बड़ी खबर: शासकीय भूमि पर पेड़ कटाई मामले में बगीचा एसडीएम की सख्त कार्रवाई,नोटिस पढ़कर आरोपी के हाथ-पांव फूले,,पढ़िए पूरी खबर

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जशपुर/बगीचा,15 अक्टूबर2024 – शासकीय भूमि पर पेड़ों की अवैध कटाई के गंभीर मामले में एसडीएम बगीचा ओंकार यादव ने सख्त रुख अपनाते हुए आरोपी देवाधी राम यादव को नोटिस जारी किया है। यह कार्रवाई नायब तहसीलदार बगीचा के प्रतिवेदन के आधार पर की गई है, जिसमें बताया गया कि ग्राम गायलूंगा निवासी देवाधी राम यादव ने शासकीय भूमि पर खड़े 164 पेड़ों की अवैध रूप से कटाई की और 44 अन्य पेड़ों को छीलकर सुखाने की कोशिश की है। प्रतिवेदन के अनुसार, ग्राम पंचायत गायलूंगा के सरपंच और अन्य ग्रामीणों ने देवाधी यादव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि उसने ग्राम गायलूंगा स्थित शासकीय भूमि ख.नं. 511/1 रकबा 13.962 हेक्टेयर में महुआ, साल, और चार प्रजाति के पेड़ों की कटाई की है। मौके पर जांच में दो साल प्रजाति के कटे हुए वृक्ष पाए गए। यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 240 और 241 (4) के तहत की गई, जिसमें बिना अनुमति शासकीय भूमि पर पेड़ों की कटाई दंडनीय अपराध है। प्रत्येक कटे हुए पेड़ पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है, और इस प्रकार देवाधी यादव द्वारा काटे गए 164 पेड़ों पर भारी शास्ति आरोपित की जा सकती है। एसडीएम ने आरोपी को 3 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है, अन्यथा उसके खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस अवैध कटाई के मामले ने क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है, और एसडीएम की सख्ती से लोगों में एक संदेश गया है कि शासकीय भूमि पर अतिक्रमण और अवैध कार्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।  

कलेक्टर और एसपी ने किया हैलीपैड और मयाली नेचर कैंप का निरीक्षण,80 से ज्यादा वीवीआइपी,वीआईपी के साथ सीएम 21को करेंगे बैठक

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जशपुर, 14 अक्टूबर 2024 / मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय आगामी 21 अक्टूबर को जशपुर में होने वाली सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल होंगे। इस बैठक की तैयारियों का जायजा लेने के लिए कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल और पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने कुनकुरी विकासखंड के मयाली नेचर कैंप, टापू और हैलीपैड का निरीक्षण किया। कलेक्टर ने हैलीपैड पर सुरक्षा व्यवस्था, स्थल की लाइटिंग और बिजली आपूर्ति की तैयारी की समीक्षा की। साथ ही, बैठक स्थल को फूलों से सजाने और डोम तैयार करने के निर्देश दिए। मयाली नेचर कैंप की झील में बोटिंग के लिए नाव की व्यवस्था करने को भी कहा गया है। भोजन व्यवस्था के लिए तीन अलग-अलग पंडाल बनाने के निर्देश दिए, ताकि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने गाड़ियों की पार्किंग, प्रवेश द्वार और अन्य व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस निरीक्षण के दौरान अपर कलेक्टर प्रदीप कुमार साहू, कुनकुरी एसडीएम नंदजी पांडे व अन्य जिला स्तरीय अधिकारी भी उपस्थित थे।  

‘अतिथि जशपुर से सुंदर यादें लेकर जाएं’ थीम पर विकास प्राधिकरण की पहली बैठक को ऐतिहासिक बनाने में जुटा प्रशासन

