग्रेस की नजर भाजपा के अंतर्विरोधों और सीट खाली होने के बाद बनी असमंजस की स्थिति पर है, जिसे वह अपने पक्ष में भुनाना चाहती है। क्यों है यह चुनाव महत्वपूर्ण? रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर पिछले दो दशकों से भाजपा का कब्जा है। बृजमोहन अग्रवाल ने 2023 के विधानसभा चुनाव में यहां से बड़ी जीत दर्ज की थी और बाद में छत्तीसगढ़ सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए गए थे। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में रायपुर से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे उपचुनाव की नौबत आई। अब भाजपा के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है, वहीं कांग्रेस इसे जीतकर अपने प्रदर्शन में सुधार करने का सुनहरा मौका मान रही है। इस चुनाव के नतीजे राज्य की राजनीति पर भी व्यापक असर डाल सकते हैं, खासकर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले। रायपुर दक्षिण सीट पर होने वाले इस उपचुनाव को लेकर क्षेत्र के मतदाताओं में भी उत्सुकता है। जनता के बीच यह चर्चा का विषय है कि भाजपा अपने गढ़ को बचा पाएगी या कांग्रेस इस बार कोई इतिहास रचेगी। दोनों ही पार्टियों के लिए यह चुनाव बेहद अहम साबित हो सकता है, क्योंकि इसके नतीजे आने वाले चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित करेंगे।  

ऐतिहासिक उपलब्धि :  जशपुर के 30 बच्चों के नाम पहुंचेंगे बृहस्पति के उपग्रह यूरोपा,मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय व कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल को कहा – थैंक्यू सर

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यूरोपा क्लीपर स्पेसक्राफ्ट के साथ अंतरिक्ष यात्रा पर बच्चों के नाम हुए रवाना, 2030 में पहुंचेगा यूरोपा पर नासा का मिशन जशपुर, 15 अक्टूबर 2024: जशपुर जिले के 30 बच्चों के नाम अब अंतरिक्ष में भेजे गए हैं, जो बृहस्पति के उपग्रह यूरोपा तक की यात्रा पर निकले हैं। नासा के यूरोपा क्लीपर नामक अंतरिक्ष यान ने सोमवार को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी। इस यान का उद्देश्य बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर जीवन की संभावनाओं की तलाश करना है। इस ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा में जशपुर के बच्चों, शिक्षकों और जिलाधीश डॉ. रवि मित्तल के नाम भी सिलिकॉन चिप में दर्ज किए गए हैं। इन नामों के साथ यह यान 2030 में यूरोपा पर पहुंचेगा। नवसंकल्प शिक्षण संस्थान के विषय विशेषज्ञ विवेक पाठक ने बताया कि इस पहल का मकसद बच्चों में विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति रुचि जागरूक करना है। इससे पहले भी नासा के परसिविएन्स रोवर के जरिए जिले के सैंकड़ों बच्चों के नाम मंगल ग्रह पर भेजे गए थे। गम्हरिया की छात्रा आकांक्षा तिर्की ने इस अवसर पर कहा, “हमारे नाम के साथ हम महसूस कर रहे हैं कि हम भी अंतरिक्ष की यात्रा कर रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है।” वहीं, छात्रा प्रीति निराला ने कहा, “अब जब भी बृहस्पति को देखेंगे, हमें गर्व होगा कि हमारे नाम यूरोपा पर पहुंच गए हैं।” यह पहल बच्चों में विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और जिला प्रशासन को इस ऐतिहासिक प्रयास के लिए आभार व्यक्त किया गया।    

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मां दंतेश्वरी की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना की,देखें तस्वीरें

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जगदलपुर, 15 अक्टूबर 2024: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने एक दिवसीय बस्तर प्रवास के दौरान जगदलपुर के राजवाड़ा परिसर स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना की। उन्होंने प्रदेश की जनता की सुख-समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की। मुख्यमंत्री के साथ बस्तर दशहरा के माटीपुजारी कमल चंद भंजदेव, वनमंत्री केदार कश्यप, सांसद महेश कश्यप, कांकेर सांसद भोजराज नाग, विधायक किरण देव, कोंडागांव विधायक लता उसेंडी, चित्रकोट विधायक विनायक गोयल, दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी ने भी मां दंतेश्वरी की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर पूर्व सांसद, विधायक, पार्षदगण, क्षेत्र के अन्य जनप्रतिनिधि तथा बस्तर कमिश्नर डोमन सिंह, आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस., पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा समेत जिला प्रशासन के अधिकारी भी उपस्थित रहे। प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री साय के इस धार्मिक यात्रा का उद्देश्य बस्तर दशहरा की परंपराओं का सम्मान करना और प्रदेशवासियों के कल्याण के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना था।  

बिग ब्रेकिंग: सूरजपुर दोहरे हत्याकांड का आरोपी कुलदीप साहू गिरफ्तार,पूछताछ जारी

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सूरजपुर,15 अक्टूबर 2024 : दोहरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी कुलदीप साहू को बलरामपुर पुलिस ने झारखंड की ओर से आ रही एक यात्री बस से गिरफ्तार कर लिया है। फिलहाल आरोपी को साइबर सेल में रखा गया है, जहां उससे पूछताछ की जा रही है। कुलदीप साहू ने सूरजपुर में कोतवाली थाना के प्रधान आरक्षक तालिब शेख के घर का दरवाजा तोड़कर उसकी पत्नी और मासूम बेटी की धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी थी। इसके बाद दोनों के शवों को पीढ़ा गांव के गोठान के पास फेंक दिया। इस खौफनाक घटना से पहले, कुलदीप साहू ने कोतवाली थाना के सामने प्रधान आरक्षक तालिब शेख और प्रधान आरक्षक उदय सिंह को कार से कुचलने की भी कोशिश की थी। रात में एक अन्य आरक्षक पर उबलता तेल डालकर हमला किया, जिसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर रेफर किया गया। एसपी एम आर आहिरे ने आज सुबह लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी और आरोपी की जल्द गिरफ्तारी की बात कही थी, जो अब पूरी हो चुकी है।