विचार : असाध्य को साधने के लिए राम को भी शक्ति साधना का अनुष्ठान करना पड़ा

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असाध्य को साधने के लिए राम को भी शक्ति साधना का अनुष्ठान करना पड़ा और आज हम शक्ति की महत्ता को नकारते जा रहे हैं। रावण अतुल बलशाली और अत्यन्त ज्ञानी पुरुष था… उसके पास साधारण व्यक्तियों की तुलना में दस व्यक्तियों के बराबर बुद्धि थी… परंतु असाधारण बुद्धि होने के उपरांत भी वह विवेकशून्य था! रावण त्रिकालदर्शी महाकाल महादेव का अनन्य भक्त था… जनश्रुति अनुसार रावण जब महादेव की पूजा के कैलाश जाता था तो अहंकारी स्वभाव वश स्वयं शीश नवाकर महादेव को नमन करने के बजाय महादेव को कैलाश सहित उठाकर अपने शीश पर रख लेता था… रावण के अनुसार दोनों बातें एक ही थी… कि चाहें महादेव के चरणों में वह अपना शीश नवाए या महादेव के चरण उठाकर अपने शीश पर धर लें! क्योंकि उसके पास ज्ञान तो बहुत था पर विवेक जिसे हम कॉमनसेंस कहते हैं, नहीं था। क्योंकि जब आप किसी के दरवाजे कुछ मांगने जाते हैं या उससे मात्र मिलने ही जाते हैं तो आपके स्वभाव में मृदुलता और सौम्यता होनी चाहिए… रावण सुरों और वाद्य यंत्रों का कुशल ज्ञाता था इसलिए रावण जब कैलाश के प्रांगण में प्रवेश करता था वो वह नानाप्रकार से महादेव की स्तुति करके महादेव को प्रसन्न करता था… उसकी सारी प्रार्थनाएं ध्वनि और स्वरों पर आधारित थी। आज भी उसकी गायी स्तुतियां पढ़ते, सुनते या गाते समय शरीर में विभिन्न प्रकार की ओज शक्ति और आनंद का भान होता है… लेकिन यह ऊर्जा नकारात्मकता से भरी हुई हैं। रावण की गाई हुई स्तुतियों में रावण का अहंकार और दम्भ स्पष्ट झलकता है। परंतु राम विनीत भाव से अत्यन्त सरल मना होकर करबद्ध निवेदन की भंगिमा में महादेव की स्तुति करते हैं। जिससे प्रसन्न होकर महादेव कहते हैं… “रावण जैसा भी है… परंतु मेरा अनन्य भक्त है.. मैं रावण के विपक्ष में खड़ा नहीं हो सकता इसलिए मैं आपको विजय का आशीर्वाद नहीं दे सकता” अब जिस पक्ष में स्वयं देवों के देव स्वयं महादेव खड़े हो उस पक्ष से जीत पाना कठिन नहीं वरन असम्भव है। तब राम महादेव के कहने पर शक्ति की साधना करते हैं! परंतु शक्ति की विशेषता है कि वह सदैव योग्य पात्र का ही चयन करती हैं। शक्ति महादेव की वामांगी हैं इसलिए राम से उच्चतर पात्र और कौन हो सकता है, जिसके पक्ष में वह खड़ी हों! कोई भी व्यक्ति मात्र एक लोटा जल चढ़ाकर भी महादेव को अपने पक्ष में कर सकता है परन्तु शक्ति बिना योग्यता का परीक्षण किये किसी के पक्ष में नहीं जाती हैं। नौ दिवस के अन्तिम दिवस के शक्ति अनुष्ठान में एक कमलपुष्प कम होने पर कमलनयन राम अपनी आंख निकालकर चढ़ाने का प्रयोजन करते है तभी शक्ति प्रकट होकर उन्हें विजय का आशीर्वाद देती हैं। जिस पक्ष में शक्ति है, स्त्री है वह पक्ष स्वयं ही बहुत बलशाली हो जाता है। शक्ति के समक्ष जब महादेव करबद्ध प्रणाम कर रहे हैं तो शक्ति की महिमा पर संदेह ही नहीं उठता है। लेकिन वर्तमान में पुरुष इतना दंभी है कि वह शक्ति को ही नकार रहा है… या शक्ति को ही प्रताड़ित कर रहा है! अब ऐसी परिस्थितियों में आप कैसे विजय और सफल होगें यह निर्णय आप स्वयं कीजिए! *विजयदशमी की शुभकामनाएं* 🚩 यह विचार मेरे प्रिय भाई अभिषेक बनारसी ने मेरे व्हाट्सएप में भेजा।उनका यह विचार आज के समय मे जब धर्म की मजबूती चारों ओर दिखाई दे रही है लेकिन धर्म जीवनचर्या में नहीं दिखने पर उपजा है। खबर जनपक्ष अपने पाठकों से अपील करता है कि आपके विचार सम्समयिकजनसरोकर से जुड़े हों तो हमें भी अवगत कराएं।हमारे पोर्टल के माध्यम से आपके विचार भी जनमानस तक पहुंचाने का काम करेंगे। 8103015433 पर व्हाट्सएप करें।

*मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विजयादशमी पर्व के अवसर पर किया शस्त्र पूजन*

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रायपुर 12 अक्टूबर 2024// मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज विजयादशमी के शुभ अवसर पर अपने निवास कार्यालय में आयोजित शस्त्र पूजन में शामिल हुए। उन्होंने विधि-विधान से शस्त्रों की पूजा की और मां भगवती की आराधना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी को विजयादशमी पर्व की शुभकामनाएं दी। इस दौरान मुख्यमंत्री सचिवालय और मुख्यमंत्री सुरक्षा के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे।

खबर जरा हटके : ‘गुरुजी’ ने राजनैतिक दल की सदस्यता लेकर किया सेवा नियमों का उल्लंघन,सोशल मीडिया में गुरुजी की पोल पर बजी ढोल

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  जशपुर,12 अक्टूबर 2024 – विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का तमगा लिए भारतीय जनता पार्टी का सदस्यता अभियान जशपुर जिले में बड़ा तूफानी चल रहा है।इस तूफान की जद में सरकारी कर्मचारी भी आ चुके हैं।ताजा मामला बगीचा विकासखंड का है,जहां एक शिक्षक ने विधिवत भाजपा की सदस्यता ले ली है। दरअसल,भारतीय शासन व्यवस्था में चाहे व केंद्र की शासन व्यवस्था हो या राज्य की,कोई भी शासकीय सेवक किसी भी राजनैतिक दल का सदस्य नहीं बन सकता है।गूगल करने पर भी जानकारी मिली कि , कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक दल या संगठन का सदस्य नहीं बन सकता. इसके अलावा, वह किसी राजनीतिक आंदोलन या गतिविधि में भी हिस्सा नहीं ले सकता. सरकारी कर्मचारियों से जुड़े कुछ और नियम ये रहे: सरकारी कर्मचारी किसी विधानसभा या स्थानीय प्राधिकरण के चुनाव में प्रचार नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी चुनाव में अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी सरकार की नीति या किसी कार्रवाई की आलोचना नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी अपने नाम से कोई कारोबार नहीं खोल सकता. वहीं Quora डॉट कॉम में सीधे इसे गैरकानूनी बताया गया है।ऐसा करने से कर्मचारी को सेवा निलंबित किया जा सकता है। इसी से जुड़ी 10 साल पुरानी खबर दैनिक भास्कर में मिली जिसमें लिखा मिला कि 1965 के नियम 5 के अनुसार शासकीय सेवक राजनीतिक दल या राजनीति से जुड़े संगठन का सदस्य नहीं बन सकता। न ही वह संगठन से किसी तरह का संबंध रख सकता है। ऐसा करना नियम विरुद्ध है। (एडवोकेट कैलाश पाठक के मुताबिक) अब इससे यह साफ समझा जा सकता है कि शिक्षक विश्वनाथ प्रधान ने राजनैतिक दल भाजपा की सदस्यता लेकर गैर कानूनी काम किया है। हम आपको इतना बताते चलें कि आज के समय भाजपा की सदस्यता लेना इतना आसान भी नहीं है।सदस्यता रिनिवल कराने में लोगों के पसीने छूट रहे हैं। नए सदस्य बनने के लिए ऑनलाइन आपको फार्म भरना होगा जिसमें पूरी जानकारी भरनी होगी।इसके बाद आपके नम्बर पर ओटीपी आएगा जिसे डालने के बाद ही आपको सदस्यता मिलेगी। ऐसी स्थिति में अगर शिक्षक विश्वनाथ प्रधान यह कहकर बचना भी चाहे ‘गलती से हो गया’,नहीं बच सकता।जानकारों के मुताबिक उसे अपने पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी का सदस्य बनना चाहिए। हालांकि इस मामले में खबर जनपक्ष ने शिक्षक विश्वनाथ प्रधान से उनके मोबाइल नम्बर  9340084125 पर  सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मोबाइल कॉल का कोई जवाब नहीं दिया। विश्वनाथ प्रधान के बारे में जो जानकारी मिली है उसके अनुसार श्री प्रधान का मूल पद शिक्षक का है जो सरबकोम्बो माध्यमिक शाला में पदस्थ हैं लेकिन वहां अध्यापन कार्य न करके व्यवस्था में तीन छात्रावासों में अधीक्षक के पद पर कार्य कर रहे हैं।विश्वनाथ प्रधान इतने व्यवहार कुशल हैं कि कोई भी सहायक आयुक्त हों उन्हें अपनी विलक्षण क्षमता से प्रभावित कर पद पर बने रहते हैं।इसी के साथ वे सत्ताधारी राजनैतिक दल के नेता-विधायकों से भी अच्छा तालमेल बिठा लेते हैं।यही वजह है कि कांग्रेस की पिछली सरकार में योग्यता न होते हुए भी विधायक विनय भगत की कथित कृपा से तीन -तीन छात्रावासों के अधीक्षक बन गए।अब भाजपा सरकार में वर्तमान विधायक श्रीमती रायमुनी भगत की कथित कृपा से कंटीन्यू काम कर रहे हैं। वहीं,भाजपा की सदस्यता लेने के बाद दशहरे के दिन बगीचा के कई व्हाट्सप ग्रुपों में गुरुजी खूब चर्चा में हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि क्या जिला प्रशासन गैरकानूनी तरीके से राजनैतिक दल की सदस्यता ले चुके सरकारी शिक्षक/हॉस्टल अधीक्षक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की हिम्मत दिखा पाएगा?

