बच्चों के लिए सुरक्षित शिक्षा: जशपुर में अवैध छात्रावास से बच्चों का सफल रेस्क्यू** **शासकीय छात्रावास में स्थानांतरित बच्चों का भव्य स्वागत, SDM ने बच्चों को उपलब्ध कराई गई सभी सुविधाएं**

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  रायपुर – जशपुर जिले से बाल अधिकार को लेकर अच्छी खबर आई है जहां दीपू बगीचा में नियम विरुद्ध संचालित एक छात्रावास से रेस्क्यू किए गए बालक और बालिकाओं को सुरक्षित रूप से सरकारी छात्रावासों में स्थानांतरित कर दिया गया। यह कदम न सिर्फ प्रशासन की ओर से तत्परता से उठाया गया बल्कि अधिकारियों ने यह भी सुनिश्चित किया कि इन बच्चों का स्वागत और देखभाल पूरे सम्मान और आदर के साथ हो। छात्रों के आगमन पर अधिकारियों और अन्य छात्रावासी बच्चों द्वारा भव्य स्वागत किया गया और केक काटकर उत्सव मनाया गया।   एसडीएम प्रशांत कुशवाहा के निर्देशन में इस पूरी प्रक्रिया को कुशलता से अंजाम दिया गया। उन्होंने हॉस्टल अधीक्षक और अधीक्षिका को निर्देश दिया कि वे बच्चों की विशेष निगरानी रखें और किसी भी समस्या की स्थिति में तुरंत सूचना दें। साथ ही सहायक आयुक्त आदिवासी विकास संजय सिंह और तहसीलदार राहुल कौशिक जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति इस कदम की गंभीरता को रेखांकित करती है। उल्लेखनीय है कि स्थल जांच के दौरान, एसडीएम ने पाया कि संस्कृति कला केंद्र दीपू बगीचा और राजी पड़हा में बने दो भवनों में बच्चों को बिना किसी आधिकारिक अनुमति के छात्रावास के रूप में रखा जा रहा था, और कई तरह की अनियमितताएं सामने आई थीं। कार्रवाई के तहत बच्चों को अवैध छात्रावास से निकालकर शासकीय छात्रावास में स्थानांतरित कर दिया गया।   इस घटना ने एक बार फिर देश में बच्चों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया है। ऐसे उदाहरण हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि शिक्षा और सुरक्षा के प्रति समाज और प्रशासन की ज़िम्मेदारी कितनी महत्वपूर्ण है। बाल अधिकारों के लिए समर्पित एसडीएम प्रशांत कुशवाहा और सहायक आयुक्त संजय सिंह जैसे अधिकारी, जिन्होंने स्वतंत्रता दिवस से पहले इस अभियान को सफलतापूर्वक पूरा किया, समाज के सामने एक मिसाल पेश करते हैं। *भारत में बच्चों के अधिकारों के लिए महान कार्यकर्ताओं के उदाहरण पढ़िए* भारत में बाल अधिकारों की लड़ाई में कई महान व्यक्तित्वों ने अहम भूमिका निभाई है। जिनमे 1. **कैलाश सत्यार्थी**: बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की शुरुआत की, जिसके तहत उन्होंने हजारों बच्चों को बंधुआ मजदूरी और शोषण से मुक्त कराया। 2. **मदर टेरेसा**: अपनी करुणा और सेवा के लिए विख्यात मदर टेरेसा ने समाज के कमजोर वर्गों, विशेषकर बच्चों के लिए समर्पित कार्य किया। उन्होंने ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की, जिसके तहत अनाथालयों और शेल्टर होम्स का संचालन किया जाता है। 3. **सुरभि सिंह**: ‘सोकोफाऊंडेशन’ की संस्थापक सुरभि सिंह ने सड़कों पर रहने वाले बच्चों और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए। 4. **शांति राघवन**: दिव्यांग बच्चों और युवाओं के लिए काम करने वाली शांति राघवन ने ‘एनाबिल इंडिया’ की स्थापना की। उनकी पहल से दिव्यांग बच्चों को शिक्षा और करियर के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर मिला। इन सभी व्यक्तियों ने अपने कार्यों के माध्यम से यह दिखाया है कि जब समाज में बच्चे सुरक्षित और शिक्षित होते हैं, तभी एक समृद्ध और विकसित राष्ट्र का निर्माण संभव है। जशपुर में उठाए गए कदम बाल अधिकारों के लिए एक सार्थक पहल है और इस दिशा में अन्य राज्यों को भी प्रेरित करता है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के गांव बगिया में शिव भक्ति की बही बयार,तीन दिनों तक हुआ शिव महापुराण का वाचन