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जशपुर, 14 अक्टूबर 2024 / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय 21 अक्टूबर को मयाली डेम में होने जा रही सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल होंगे। इसको लेकर कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल और पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह ने आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक बुलाई और सभी तैयारियों को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण बैठक है, और इसमें किसी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि अतिथियों का स्वागत जशपुर के पारंपरिक रीति-रिवाज से किया जाएगा और भोजन में स्थानीय पारंपरिक, पौष्टिक व्यंजनों को परोसा जाएगा। साथ ही, उन्होंने चिकित्सा टीम को सक्रिय रहने और सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा जिला प्रशासन अतिथियों को जशपुर के प्राकृतिक सौंदर्य से परिचित कराने के लिए विशेष योजना बना रहा है, ताकि मेहमान इस क्षेत्र से सुंदर यादें लेकर जाएं। स्वागत द्वार पर सरगुजा संभाग के प्रमुख पर्यटन स्थलों की फोटो प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी ताकि अतिथि इन स्थानों की खूबसूरती का अनुभव कर सकें। इस बैठक में उप मुख्यमंत्री और विभिन्न मंत्री भी शामिल हो सकते हैं। कलेक्टर ने विशेष व्यवस्था के तहत माइक, एलईडी स्क्रीन, साफ-सफाई, पेयजल और बिजली की पूरी तैयारी के निर्देश दिए हैं। हम आपको बताते चलें कि मयाली नेचर कैम्प सीएम श्री साय की कुनकुरी विधानसभा का बड़ा पर्यटन केंद्र है।यहां मधेश्वर पर्वत जिसे विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग कहा जाता है,बड़ा मनमोहक है।मयाली नेचर कैम्प पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के समय तत्कालीन विधायक रोहित साय की बड़ी देन है।जिसे पिछली भूपेश सरकार में मनाली जैसा पर्यटन विकास करने की भरपूर कोशिश विधायक यू डी मिंज ने की थी।यह कुनकुरी विधानसभा की किस्मत थी कि कांग्रेस के सिटिंग एमएलए यूडी मिंज चुनाव हार गए और राजनीति के सूर्य विष्णुदेव साय एमएलए बनते ही मुख्यमंत्री बन गए।अब सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष होने के नाते पहली बैठक सीएम की विधानसभा में 21 अक्टूबर को होने जा रही है तो जाहिर है सबकुछ  ऐतिहासिक ही होगा।  

21 को आएंगे सीएम साय, मयाली नेचर कैम्प में विकास प्राधिकरण की बैठक की करेंगे अध्यक्षता,कलेक्टर – एसपी ने लिया जायजा

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जशपुर 13 अक्टूबर 24/ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आगामी 21 अक्टूबर को जशपुर में होने वाला सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण बैठक में शामिल होंगे। इसी कड़ी में तैयारी का जायजा लेने कलेक्टर डॉ रवि मित्तल और पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह कुनकुरी विकासखण्ड के मयाली नेचर कैम्प पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों हैलिपैड, बैठक व्यवस्था, भोजन, पार्किंग, बैरिकेटिंग, पेयजल, शौचालय बनाने के साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने नेचर कैम्प की साफ सफाई रंग रोगन करने के लिए कहा है। पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने गाड़ियों की पार्किंग और प्रवेश द्वार सहित अन्य सारी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। प्रवेश द्वार अलग अलग बनाने के लिए कहा है। ताकि किसी को प्रवेश करने में कोई परेशानी न होने पाए। इस अवसर पर अपर कलेक्टर प्रदीप कुमार साहू और जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।

खबर जरा हटके : ‘गुरुजी’ ने राजनैतिक दल की सदस्यता लेकर किया सेवा नियमों का उल्लंघन,सोशल मीडिया में गुरुजी की पोल पर बजी ढोल

