हवस के दरिंदे ने पड़ोस की बालिका को भगाया,सूचना मिलते ही 3 घण्टे में पुलिस ने यूँ खत्म किया ‘ऑपरेशन मुस्कान’

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जशपुर,03 जनवरी 2025 – 2 जनवरी की सुबह 9 बजे स्कूल जाने को कहकर निकली 17 वर्षीया बालिका अपहरण का शिकार हो गई।शाम 6 बजे के करीब पुलिस को इसकी सूचना मिली।एसपी शशिमोहन सिंह के निर्देश पर तत्काल पुलिस टीम ने तलाश शुरू की जो तकरीबन तीन घण्टे में जशपुर शहर से नाबालिग बालिका को पड़ोसी युवक के चंगुल से छुड़ाने में सफल रही। फिलहाल  पुलिस अपहृत बालिका के बयान पर अपहरण करनेवाला पड़ोसी युवक को भारतीय नागरिक संहिता व बालकों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध कायम कर रही है। पीड़िता नाबालिग है इसलिए उसकी पहचान उजागर न हो इसलिए ख़बर ज़नपक्ष आरोपी पड़ोसी का नाम ,फोटो उजागर नहीं कर रहा है। उल्लेखनीय है कि जशपुर पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह के निर्देश पर बालकों व महिला सम्बन्धी अपराध पर त्वरित कारवाई की जा रही है।आंकड़े देखिए – वर्ष 2024 में दुष्कर्म के कुल 137 प्रकरण दर्ज हुए, जिनमें से 129 प्रकरणों में कुल 170 आरोपी गिरफ्तार हुए। वर्ष 2023 में 118 और वर्ष 2022 में 172 प्रकरण दर्ज हुए थे। बीते एक वर्ष में ऐसे अपराधों में कमी आना इसकी सफलता को दर्शाता है।

संविधान की छत्रछाया में मदरसा शिक्षा: न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला, मुस्लिम समुदाय के लिए शिक्षा का सुनहरा अवसर

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निर्मल कुमार (लेखक आर्थिक व सामाजिक मामलों के जानकार हैं।यह उनके निजी विचार हैं।) कोई भी कानून, सामाजिक पूर्वाग्रह, या राजनीतिक दबाव, संविधान के इस मूल अधिकार को कमजोर नहीं कर सकता। = सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा अधिनियम, 2004 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्ववर्ती फैसले को खारिज कर दिया। यह अधिनियम उत्तर प्रदेश राज्य में मदरसों की स्थापना, मान्यता, पाठ्यक्रम और प्रशासन को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत, मदरसों की निगरानी और प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने इस निर्णय को सुनाते हुए कहा कि सरकार को मदरसा शिक्षा के लिए नियमन बनाने का अधिकार है और यह संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है। इस निर्णय ने मुस्लिम समुदाय और मदरसा शिक्षा से जुड़े लोगों के बीच न्याय और समानता की भावना को प्रबल किया है। संविधान के अनुच्छेद 30 (1) के तहत अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उन्हें स्वतंत्र रूप से संचालित करने का अधिकार दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस अधिकार की पुष्टि करता है और स्पष्ट करता है कि कोई भी कानून, सामाजिक पूर्वाग्रह, या राजनीतिक दबाव संविधान के इस मूल अधिकार को कमजोर नहीं कर सकता। यह निर्णय संविधान की सर्वोच्चता को एक बार फिर स्थापित करता है और भारत के लोकतंत्र के स्थायित्व को सुनिश्चित करता है। मदरसों की ऐतिहासिक भूमिका को समझने की आवश्यकता है। इन संस्थानों ने पारंपरिक धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, वर्तमान युग में शिक्षा केवल धार्मिक या सांस्कृतिक संरक्षण तक सीमित नहीं है। इसे आधुनिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, गणित, चिकित्सा, और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों के साथ जोड़ना समय की आवश्यकता है। यह कदम न केवल मदरसा शिक्षा को प्रासंगिक बनाएगा, बल्कि इसे समुदाय की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के एक प्रभावी माध्यम में बदल देगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मुस्लिम समुदाय के लिए आत्मचिंतन और नवाचार का एक स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है। इसे एक अवसर के रूप में लेते हुए, मदरसों को अब आधुनिक शिक्षण पद्धतियों, डिजिटल उपकरणों और कौशल विकास कार्यक्रमों को अपनाना चाहिए। मदरसों का पाठ्यक्रम इस प्रकार विकसित किया जाना चाहिए, जो छात्रों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ मुख्यधारा की शिक्षा में भी प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर सके। यह न केवल समुदाय के युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर देगा, बल्कि उन्हें समाज के विकास में सक्रिय योगदान देने में सक्षम बनाएगा। यह निर्णय उन संवैधानिक मूल्यों को भी मजबूत करता है जो भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला हैं। कानून के समक्ष समानता का सिद्धांत, जो अनुच्छेद 14 में निहित है, यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार किया जाए, चाहे उनकी धार्मिक, जातीय, या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो। इस फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि न्यायपालिका सामाजिक और राजनीतिक पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर संविधान के प्रावधानों की रक्षा करती है। यह निर्णय अल्पसंख्यकों को यह भरोसा दिलाता है कि न्यायपालिका उनकी आवाज सुनने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुस्लिम समुदाय को इस अवसर का उपयोग शिक्षा के माध्यम से अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए करना चाहिए। मदरसों को ऐसे केंद्रों में बदलना चाहिए, जो न केवल धार्मिक शिक्षा दें, बल्कि विज्ञान, गणित, प्रौद्योगिकी और भाषा जैसे विषयों में भी छात्रों को उत्कृष्टता प्रदान करें। विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी, डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म, और अनुसंधान केंद्रों की स्थापना से मदरसा शिक्षा को एक नई दिशा दी जा सकती है। इसके साथ ही, लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि समाज का प्रत्येक वर्ग सशक्त हो सके। यह निर्णय न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत भी है। यह अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय, को यह समझने का अवसर देता है कि संविधान ही उनके अधिकारों का सबसे सशक्त संरक्षक है। इसके साथ ही, यह भी आवश्यक है कि समुदाय संविधान और न्यायिक प्रणाली पर अपना विश्वास बनाए रखे। यह निर्णय एक संदेश है कि केवल संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से ही सामाजिक न्याय और समरसता प्राप्त की जा सकती है। आज का यह फैसला न केवल मदरसा शिक्षा के संवैधानिक अधिकारों को सुदृढ़ करता है, बल्कि यह समुदाय को आत्मनिर्भर बनने और आधुनिक शिक्षा को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यह शिक्षा ही है जो किसी भी समुदाय को सामाजिक और आर्थिक समृद्धि की ओर ले जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय केवल न्यायालय के प्रति विश्वास को पुनः स्थापित नहीं करता, बल्कि यह एक प्रेरणा है कि शिक्षा के माध्यम से समाज के सभी वर्ग अपने अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं। मुस्लिम समुदाय के लिए यह समय आत्मचिंतन और कार्य करने का है। उन्हें समझना होगा कि शिक्षा ही वह पुल है जो उन्हें पिछड़ेपन से प्रगति तक ले जा सकता है। यह निर्णय केवल मदरसों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक दिशा-सूचक है। जब समुदाय अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझकर संविधान के साथ चलने का निर्णय करेगा, तभी सामाजिक न्याय और समृद्धि का सपना साकार होगा।

