बड़ी खबर: तांत्रिक विद्या सीख रहे दो सगे भाइयों की मौत से मचा हड़कंप,परिवार के अन्य सदस्यों की मानसिक हालत बिगड़ी,पुलिस जांच में जुटी

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बिलासपुर,18 अक्टूबर 2024/ सक्ती जिले के बाराद्वार थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत लोहराकोट के आश्रित ग्राम तांडूलडीह में तंत्र-मंत्र विद्या सीखने के दौरान दो सगे भाइयों की मौत से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। मृतकों की पहचान विक्की सिदार (22) और विक्रम सिदार (25) के रूप में हुई है। घटना के बाद पूरे गांव में भय और अंधविश्वास का माहौल बन गया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। मां के साथ कर रहे थे जाप, मानसिक स्थिति बिगड़ी सूत्रों के अनुसार, मृतकों की मां अपने तीन बेटों और दो बेटियों के साथ पिछले 6-7 दिनों से लगातार तंत्र-मंत्र के नाम पर किसी प्रकार का जाप कर रही थी। इसी दौरान परिवार के चार सदस्यों की मानसिक स्थिति अचानक खराब हो गई। इसमें महिला और उसके तीन बच्चे शामिल हैं। फिलहाल इन सभी का इलाज सक्ती के जिला अस्पताल में चल रहा है। तंत्र-मंत्र का शक, पुलिस जांच में जुटी घटना के बाद गांव में यह चर्चा हो रही है कि परिवार पर तंत्र-मंत्र का असर हो सकता है, जिसने उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित किया। हालांकि, पुलिस ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि घटना तांत्रिक क्रियाओं का परिणाम है। पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है और इस दिशा में भी देख रही है कि कहीं यह किसी तांत्रिक क्रिया का नतीजा तो नहीं है। अंधविश्वास का शिकार बना परिवार? इस दुखद घटना ने एक बार फिर से समाज में व्याप्त अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र जैसी प्रथाओं के खतरों को उजागर किया है। इलाके में लोग इस घटना को लेकर सदमे में हैं और दहशत का माहौल है। पुलिस ने सभी संभावित पहलुओं पर काम करना शुरू कर दिया है और जांच जारी है। इस घटना ने तंत्र-मंत्र के अंधविश्वास के कारण होने वाले खतरों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो अक्सर परिवारों को नुकसान पहुंचाते हैं।  

*सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक अब 21 की जगह 22 अक्टूबर को होगी*

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रायपुर, 17 अक्टूबर 2024/ सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक 22 अक्टूबर को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में सवेरे 11 बजे से जिला जशपुर के मयाली नेचर कैम्प में आयोजित की गई है। गौरतलब है कि पहले यह बैठक 21 अक्टूबर को आयोजित होनी थी।बैठक की तैयारी में जिला कलेक्टर डॉ रवि मित्तल, एसपी शशिमोहन सिंह व जिले के सभी विभाग प्रमुख जूट गए हैं।

जशपुर पुलिस ने फरार आरोपियों पर घोषित किया नकद इनाम, 8 प्रकरणों में कुल 40 हजार का इनाम