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  जशपुर,12 अक्टूबर 2024 – विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का तमगा लिए भारतीय जनता पार्टी का सदस्यता अभियान जशपुर जिले में बड़ा तूफानी चल रहा है।इस तूफान की जद में सरकारी कर्मचारी भी आ चुके हैं।ताजा मामला बगीचा विकासखंड का है,जहां एक शिक्षक ने विधिवत भाजपा की सदस्यता ले ली है। दरअसल,भारतीय शासन व्यवस्था में चाहे व केंद्र की शासन व्यवस्था हो या राज्य की,कोई भी शासकीय सेवक किसी भी राजनैतिक दल का सदस्य नहीं बन सकता है।गूगल करने पर भी जानकारी मिली कि , कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक दल या संगठन का सदस्य नहीं बन सकता. इसके अलावा, वह किसी राजनीतिक आंदोलन या गतिविधि में भी हिस्सा नहीं ले सकता. सरकारी कर्मचारियों से जुड़े कुछ और नियम ये रहे: सरकारी कर्मचारी किसी विधानसभा या स्थानीय प्राधिकरण के चुनाव में प्रचार नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी चुनाव में अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी सरकार की नीति या किसी कार्रवाई की आलोचना नहीं कर सकता. सरकारी कर्मचारी अपने नाम से कोई कारोबार नहीं खोल सकता. वहीं Quora डॉट कॉम में सीधे इसे गैरकानूनी बताया गया है।ऐसा करने से कर्मचारी को सेवा निलंबित किया जा सकता है। इसी से जुड़ी 10 साल पुरानी खबर दैनिक भास्कर में मिली जिसमें लिखा मिला कि 1965 के नियम 5 के अनुसार शासकीय सेवक राजनीतिक दल या राजनीति से जुड़े संगठन का सदस्य नहीं बन सकता। न ही वह संगठन से किसी तरह का संबंध रख सकता है। ऐसा करना नियम विरुद्ध है। (एडवोकेट कैलाश पाठक के मुताबिक) अब इससे यह साफ समझा जा सकता है कि शिक्षक विश्वनाथ प्रधान ने राजनैतिक दल भाजपा की सदस्यता लेकर गैर कानूनी काम किया है। हम आपको इतना बताते चलें कि आज के समय भाजपा की सदस्यता लेना इतना आसान भी नहीं है।सदस्यता रिनिवल कराने में लोगों के पसीने छूट रहे हैं। नए सदस्य बनने के लिए ऑनलाइन आपको फार्म भरना होगा जिसमें पूरी जानकारी भरनी होगी।इसके बाद आपके नम्बर पर ओटीपी आएगा जिसे डालने के बाद ही आपको सदस्यता मिलेगी। ऐसी स्थिति में अगर शिक्षक विश्वनाथ प्रधान यह कहकर बचना भी चाहे ‘गलती से हो गया’,नहीं बच सकता।जानकारों के मुताबिक उसे अपने पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी का सदस्य बनना चाहिए। हालांकि इस मामले में खबर जनपक्ष ने शिक्षक विश्वनाथ प्रधान से उनके मोबाइल नम्बर  9340084125 पर  सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मोबाइल कॉल का कोई जवाब नहीं दिया। विश्वनाथ प्रधान के बारे में जो जानकारी मिली है उसके अनुसार श्री प्रधान का मूल पद शिक्षक का है जो सरबकोम्बो माध्यमिक शाला में पदस्थ हैं लेकिन वहां अध्यापन कार्य न करके व्यवस्था में तीन छात्रावासों में अधीक्षक के पद पर कार्य कर रहे हैं।विश्वनाथ प्रधान इतने व्यवहार कुशल हैं कि कोई भी सहायक आयुक्त हों उन्हें अपनी विलक्षण क्षमता से प्रभावित कर पद पर बने रहते हैं।इसी के साथ वे सत्ताधारी राजनैतिक दल के नेता-विधायकों से भी अच्छा तालमेल बिठा लेते हैं।यही वजह है कि कांग्रेस की पिछली सरकार में योग्यता न होते हुए भी विधायक विनय भगत की कथित कृपा से तीन -तीन छात्रावासों के अधीक्षक बन गए।अब भाजपा सरकार में वर्तमान विधायक श्रीमती रायमुनी भगत की कथित कृपा से कंटीन्यू काम कर रहे हैं। वहीं,भाजपा की सदस्यता लेने के बाद दशहरे के दिन बगीचा के कई व्हाट्सप ग्रुपों में गुरुजी खूब चर्चा में हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि क्या जिला प्रशासन गैरकानूनी तरीके से राजनैतिक दल की सदस्यता ले चुके सरकारी शिक्षक/हॉस्टल अधीक्षक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की हिम्मत दिखा पाएगा?