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और,,, जशपुर –  बगिया के श्री फलेश्वरनाथ महादेव मंदिर में आयोजित तीन दिवसीय 51 हजार पार्थिव शिवलिंग, रुद्राभिषेक हवन पूजन के साथ समापन हुआ।इस मौके पर शिव महापुराण की कथा का भी शुक्रवार को विशाल भंडारा के साथ संपन्न हुआ। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय की उपस्थिति में सैकड़ों श्रद्वालुओं ने 51 हजार पार्थिव शिवलिंग बना कर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चन कर,शिव महापुराण की कथा का श्रवण किया। उल्लेखनिय है कि बगिया के श्रीफलेश्वर नाथ महादेव मंदिर में शिव कथा महापुराण एवं पार्थिव शिवलिंग निर्माण पूजन का आयोजन हर साल किया जाता है। इस साल यह आयोजन बुधवार को भव्य कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ था। बीते तीन दिनों से सुप्रसिद्व कथा वाचिका किशोरी राजकुमारी तिवारी शास्त्री की कथा सुनने के लिए श्रद्वालु यहां जुट रहे थे। आयोजन के अंतिम दिन पंडित राधेश्याम मिश्रा,गगन शर्मा,केयूर भूषण तिवारी,आजाद शर्मा,नवीन शर्मा ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधि विधान से भगवान महादेव की पूजा संपन्न कराया। कथा वाचिका किशोरी राजकुमारी तिवारी शास्त्री ने श्रद्वालुओं को कथा सुनाते हुए कहा कि पार्थिव शिव लिंग की पूजा कभी खाली नहीं जाती। भगवान महादेव श्रद्वालुओं की मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं। उन्होनें कहा कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए दिखावा नहीं,श्रद्वा की जरूरत होती है। हवन और पूजन के बाद विशाल भंडारा का आयोजन किया गया। यहां हजारों श्रद्वालुओं ने भगवान महादेव की प्रसाद ग्रहण किया। शिव महापुराण की कथा का सफलता पूर्वक आयोजन संपन्न होने पर कौशल्या साय ने आयोजन में सहयोग देने वाले कार्यकर्ताओं और श्रद्वालुओं का आभार जताया है।

BLACK FRIDAY : वारिसों को विष्णु सरकार दे 50-50 लाख,हाथी के हमले में 4 लोगों की मौत पर कांग्रेस ने की सियासत शुरू,,बगीचा शहर में हुई दर्दनाक मौतों से हिला छत्तीसगढ़,हाथियों का प्रवेश द्वार जशपुर में मौत का तांडव जारी