बस्तर दशहरा: दन्तेश्वरी माई की डोली जगदलपुर के लिए निकली,मावली परघा के साथ विजयादशमी मनाने लाखों लोग जुटने लगे

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दंतेवाड़ा,12 अक्टूबर 2024 – बस्तर दशहरा, जिसे विश्व का सबसे लंबा और अनोखा दशहरा पर्व माना जाता है।इस महापर्व में मां दंतेश्वरी की डोली और छत्र का विशेष महत्व होता है। माता दंतेश्वरी की डोली शुक्रवार को जगदलपुर के लिए रवाना हुई। इस अवसर पर आंवराभाटा में परंपरागत विधियों से विशेष पूजा-अर्चना की गई, जिसमें दंतेवाड़ा पुलिस के जवानों ने डोली को सलामी दी। हर वर्ष की तरह इस बार भी डोली के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जो माता के आशीर्वाद के लिए बड़ी श्रद्धा से उपस्थित थे। माता की डोली और छत्र को जगदलपुर तक 10 विशेष स्थानों पर ही पूजा-अर्चना के लिए रोका जाएगा, जहां श्रद्धालु माता के दर्शन-पूजन कर सकेंगे। मंदिर के पुजारी विजेंद्र नाथ जिया के अनुसार, इस वर्ष का आयोजन कुछ खास है, क्योंकि 50 वर्षों में पहली बार डोली नवमी तिथि को प्रस्थान कर रही है। अष्टमी और नवमी की तिथियों के एकसाथ आने के कारण यह बदलाव किया गया है। डोली की यात्रा के दौरान 28 विश्राम स्थलों पर माता का विश्राम होगा, जहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर सकेंगे। इस अवसर पर आंवराभाटा, कारली, हारम पारा, और गीदम सहित अन्य स्थानों पर माता की डोली के स्वागत की भव्य तैयारियां की गई। बस्तर दशहरा में शामिल होने के बाद डोली दंतेवाड़ा लौटेगी, जहां बोधराज देव के लिए उपहार भी लाए जाएंगे। बस्तर दशहरा में माता दंतेश्वरी की डोली की यह परंपरा सदियों पुरानी है, जो सामाजिक और धार्मिक एकता का प्रतीक है। विश्व के सबसे लंबा 75 दिनों तक चलने वाला बस्तर दशहरा के बारे में आपको ज्यादा जानना है तो बस्तर टॉकीज Bastar Talkies यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिये।जिसमें आपको हर वर्ष दशहरे की पूरी खबर देखने को मिलेगी।  