समसामयिक लेख : *संजौली और मंडी में मस्जिद निर्माण पर विवाद:एक गहरी दृष्टि *

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निर्मल कुमार हिमाचल प्रदेश के संजौली और मंडी में हाल ही के विरोध प्रदर्शनों की जड़ अवैध मस्जिद निर्माण के आरोप हैं। अवैध निर्माण की चिंता ने इन विरोधों को जन्म दिया है, लेकिन यह मुद्दा केवल कानूनी मामलों तक सीमित नहीं है। यह साम्प्रदायिक सौहार्द्र, सामाजिक संतुलन, और धार्मिक आस्थाओं के आपसी मेल-जोल से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। इस्लाम के अनुसार, मस्जिद का निर्माण नैतिक और वैध जमीन पर होना चाहिए ताकि पूजा और इबादत का स्थान पवित्र और वैध रहे। इससे संबंधित विवाद न केवल धार्मिक जिम्मेदारियों को प्रभावित करते हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सौहार्द्र को भी चुनौती देते हैं। मस्जिद का निर्माण: इस्लामी मान्यताएँ और सिद्धांत इस्लाम में, मस्जिद केवल एक पूजा स्थल नहीं है; यह एक सामुदायिक केंद्र, आध्यात्मिकता का स्रोत, और नैतिकता का प्रतीक होती है। इसे इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार एक पवित्र स्थान के रूप में देखा जाता है जहाँ केवल धार्मिक कर्मकांड ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और नैतिकता का पालन भी होता है। मस्जिद के निर्माण की प्रक्रिया से लेकर उसके संचालन तक हर कदम नैतिकता और कानून के दायरे में होना चाहिए। मस्जिद निर्माण के लिए शरीयत (इस्लामिक कानून) के तहत यह अनिवार्य है कि उसका निर्माण केवल वैध, विवाद-मुक्त जमीन पर ही किया जाए। हदीस और कुरान की शिक्षाओं के अनुसार, किसी भी मस्जिद का निर्माण अनैतिक साधनों, जैसे अवैध भूमि या भ्रष्टाचार के धन से नहीं किया जाना चाहिए। अवैध या विवादित भूमि पर मस्जिद बनाकर उस स्थान की पवित्रता को खतरे में डालने से मस्जिद में की गई नमाज़ भी प्रश्नों के घेरे में आ सकती है। इसलिए, मस्जिद का निर्माण पूरी तरह से पारदर्शी, नैतिक और कानूनी रूप से शुद्ध होना चाहिए। इस्लामी धर्मशास्त्र और धार्मिक स्थलों की पवित्रता इस्लाम में धार्मिक स्थलों की पवित्रता का एक गहरा महत्व है। केवल बाहरी रूप से मस्जिद का निर्माण महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उसका आधार, उसकी प्रक्रिया, और उसमें उपयोग की गई सामग्री भी धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती है। उदाहरण के लिए, कुरान में इस बात पर बल दिया गया है कि अवैध तरीके से प्राप्त संपत्ति को धार्मिक कार्यों में शामिल करना निषिद्ध है। ऐसे में अवैध भूमि पर बनी मस्जिद की वैधता संदेह के घेरे में आ जाती है। हदीस के अनुसार, मस्जिद एक शुद्ध, विवाद-मुक्त और पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा बनाई जानी चाहिए। यदि मस्जिद का निर्माण विवादित या अवैध भूमि पर किया जाता है, तो वह मस्जिद सामुदायिक असंतोष का कारण बन सकती है। इससे समाज में शांति की बजाय अशांति फैलने की संभावना बढ़ जाती है, जो कि मस्जिद के वास्तविक उद्देश्य के बिल्कुल विपरीत है। मस्जिद एक ऐसा स्थान होना चाहिए जहाँ लोग एकजुट होकर ईश्वर की इबादत कर सकें और नैतिकता के उच्चतम मानकों का पालन कर सकें। स्थानीय सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान मस्जिद निर्माण के विवाद का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसे सांस्कृतिक और स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करना चाहिए। जब धार्मिक स्थल अवैध रूप से बनाए जाते हैं, तो यह समाज में असंतुलन और गलतफहमियों को जन्म