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जशपुर, 17 अक्टूबर 2024: जिले में कानून व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से जशपुर पुलिस ने फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए नकद इनाम की घोषणा की है। पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने विभिन्न गंभीर अपराधों में फरार आरोपियों की गिरफ्तारी में मदद करने वाले लोगों के लिए कुल 40,000 रुपये का इनाम घोषित किया है। इस इनाम के तहत हर मामले में 5000 रुपये की राशि दी जाएगी। पुलिस ने अपील की है कि जो कोई भी इन फरार आरोपियों की पुख्ता जानकारी देगा, उसका नाम पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा। प्रमुख फरार आरोपी और उनके खिलाफ प्रकरण: 1. अन्नू घांसी: वर्ष 2011 में हत्या के प्रयास और अन्य गंभीर अपराधों में लिप्त आरोपी अन्नू घांसी (25), जो आरा चौकी, जशपुर का निवासी है, घटना के बाद से फरार है। 2. प्रेम कुमार गेडाम: धार्मिक सौहार्द्र बिगाड़ने के आरोपी प्रेम कुमार गेडाम, जो महाराष्ट्र के चंद्रपुर का निवासी है, 2022 में अपराध करने के बाद से फरार है। 3. कृष्णा यादव: लूट और डकैती के आरोपी कृष्णा यादव (20), निवासी बिदुरपुर यादवपारा, फरसाबहार, 2023 में वारदात के बाद से फरार है। 4. मो. शहीद खान: छत्तीसगढ़ कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम के उल्लंघन के मामले में आरोपी शहीद खान (40), गुमला (झारखंड) का निवासी है, जो जनवरी 2023 से फरार है। 5. लाल खान उर्फ लल्लू खान: पशु तस्करी के मामलों में लिप्त और 2022 से फरार चल रहे लाल खान पर भी इनाम की घोषणा की गई है। 6. उमेश यादव: हत्या के प्रयास और अन्य गंभीर अपराधों में फरार उमेश यादव (2019 से), जो करडेगा, जशपुर का निवासी है, पर भी इनाम घोषित किया गया है। 7. मनोज कण्डुलना: सिमडेगा (झारखंड) निवासी मनोज कण्डुलना, जो डकैती और आम्र्स एक्ट के तहत फरार है, पर भी इनाम घोषित किया गया है। 8. इन्ताब खान और अन्य: पशु क्रूरता और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामलों में फरार इन्ताब खान और उसके साथी, जो 2020 से फरार हैं, पर भी इनाम की घोषणा की गई है।   पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने जनता से अपील की है कि फरार अपराधियों की गिरफ्तारी में मदद करें। जो कोई भी व्यक्ति इन आरोपियों की जानकारी देगा, उसका नाम गुप्त रखा जाएगा और उसे 5000 रुपये का नकद इनाम दिया जाएगा। संपर्क के लिए महत्वपूर्ण फोन नंबर: 1. पुलिस अधीक्षक जशपुर: 9479193600 2. अति. पुलिस अधीक्षक: 9479193601 3. पुलिस अनु. अधि.: 9479193605 4. थाना प्रभारी कुनकुरी: 9479193613 5. थाना प्रभारी जशपुर: 9479193608 6. थाना प्रभारी तपकरा: 9479193609    

बिलासपुर में गरीब और मध्यमवर्गीय पर कड़ी कार्यवाही, बड़े भू-माफियाओं को राहत क्यो?

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बिलासपुर,17 अक्टूबर 2024: कलेक्टर अवनीश शरण द्वारा शासकीय भूमि पर अवैध कब्जों के खिलाफ की जा रही कार्यवाही इन दिनों चर्चा में है। मोपका के खसरा नंबर 993 और खमतराई के खसरा नंबर 551 पर की गई कार्रवाई ने लोगों का ध्यान खींचा है, जहां अवैध कब्जे हटाए गए और जमीन बेचने वालों पर एफआईआर दर्ज की गई। जनता इसे सराह रही है, क्योंकि शासकीय भूमि को बचाने के प्रयास दिख रहे हैं। लेकिन इस अभियान का एक और पक्ष है, जो  आम जनता के सामने नहीं आया है। कलेक्टर, नगर निगम कमीशनर, एसडीएम, और पुलिस की संयुक्त कार्यवाही में ज्यादातर गरीब और मध्यमवर्गीय लोग प्रभावित हो रहे हैं। इन लोगों ने किसी न किसी जाल में फंसकर अवैध जमीन खरीदी थी। अब न उनके पास जमीन बची और न ही उनके द्वारा दिए गए पैसे वापस मिल रहे हैं।अब ऐसे लोग न घर के रहे न घाट के। वहीं, बड़े भू-माफियाओं द्वारा कब्जाई गई कीमती शासकीय जमीनों पर कार्यवाही की रफ्तार धीमी नजर आ रही है। सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इन माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करने में हिचकिचा रहा है? लिंगियाडीह में शासकीय भूमि पर माफियाओं का कब्जा बिलासपुर के लिंगियाडीह क्षेत्र में खसरा नंबर 54/1 की शासकीय भूमि, जो करोड़ों रुपये मूल्य की है, पर बड़े भू-माफियाओं का कब्जा है। जनवरी 2024 में इस कब्जे की शिकायत कलेक्टर और एसडीएम को की गई थी, लेकिन दस महीने बीतने के बाद भी इस जमीन को मुक्त नहीं कराया गया है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या प्रशासन केवल गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों पर ही कार्यवाही कर रहा है, जबकि बड़े माफियाओं पर कार्रवाई करने से कतरा रहा है?