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  जशपुर – ब्लैक फ्राइडे हाँ, हाँ ब्लैक फ्राइडे ही कहेंगे क्योंकि शुक्रवार की आधी रात को घुप्प अंधेरे में जंगली हाथी ने बगीचा शहर के गम्हरिया मुहल्ले में 4 लोगों को कुचलकर मारा,जिनके खून के निशान सीसी रोड पर सूख रहे हैं।जो भी इस मंजर को देख रहा है उसके आंसू रुक नहीं रहे हैं।वहीं हाथी से मौत के मामले में प्रदेश कांग्रेस के सदस्य विनयशील ने 50-50 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग करके सियासत शुरू कर दी है। दरअसल,बगीचा के रिहायशी इलाकों आने वाला वार्ड नम्बर 09 गम्हरिया में सड़क किनारे हाथी ने एक घर पर हमला किया जहां 6 लोग सो रहे थे।हमले में घर का दीवार पूरी तरह ढह गया।जिसमें दो बहन दब गए जिसमें से एक बहन का पैर बाहर घा जिसे हाथी ने खींचकर मार डाला। घटनास्थल पर मौजूद लोगों का कहना है कि रात में हाथी मित्रदल की गाड़ी भी आई थी। सड़क पर स्ट्रीट लाइट नहीं है और घरों की बिजली गुल थी।इससे पहले कि शहरवासी कुछ समझ पाते हाथी ने सड़क किनारे रामकेश्वर सोनी के कच्चे मकान पर हमला कर दिया।घटना देर रात 12 बजे की है।बिजली नहीं होने के कारण लोगों  को कुछ समझ में नहीं आया और हाथी लगातार हमला करता गया।उसी घर में सो रहे पिता, पुत्री और चाचा को हाथी ने पटक पटक कर मार डाला।हो हल्ला सुनकर पड़ोस का एक युवक बाहर निकला उसपर भी हाथी ने हमला कर दिया।मृतकों में पिता रामकेश्वर सोनी उम्र 35 वर्ष,पुत्री रवीता सोनी उम्र 09 वर्ष,चाचा अजय सोनी उम्र 25 वर्ष,पड़ोसी अश्विन कुजूर उम्र 28 वर्ष हैं।  इस बड़ी घटना से पूरा प्रदेश सिहर उठा है।बताया जा रहा है कि भोजन की तलाश में लोनर बेहद आक्रमक हो गया है और बीते कई दिनों से कच्चे मकानों पर हमला कर रहा है।हमले में तीन दिन पहले ही कुनकुरी रेंज में 1 और बादलखोल अभ्यारण्य के अंदर 1 व्यक्ति की जान गई है। इन घटना पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी छत्तीसगढ़ के सदस्य विनयशील ने गहरा दुःख जताया है।उन्होंने अपने सोशल एकाउंट X पर बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए लिखा है कि CG में BJP सरकार और वन विभाग सब सो रहे हैं : आदिवासी मुख्यमंत्री के गृह ज़िले जशपुर में बगीचा के नगर पंचायत क्षेत्र में हाथी और मानव द्वन्द में 4 लोगों की जान चली गई । सरकार कह रही है कि 25 हज़ार रुपया मुआवज़ा देगी बेशर्मी की हद है. हम माँग करते हैं कि  – मृतिकों को 50- 50 लाख रुपये मुआवज़ा दिया जाना चाहिए. – जशपुर में हाथी मानव द्वन्द समस्या की समझ वाले IFS ऑफ़िसर की नियुक्ति कीजिए. – हाथियों का रास्ता ट्रैक करके स्थानीय स्तर पर लोगों को सूचना देने की व्यवस्था की कीजिए. – द्वन्द रोकने के लिए जंगल में हाथियों के लिए खाने की व्यवस्था की जाना चाहिए. – जंगल से सटे नगर क्षेत्र में हाईमास्क लाइट लगाएँ. – पास ही डीएवी स्कूल और छात्रावास भी स्थित है,वहाँ     बच्चों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएँ. CM साहब सबसे अपने क्षेत्र के आदिवासी और रहवासियीं को प्रधानमत्री आवास बनवा के दीजिए. इन क्षेत्रों में बिजली कटौती रोकिए. @vishnudsai ji @INCChhattisgarh  1/1 बहरहाल,ये बड़ा सवाल है कि क्या छत्तीसगढ़ में हाथियों का प्रवेश द्वार जशपुर में हाथी-मानव संघर्ष को बढ़ने से रोकना किसी सरकार के बस की बात नहीं रही? घटते जंगल,बढ़ते लोग वन्यजीवों के लिए खतरा बन गए हैं।वन अधिकार पट्टा देकर पिछली सरकारों ने जंगल खत्म करने का रास्ता दिखा दिया है क्योंकि नियमों का पालन हर पट्टाधारी कर रहा हो,यह कोई नहीं मानता। फिलहाल,इस बड़ी घटना के बाद वन विभाग नुकसान का आंकलन कर मृतकों के परिजनों को 25-25 हजार रुपये की अंतरिम सहायता राशि देकर,लोनर हाथी को लगातार ट्रेस कर रहा है। वनमण्डलाधिकारी जितेंद्र उपाध्याय ने मीडिया से बात करते हुए जानकारी दी कि लोनर हाथी बीते दस दिनों में तपकरा रेंज से कुनकुरी रेंज होते हुए बादलखोल अभ्यारण्य पहुंचा था जहां से शुक्रवार की शाम को बगीचा की ओर आया था।जहां रात को गम्हरिया में एक मकान को नुकसान पहुंचाया,इसी दौरान घर मे सो रहे लोगों में से तीन लोगों की हाथी से सामना होने पर उनकी जान चली गई।वहीं पड़ोस का एक युवक भी हाथी के सामने आ गया।अभी जिले में 40 हाथी हैं जिसमें यह दल से अलग किया गया हाथी है।हाथी विशेषज्ञ अजित पांडे और महावत को बुलाया गया है।जरूरत पड़ने पर कार्रवाई की जाएगी।हाथी पर लगातार नजर रखे हुए है लेकिन अंधेरे और बस्तियों में लाइट नहीं  रहने से हाथी का लोकेशन मिस हो जाता है।हमारे द्वारा लगातार लोगों को अलर्ट किया जा रहा है। .

विश्व आदिवासी दिवस पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दी आदिवासी समुदाय को शुभकामनाएं*

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  रायपुर, 9 अगस्त 2024 – छत्तीसगढ़ राज्य के  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासी समुदाय को अपनी बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) और अपने फेसबुक पेज पर संदेश साझा करते हुए कहा, “जल, जंगल और जमीन के संरक्षण में सदियों से तल्लीन, प्रकृति के सच्चे सेवक आदिवासी भाई-बहनों को विश्व आदिवासी दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।” विष्णुदेव साय ने आदिवासी समुदाय की महती भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा, “आप सभी सदियों से प्रकृति की उपासना करते हुए सभ्यता और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रख रहे हैं एवं हमारी स्वर्णिम इतिहास की धरोहर का परचम थामे हुए हैं। राष्ट्र और समाज के उत्थान में आप सभी आदिवासी भाई-बहनों की महत्वपूर्ण भूमिका है।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार गौरवशाली आदिम संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए निरंतर कार्यरत है और आदिवासियों की खुशहाल जिंदगी और उनकी प्रगति के लिए समर्पित है। अंत में उन्होंने पुनः आदिवासी समुदाय को विश्व आदिवासी दिवस की बधाई दी। साय का यह संदेश आदिवासी समुदाय के प्रति उनके सम्मान और संवेदनशीलता को दर्शाता है, जो इस दिवस को और भी खास बना देता है।