देता है। भारत जैसे विविध और बहु-धार्मिक देश में, धार्मिक स्थलों का निर्माण न केवल धार्मिक भावना का सम्मान करना चाहिए, बल्कि स्थानीय समुदायों के रीति-रिवाजों और भावनाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में, जहाँ सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता है, बाहरी लोगों की उपस्थिति और उनकी गतिविधियों को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। बाहरी समुदायों को शरण देने और स्थानीय संस्कृति को बनाए रखने के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। अगर किसी बाहरी समुदाय की गतिविधियों से स्थानीय सांस्कृतिक संतुलन बिगड़ता है, तो यह साम्प्रदायिक तनाव को जन्म दे सकता है। इसलिए, मस्जिद निर्माण के दौरान यह ध्यान रखना चाहिए कि स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान हो और साम्प्रदायिक सौहार्द्र बना रहे। साम्प्रदायिक सौहार्द्र का महत्व भारत में धार्मिक विविधता सदियों से एक मजबूत पहलू रही है। यहाँ सभी धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं और धार्मिक स्थलों का सम्मान करते हैं। मस्जिद, मंदिर, चर्च, गुरुद्वारा—हर धार्मिक स्थल को साम्प्रदायिक सौहार्द्र के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। जब किसी धार्मिक स्थल का निर्माण कानून का पालन करते हुए और स्थानीय समुदाय की सहमति से होता है, तो वह एकता और शांति का संदेश देता है। संजौली और मंडी में मस्जिद निर्माण के विवाद के बाद, मस्जिद प्रबंधन समितियों ने जो कदम उठाए, वे सराहनीय हैं। उन्होंने अवैध निर्माण के हिस्सों को गिराने का निर्णय लिया, ताकि समाज में साम्प्रदायिक तनाव न बढ़े और शांति बनी रहे। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो यह दर्शाता है कि कानून का पालन करते हुए धार्मिक स्थलों का निर्माण किया जाना चाहिए। कानून और सामुदायिक जिम्मेदारियाँ धार्मिक स्थलों का निर्माण केवल धार्मिक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि कानूनी जिम्मेदारी भी है। भारत का संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन इसके साथ यह भी सुनिश्चित करता है कि इस अधिकार का दुरुपयोग नहीं किया जाए। जब कोई धार्मिक स्थल, जैसे मस्जिद, मंदिर, या चर्च, वैध प्रक्रिया और कानून के तहत बनाए जाते हैं, तो इससे समाज में विश्वास और एकता बढ़ती है। कानूनी तौर पर, भूमि का स्वामित्व विवादित नहीं होना चाहिए और सभी आवश्यक अनुमतियाँ और स्वीकृतियाँ प्राप्त करने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जाना चाहिए। मस्जिदों या अन्य धार्मिक स्थलों के अवैध निर्माण से सामाजिक असंतोष पैदा हो सकता है, जो कि साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे सकता है। *धार्मिक स्थल: एकता का केंद्र* धार्मिक स्थल जैसे मस्जिद, मंदिर, और चर्च समाज में शांति, एकता और सामंजस्य का प्रतीक होते हैं। इनका उद्देश्य केवल पूजा करना नहीं होता, बल्कि समाज के लोगों को एकजुट करना और नैतिकता का पालन करना होता है। जब किसी धार्मिक स्थल का निर्माण विवादों में घिर जाता है, तो उसका वास्तविक उद्देश्य खो जाता है। मस्जिद का निर्माण अगर विवाद-मुक्त और नैतिक तरीके से किया जाता है, तो वह समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। महात्मा गांधी के विचार भी इस बात पर जोर देते हैं कि किसी भी धार्मिक स्थल का निर्माण और उसका संचालन नैतिकता, अहिंसा और सभी धर्मों के प्रति सम्मान के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने हमेशा कहा कि धार्मिक … Read more