बड़ी खबर: शासकीय भूमि पर पेड़ कटाई मामले में बगीचा एसडीएम की सख्त कार्रवाई,नोटिस पढ़कर आरोपी के हाथ-पांव फूले,,पढ़िए पूरी खबर

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जशपुर/बगीचा,15 अक्टूबर2024 – शासकीय भूमि पर पेड़ों की अवैध कटाई के गंभीर मामले में एसडीएम बगीचा ओंकार यादव ने सख्त रुख अपनाते हुए आरोपी देवाधी राम यादव को नोटिस जारी किया है। यह कार्रवाई नायब तहसीलदार बगीचा के प्रतिवेदन के आधार पर की गई है, जिसमें बताया गया कि ग्राम गायलूंगा निवासी देवाधी राम यादव ने शासकीय भूमि पर खड़े 164 पेड़ों की अवैध रूप से कटाई की और 44 अन्य पेड़ों को छीलकर सुखाने की कोशिश की है। प्रतिवेदन के अनुसार, ग्राम पंचायत गायलूंगा के सरपंच और अन्य ग्रामीणों ने देवाधी यादव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि उसने ग्राम गायलूंगा स्थित शासकीय भूमि ख.नं. 511/1 रकबा 13.962 हेक्टेयर में महुआ, साल, और चार प्रजाति के पेड़ों की कटाई की है। मौके पर जांच में दो साल प्रजाति के कटे हुए वृक्ष पाए गए। यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 240 और 241 (4) के तहत की गई, जिसमें बिना अनुमति शासकीय भूमि पर पेड़ों की कटाई दंडनीय अपराध है। प्रत्येक कटे हुए पेड़ पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है, और इस प्रकार देवाधी यादव द्वारा काटे गए 164 पेड़ों पर भारी शास्ति आरोपित की जा सकती है। एसडीएम ने आरोपी को 3 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है, अन्यथा उसके खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस अवैध कटाई के मामले ने क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है, और एसडीएम की सख्ती से लोगों में एक संदेश गया है कि शासकीय भूमि पर अतिक्रमण और अवैध कार्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।  

नशीली दवा खिलाकर युवती से गैंगरेप,मरा समझकर दरिंदों ने फेंका,टीएस सिंहदेव के हस्तक्षेप से 48 घण्टे बाद पुलिस ने लिखी रिपोर्ट,राजनीति शुरू

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सेंट्रल डेस्क,खबर जनपक्ष 15 अक्टूबर 2024 छत्तीसगढ़ में भरोसे का कत्ल करते हुए सामूहिक दुष्कर्म की शर्मनाक घटना सामने आई है।एक ही स्कूल में पढ़नेवाले छात्र ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर क्रूरता की है। दरअसल, सूरजपुर जिले से एक 19 वर्षीय युवती के साथ नशीली दवाई खिलाकर सामूहिक बलात्कार और फिर बेहोशी की हालत में सड़क किनारे फेंकने की घटना सामने आई है। इस शर्मनाक घटना के बाद पीड़िता और उसके परिजन रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए भटकते रहे, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के हस्तक्षेप के बाद 48 घंटे बाद मामला दर्ज किया गया और पीड़िता का इलाज शुरू हो सका। घटना 12 अक्टूबर की है, जब श्रीनगर थाना क्षेत्र के एक गांव की युवती दशहरा देखने के लिए घर से निकली थी। अगले दिन राहगीरों ने उसे घायल अवस्था में उसके घर पहुंचाया। होश में आने पर पीड़िता ने बताया कि उसके साथ पढ़ने वाले छात्र और तीन अन्य लोगों ने उसे नशीली दवा देकर बलात्कार किया और विरोध करने पर उसे बुरी तरह पीटा। आरोपियों ने उसे मरा समझकर सड़क किनारे फेंक दिया। परिजनों ने आरोप लगाते हुए बताया कि जब पुलिस के पास रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे, तो पुलिस ने मुख्यमंत्री के आगमन के कारण व्यस्तता का हवाला देकर मामला दर्ज करने से मना कर दिया। इस दौरान  डॉक्टर ने बिना पुलिस रिपोर्ट के पीड़िता का इलाज करने से भी इनकार कर दिया। जब पूर्व विधायक खेल साय सिंह ने टीएस सिंहदेव को इस घटना की जानकारी दी, तब सिंहदेव ने आईजी अंकित गर्ग से संपर्क कर तत्काल रिपोर्ट दर्ज करने और पीड़िता का इलाज शुरू करने के निर्देश दिए। इसके बाद पीड़िता को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। टीएस सिंहदेव ने पुलिस की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल भी देर रात अस्पताल पहुंचकर पीड़िता और उसके परिजनों से मिला। पीड़िता ने बताया कि आरोपी उसके साथ स्कूल में पढ़ता था और उसने उसे नशीली दवाई दी, जिसके बाद उसने और उसके साथियों ने उसके साथ रेप किया।