छत्तीसगढ़ सरकार ने विधायकों का यात्रा-भत्ता किया दोगुना,जारी हुई अधिसूचना

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रायपुर,11 अक्टूबर 2024: छत्तीसगढ़ सरकार ने विधायकों को एक बड़ी राहत देते हुए उनके यात्रा भत्ते में उल्लेखनीय वृद्धि की घोषणा की है। राज्य के संसदीय कार्य विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, अब विधायकों को यात्रा के लिए 10 रुपये प्रति किलोमीटर की जगह 20 रुपये प्रति किलोमीटर का भत्ता मिलेगा। सरकार के इस फैसले का उद्देश्य विधायकों के यात्रा खर्चों में राहत देना और उनके कामकाज में सुगमता प्रदान करना है। इस कदम से विधायकों को क्षेत्रीय यात्राओं के दौरान आर्थिक रूप से राहत मिलेगी, जिससे वे अपने विधानसभा क्षेत्रों में अधिक सक्रिय रूप से काम कर सकेंगे। विधानसभा के अंदर और बाहर विधायकों की यात्राएं अक्सर विभिन्न सरकारी योजनाओं के निरीक्षण और क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान के लिए की जाती हैं। इस भत्ते की बढ़ोतरी से उनकी कार्यक्षमता बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। राज्य के विधायकों की यात्रा संबंधित आवश्यकताओं और बढ़ते खर्चों पर विचार करते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है।  

डबल इंजन:विष्णुदेव साय के नेतृत्व में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम: चार नए मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के लिए 1020 करोड़ रुपये का ई-टेंडर जारी

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  रायपुर, 11 अक्टूबर 2024 – छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार ने चार नए मेडिकल कॉलेजों के भवन निर्माण के लिए 1020.60 करोड़ रुपये का ई-टेंडर जारी किया है। इस कदम से राज्य में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की उम्मीद है। इन नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण जांजगीर-चांपा, कबीरधाम, मनेंद्रगढ़ और दंतेवाड़ा के गीदम में किया जाएगा। इन कॉलेजों की प्लानिंग, डिजाइनिंग और इंजीनियरिंग के साथ-साथ निर्माण कार्य भी उच्च स्तरीय होगा, और इसे छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन (CGMSC) द्वारा 24 महीनों के भीतर पूरा किया जाएगा। ई-टेंडर प्रक्रिया की शुरुआत 11 अक्टूबर से हो गई है, और बोली जमा करने की अंतिम तिथि 7 नवंबर 2024 तय की गई है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस मौके पर कहा, “हमारी प्राथमिकता राज्य के हर नागरिक को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इन मेडिकल कॉलेजों से न केवल राज्य के युवाओं को चिकित्सा शिक्षा में नए अवसर मिलेंगे, बल्कि स्थानीय जनता को भी बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी।” राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के इस बड़े कदम की व्यापक सराहना की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री साय और स्वास्थ्य मंत्री श्री जायसवाल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में जो सुधारात्मक और विकासात्मक योजनाएं बनाई हैं, वे राज्य को एक बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यह परियोजना न केवल चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेगी। इस कदम से प्रदेशवासियों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विश्वास और भी मजबूत होगा।  

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्यपाल रमेन डेका से की सौजन्य भेंट