*विश्व आदिवासी दिवस: कुनकुरी ब्लॉक में धूमधाम से मनाया जाएगा, तैयारियाँ पूर्ण*

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कुनकुरी, जशपुर – पूरे विश्व में 9 अगस्त को मनाए जाने वाले विश्व आदिवासी दिवस की तैयारियाँ कुनकुरी ब्लॉक में जोर-शोर से चल रही हैं। इस अवसर पर, क्षेत्र के विभिन्न जनजातीय आदिवासी समुदाय के लोग खेल मैदान में एकत्र होकर रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे और अपनी एकजुटता का परिचय देंगे। इस आयोजन का नेतृत्व सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले किया जा रहा है। सर्व आदिवासी समाज के उपाध्यक्ष वाल्टर कुजूर ने बताया कि कुनकुरी क्षेत्र के सभी आदिवासी भाई-बहन सुबह 10 बजे खेल मैदान में एकत्रित होंगे। इसके बाद, वे पारंपरिक आदिवासी नृत्य करते हुए जय स्तम्भ चौक और बस स्टैंड से होते हुए पुनः खेल मैदान में सामूहिक कार्यक्रम के लिए एकत्रित होंगे। कार्यक्रम की शुरुआत दोपहर 12 बजे ध्वजारोहण से होगी। इसके बाद, दोपहर 1 बजे युवा एवं महिलाओं के द्वारा अतिथियों का स्वागत किया जाएगा। मुख्य कार्यक्रम दोपहर 2 बजे से शुरू होगा, जिसमें मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं आदिवासी समाज के नेताओं का उद्बोधन होगा। संध्या 4 बजे कार्यक्रम का समापन होगा। इस बड़े आयोजन की तैयारियों में छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष अनिल कुमार किस्पोट्टा के निर्देशन में संरक्षक डॉ. पी.सी. कुजूर, मुनेश्वर बैगा, अनिमानन्द एक्का, ब्लॉक अध्यक्ष श्याम सुन्दर मरावी, उपाध्यक्ष वाल्टर कुजूर, कुन्दन पन्ना, श्रीमती राजकुमारी लकड़ा, महासचिव दिलीप सिंह बेसरा, श्रीमती अंजना मिंज, कुलदीप मिंज, सचिव प्रवीण तिर्की, राधेश्याम गंगेश्री, सहायक सचिव जयन्त लकड़ा, रंजलाल भगत, कोषाध्यक्ष श्रीमती कलिस्ता तिकी, प्रदीप लकड़ा, बसंत बेक, सलाहकार अभिनन्द खलखो, एवं विधिक सलाहकार आशीष जोनी केरकेट्टा शामिल हैं। आयोजक मंडल के सदस्य जयंत लकड़ा ने बताया कि विश्व आदिवासी दिवस पर कुनकुरी के साथ ही जशपुर जिले के विभिन्न विकासखंडों में भी हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग अपने गौरवशाली इतिहास और परंपराओं को सम्मानित करेंगे और आने वाली पीढ़ी को इससे परिचित कराएंगे। विश्व आदिवासी दिवस पर इस तरह के आयोजन न केवल आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का माध्यम हैं, बल्कि ये उनकी एकजुटता और समाज में उनके योगदान को भी रेखांकित करते हैं।

*मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता: जनदर्शन में नागरिक की पीड़ा सुनते ही तुरंत कार्रवाई के निर्देश**एसपी से कहा – गुम हुई पत्नी को ढूंढो*

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रायपुर – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की संवेदनशीलता एक बार फिर सामने आई है। आज मुख्यमंत्री निवास में आयोजित जनदर्शन में राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव निवासी नंदकिशोर ने अपनी पत्नी की गुमशुदगी की पीड़ा को मुख्यमंत्री के सामने रखा। नंदकिशोर ने बताया कि उनकी पत्नी पिछले छह महीनों से लापता है और तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें अब तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नंदकिशोर की बात को गंभीरता से सुना और तत्काल राजनांदगांव एसपी को फोन कर इस मामले की जांच करने और लापता पत्नी को ढूंढने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री की इस त्वरित प्रतिक्रिया ने फरियादी को आशा की एक नई किरण दी है कि अब उसकी पत्नी का पता जल्द ही चल जाएगा। मुख्यमंत्री साय की जनदर्शन के दौरान नागरिकों की समस्याओं को सुनने और उन्हें जल्द से जल्द हल करने की यह पहल उनकी संवेदनशीलता और जनसेवा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उल्लेखनीय है कि हर गुरुवार को मुख्यमंत्री श्री साय जनदर्शन में लोगों की समस्याएं सुनते हैं और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए सक्रिय रहते हैं। श्री साय ने अपने गृहजिले जशपुर में भी लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए “श्रीराम सदन” में सीएम कैम्प खोलकर जिलेवासियों को रायपुर जाने की परेशानी से भी निजात दिलाई है। यह कदम मुख्यमंत्री की जनसेवा के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। मुख्यमंत्री की इस संवेदनशीलता की सराहना हर ओर की जा रही है, जिससे जनमानस में उनके प्रति विश्वास और बढ़ा है।