खबर का असर : सरकारी शिक्षक ने भाजपा की सदस्यता लेने की ख़बर पर रखा अपना पक्ष, खबर जनपक्ष को व्हाट्सएप पर भेजी चिट्ठी

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जशपुर/बगीचा 13 अक्टूबर 2024 – एक सरकारी शिक्षक द्वारा भारतीय जनता पार्टी का सदस्य बनने की खबर सुर्खियों में आने के बाद शिक्षक ने खबर जनपक्ष के सामने अपना पक्ष रखा है।जिसमें उन्होंने खुद को निर्दोष बताया है। दरअसल, मामला जशपुर जिले के बगीचा में पदस्थ हॉस्टल अधीक्षक व शिक्षक विश्वनाथ प्रधान से जुड़ा हुआ है। दिनांक 12 अक्टूबर,2024 को खबर जनपक्ष में प्रकाशित समाचार का असर हुआ कि भाजपा की सदस्यता लिए हुए सरकारी शिक्षक विश्वनाथ राम ने खबर पढ़ने के बाद फोन पर अपना पक्ष रखा है।उनका कहना है कि दो दिन पहले मेरे घर पर भाजपा के मंडल महामंत्री हरीश यादव,महावीर यादव और अजीत देहरी आये हुए थे। मैं उनके लिए पानी लेने घर के अंदर गया हुआ था।मेरा मोबाइल बाहर ही टेबल पर रखा हुआ था।मुझे नहीं मालूम कि कैसे मुझे सदस्य बना दिया गया।मेरा किसी भी राजनैतिक पार्टी का सदस्य बनने का कोई इरादा नहीं है। इतना ही नहीं विश्वनाथ प्रधान ने अपना पक्ष लिखित में भी भेजा है।

खबर जरा हटके : ‘गुरुजी’ ने राजनैतिक दल की सदस्यता लेकर किया सेवा नियमों का उल्लंघन,सोशल मीडिया में गुरुजी की पोल पर बजी ढोल