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  रायपुर, 11 अक्टूबर 2024 – छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने आज राजभवन में राज्यपाल रमेन डेका से सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को नवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि के लिए शुभकामनाएं प्रकट कीं। राजभवन में हुई इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री श्री साय और राज्यपाल श्री डेका के बीच प्रदेश के विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा हुई। दोनों ने राज्य में शांति, प्रगति और विकास के लिए निरंतर कार्य करने का संकल्प व्यक्त किया।  

21 को क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की पहली बैठक सीएम डिस्ट्रिक्ट में,कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल बैठक की तैयारियों में जुटे

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  जशपुर, 11अक्टूबर 2024 / आगामी 21 अक्टूबर को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में ‘सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण’ की बैठक आयोजित की जा रही है । बैठक में लगभग 80 सदस्य शामिल होने की संभावना है । जिले में तैयारी जोरों शोरों से चल रही है। कलेक्टर डॉ रवि मित्तल ने अधिकारियों को बैठक की सारी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बाहर से आने वाले मंत्रियों और सदस्यों के रूकने व्यवस्था,पार्किंग, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। लाइजनिंग अधिकारी बनाने के साथ ही रूट चार्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जशपुर जिले में पहली बार इतनी बड़ी सरगुजा प्राधिकरण की बैठक होने वाली। इसमें किसी भी तरह की कोई कमी नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय प्रदेश के क्षेत्र के विकास के साथ ही आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य सड़क पूल पुलिया ,पेय जल , अधोसंरचना आधुनिक तकनीक जैसे अन्य संसाधनों पर विशेष ध्यान दें रहे है। ताकि दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों तक सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके। इसके लिए ‘सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण’ मील का पत्थर साबित होगा। उल्लेखनीय है कि बैठक में प्राधिकरण के गठन पर चर्चा, प्राधिकरण का कार्य क्षेत्र, मद से स्वीकृत किए जाने वाले प्रमुख कार्य, वित्तीय वर्ष 2024–25 में प्राधिकरण के लिए बजट पर चर्चा, प्राधिकरण मद से वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2023-24 स्वीकृत कार्यों की प्रगति की समीक्षा एवं अन्य बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी

कुनकुरी शहर में निकली ‘लाल चुनरिया यात्रा’,माता के जयकारे से गूँज उठा आकाश

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जशपुर/कुनकुरी,11 अक्टूबर 2024 – कुनकुरी शहर में दुर्गा पूजा की धूम मची हुई है।सुबह बजरंग नगर दुर्गा पूजा उत्सव समिति ने शक्तिस्वरूपा माता-बहनों के साथ भव्य चुनरी यात्रा निकाली। 108 मीटर लंबी माता की लाल चुनरी के निकलते ही पूरे शहर में जय माता दी के गनगनभेदी जयकारे गूँजने लगे। समिति के वरिष्ठ सदस्य राजेश ताम्रकार ने बताया कि चुनरी यात्रा दुर्गा पंडाल से शुरू हुई जो जय स्तम्भ चौक,खेल मैदान,बस स्टेशन,बाजारडांड होते हुए नगर भ्रमण कर वापस माता के दरबार में आकर सम्पन्न हुई।शहर के माता भक्तों,राहगीरों ने चुनरी को प्रणाम किया और लाल चुनरिया वाली माँ भवानी का जयकारा लगाया। इस यात्रा के दौरान कुनकुरी थाना प्रभारी सुनील सिंह के निर्देश पर सुबह 8 बजे से सब-इंस्पेक्टर सन्तोष तिवारी, एएसआई ईश्वर वारले,एएसआई मनोजकुमार साहू, प्रधान आरक्षक रामानुजम पांडेय, आरक्षक नन्दलाल यादव,महिला आरक्षक रीना केरकेट्टा, गीता यादव सहित अन्य पुलिसकर्मियों ने नेशनल हाइवे,स्टेट हाइवे पर यातायात नियंत्रित करते हुए चुनरी यात्रा को शांतिपूर्वक पूरा कराया। आचार्य राहुल मिश्रा के मार्गदर्शन में  अध्यक्ष कृष्णा साहू,राजेश ताम्रकार,प्रकाश राणा,सह आचार्य अशोक मिश्र,आशीष कंसारी,दिलीप ताम्रकार,गिरधारी कंसारी,रिक्की ठक्कर, विशु, जीवन चटर्जी,रोशन, तेजस्व,अनिल भगत,पारस ताम्रकार,विशाल ,बिट्टू, जोगी,कन्हैया समेत समिति के सभी कार्यकर्ता -पदाधिकारी चुनरी रैली को पूरे उत्साह के साथ सम्पन्न कराने में सक्रिय रहे।

