पेट दर्द की शिकायत पर खुला मामला — 8 माह की गर्भवती पाई गई नाबालिक, आरोपी गिरफ्तार

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पेट दर्द की शिकायत पर खुला मामला — 8 माह की गर्भवती पाई गई नाबालिक, आरोपी गिरफ्तार     जगदलपुर/कोंडागांव। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में एक नाबालिक से लंबे समय से अनाचार का मामला सामने आया है। फरसगांव थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली नाबालिक को पेट दर्द की शिकायत पर परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां जांच में यह खुलासा हुआ कि वह 8 माह की गर्भवती है। घटना की जानकारी मिलते ही परिजनों ने पुलिस में मामला दर्ज कराया। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए कुछ ही घंटों में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।   पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, 2 अक्टूबर को परिजन नाबालिक को पेट दर्द की शिकायत पर अस्पताल ले गए थे। जांच के दौरान चिकित्सकों ने बताया कि नाबालिक लगभग 8 माह की गर्भवती है। यह सुनते ही परिजन स्तब्ध रह गए। जब परिजनों ने नाबालिक से पूछताछ की, तो उसने आरोपी की करतूतों का खुलासा किया।   नाबालिक ने बताया कि 2 दिसंबर 2024 को सोनाबेड़ा में रहने वाले आरोपी युवक ने उसे बहला-फुसलाकर खेत की ओर ले जाकर जबरन दुष्कर्म किया और किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद आरोपी द्वारा कई बार नाबालिक के साथ गलत काम किया गया। डर की वजह से पीड़िता ने इस बात की जानकारी किसी को नहीं दी थी।   परिजनों की रिपोर्ट पर फरसगांव थाना पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं एवं पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू की। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 26 वर्षीय आरोपी को उसके ठिकाने से गिरफ्तार कर लिया।

डॉ. ग्रेस ने जुमाइकेला में स्कूली बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य और लक्ष्य निर्धारण के दिए टिप्स

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जशपुर,10 सितम्बर 2025 –  ख्यातिप्राप्त मनोचिकित्सक डॉ. ग्रेस कुजूर मंगलवार को कांसाबेल विकासखंड के जुमईकेला स्थित डॉन बोस्को इंग्लिश मीडियम स्कूल और जनता हायर सेकेंडरी स्कूल की विशेष कार्यशाला में पहुँचीं। इस अवसर पर विद्यालयों के प्राचार्यों, शिक्षकों और छात्र-छात्राओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। कार्यशाला में डॉ. ग्रेस ने विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझाते हुए बुद्धि बढ़ाने के कई उपयोगी टिप्स दिए। उन्होंने मोबाइल फोन के जिम्मेदाराना उपयोग की बात करते हुए कहा कि “मोबाइल को पढ़ाई और ज्ञान बढ़ाने का साधन बनाना चाहिए, न कि केवल मनोरंजन का।’’ साथ ही उन्होंने स्क्रीन टाइम को कम करने और उसका सही उपयोग करने के उपाय भी बताए। डॉ. ग्रेस ने छात्रों को जीवन में लक्ष्य निर्धारण और मानसिक तैयारी पर जोर देते हुए कहा कि चाहे कोई भी सपना हो—डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस अधिकारी, शिक्षक या किसान बनने का—उसे हासिल करने के लिए पहले मानसिक रूप से तैयार होना जरूरी है। उन्होंने चेतन और अवचेतन मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को सरल भाषा में समझाते हुए बताया कि जब हम किसी लक्ष्य के बारे में लगातार सोचते हैं तो हमारा दिमाग उसी दिशा में काम करने लगता है। इस अवसर पर डॉन बोस्को इंग्लिश मीडियम स्कूल के प्रिंसिपल पॉल तिर्की ने कहा कि “छात्र जीवन सीखने का काल है और इसे दिमाग से सीखा जाता है।” वहीं जनता हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल कांति तिर्की ने छात्रों को डॉ. ग्रेस की बातों को जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के दौरान यह जानकारी भी साझा की गई कि डॉ. ग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को समर्थन देने के लिए अपनी जीवनगाथा पर बन रही फिल्म ‘अर्पण’ को समर्पित किया है। मानसिक स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले व्यक्तित्व आज के युग में विरले ही देखने को मिलते हैं। आभार व्यक्त करने मंच पर पहुँची छात्रा आलिया ने कहा कि इस कार्यशाला ने विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य, सकारात्मक सोच और लक्ष्य निर्धारण के प्रति एक नई दृष्टि दी।

छत्तीसगढ़ में शुरू हुआ डॉ. हरविंदर मांकड़ की नई फिल्म ‘अर्पण’ का सफर, ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान को समर्पित,