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  जशपुर,12 अक्टूबर 2024 – विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का तमगा लिए भारतीय जनता पार्टी का सदस्यता अभियान जशपुर जिले में बड़ा तूफानी चल रहा है।इस तूफान की जद में सरकारी कर्मचारी भी आ चुके हैं।ताजा मामला बगीचा विकासखंड का है,जहां एक शिक्षक ने विधिवत भाजपा की सदस्यता ले ली है। दरअसल,भारतीय शासन व्यवस्था में चाहे व केंद्र की शासन व्यवस्था हो या राज्य की,कोई भी शासकीय सेवक किसी भी राजनैतिक दल का सदस्य नहीं बन सकता है।गूगल करने पर भी जानकारी मिली कि , कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक दल या संगठन का सदस्य नहीं बन सकता. इसके अलावा, वह किसी राजनीतिक आंदोलन या गतिविधि में भी हिस्सा नहीं ले सकता. सरकारी कर्मचारियों से जुड़े कुछ और नियम ये रहे: सरकारी कर्मचारी किसी विधानसभा या स्थानीय प्राधिकरण के चुनाव में प्रचार नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी चुनाव में अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी सरकार की नीति या किसी कार्रवाई की आलोचना नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी अपने नाम से कोई कारोबार नहीं खोल सकता. वहीं Quora डॉट कॉम में सीधे इसे गैरकानूनी बताया गया है।ऐसा करने से कर्मचारी को सेवा निलंबित किया जा सकता है। इसी से जुड़ी 10 साल पुरानी खबर दैनिक भास्कर में मिली जिसमें लिखा मिला कि 1965 के नियम 5 के अनुसार शासकीय सेवक राजनीतिक दल या राजनीति से जुड़े संगठन का सदस्य नहीं बन सकता। न ही वह संगठन से किसी तरह का संबंध रख सकता है। ऐसा करना नियम विरुद्ध है। (एडवोकेट कैलाश पाठक के मुताबिक) अब इससे यह साफ समझा जा सकता है कि शिक्षक विश्वनाथ प्रधान ने राजनैतिक दल भाजपा की सदस्यता लेकर गैर कानूनी काम किया है। हम आपको इतना बताते चलें कि आज के समय भाजपा की सदस्यता लेना इतना आसान भी नहीं है।सदस्यता रिनिवल कराने में लोगों के पसीने छूट रहे हैं। नए सदस्य बनने के लिए ऑनलाइन आपको फार्म भरना होगा जिसमें पूरी जानकारी भरनी होगी।इसके बाद आपके नम्बर पर ओटीपी आएगा जिसे डालने के बाद ही आपको सदस्यता मिलेगी। ऐसी स्थिति में अगर शिक्षक विश्वनाथ प्रधान यह कहकर बचना भी चाहे ‘गलती से हो गया’,नहीं बच सकता।जानकारों के मुताबिक उसे अपने पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी का सदस्य बनना चाहिए। हालांकि इस मामले में खबर जनपक्ष ने शिक्षक विश्वनाथ प्रधान से उनके मोबाइल नम्बर  9340084125 पर  सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मोबाइल कॉल का कोई जवाब नहीं दिया। विश्वनाथ प्रधान के बारे में जो जानकारी मिली है उसके अनुसार श्री प्रधान का मूल पद शिक्षक का है जो सरबकोम्बो माध्यमिक शाला में पदस्थ हैं लेकिन वहां अध्यापन कार्य न करके व्यवस्था में तीन छात्रावासों में अधीक्षक के पद पर कार्य कर रहे हैं।विश्वनाथ प्रधान इतने व्यवहार कुशल हैं कि कोई भी सहायक आयुक्त हों उन्हें अपनी विलक्षण क्षमता से प्रभावित कर पद पर बने रहते हैं।इसी के साथ वे सत्ताधारी राजनैतिक दल के नेता-विधायकों से भी अच्छा तालमेल बिठा लेते हैं।यही वजह है कि कांग्रेस की पिछली सरकार में योग्यता न होते हुए भी विधायक विनय भगत की कथित कृपा से तीन -तीन छात्रावासों के अधीक्षक बन गए।अब भाजपा सरकार में वर्तमान विधायक श्रीमती रायमुनी भगत की कथित कृपा से कंटीन्यू काम कर रहे हैं। वहीं,भाजपा की सदस्यता लेने के बाद दशहरे के दिन बगीचा के कई व्हाट्सप ग्रुपों में गुरुजी खूब चर्चा में हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि क्या जिला प्रशासन गैरकानूनी तरीके से राजनैतिक दल की सदस्यता ले चुके सरकारी शिक्षक/हॉस्टल अधीक्षक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की हिम्मत दिखा पाएगा?

डबल इंजन:विष्णुदेव साय के नेतृत्व में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम: चार नए मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के लिए 1020 करोड़ रुपये का ई-टेंडर जारी

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  रायपुर, 11 अक्टूबर 2024 – छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार ने चार नए मेडिकल कॉलेजों के भवन निर्माण के लिए 1020.60 करोड़ रुपये का ई-टेंडर जारी किया है। इस कदम से राज्य में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की उम्मीद है। इन नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण जांजगीर-चांपा, कबीरधाम, मनेंद्रगढ़ और दंतेवाड़ा के गीदम में किया जाएगा। इन कॉलेजों की प्लानिंग, डिजाइनिंग और इंजीनियरिंग के साथ-साथ निर्माण कार्य भी उच्च स्तरीय होगा, और इसे छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन (CGMSC) द्वारा 24 महीनों के भीतर पूरा किया जाएगा। ई-टेंडर प्रक्रिया की शुरुआत 11 अक्टूबर से हो गई है, और बोली जमा करने की अंतिम तिथि 7 नवंबर 2024 तय की गई है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस मौके पर कहा, “हमारी प्राथमिकता राज्य के हर नागरिक को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इन मेडिकल कॉलेजों से न केवल राज्य के युवाओं को चिकित्सा शिक्षा में नए अवसर मिलेंगे, बल्कि स्थानीय जनता को भी बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी।” राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के इस बड़े कदम की व्यापक सराहना की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री साय और स्वास्थ्य मंत्री श्री जायसवाल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में जो सुधारात्मक और विकासात्मक योजनाएं बनाई हैं, वे राज्य को एक बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यह परियोजना न केवल चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेगी। इस कदम से प्रदेशवासियों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विश्वास और भी मजबूत होगा।  

