विचार : असाध्य को साधने के लिए राम को भी शक्ति साधना का अनुष्ठान करना पड़ा
असाध्य को साधने के लिए राम को भी शक्ति साधना का अनुष्ठान करना पड़ा और आज हम शक्ति की महत्ता को नकारते जा रहे हैं। रावण अतुल बलशाली और अत्यन्त ज्ञानी पुरुष था… उसके पास साधारण व्यक्तियों की तुलना में दस व्यक्तियों के बराबर बुद्धि थी… परंतु असाधारण बुद्धि होने के उपरांत भी वह विवेकशून्य था! रावण त्रिकालदर्शी महाकाल महादेव का अनन्य भक्त था… जनश्रुति अनुसार रावण जब महादेव की पूजा के कैलाश जाता था तो अहंकारी स्वभाव वश स्वयं शीश नवाकर महादेव को नमन करने के बजाय महादेव को कैलाश सहित उठाकर अपने शीश पर रख लेता था… रावण के अनुसार दोनों बातें एक ही थी… कि चाहें महादेव के चरणों में वह अपना शीश नवाए या महादेव के चरण उठाकर अपने शीश पर धर लें! क्योंकि उसके पास ज्ञान तो बहुत था पर विवेक जिसे हम कॉमनसेंस कहते हैं, नहीं था। क्योंकि जब आप किसी के दरवाजे कुछ मांगने जाते हैं या उससे मात्र मिलने ही जाते हैं तो आपके स्वभाव में मृदुलता और सौम्यता होनी चाहिए… रावण सुरों और वाद्य यंत्रों का कुशल ज्ञाता था इसलिए रावण जब कैलाश के प्रांगण में प्रवेश करता था वो वह नानाप्रकार से महादेव की स्तुति करके महादेव को प्रसन्न करता था… उसकी सारी प्रार्थनाएं ध्वनि और स्वरों पर आधारित थी। आज भी उसकी गायी स्तुतियां पढ़ते, सुनते या गाते समय शरीर में विभिन्न प्रकार की ओज शक्ति और आनंद का भान होता है… लेकिन यह ऊर्जा नकारात्मकता से भरी हुई हैं। रावण की गाई हुई स्तुतियों में रावण का अहंकार और दम्भ स्पष्ट झलकता है। परंतु राम विनीत भाव से अत्यन्त सरल मना होकर करबद्ध निवेदन की भंगिमा में महादेव की स्तुति करते हैं। जिससे प्रसन्न होकर महादेव कहते हैं… “रावण जैसा भी है… परंतु मेरा अनन्य भक्त है.. मैं रावण के विपक्ष में खड़ा नहीं हो सकता इसलिए मैं आपको विजय का आशीर्वाद नहीं दे सकता” अब जिस पक्ष में स्वयं देवों के देव स्वयं महादेव खड़े हो उस पक्ष से जीत पाना कठिन नहीं वरन असम्भव है। तब राम महादेव के कहने पर शक्ति की साधना करते हैं! परंतु शक्ति की विशेषता है कि वह सदैव योग्य पात्र का ही चयन करती हैं। शक्ति महादेव की वामांगी हैं इसलिए राम से उच्चतर पात्र और कौन हो सकता है, जिसके पक्ष में वह खड़ी हों! कोई भी व्यक्ति मात्र एक लोटा जल चढ़ाकर भी महादेव को अपने पक्ष में कर सकता है परन्तु शक्ति बिना योग्यता का परीक्षण किये किसी के पक्ष में नहीं जाती हैं। नौ दिवस के अन्तिम दिवस के शक्ति अनुष्ठान में एक कमलपुष्प कम होने पर कमलनयन राम अपनी आंख निकालकर चढ़ाने का प्रयोजन करते है तभी शक्ति प्रकट होकर उन्हें विजय का आशीर्वाद देती हैं। जिस पक्ष में शक्ति है, स्त्री है वह पक्ष स्वयं ही बहुत बलशाली हो जाता है। शक्ति के समक्ष जब महादेव करबद्ध प्रणाम कर रहे हैं तो शक्ति की महिमा पर संदेह ही नहीं उठता है। लेकिन वर्तमान में पुरुष इतना दंभी है कि वह शक्ति को ही नकार रहा है… या शक्ति को ही प्रताड़ित कर रहा है! अब ऐसी परिस्थितियों में आप कैसे विजय और सफल होगें यह निर्णय आप स्वयं कीजिए! *विजयदशमी की शुभकामनाएं* 🚩 यह विचार मेरे प्रिय भाई अभिषेक बनारसी ने मेरे व्हाट्सएप में भेजा।उनका यह विचार आज के समय मे जब धर्म की मजबूती चारों ओर दिखाई दे रही है लेकिन धर्म जीवनचर्या में नहीं दिखने पर उपजा है। खबर जनपक्ष अपने पाठकों से अपील करता है कि आपके विचार सम्समयिकजनसरोकर से जुड़े हों तो हमें भी अवगत कराएं।हमारे पोर्टल के माध्यम से आपके विचार भी जनमानस तक पहुंचाने का काम करेंगे। 8103015433 पर व्हाट्सएप करें।