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कुनकुरी (जशपुर, छत्तीसगढ़): 22/08/2025 कुनकुरी की धरती पर आयोजित एक अद्वितीय और यादगार संध्या ने पूरे जशपुर ज़िले के लिए एक ऐतिहासिक पल रच दिया। इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक, कार्टूनिस्ट और फिल्म निर्देशक डॉ. हरविंदर मांकड़ को जी.के. साइकोथेरेपी एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर द्वारा विशेष रूप से मुंबई से आमंत्रित किया गया।   आदिवासी नृत्य से हुआ स्वागत डॉ. मांकड़ के आगमन पर सबसे पहले केरसई गाँव की आदिवासी जनजाति ने परंपरागत कर्मा नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य में आदिवासी संस्कृति की जीवंत झलक देखने को मिली। स्थानीय कलाकारों ने ढोल-नगाड़ों और लोकगीतों की थाप पर डॉ. मांकड़ का स्वागत कर कार्यक्रम को और भी गरिमामयी बना दिया। आदिवासी समाज की कला और संस्कृति को इस अवसर पर विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया, जिसे देखकर सभी अतिथि भाव-विभोर हो उठे। इसके बाद महान कार्टूनिस्ट कुनकुरी जीके साइकोथेरेपी एंड रिहैबिलिटी सेंटर पहुंचे जहां छत्तीसगढ़ और झारखंड से पहुंचे लोगों ने आत्मीय स्वागत किया।मुख्य अतिथि के रूप में श्री मांकड़ ने विशिष्ट अतिथियों दीपक बड़ा,रोशन किरो ,नितेश महतो के साथ दीप जलाकर अर्पण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। श्री मांकड़ ने ‘प्योर सोल चिल्ड्रेन’ कुमारी नीति के हाथों अपनी किताब Journey of Soul का विमोचन हुआ। इसके बाद डॉ. हरविंदर मांकड़ ने अपनी प्रेरणादायी मोटिवेशनल क्लास में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा – “बच्चे सभी ईश्वर की अनुपम देन हैं। इन्हें भरपूर प्यार दीजिए, ये किसी से कम नहीं हैं। बस इन्हें सही इलाज और अपनापन दीजिए, यही इनकी असली ताक़त बनेगी।” उनके शब्दों ने न केवल विशेष बच्चों के अभिभावकों के दिलों को छुआ, बल्कि हर उस व्यक्ति को नई सोच दी जो समाज सेवा और मानवता की राह पर चलना चाहता है। विशेष बच्चों के उपचार में मील का पत्थर मानी जाने वाली डॉ. ग्रेस कुजूर ने अपने विचार रखते हुए कहा –“डॉ. हरविंदर मांकड़ का कुनकुरी आना किसी करिश्मे से कम नहीं है। उनका यहां आना और हमें अपना कीमती समय देना, हमारे लिए सौभाग्य की बात है। वे जिस आत्मीयता से विशेष बच्चों से जुड़े, वह इस क्षेत्र के लिए प्रेरणादायी है।” नई फिल्म “अर्पण” का निर्माण शुरू इस अवसर पर यह भी घोषणा की गई कि डॉ. हरविंदर मांकड़ कुनकुरी में ही डॉ. ग्रेस कुजूर पर एक डॉक्यूमेंट्री फिक्शन फिल्म का निर्माण कर रहे हैं। इस फिल्म का नाम है – “अर्पण”। यह फिल्म छत्तीसगढ़ के पर्यावरण अभियानों को बढ़ावा देने और प्रधानमंत्री के ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान को समर्पित है। इस फिल्म को स्वयं डॉ. हरविंदर मांकड़ ने लिखा और निर्देशित किया है। फिल्म के माध्यम से न केवल डॉ. ग्रेस कुजूर की अनूठी सेवाओं को दिखाया जाएगा, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया जाएगा कि प्रकृति और मानवता का संरक्षण साथ-साथ चलना चाहिए।   छत्तीसगढ़ की सुंदरता की सराहना की कार्यक्रम का संचालन  संतोष चौधरी ने किया। उन्होंने बताया कि डॉ. मांकड़ छत्तीसगढ़ की सुंदरता से गहराई तक प्रभावित हुए हैं। डॉ. मांकड़ के शब्दों में –“मैंने छत्तीसगढ़ से अधिक सुंदर जगह आज तक नहीं देखी। कुनकुरी की धरती सचमुच स्वर्ग के समान है। यहाँ की सादगी, अपनापन और प्राकृतिक सौंदर्य मन को छू लेने वाला है।” कुनकुरी के गणमान्य नागरिक और गायक अजय मूंदड़ा ने बताया कि यह ऐतिहासिक शाम न केवल विशेष बच्चों और उनके परिवारों के जीवन में नई उम्मीद लेकर आई, बल्कि पूरे जशपुर ज़िले के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई। आदिवासी कला, संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण और मानवता की महक से सजी इस संध्या ने यह संदेश दिया कि सच्ची समृद्धि तभी संभव है जब हम समाज और प्रकृति दोनों को समानता और प्रेम के साथ आगे बढ़ने का अवसर दें। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित लोगों ने मोटू पतलू कॉमिक सीरीज लिखनेवाले लेखक और उन्हें उकेरनेवाले कार्टूनिस्ट डॉ हरविंदर को अपने संस्मरण बताए।