छतीसगढ़ में मवेशी तस्करों के गांव साईंटाँगरटोली में पुलिस ने चलाया ‘ऑपरेशन शंखनाद’,,पढ़िए खास रिपोर्ट

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मवेशी तस्करों पर पुलिस के प्रहार की ख़ास खबर (खबर जनपक्ष) जशपुर: छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती गांव साईं टांगरटोली में आज सुबह 4:00 बजे जशपुर पुलिस ने वृहद स्तर पर “ऑपरेशन शंखनाद” चलाकर पशु तस्करों के ठिकानों पर धावा बोला। इस अभियान का नेतृत्व पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमित सोनी ने किया, जिसमें 125 पुलिसकर्मी शामिल थे। हम आपको बता दें कि यह गांव मुस्लिम आबादी वाला बड़ा गांव है।जो लोदाम पुलिस चौकी के अंदर झारखण्ड बॉर्डर पर शँख नदी के तट पर बसा है।अन्तर्राज्यीय सीमा पर होने के कारण यह गांव अपराधियों के लिए काफी मुफ़ीद रही है।यह गांव खासकर मवेशी तस्करी को लेकर बदनाम है।ढाई हजार की आबादी वाले इस गांव के ज्यादातर लोग छोटी-बड़ी दुकान चलाते हैं और मेहनत -मजदूरी करते हैं।शिक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ी है लेकिन दसवीं कक्षा के बाद ड्रॉप आउट स्टूडेंट्स की संख्या चिंताजनक है।बीते दो माह से जशपुर पुलिस ने जिले को अपराधमुक्त बनाने के लिए मवेशी तस्करी को टारगेट किया है।जिसके कारण आज इस गांव में ऑपरेशन शंखनाद शुरू किया गया। **ऐसा चला ऑपरेशन शंखनाद कि…** एसपी शशि मोहन सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमित सोनी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में 125 पुलिसकर्मियों ने पांच टीमों में बंटकर बलवा ड्रिल और आंसू गैस सामग्री के साथ गांव को चारों ओर से घेर लिया। ऑपरेशन के दौरान ड्रोन से निगरानी की गई।पुलिस ने 04 अलग-अलग बाड़ों से कुल 37 गौ-वंश को मुक्त कराया और 10 तस्करों को गिरफ्तार कर उनसे 09 पिकअप वाहन, 03 कार, 01 स्कॉर्पियो और 05 मोटरसाइकिलें जब्त कीं।गिरफ्तार आरोपियों पर कई न्यायालयों से स्थाई वारंट जारी थे।जप्त वाहनों को राजसात किया जाएगा। एसपी शशि मोहन सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा, “जशपुर पुलिस द्वारा आज प्रातः साईं टांगरटोली में “ऑपरेशन शंखनाद” चलाते हुए 10 तस्करों को गिरफ्तार कर उनसे 09 पिकअप वाहन, 04 कार और 05 मोटरसाइकिलें जब्त की गई हैं। आने वाले दिनों में पूरे जिले में इस तरह की कार्रवाई की जाएगी और जिले को पशु तस्करों से पूर्णतः मुक्त कराया जाएगा।” *पुलिस आपकी दुश्मन नहीं है,हम आपको आईना दिखाने आये हैं*   कार्रवाई के दौरान एसपी शशि मोहन ने मुस्लिम बस्ती में युवाओं की स्टैंडिंग मीटिंग ली जिसमें उन्होंने कहा कि ढाई हजार की आबादी में से कुछ सौ-दो सौ लोग अपराध करते होंगे। जिनके चलते गांव की बदनामी होती है। बाकी लोग अपना सामान्य जीवन जी रहे है,कोई दुकान चलाता है,कोई मेहनत-मजदूरी करता है।ऐसे अपराधियों के कारण आपकी पीढ़ी बर्बाद हो रही है।उन्होंने बच्चों और युवाओं को पढ़-लिखकर अच्छा भविष्य बनाने की समझाइश दी। **पशु प्रेमियों की उम्मीदें:** यह गांव छत्तीसगढ़ के मवेशियों को तस्करी के जरिये झारखंड के रास्ते पश्चिम बंगाल होकर बांग्लादेश तक भेजने का प्रमुख EXIT GATE निकास द्वार है। पशु प्रेमी इस कार्रवाई को मवेशी तस्करी की अंतर्राष्ट्रीय चैनल तोड़ने की बड़ी सफलता मान रहे हैं। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि अब देसी नस्ल के मवेशी बच सकेंगे। इस ऑपरेशन में पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमित सोनी, एसडीओपी जशपुर  चंद्रशेखर परमा, एसडीओपी कुनकुरी  विनोद कुमार मंडावी, उप पुलिस अधीक्षक विजय सिंह राजपूत, उप पुलिस अधीक्षक भावेश समरथ, थाना प्रभारी लोदाम निरीक्षक राकेश यादव, निरीक्षक हर्षवर्धन चौरासे और उप निरीक्षक सरिता तिवारी सहित अन्य अधिकारी और पुलिस के जवान शामिल रहे।