समसामयिक लेख : *संजौली और मंडी में मस्जिद निर्माण पर विवाद:एक गहरी दृष्टि *

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निर्मल कुमार हिमाचल प्रदेश के संजौली और मंडी में हाल ही के विरोध प्रदर्शनों की जड़ अवैध मस्जिद निर्माण के आरोप हैं। अवैध निर्माण की चिंता ने इन विरोधों को जन्म दिया है, लेकिन यह मुद्दा केवल कानूनी मामलों तक सीमित नहीं है। यह साम्प्रदायिक सौहार्द्र, सामाजिक संतुलन, और धार्मिक आस्थाओं के आपसी मेल-जोल से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। इस्लाम के अनुसार, मस्जिद का निर्माण नैतिक और वैध जमीन पर होना चाहिए ताकि पूजा और इबादत का स्थान पवित्र और वैध रहे। इससे संबंधित विवाद न केवल धार्मिक जिम्मेदारियों को प्रभावित करते हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सौहार्द्र को भी चुनौती देते हैं। मस्जिद का निर्माण: इस्लामी मान्यताएँ और सिद्धांत इस्लाम में, मस्जिद केवल एक पूजा स्थल नहीं है; यह एक सामुदायिक केंद्र, आध्यात्मिकता का स्रोत, और नैतिकता का प्रतीक होती है। इसे इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार एक पवित्र स्थान के रूप में देखा जाता है जहाँ केवल धार्मिक कर्मकांड ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और नैतिकता का पालन भी होता है। मस्जिद के निर्माण की प्रक्रिया से लेकर उसके संचालन तक हर कदम नैतिकता और कानून के दायरे में होना चाहिए। मस्जिद निर्माण के लिए शरीयत (इस्लामिक कानून) के तहत यह अनिवार्य है कि उसका निर्माण केवल वैध, विवाद-मुक्त जमीन पर ही किया जाए। हदीस और कुरान की शिक्षाओं के अनुसार, किसी भी मस्जिद का निर्माण अनैतिक साधनों, जैसे अवैध भूमि या भ्रष्टाचार के धन से नहीं किया जाना चाहिए। अवैध या विवादित भूमि पर मस्जिद बनाकर उस स्थान की पवित्रता को खतरे में डालने से मस्जिद में की गई नमाज़ भी प्रश्नों के घेरे में आ सकती है। इसलिए, मस्जिद का निर्माण पूरी तरह से पारदर्शी, नैतिक और कानूनी रूप से शुद्ध होना चाहिए। इस्लामी धर्मशास्त्र और धार्मिक स्थलों की पवित्रता इस्लाम में धार्मिक स्थलों की पवित्रता का एक गहरा महत्व है। केवल बाहरी रूप से मस्जिद का निर्माण महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उसका आधार, उसकी प्रक्रिया, और उसमें उपयोग की गई सामग्री भी धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती है। उदाहरण के लिए, कुरान में इस बात पर बल दिया गया है कि अवैध तरीके से प्राप्त संपत्ति को धार्मिक कार्यों में शामिल करना निषिद्ध है। ऐसे में अवैध भूमि पर बनी मस्जिद की वैधता संदेह के घेरे में आ जाती है। हदीस के अनुसार, मस्जिद एक शुद्ध, विवाद-मुक्त और पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा बनाई जानी चाहिए। यदि मस्जिद का निर्माण विवादित या अवैध भूमि पर किया जाता है, तो वह मस्जिद सामुदायिक असंतोष का कारण बन सकती है। इससे समाज में शांति की बजाय अशांति फैलने की संभावना बढ़ जाती है, जो कि मस्जिद के वास्तविक उद्देश्य के बिल्कुल विपरीत है। मस्जिद एक ऐसा स्थान होना चाहिए जहाँ लोग एकजुट होकर ईश्वर की इबादत कर सकें और नैतिकता के उच्चतम मानकों का पालन कर सकें। स्थानीय सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान मस्जिद निर्माण के विवाद का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसे सांस्कृतिक और स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करना चाहिए। जब धार्मिक स्थल अवैध रूप से बनाए जाते हैं, तो यह समाज में असंतुलन और गलतफहमियों को जन्म