डॉन बॉस्को जुमईकेला में व्यक्तित्व विकास व करियर गाइडेंस वर्कशॉप, डॉ. ग्रेस ने विद्यार्थियों को दिखाई सफलता की राह

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कक्षा तीसरी से बारहवीं तक के 350 विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा, जीवन व करियर पर हुई प्रभावशाली चर्चा कुनकुरी(जशपुर), 11मई 2025 डॉन बॉस्को जुमईकेला शिक्षण-प्रशिक्षण केंद्र में चल रहे वार्षिक इंग्लिश स्पोकन कोर्स (1 मई से 31 मई) के अंतर्गत आयोजित व्यक्तित्व विकास और करियर गाइडेंस वर्कशॉप में ग्रामीण पुनर्वास कार्य प्रमुख मनोवैज्ञानिक डॉ. ग्रेस कुजूर ने छात्रों को जीवन निर्माण की प्रेरणादायक दिशा दी। कक्षा तीसरी से बारहवीं तक के लगभग 350 छात्र-छात्राओं ने इस सत्र में भाग लेकर जीवन, शिक्षा और करियर की बारीकियों को समझा। डॉ. ग्रेस ने पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से बच्चों को समझाया कि शिक्षा केवल नौकरी पाने का जरिया नहीं, बल्कि एक अच्छा इंसान और जिम्मेदार नागरिक बनने का आधार है। उन्होंने कहा, “हर कोई अच्छी जिंदगी चाहता है, लेकिन उसे जीने का तरीका सीखना होता है – और यही इस वर्कशॉप का उद्देश्य है।” असफलता को बनाएं चुनौती, न कि बाधा डॉ. ग्रेस ने छात्रों को 12वीं के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “फॉर्म भरिए, तैयारी कीजिए, अगर असफल भी हो गए तो हार मानने की जरूरत नहीं है — असफलता को चुनौती बनाइए और कहिए कि मैं सफल होकर ही रहूंगा।” केवल विरासत नहीं, विकल्प को भी बनाएं अपना भविष्य उन्होंने एक अहम संदेश देते हुए कहा, “अगर पढ़ाई नहीं करेंगे तो किसान का बेटा किसान और व्यापारी का बेटा व्यापारी बनता रहेगा। लेकिन पढ़ाई करने से आपको अपनी पहचान खुद बनाने का विकल्प मिलेगा। विरासत से आगे बढ़ने का यही रास्ता है।” शिक्षा से ही बनेगा स्वस्थ समाज कार्यक्रम के समापन पर डॉ. ग्रेस ने शिक्षा और समाज के बीच गहरे संबंध को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य में सोचने, समझने और संवेदनशीलता की शक्ति होती है, जिसे शिक्षा सकारात्मक दिशा में मोड़ती है। उन्होंने कहा, “जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन – वैसे ही जैसा पढ़ेगा बालमन, वैसा बनेगा जीवन। आप देश का भविष्य हैं। अगर आपकी सोच सकारात्मक विकास की ओर बढ़ेगी तो आपका घर, गांव, समाज और देश सब मजबूत बनेंगे।” यह वर्कशॉप डॉन बॉस्को सेंटर जुमईकेला द्वारा संचालित वार्षिक इंग्लिश स्पोकन कोर्स का हिस्सा है, जिसमें हर वर्ष की भांति इस बार भी विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास व करियर गाइडेंस के लिए विशिष्ट वक्ताओं से मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। आयोजकों ने बताया कि 31 मई तक इसी तरह के उपयोगी सत्र आयोजित किए जाएंगे। इस सत्र को बहुउपयोगी बनाने के लिए समन्वयक फ़ा. पॉल तिर्की SDB, फा लिवेंस ऐंड SDB,शिक्षकगण सिस्टर नेहा कुजूर FMA, सिस्टर महिमा बारला FMA, ब्रदर बिपिन एक्का SDB, ब्रदर अर्पण तिर्की SDB, सिस्टर मार्था कुजूर FMA, ब्रदर अनिल टोप्पो,सहायक स्टाफ सिल्वेस्टर टोप्पो, लिबुन टोप्पो, अपोल केरकेट्टा सक्रिय हैं।

साक्षात्कार : “मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता ही पहला इलाज है” – डॉ. ग्रेस, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट

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छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता धीरे-धीरे बढ़ रही है, और इस बदलाव की धुरी बन रही हैं डॉ. ग्रेस कुजूर। मानसिक चिकित्सा के कई विषयों में विशेषज्ञता रखने वाली डॉ. ग्रेस, 2022 से जशपुर रोड पर तालाब के सामने चर्च गेट के पास “GK साइकोथेरेपी एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर” का संचालन कर रही हैं। उनके प्रयासों से अब तक सैकड़ों मरीज ठीक होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं। जनपक्ष के संपादक संतोष चौधरी ने उनसे एक विशेष बातचीत की। “मेरा उद्देश्य सेवा है, सिर्फ कमाई नहीं“ प्रश्न: डॉक्टर साहिबा, अपने बारे में हमारे पाठकों को बताएं। उत्तर: (मुस्कुराते हुए) सबसे पहले आपके पाठकों को मेरा नमस्कार। मैं डॉ. ग्रेस कुजूर, कुनकुरी से 16 किलोमीटर दूर केरसई गाँव की रहने वाली हूँ। मेरी पढ़ाई कुनकुरी निर्मला स्कूल से हुई, फिर 2008 में बिलासपुर गर्ल्स डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। क्लिनिकल साइकोलॉजी में मास्टर्स GGU, बिलासपुर से किया और फिर सिकंदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु और मुंबई में अलग-अलग विषयों में विशेषज्ञता हासिल की। मैं दो विषयों में पीएचडी कर चुकी हूँ—एक क्लिनिकल साइकोलॉजी में और दूसरा नेचुरोपैथी में। 2017 में छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, रायपुर ने मुझे “साइंटिस्ट अवॉर्ड” दिया था, जब मैंने विशेष बच्चों के लिए एक ऐप विकसित किया। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में 24 साल से काम कर रही हूँ और इस काम को सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि जीवन की सेवा मानती हूँ।मुझे वैज्ञानिक मनोचिकित्सक पुनर्वास एवं विशेषज्ञ के रूप में काम करने के लिए लाइसेंस प्राप्त है जिसका नम्बर C.R.R. A81006 है। “हर मानसिक बीमारी का इलाज संभव है” प्रश्न: आपके सेंटर में किस तरह के मरीजों का इलाज किया जाता है? उत्तर: हमारे सेंटर में काउंसलिंग, साइकोथेरेपी, रिलैक्सेशन थेरेपी, हिप्नोथेरेपी, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और ज़रूरत पड़ने पर एमडी के पास रेफर किया जाता है। अब तक, ✔ 10 सेरेब्रल पाल्सी के बच्चे पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। ✔ 15 ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे सामान्य जीवन जी रहे हैं। ✔ 50 मंदबुद्धि (इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी) के बच्चे ठीक हो चुके हैं। ✔ 70 से अधिक व्यस्क मानसिक रोगी, जिनमें से 40 पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। ✔ 60-75 वर्ष के बुजुर्गों में भूलने की बीमारी का भी सफल इलाज जारी है। सेंटर का मुख्य उद्देश्य जागरूकता और सही उपचार देना है, इसलिए फीस बहुत कम रखी गई है। “बाहर की नहीं, अंदर की चोटों का इलाज भी जरूरी है“ प्रश्न: इतनी पढ़ाई और अनुभव के बाद आपने कुनकुरी को ही क्यों चुना? उत्तर: जब मैं रायपुर, बेंगलुरु में पढ़ाई कर रही थी, तब मैंने देखा कि सरगुजा क्षेत्र के कई मरीज मानसिक बीमारियों के कारण दर-दर भटक रहे हैं। मुझे लगा कि अगर मैं अपने ही क्षेत्र में रहकर लोगों की मदद करूं तो ज्यादा बेहतर होगा। चूंकि मेरा घर कुनकुरी में है, तो यहाँ सेंटर खोलना सुविधाजनक भी रहा। प्रश्न: आपके अनुसार, इस क्षेत्र में किस तरह के मानसिक रोग सबसे ज्यादा हैं? उत्तर: यह कहना मुश्किल है क्योंकि मानसिक बीमारी दिखती नहीं, महसूस होती है। डिप्रेशन, एंग्जायटी, सिजोफ्रेनिया (पागलपन), एडिक्शन, डी-एडिक्शन, याददाश्त की समस्या जैसी बीमारियाँ यहाँ आम हैं। लेकिन सबसे चिंता की बात यह है कि 8वीं-9वीं के बच्चों में भी मानसिक समस्याएँ बढ़ रही हैं। ✔ बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं ✔ या तो उन्हें बहुत अधिक सुविधाएँ दी जा रही हैं, या बहुत ज्यादा दबाव यही कारण है कि बचपन से मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है।          “मुझे अपने काम पर गर्व है” प्रश्न: इतने सालों का अनुभव कैसा रहा? उत्तर: (हँसते हुए) 24 साल से इस फील्ड में हूँ और मुझे अपने काम पर बेहद गर्व है। जब कोई मरीज स्वस्थ होकर अपनी ज़िंदगी फिर से शुरू करता है, तो जो संतुष्टि मिलती है, वह शब्दों में बयां नहीं कर सकती। “मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही ज़रूरी” अंतिम प्रश्न: हमारे पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगी? उत्तर:”जिस तरह बाहर की चोट का इलाज कराते हैं, वैसे ही अंदर की चोट का भी इलाज कराना ज़रूरी है।”अगर आपको लगे कि आपका कोई प्रियजन असामान्य व्यवहार कर रहा है, तो घबराने की जरूरत नहीं है—इलाज संभव है! वैसे,ज्यादा सही होगा कि स्वस्थ दिखने वालों को भी मानसिक स्वास्थ्य की जांच करा लेनी चाहिए, जिससे बीमारी ही पैदा न हो पाए। मेरे GK साइकोथेरेपी एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में सोमवार से शनिवार, सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक आ सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए 7725093381,7067162282 पर संपर्क करें।मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हर समस्या का समाधान संभव है—बस पहला कदम उठाने की देर है!