छत्तीसगढ़ में पीटीएम कार्यक्रम का मुख्यमंत्री साय ने जशपुर से किया शुभारम्भ, 48000 सरकारी स्कूलों में हुआ पालक-शिक्षक मीटिंग,पत्रकारों से कहा – नहीं बनेगा नया जिला

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जशपुर – मुख्यमंत्री विष्णुदे साय सोमवार-मंगलवार को गृहजिले जशपुर के दौरे पर रहे।इस दौरान उन्होंने शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल बन्दरचूंवा में प्रदेश स्तरीय पालक-शिक्षक बैठक का शुभारंभ किया।कार्यक्रम के बाद वनवासी कल्याण आश्रम के जिलाध्यक्ष बलराम भगत के घर दोकड़ा पहुंचकर उनकी माताजी के निधन पर शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री साय पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 12 बजे मेगा पालक-शिक्षक बैठक में शामिल होने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बन्दरचूंवा पहुंचे। यहां उन्होंने विद्यार्थियों और उनके पालकों से बातचीत की। यह कार्यक्रम शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा कदम माना जा रहा है। शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने जानकारी दी कि प्रदेश के 5,500 संकुल में पालकों की बैठक आयोजित की जा रही है और 48,000 सरकारी स्कूलों में साल में तीन बार पालकों की बैठक होगी। यह पहली बैठक मुख्यमंत्री के निर्देश पर आयोजित की गई है। बैठक में पालकों को बच्चों की पढ़ाई के स्तर को बढ़ाने के लिए 12 बिंदुओं पर चर्चा की गई और जानकारी दी गई। बच्चों में पढ़ाई के कारण बढ़ते तनाव को दूर करने पर भी जोर दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश में 20 बोली भाषाओं में पुस्तक बनाने का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंच से कहा, ” यहां इस स्कूल में मैं पहले भी आ चुका हूं। मेरी पत्नी हर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस यहीं मनाती हैं। शिक्षा का बड़ा महत्व है और विद्वानों ने इसे विकास का मूलमंत्र बताया है। शिक्षा केवल नौकरी पाने के लिए नहीं है, बल्कि जीवन को पूर्ण बनाने के लिए जरूरी है। शिक्षा के कारण हमारा देश विश्वगुरु कहलाता था और यहां नालंदा और तक्षशिला में दुनियाभर से विद्यार्थी आते थे।” उन्होंने आगे कहा, “मैकाले की शिक्षा पद्धति बहुत दिनों तक चली, लेकिन अब समय के साथ बदलते परिस्थितियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है, जो युवाओं और बच्चों को डिग्री, संस्कार और रोजगार के लिए कौशल विकास करने का काम करेगी। अब साल में तीन बार शिक्षक-पालक की बैठक होगी। नई शिक्षा नीति में लोकल भाषा में पढ़ाई कराई जाएगी। जशपुर में पीएमश्री योजना के तहत 263 स्कूल शामिल किए गए हैं, जिससे वे स्कूल प्रायवेट स्कूलों की तरह सुविधाओं से लैस होंगे।” मुख्यमंत्री साय ने जशपुर में 500 सीटर और कुनकुरी में 200 सीटर नालंदा परिसर खोलने की घोषणा की। उन्होंने बन्दरचूंवा में सर्व सुविधायुक्त बस स्टैंड, प्राथमिक शाला से छेराघोघरा के लिए स्ट्रीट लाइट, बंदरचुंवा दोनों मंदिरों के जीर्णोद्धार का भी ऐलान किया। इसके अलावा, उन्होंने बन्दरचूंवा में एक मिनी स्टेडियम और छात्रावास को 50 सीट से बढ़ाकर 100 सीट करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री साय ने पालक हरिसेवक की तारीफ करते हुए कहा कि उनका पोता यहीं से पढ़कर एमएससी कर रहा है। उन्होंने कहा, “रायपुर में नालंदा परिसर खोला गया है, जहां प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए 24 घंटे खुला रहता है। ऐसे ही नालंदा परिसर 22 जिलों में खोलने जा रहे हैं।” इन सभी योजनाओं और घोषणाओं के साथ, मुख्यमंत्री साय ने शिक्षा और विकास के क्षेत्र में व्यापक सुधार और प्रगति का आश्वासन दिया। कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय ने भी सरकारी स्कूल के शिक्षकों को उनकी मेहनत के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि वे निजी तौर पर 1990 से स्कूलों में जाकर पालकों, विद्यार्थियों और गुरुजनों के साथ चर्चा करती आ रही हैं। उन्होंने कहा, “परीक्षा कोई भूत नहीं है जो आपको इतना डरा दे। परीक्षा के समय स्कूलों में जाकर बच्चों को समझाना, परिणाम को लेकर अच्छा वातावरण बनाने का काम हम सभी को करना चाहिए।” उन्होंने पालकों को यह भी याद दिलाया कि बच्चों को संस्कार देने का काम उनका है, जबकि शिक्षक उन्हें आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मीडिया से बात करते हुए घोषणा की है कि रेडी टू ईट योजना, जिसे भूपेश सरकार के दौरान महिला स्वसहायता समूहों से छीन लिया गया था, अब फिर से इन्हीं समूहों को सौंपने की तैयारी की जा रही है। मुख्यमंत्री साय ने सुबह बगिया निवास श्रीराम सदन में 59 कब्जाधारियों को वनभूमि के पट्टे सौंपे। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने प्रदेश में नए जिले बनाने की योजना से फिलहाल इंकार किया।