मुंबई में जशप्योर ब्रांड की धूम, शुद्धता और सेहतमंद उत्पादों से बढ़ी मांग

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जशपुरिया उत्पादों की मुंबई में लोकप्रियता बढ़ी शुद्धता और स्वास्थ्य लाभ बने आकर्षण का कारण जशपुर, 10 अक्टूबर 2024 – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रयासों से जशपुर जिले के स्थानीय उत्पादों को देशभर में पहचान मिल रही है। मुंबई के विभिन्न स्थानों पर जशप्योर ब्रांड के उत्पादों की स्टॉल लगाई गई हैं, जो लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हो रही हैं। जशपुर की आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार किए गए ये उत्पाद अपनी शुद्धता और स्वास्थ्य लाभ के कारण बड़ी मात्रा में खरीदे जा रहे हैं। कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन में मुंबई में जशप्योर ब्रांड की स्टॉल नियमित रूप से लगाई जा रही हैं। इन स्टॉल पर जशपुर के प्राकृतिक और बिना रसायन वाले उत्पाद प्रदर्शित किए जा रहे हैं, जिन्हें स्थानीय आदिवासी महिलाएं तैयार करती हैं। इन उत्पादों को स्वस्थ विकल्प मानते हुए लोग इन्हें पसंद कर रहे हैं। मुंबई में लगने वाली इन स्टॉल्स में महुआ सिरप, महुआ आधारित च्यवनप्राश विकल्प ‘फॉरेस्टगोल्ड वन्यप्राश’, और बाजरा से बने पास्ता जैसे उत्पाद शामिल हैं, जिनकी बाजार में बड़ी मांग है। इसके अलावा, छिन्द घास से बने हाथ के बने टोकरियां भी त्योहारी सीजन में खूब बिक रही हैं। जशप्योर ब्रांड की स्टॉल मुंबई के डीसीबी बैंक मुख्यालय, कांदिवली, साकी नाका, अंधेरी, आईआईटी-मुंबई, पवई, लोअर परेल और अन्य कई स्थानों पर लगाई जा रही हैं। इस पहल से जशपुर और महाराष्ट्र के जवाहर जिले के आदिवासी समुदायों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। “माननीय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के विशेष प्रोत्साहन से जिला प्रशासन का यह प्रयास न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है, बल्कि आदिवासी समुदायों को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद कर रहा है।” – डॉ. रवि मित्तल,कलेक्टर जशपुर  

विष्णु के सुशासन की सुंदर तस्वीर बनकर कैसे आगे बढ़ रहा घुघरी पँचायत? पढ़िए विकास की यह कहानी,,,

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*विष्णु के सुशासन में तेजी से बदल रही गांव की तस्वीर* *विकास और समाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में ग्राम पंचायत घुघरी विकास और बदलाव की नई परिभाषा गढ़ रहा* *महिला सशक्तिकरण के तहत् स्व सहायता समूहों की 412 महिलाओं को रोजगार से जोड़ा गया* जशपुर 10 अक्टूबर 2024/छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कुशल नेतृत्व में  राज्य के गांवों की तस्वीर तेजी से बदल रही है। शासन के प्रयासों और पंचायती राज योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से प्रदेश के गांव अब विकास और समाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में नई कहानियां लिख रहे हैं। ऐसी ही एक कहानी है जशपुर जिले के बगीचा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत घुघरी की। जिला मुख्यालय जशपुर से 93 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव विकास और बदलाव की नई परिभाषा गढ़ रहा है। यहां पंचायत की बैठकों में जनभागीदारी के माध्यम से गांव के हर चुनौतीका समाधान किया जाता है। गांव में 567 लोगों का राशन कार्ड बनाया गया हैं जिनमें 37 एपीएल कार्ड, 407 बीपीएल कार्ड शामिल हैं। आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से 216 बच्चों को पोषण का लाभ मिल रहा है। धात्री और गर्भवती महिलाओं के लिए भी पोषण की व्यवस्था की गई है। समाजिक सुरक्षा के लिए 2 लाख 10 हजार खर्च किए गए हैं। साथ ही 342 लोगों को पेंशन योजनाओं से जोड़ा गया है। घुघरी निवासी मंगरी बाई ने बताया कि उन्हें हर महिना 500 रूपए पेंशन मिलती है। उसी पैसे से अपना जीवन यापन करती हैं। परिवार के पालन पोषण करने में सहायता मिल रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत् 56 जरूरतमंद परिवारों को पक्के आवास उपलब्ध कराए गए हैं। 483 परिवारों के मनरेगा जॉब कार्ड बनाए गए हैं। पीछे दो वर्षाे में मनरेगा के 20 व्यक्तिगत तालाबों का निर्माण कराया गया है। ग्राम पंचायत घुघरी के विनोद राम ने बताया कि उनके गांव में अक्टूबर और नवम्बर में मनरेगा का कार्य चालू होता है। उसमें गांव के लोग काम करने जाते हैं। गांव के लोगों का जॉब कार्ड है। मनरेगा में कार्य करके सभी परिवार मिलकर 28 हजार रूपए कमा लेते हैं। इसे घर परिवार अच्छा से चल रहा है। महिला सशक्तिकरण के उददेश्य से 36 स्व सहायता समूहों का गठन कर 412 महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया है। ग्राम पंचायत घुघरी की यह कहानी संवरते छत्तीसगढ़ के सुरक्षित होते भविष्य की कहानी है।