छत्तीसगढ़ में पोषण ट्रैकर एप बना आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए सिरदर्द, तकनीकी खामियों के कारण वेतन कटौती पर भड़का संघ

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जशपुर ,27 फरवरी 2025 – छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए पोषण ट्रैकर एप एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इस एप में तकनीकी खामियों के चलते प्रदेशभर में कई कार्यकर्ताओं का वेतन बिना किसी गलती के काटा जा रहा है, जिससे वे परेशान और आक्रोशित हैं। इस मुद्दे को सबसे पहले जशपुर जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ ने प्रमुखता से उठाया है और मंगलवार 25 फरवरी को जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर तत्काल समाधान की मांग की है। तकनीकी खामियां बनी बड़ी समस्या संघ की जिलाध्यक्ष श्रीमती कविता यादव के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि पोषण ट्रैकर एप के नए वर्जन में कई व्यावहारिक समस्याएं हैं। इसमें टीएचआर (टेक होम राशन) वितरण के लिए हितग्राहियों के आधार और मोबाइल से ओटीपी सत्यापन की अनिवार्यता है, जिससे कई परेशानियां खड़ी हो रही हैं— एक ही व्यक्ति को हर माह राशन लेने की अनिवार्यता – परिवार का कोई अन्य सदस्य राशन लेने नहीं जा सकता। ओटीपी सत्यापन की समस्या – कई हितग्राही ओटीपी साझा करने से मना करते हैं, जिससे उन्हें राशन नहीं मिल पाता। मोबाइल की अनुपलब्धता – कई आदिवासी और वनवासी परिवारों के पास मोबाइल फोन नहीं है, जिससे वे पोषण योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। नेटवर्क और तकनीकी दिक्कतें – कई इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने से पोषण ट्रैकर एप काम नहीं करता, जिससे राशन वितरण बाधित होता है। कमजोर मोबाइल उपकरण – आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिए गए मोबाइल इस एप को सुचारू रूप से चलाने में सक्षम नहीं हैं, जिसके लिए कम से कम 5GB रैम वाले मोबाइल की जरूरत है। रिचार्ज सुविधा का अभाव – कार्यकर्ताओं को मोबाइल रिचार्ज के लिए प्रति माह ₹500 की स्वीकृति दी जाए, ताकि वे निर्बाध रूप से अपने कार्य कर सकें। मानदेय में कटौती से बढ़ रही नाराजगी संघ का आरोप है कि विभागीय अधिकारी इन समस्याओं से भली-भांति परिचित होने के बावजूद, कोई समाधान निकालने के बजाय कार्यकर्ताओं के मानदेय में कटौती कर रहे हैं। यह कटौती केवल एप में दर्ज आंकड़ों के आधार पर की जा रही है, जबकि तकनीकी गड़बड़ियों के कारण कई बार सही डेटा दर्ज नहीं हो पाता। संघ की जिलाध्यक्ष कविता यादव ने कहा, “हम अल्प मानदेय पर कार्य करते हैं और उसी से परिवार चलता है। यदि छोटी-छोटी तकनीकी खामियों के कारण वेतन में कटौती होगी, तो हम पर आर्थिक संकट आ जाएगा। सरकार को इस समस्या का तत्काल समाधान निकालना चाहिए।” संघ ने शासन-प्रशासन से आग्रह किया है कि— टीएचआर वितरण का कार्य अन्य एजेंसी या संस्था के माध्यम से किया जाए, ताकि तकनीकी परेशानियों से बचा जा सके। पोषण ट्रैकर एप की खामियों को दूर किया जाए और इसे ऑफलाइन मोड में भी संचालित करने की सुविधा दी जाए। किसी भी कार्यकर्ता या सहायिका का मानदेय बिना उचित कारण के न काटा जाए और जब तक समस्या का समाधान न हो, तब तक कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। प्रदेश भर में फैल सकता है आंदोलन यह समस्या केवल जशपुर की नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो यह मुद्दा प्रदेशव्यापी आंदोलन का रूप ले सकता है। संघ ने सरकार से अपील की है कि पोषण ट्रैकर एप से जुड़ी तकनीकी समस्याओं को दूर कर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बिना बाधा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने दिया जाए। अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं।