 जशपुर में सड़क किनारे पहाड़ी कोरवा महिला ने दिया शिशु को जन्म, समय पर सहायता से सुरक्षित रहे जच्चा-बच्चा

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जशपुर: कुनकुरी तहसील के नारायणपुर गांव में आज सुबह 11 बजे एक असाधारण घटना घटी, जब एक पहाड़ी कोरवा महिला ने सड़क किनारे एक बाउंड्रीवाल के अंदर शिशु को जन्म दिया। इस घटना में मकान मालकिन, दुकानदार और स्वास्थ्यकर्मियों की तत्परता और सहयोग से समय से पहले हुए इस प्रसव में जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहे। ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर श्रीमती किरण कांति कुजूर ने खबर जनपक्ष  को बताया कि प्रसूता बिंदेश्वरी बाई (21) अपने ससुराल बछरांव जाने के लिए नारायणपुर बस स्टेशन पर बस का इंतजार कर रही थीं। वह पिछले सप्ताह से अपने मायके जाताकोना में थीं और उनके भाई ने उन्हें बाइक से नारायणपुर छोड़ा था। अचानक, बिंदेश्वरी को पेट में तेज दर्द हुआ और वह सड़क किनारे एक बाउंड्रीवाल के अंदर चली गईं, जहां उनका मेम्ब्रेन फूटने से समय से 2 महीने पहले प्रसव हो गया। नवजात बालिका का वजन डेढ़ किलो है और उसे कुनकुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शिशु विशेषज्ञों द्वारा जांच के लिए ले जाया गया। घटना की सूचना मिलते ही बीएमओ ने ड्यूटी पर तैनात नर्सों को तत्काल मौके पर भेजा और जच्चा-बच्चा को सकुशल अस्पताल पहुंचाया। इस घटना में युवा व्यवसायी राहुल बंग और मकान मालकिन सपना सिंह की संवेदनशीलता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सपना सिंह ने बताया कि जब वह सावन सोमवार को शिव मंदिर से पूजा करके लौटीं, तो उन्होंने बाउंड्रीवाल के पास एक महिला को बच्चे को जन्म देते देखा। उन्होंने तुरंत पड़ोसी राहुल बंग को अस्पताल की सूचना देने के लिए कहा और खुद वाहन की व्यवस्था करने लगीं। महिला का बीपी बढ़ा हुआ था और खराब सड़कों पर बाइक से यात्रा करने के कारण यह घटना हुई थी। डॉ. मीना कुजूर, लैब टेक्नीशियन समाप्रिया खाखा, स्टाफ नर्स दीपा टोप्पो और लिपिक किरण मिंज ने भी मौके पर पहुंचकर तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान की और महिला व शिशु को अस्पताल पहुंचाया। इन सभी की तत्परता और संवेदनशीलता ने एक जीवनरक्षक भूमिका निभाई और जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखा।