समसामयिक लेख : *संजौली और मंडी में मस्जिद निर्माण पर विवाद:एक गहरी दृष्टि *

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निर्मल कुमार हिमाचल प्रदेश के संजौली और मंडी में हाल ही के विरोध प्रदर्शनों की जड़ अवैध मस्जिद निर्माण के आरोप हैं। अवैध निर्माण की चिंता ने इन विरोधों को जन्म दिया है, लेकिन यह मुद्दा केवल कानूनी मामलों तक सीमित नहीं है। यह साम्प्रदायिक सौहार्द्र, सामाजिक संतुलन, और धार्मिक आस्थाओं के आपसी मेल-जोल से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। इस्लाम के अनुसार, मस्जिद का निर्माण नैतिक और वैध जमीन पर होना चाहिए ताकि पूजा और इबादत का स्थान पवित्र और वैध रहे। इससे संबंधित विवाद न केवल धार्मिक जिम्मेदारियों को प्रभावित करते हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सौहार्द्र को भी चुनौती देते हैं। मस्जिद का निर्माण: इस्लामी मान्यताएँ और सिद्धांत इस्लाम में, मस्जिद केवल एक पूजा स्थल नहीं है; यह एक सामुदायिक केंद्र, आध्यात्मिकता का स्रोत, और नैतिकता का प्रतीक होती है। इसे इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार एक पवित्र स्थान के रूप में देखा जाता है जहाँ केवल धार्मिक कर्मकांड ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और नैतिकता का पालन भी होता है। मस्जिद के निर्माण की प्रक्रिया से लेकर उसके संचालन तक हर कदम नैतिकता और कानून के दायरे में होना चाहिए। मस्जिद निर्माण के लिए शरीयत (इस्लामिक कानून) के तहत यह अनिवार्य है कि उसका निर्माण केवल वैध, विवाद-मुक्त जमीन पर ही किया जाए। हदीस और कुरान की शिक्षाओं के अनुसार, किसी भी मस्जिद का निर्माण अनैतिक साधनों, जैसे अवैध भूमि या भ्रष्टाचार के धन से नहीं किया जाना चाहिए। अवैध या विवादित भूमि पर मस्जिद बनाकर उस स्थान की पवित्रता को खतरे में डालने से मस्जिद में की गई नमाज़ भी प्रश्नों के घेरे में आ सकती है। इसलिए, मस्जिद का निर्माण पूरी तरह से पारदर्शी, नैतिक और कानूनी रूप से शुद्ध होना चाहिए। इस्लामी धर्मशास्त्र और धार्मिक स्थलों की पवित्रता इस्लाम में धार्मिक स्थलों की पवित्रता का एक गहरा महत्व है। केवल बाहरी रूप से मस्जिद का निर्माण महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उसका आधार, उसकी प्रक्रिया, और उसमें उपयोग की गई सामग्री भी धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती है। उदाहरण के लिए, कुरान में इस बात पर बल दिया गया है कि अवैध तरीके से प्राप्त संपत्ति को धार्मिक कार्यों में शामिल करना निषिद्ध है। ऐसे में अवैध भूमि पर बनी मस्जिद की वैधता संदेह के घेरे में आ जाती है। हदीस के अनुसार, मस्जिद एक शुद्ध, विवाद-मुक्त और पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा बनाई जानी चाहिए। यदि मस्जिद का निर्माण विवादित या अवैध भूमि पर किया जाता है, तो वह मस्जिद सामुदायिक असंतोष का कारण बन सकती है। इससे समाज में शांति की बजाय अशांति फैलने की संभावना बढ़ जाती है, जो कि मस्जिद के वास्तविक उद्देश्य के बिल्कुल विपरीत है। मस्जिद एक ऐसा स्थान होना चाहिए जहाँ लोग एकजुट होकर ईश्वर की इबादत कर सकें और नैतिकता के उच्चतम मानकों का पालन कर सकें। स्थानीय सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान मस्जिद निर्माण के विवाद का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसे सांस्कृतिक और स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करना चाहिए। जब धार्मिक स्थल अवैध रूप से बनाए जाते हैं, तो यह समाज में असंतुलन और गलतफहमियों को जन्म