बच्चों की पढ़ाई में बड़ी बाधा बनी मधुमक्खी के छत्तों को हटाने एक्शन में आये विनयशील,5 बच्चों को मधुक्खियों ने मारी डंक

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कुनकुरी,18 फरवरी 2025 – कुनकुरी शहर की कन्या शाला में वर्षों पुरानी समस्या पर नवनिर्वाचित नपं अध्यक्ष विनयशील का ध्यान गया है।उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से मधुक्खियों के छत्ते हटाते हुए स्थायी समाधान करने पर चर्चा की है। दरअसल,आज सुबह विनयशील खेल मैदान चौक पर लोगों से मुलाकात कर रहे थे।इसी दौरान युवा कौशल शर्मा ने बताया कि कन्या शाला में सेमल के बड़े पेड़ों पर मधुक्खियों के कई सारे छत्ते हैं।जिनमे से विभिन्न कारणों से मधुमक्खियां निकलकर स्कूल के बच्चों,टीचरों समेत स्टेट हाइवे से गुजरनेवाक़े राहगीरों पर हमला कर देती हैं।आज मंगलवार की सुबह साढ़े नौ बजे के करीब स्कूल की 5 छात्राओं को मधुक्खियों ने डंक मार दिया है।कौशल ने यह भी बताया कि उसे भी स्कूटी से गुजरते वक्त तीन दिन पहले मधुमक्खी ने गाल पर डंक मारा था जिससे वे सड़क पर गिरते-गिरते बचे। इस परेशानी को जानने के बाद विनयशील ने तत्काल वन विभाग के एसडीओ कुनकुरी को फोन लगाकर इस सम्बंध में चर्चा की।विनयशील ने बताया कि इससे सैंकड़ो बच्चों के जीवन के लिए हमेशा बड़ा खतरा बना हुआ है।परीक्षा सिर पर है।स्कूल परिसर के बाहर भी भीड़भाड़ रहती है।व्यस्त सड़क है।ऐसे में मधुक्खियों के छत्तों को सुरक्षित तरीके से हटाना जरूरी है।इसे हटाने में जो भी खर्च करना पड़े,उसमें यदि फंड की कोई दिक्कत है तो निजी खर्च पर हटाऊंगा। अब देखना है कि मधुक्खियों और इंसानों का जीवन सुरक्षित करते हुए युवा नपं अध्यक्ष कब तक स्थायी समाधान कर पाते हैं।इससे पहले भी स्कूल प्रबंधन व छात्राओं ने छोटे से लेकर बड़े-बड़े जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से छुटकारा दिलाने की गुहार लगाते रहे हैं।

जशपुर की मिशन संस्था में धर्मांतरण का खेल! नन्हें-मुन्नों को धार्मिक शिक्षा का कैसे दिया जा रहा लॉलीपॉप?सरकारी अनुदान के पैसों का दुरुपयोग कर मिशनरी स्कूल से कौन कर रहा है काली कमाई? सवाल कई जवाब भी पढ़िए –