**इतिहास में मुस्लिम महिलाओं की भूमिका: फ़ातिमा अल-फ़िहरी और खदीजा बिन्त खुवायलिद की विरासत**

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लेखक – निर्मल कुमार मुस्लिम महिलाओं को केवल घरेलू कार्यों तक सीमित मानने का विचार न केवल गलत है, बल्कि यह उन महत्वपूर्ण योगदानों को भी नजरअंदाज करता है जो उन्होंने इतिहास में दिए हैं। ऐसी ही एक अद्वितीय हस्ती हैं फ़ातिमा अल-फ़िहरी, जिनकी विरासत इस मिथक को खारिज करती है और यह दिखाती है कि मुस्लिम महिलाओं ने शिक्षा और समाजिक प्रगति में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। फ़ातिमा अल-फ़िहरी, एक दूरदर्शी मुस्लिम महिला, ने 859 ईस्वी में फ़ेज़, मोरक्को में अल-क़रावीइन विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। इस विश्वविद्यालय को यूनेस्को और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा दुनिया का सबसे पुराना लगातार संचालित डिग्री प्रदान करने वाला विश्वविद्यालय माना गया है। 9वीं सदी में एक महिला द्वारा इस विश्वविद्यालय की स्थापना इस्लामी दुनिया में महिलाओं की प्रमुख और अग्रणी भूमिका को उजागर करती है। फ़ातिमा अल-फ़िहरी और उनकी बहन मरियम ने पहले अल-अंडालुस मस्जिद का निर्माण किया, जो बाद में अल-क़रावीइन विश्वविद्यालय में बदल गया। इस निर्माण में 18 साल लगे, जिसमें फ़ातिमा ने मस्जिद की समाप्ति तक लगातार उपवास रखा। उद्घाटन के समय, वह पहली बार उसमें प्रवेश कर, प्रार्थना की और इस विशाल कार्य को पूरा करने के लिए भगवान का धन्यवाद किया। इन परियोजनाओं के लिए वित्तीय संसाधन उनके माता-पिता से विरासत में मिले थे, जो उनके युवावस्था में ही स्वर्गवासी हो गए थे। एक संपन्न परिवार से आने वाली फ़ातिमा और मरियम ने अपनी विरासत का उपयोग अपने समुदाय की भलाई और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किया। यह निर्णय उनकी सामाजिक और शैक्षिक विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो इस मिथक को खारिज करता है कि उस समय की मुस्लिम महिलाएं केवल घरेलू भूमिकाओं तक सीमित थीं। अल-क़रावीइन विश्वविद्यालय एक शिक्षण केंद्र बन गया, जो दुनिया भर से विद्वानों को आकर्षित करता था। यहीं पर पहली शैक्षणिक डिग्री प्रदान की गई, जो शैक्षिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। खदीजा बिन्त खुवायलिद इस्लामी इतिहास में एक सफल व्यवसायी महिला और पैगंबर मुहम्मद की पहली पत्नी के रूप में प्रमुख स्थान रखती हैं। उन्होंने अपने पिता के व्यवसाय को विरासत में लेकर उसका विस्तार किया, जिससे वे मक्का की सबसे धनी और सम्मानित व्यापारियों में से एक बन गईं। खदीजा ने कई लोगों को रोजगार दिया, जिनमें मुहम्मद भी शामिल थे, जिनकी ईमानदारी और प्रबंधन कौशल ने उन्हें प्रभावित किया और उनके विवाह का कारण बना। एक सफल उद्यमी, समर्पित पत्नी और मां के रूप में उनकी विरासत मुस्लिम महिलाओं को अपने करियर का पीछा करने और अपने विश्वास को बनाए रखते हुए समाज में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है। फ़ातिमा अल-फ़िहरी और खदीजा बिन्त खुवायलिद की कहानियां सिर्फ उन कई उदाहरणों में से हैं, जिनमें मुस्लिम महिलाओं ने घरेलू कार्यों के बाहर भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस्लामी इतिहास में महिलाएं विद्वान, कवि, डॉक्टर और नेता रही हैं। उन्होंने संस्थानों की स्थापना की और विज्ञान, साहित्य और राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। फ़ातिमा अल-फ़िहरी और खदीजा बिन्त खुवायलिद जैसी महिलाओं के योगदान से स्पष्ट है कि मुस्लिम महिलाओं की भूमिका कभी भी घरेलू कार्यों तक सीमित नहीं रही है। वे इस्लामी दुनिया और उससे परे की बौद्धिक और सांस्कृतिक धरोहर को आकार देने में महत्वपूर्ण रही हैं। यह विरासत आज मुस्लिम महिलाओं को प्रेरित और सशक्त करती है, रूढ़ियों को चुनौती देती है और उनकी संभावनाओं और उपलब्धियों की व्यापक समझ को प्रोत्साहित करती है। उनके योगदान इस बात के स्पष्ट उदाहरण हैं कि इस्लामी दुनिया में महिलाओं ने पारंपरिक भूमिकाओं को पार किया है, ज्ञान और संस्कृति की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन ऐतिहासिक हस्तियों को उजागर करके, हम मुस्लिम महिलाओं के आसपास की कथाओं को चुनौती और पुनर्परिभाषित कर सकते हैं, समाज में उनके अमूल्य योगदान को मान्यता दे सकते हैं और उन्हें लाखों वर्तमान समय की मुस्लिम महिलाओं के लिए प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं, ताकि वे पितृसत्ता की बेड़ियों से बाहर निकल सकें। (यह लेख निर्मल कुमार के निजी विचार हैं।वे आर्थिक व सामाजिक मामलों के जानकार हैं.)