“शक्तिमान” बनकर जय हो टीम बाल विवाह रोकने कर रही जन जागरूकता

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जशपुर, 6 अक्टूबर 2024 – जिला प्रशासन और यूनिसेफ के संयुक्त प्रयास से जिले में बाल विवाह के खिलाफ एक विशेष जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत लोगों को बाल विवाह के दुष्प्रभावों से अवगत कराते हुए उन्हें इससे बचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन में जय हो टीम के स्वयंसेवकों ने एक अनोखा तरीका अपनाया। आज शहर के बस स्टेशन और मुख्य बाज़ार में स्वयंसेवक शक्तिमान के रूप में नजर आए। उन्होंने बाल विवाह रोकने के संदेश के साथ लोगों से संवाद किया और उन्हें इसके कानूनी और सामाजिक पहलुओं पर जानकारी दी। शक्तिमान का यह अनूठा अवतार लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा और बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों, सभी ने इस प्रयास की सराहना की। टीम के सदस्यों ने बताया कि बाल विवाह से बच्चों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, उनके स्वास्थ्य और शिक्षा पर बुरा असर पड़ता है, और इसे रोकने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है। कलेक्टर डॉ. मित्तल ने इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास जशपुर में बाल विवाह को जड़ से मिटाने के लिए बहुत कारगर सिद्ध होगा। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपने आस-पास किसी भी बाल विवाह की जानकारी मिलने पर तुरंत प्रशासन को सूचित करें। यह अभियान लोगों को जागरूक करने और समाज में बाल विवाह के खिलाफ एक मजबूत संदेश फैलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।  

प्राचार्य का ट्रांसफर रद्द कराने छात्र संघ सड़क पर उतरा,सुबह 8 बजे से सड़क पर हैं छात्र-छात्राएं,पुलिस मौके पर

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जशपुर/कोतबा 05 अक्टूबर 2024– बड़ी खबर कोतबा-लवाकेरा स्टेट हाइवे से आई है,जहां स्वामी आत्मानन्द विशिष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल का छात्र संघ प्रिंसिपल फिलमोन एक्का के ट्रांसफर आर्डर आने की खबर से आक्रोशित होकर सड़क पर है। सुबह करीब 8 बजे छात्र – संघ के आह्वान पर कक्षा 1 से लेकर 12 वीं तक के सभी स्टूडेंट्स प्रिंसिपल का ट्रांसफर रद्द कराने की मांग को लेकर नारे लगा रहे हैं।हाथों में तख्तियां लेकर शनिवार की सुबह की क्लास छोड़कर स्कूल ड्रेस में ही सड़क किनारे नारेबाजी कर रहे हैं।मौके पर कोतबा पुकिस चौकी प्रभारी राकेश सिंह दल-बल के साथ मौजूद हैं।