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जशपुर,17 जनवरी 2025 – जिले के पोरतेंगा स्थित सरकारी अनुदान प्राप्त विनय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा से संबंधित गंभीर अव्यवस्थाएं उजागर हुई हैं। स्थानीय जागरूक निवासियों ने इन मुद्दों को लेकर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नितिन राय को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। छात्रावास में दुर्व्यवस्था का आरोप छात्रावास में साफ-सफाई और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बच्चों को अस्वच्छ और असुरक्षित वातावरण में रखा जा रहा है, जिससे उनका स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है।बच्चों ने बताया कि खाट,मच्छरदानी,कम्बल घर से लाएं हैं। बच्चों पर धार्मिक और सांस्कृतिक दबाव डालने का आरोप बच्चों को जबरदस्ती धर्म और परंपराओं का पालन करने के लिए विवश किया जा रहा है।बच्चों ने बताया कि छात्रावास चर्च से सटा हुआ है।यहाँ चर्च में प्रार्थना करने के लिए सभी को जाना होता है चाहे बच्चे किसी भी धर्म को मानने वाले हों।छात्रावास में दैनिक समय सारणी,शनिवार समय सारणी,रविवार समय सारणी चस्पा किया हुआ है।जिसे कार्यालय,विनय बालक छात्रावास पोरतेंगा ने 1 सितंबर 2023 से जारी किया हुआ है।जिसके अनुसार दैनिक समय सारणी में छात्रावासी बालकों को सुबह उठकर 6 बजे मिस्सा करना शाम को 4 बजे बागवानी,शाम 6 बजे रोजरी अन्य गतिविधियों के साथ करना है।इसी तरह शनिवार समय सारणी में सुबह उठकर 6 बजे मिस्सा फिर शाम 3 बजे बागवानी,5:30 बजे रोजरी अन्य गतिविधियों के साथ करना है।वहीं रविवार समय सारणी के अनुसार सुबह उठकर 6 बजे मिस्सा,11 बजे गाना अभ्यास, शाम 5 बजे बेनेदिक्सन व अन्य गतिविधियां लिखी हुई हैं। ये बात समझा जा सकता है कि सभी बालकों को रोज सुबह उठने के बाद मिस्सा पूजा कर दिन की शुरुआत करनी है।रोज बागवानी करनी है।शाम को भी ईसाई धर्म के अनुसार रोजरी विनती आदि करना है। अवैध वसूली का आरोप प्रति बच्चे से ₹1000 की अवैध वसूली की जा रही है, जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता।बच्चों को बाकायदा इसकी रसीद दी जाती है,जिसकी पुष्टि बच्चों ने और खुद संस्था प्रमुख फादर अमित बेक ने कैमरे में की है। शराब पीकर अनुशासनहीनता का आरोप: विद्यालय प्रशासन पर शराब और अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया गया है, जिससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा असर पड़ रहा है। शोषण और जबरदस्ती मजदूरी का आरोप: बच्चों से जबरदस्ती मजदूरी करवाई जा रही है।जैसा कि बच्चों ने बताया ,”हम सभी को बागान में रोज काम करना होता है।उससे जो सब्जी उगती है उसे हमें खिलाया जाता है।जब बागान में सब्जी खत्म हो जाती है तो हमें सुकटी भात दिया जाता है।(सुकटी मतलब पत्तियों का पावडर)।खाना भी दिन में जो मिड डे मील स्कूल में मिलता है उसी को शाम को छात्रावास में दुबारा खिलाया जाता है।छुट्टी के दिन सरकारी चावल,सोयाबीन बड़ी को हॉस्टल में लाकर रखे हैं,उसे पकाया जाता है।जबकि हर महीने एक हजार की फीस ली जाती है।  सरकारी अनुदान के दुरुपयोग का आरोप छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए प्रदान किए गए ₹79 लाख के अनुदान के बावजूद, विद्यालय प्रशासन की लापरवाही और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन चिंता का विषय है।जिसकी जांच सरकारी ऑडिटर से कराई जाने की मांग है। संस्था प्रमुख फादर अमित बेक ने आरोपों को किया खारिज वहीं सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूल विनय प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के प्रमुख व चर्च परिसर में कथित छात्रावास चलानेवाले फादर अमित बेक ने बाल कल्याण समिति को की गई सभी शिकायतों पर अपना पक्ष रखा।उन्होंने बताया कि वह हॉस्टल नहीं है,दूर-दराज से गरीब बच्चों के अभिभावकों की सहमति-पत्र लेकर पढ़ाई करने के लिए स्थान दिया गया है।वहीं सभी बच्चे किसान के बेटे हैं,सभी को नौकरी तो नहीं मिल सकती इसलिए उन्हें खेती-किसानी साथ मे बागवानी करते हुए सीखा रहा हूँ।धर्म विशेष की पढाई करने,पूजा पाठ करने,चर्च भेजे जाने पर कहा कि किसी पर दबाव नहीं है।जो जाना चाहता है वह जा सकता है।उन्होंने यह भी बताया कि यहां अभी 23 बच्चे रहकर पढ़ रहे हैं जिसमें ज्यादातर ईसाई धर्म के बच्चे हैं दूसरे हिन्दू धर्म के हैं,मुस्लिम धर्म के बच्चे नहीं हैं। शिकायत पर CWC ने लिया संज्ञान बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नितिन राय ने शिकायत में उल्लेखित बिंदुओं को बेहद गम्भीर माना है।उन्होंने कहा – “शिकायत मिली है।ऐसे सभी सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में चल रहे छात्रावासों,अवैध छात्रावासों की सूची मंगा रहा हूँ।सम्बंधित विभागों को पत्र भेजा जा रहा है।इस मामले में बाल कल्याण समिति एक्शन लेगी।जांच में बाल अधिकारों का हनन और शिक्षा देने के नाम पर धर्मांतरण की कोशिश करना पाए जाने पर कानून सम्मत कार्रवाई जाएगी।” बहरहाल, शिकायत के साथ यह भी मांग की गई है कि विद्यालय और छात्रावास में बच्चों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान किया जाए।दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच के लिए एक टीम का गठन हो।यदि इन गंभीर मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से अपील की है कि वे बच्चों के अधिकारों और उनके सुरक्षित भविष्य के लिए ठोस कदम उठाएं।

नाबालिगों को नशे की दलदल में धकेलने वाला आरोपी गिरफ्तार, 202 सोल्यूशन ट्यूब बरामद