देता है। भारत जैसे विविध और बहु-धार्मिक देश में, धार्मिक स्थलों का निर्माण न केवल धार्मिक भावना का सम्मान करना चाहिए, बल्कि स्थानीय समुदायों के रीति-रिवाजों और भावनाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में, जहाँ सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता है, बाहरी लोगों की उपस्थिति और उनकी गतिविधियों को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। बाहरी समुदायों को शरण देने और स्थानीय संस्कृति को बनाए रखने के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। अगर किसी बाहरी समुदाय की गतिविधियों से स्थानीय सांस्कृतिक संतुलन बिगड़ता है, तो यह साम्प्रदायिक तनाव को जन्म दे सकता है। इसलिए, मस्जिद निर्माण के दौरान यह ध्यान रखना चाहिए कि स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान हो और साम्प्रदायिक सौहार्द्र बना रहे। साम्प्रदायिक सौहार्द्र का महत्व भारत में धार्मिक विविधता सदियों से एक मजबूत पहलू रही है। यहाँ सभी धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं और धार्मिक स्थलों का सम्मान करते हैं। मस्जिद, मंदिर, चर्च, गुरुद्वारा—हर धार्मिक स्थल को साम्प्रदायिक सौहार्द्र के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। जब किसी धार्मिक स्थल का निर्माण कानून का पालन करते हुए और स्थानीय समुदाय की सहमति से होता है, तो वह एकता और शांति का संदेश देता है। संजौली और मंडी में मस्जिद निर्माण के विवाद के बाद, मस्जिद प्रबंधन समितियों ने जो कदम उठाए, वे सराहनीय हैं। उन्होंने अवैध निर्माण के हिस्सों को गिराने का निर्णय लिया, ताकि समाज में साम्प्रदायिक तनाव न बढ़े और शांति बनी रहे। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो यह दर्शाता है कि कानून का पालन करते हुए धार्मिक स्थलों का निर्माण किया जाना चाहिए। कानून और सामुदायिक जिम्मेदारियाँ धार्मिक स्थलों का निर्माण केवल धार्मिक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि कानूनी जिम्मेदारी भी है। भारत का संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन इसके साथ यह भी सुनिश्चित करता है कि इस अधिकार का दुरुपयोग नहीं किया जाए। जब कोई धार्मिक स्थल, जैसे मस्जिद, मंदिर, या चर्च, वैध प्रक्रिया और कानून के तहत बनाए जाते हैं, तो इससे समाज में विश्वास और एकता बढ़ती है। कानूनी तौर पर, भूमि का स्वामित्व विवादित नहीं होना चाहिए और सभी आवश्यक अनुमतियाँ और स्वीकृतियाँ प्राप्त करने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जाना चाहिए। मस्जिदों या अन्य धार्मिक स्थलों के अवैध निर्माण से सामाजिक असंतोष पैदा हो सकता है, जो कि साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे सकता है। *धार्मिक स्थल: एकता का केंद्र* धार्मिक स्थल जैसे मस्जिद, मंदिर, और चर्च समाज में शांति, एकता और सामंजस्य का प्रतीक होते हैं। इनका उद्देश्य केवल पूजा करना नहीं होता, बल्कि समाज के लोगों को एकजुट करना और नैतिकता का पालन करना होता है। जब किसी धार्मिक स्थल का निर्माण विवादों में घिर जाता है, तो उसका वास्तविक उद्देश्य खो जाता है। मस्जिद का निर्माण अगर विवाद-मुक्त और नैतिक तरीके से किया जाता है, तो वह समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। महात्मा गांधी के विचार भी इस बात पर जोर देते हैं कि किसी भी धार्मिक स्थल का निर्माण और उसका संचालन नैतिकता, अहिंसा और सभी धर्मों के प्रति सम्मान के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने हमेशा कहा कि धार्मिक … Read more