देता है। भारत जैसे विविध और बहु-धार्मिक देश में, धार्मिक स्थलों का निर्माण न केवल धार्मिक भावना का सम्मान करना चाहिए, बल्कि स्थानीय समुदायों के रीति-रिवाजों और भावनाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में, जहाँ सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता है, बाहरी लोगों की उपस्थिति और उनकी गतिविधियों को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। बाहरी समुदायों को शरण देने और स्थानीय संस्कृति को बनाए रखने के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। अगर किसी बाहरी समुदाय की गतिविधियों से स्थानीय सांस्कृतिक संतुलन बिगड़ता है, तो यह साम्प्रदायिक तनाव को जन्म दे सकता है। इसलिए, मस्जिद निर्माण के दौरान यह ध्यान रखना चाहिए कि स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान हो और साम्प्रदायिक सौहार्द्र बना रहे। साम्प्रदायिक सौहार्द्र का महत्व भारत में धार्मिक विविधता सदियों से एक मजबूत पहलू रही है। यहाँ सभी धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं और धार्मिक स्थलों का सम्मान करते हैं। मस्जिद, मंदिर, चर्च, गुरुद्वारा—हर धार्मिक स्थल को साम्प्रदायिक सौहार्द्र के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। जब किसी धार्मिक स्थल का निर्माण कानून का पालन करते हुए और स्थानीय समुदाय की सहमति से होता है, तो वह एकता और शांति का संदेश देता है। संजौली और मंडी में मस्जिद निर्माण के विवाद के बाद, मस्जिद प्रबंधन समितियों ने जो कदम उठाए, वे सराहनीय हैं। उन्होंने अवैध निर्माण के हिस्सों को गिराने का निर्णय लिया, ताकि समाज में साम्प्रदायिक तनाव न बढ़े और शांति बनी रहे। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो यह दर्शाता है कि कानून का पालन करते हुए धार्मिक स्थलों का निर्माण किया जाना चाहिए। कानून और सामुदायिक जिम्मेदारियाँ धार्मिक स्थलों का निर्माण केवल धार्मिक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि कानूनी जिम्मेदारी भी है। भारत का संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन इसके साथ यह भी सुनिश्चित करता है कि इस अधिकार का दुरुपयोग नहीं किया जाए। जब कोई धार्मिक स्थल, जैसे मस्जिद, मंदिर, या चर्च, वैध प्रक्रिया और कानून के तहत बनाए जाते हैं, तो इससे समाज में विश्वास और एकता बढ़ती है। कानूनी तौर पर, भूमि का स्वामित्व विवादित नहीं होना चाहिए और सभी आवश्यक अनुमतियाँ और स्वीकृतियाँ प्राप्त करने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जाना चाहिए। मस्जिदों या अन्य धार्मिक स्थलों के अवैध निर्माण से सामाजिक असंतोष पैदा हो सकता है, जो कि साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे सकता है। *धार्मिक स्थल: एकता का केंद्र* धार्मिक स्थल जैसे मस्जिद, मंदिर, और चर्च समाज में शांति, एकता और सामंजस्य का प्रतीक होते हैं। इनका उद्देश्य केवल पूजा करना नहीं होता, बल्कि समाज के लोगों को एकजुट करना और नैतिकता का पालन करना होता है। जब किसी धार्मिक स्थल का निर्माण विवादों में घिर जाता है, तो उसका वास्तविक उद्देश्य खो जाता है। मस्जिद का निर्माण अगर विवाद-मुक्त और नैतिक तरीके से किया जाता है, तो वह समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। महात्मा गांधी के विचार भी इस बात पर जोर देते हैं कि किसी भी धार्मिक स्थल का निर्माण और उसका संचालन नैतिकता, अहिंसा और सभी धर्मों के प्रति सम्मान के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने हमेशा कहा कि धार्मिक … Read more