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छोटे गरीब मजदूरों के बच्चों को नशीले पदार्थों की लत लगाकर उनसे कबाड़ बीनने,छोटी-बड़ी चोरी कराने वालों के ख़िलाफ़ पुलिस एक्शन मोड में है। दरअसल,कबीरधाम पुलिस ने नाबालिग बच्चों को नशे की लत में धकेलने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार कर जिले में अवैध नशे के कारोबार पर बड़ी चोट दी है। आरोपी ओमंग देवांगन, जो छोटे बाजार पिपरिया में अमर सायकल स्टोर का संचालक है, बच्चों को साइकिल पंचर बनाने में उपयोग होने वाले सोल्यूशन को नशे के लिए अधिक कीमत पर बेच रहा था। सोल्यूशन बना रहा था बच्चों के भविष्य के लिए ज़हर सोल्यूशन, एक खतरनाक रसायन है, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यह न केवल उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा था, बल्कि उनके भविष्य को भी अंधकार में धकेल रहा था। पुलिस ने रची सुनियोजित योजना एडिशनल एसपी पुष्पेंद्र बघेल ने बताया कि मुखबिर से मिली सूचना के बाद पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए एक सुनियोजित योजना तैयार की। पुलिस टीम ने एक सदस्य को ग्राहक बनाकर आरोपी के पास भेजा। आरोपी जैसे ही सोल्यूशन बेचने के लिए राज़ी हुआ, पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। बरामदगी और कार्रवाई आरोपी के पास से 202 सोल्यूशन ट्यूब बरामद की गई। ये ट्यूब वह नाबालिग बच्चों को महंगे दामों पर बेचता था। पुलिस ने मौके पर ही आरोपी को हिरासत में ले लिया। गिरफ्तारी के दौरान धमकाने की कोशिश गिरफ्तारी के दौरान आरोपी ने पुलिस और गवाहों को धमकी देने का प्रयास किया और अपने आपराधिक गतिविधियों को जारी रखने की बात कही। हालांकि, पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए उसे काबू कर लिया। कड़ी धाराओं में मामला दर्ज आरोपी के खिलाफ धारा 126 और 135(3) के तहत मामला दर्ज कर उसे न्यायालय में पेश किया गया। कबीरधाम पुलिस ने इस कार्रवाई के जरिए स्पष्ट संदेश दिया है कि नशे के अवैध कारोबार पर लगाम लगाने के लिए वे पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। यह कार्रवाई न केवल नशे के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी जीत है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि ऐसे अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह गिरफ्तारी नशे के खिलाफ चल रही मुहिम में एक अहम कदम है। पुलिस का यह प्रयास बच्चों और युवाओं के बेहतर भविष्य की ओर एक सकारात्मक संदेश देता है।  

केराडीह में विधिक साक्षरता शिविर का सफल आयोजन,विद्वान न्यायाधीश से बच्चों ने पूछे सवाल

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जशपुर / कुनकुरी,11 जनवरी 2025 – शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय केराडीह में आज विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर राष्ट्रीय सेवा योजना के बैनर तले आयोजित हुआ और इसमें प्रमुख वक्ताओं के रूप में प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश भानु प्रताप सिंह त्यागी और न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग नरेंद्र कुमार तेंदुलकर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती और छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। विद्यालय के प्राचार्य डी.आर. भगत और व्याख्याता असुंता किस्पोट्टा ने छात्रों के साथ अतिथियों का स्वागत किया। छात्रों ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर सभी का अभिनंदन किया। शिविर में जेएमएफसी नरेंद्र कुमार तेंदुलकर ने नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं और उससे जुड़े कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने मोबाइल के दुरुपयोग, पास्को एक्ट और यातायात नियमों के प्रति छात्रों को जागरूक किया। इसके बाद विद्वान न्यायाधीश भानु प्रताप सिंह त्यागी ने विधिक साक्षरता के महत्व और विधिक सेवा प्राधिकरण से मिलने वाले सहयोग की जानकारी दी। उन्होंने पास्को एक्ट, घरेलू हिंसा, आबकारी अधिनियम और अन्य कानूनों के बारे में छात्रों को सरल और प्रभावी ढंग से समझाया। कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने कानून से जुड़े सवाल भी पूछे। छात्र भरत मिश्रा ने शराबबंदी से संबंधित प्रश्न किया, जिस पर उन्हें शराब से जुड़े कानूनों की विस्तृत जानकारी दी गई। वहीं, नवनीत मिंज ने ड्राइविंग लाइसेंस के संबंध में जानकारी प्राप्त की। शिविर में छात्रों ने पूरे अनुशासन और उत्साह के साथ भाग लिया और कानूनी जानकारी का महत्व समझा। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी वीरेंद्र साय ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन व्याख्याता असुंता किस्पोट्टा ने किया। शिविर में विद्यालय के समस्त शिक्षक-शिक्षिकाओं और कर्मचारियों ने योगदान दिया। शिक्षकों ने कहा कि यह  विधिक साक्षरता शिविर छात्रों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि उन्हें कानून के प्रति जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा भी दी।