“शक्तिमान” बनकर जय हो टीम बाल विवाह रोकने कर रही जन जागरूकता

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जशपुर, 6 अक्टूबर 2024 – जिला प्रशासन और यूनिसेफ के संयुक्त प्रयास से जिले में बाल विवाह के खिलाफ एक विशेष जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत लोगों को बाल विवाह के दुष्प्रभावों से अवगत कराते हुए उन्हें इससे बचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन में जय हो टीम के स्वयंसेवकों ने एक अनोखा तरीका अपनाया। आज शहर के बस स्टेशन और मुख्य बाज़ार में स्वयंसेवक शक्तिमान के रूप में नजर आए। उन्होंने बाल विवाह रोकने के संदेश के साथ लोगों से संवाद किया और उन्हें इसके कानूनी और सामाजिक पहलुओं पर जानकारी दी। शक्तिमान का यह अनूठा अवतार लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा और बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों, सभी ने इस प्रयास की सराहना की। टीम के सदस्यों ने बताया कि बाल विवाह से बच्चों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, उनके स्वास्थ्य और शिक्षा पर बुरा असर पड़ता है, और इसे रोकने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है। कलेक्टर डॉ. मित्तल ने इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास जशपुर में बाल विवाह को जड़ से मिटाने के लिए बहुत कारगर सिद्ध होगा। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपने आस-पास किसी भी बाल विवाह की जानकारी मिलने पर तुरंत प्रशासन को सूचित करें। यह अभियान लोगों को जागरूक करने और समाज में बाल विवाह के खिलाफ एक मजबूत संदेश फैलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।  

जिले में बाल अपराध में कमी लाने, महिला बाल विकास विभाग कर रही जागरूकता अभियान

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जशपुर, 06 अक्टूबर 2024 कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के निर्देशन में जिला कार्यक्रम अधिकारी बी.डी. पटेल,जिला बाल संरक्षण अधिकारी शेखर यादव,जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी के मार्गदर्शन के नेतृत्व में गुरुवार 3 सितंबर को शासकीय हाई स्कूल बरपानी में आईसीपीएस एवम चाइल्ड लाइन की टीम के द्वारा आईसीपीएस (बाल संरक्ष्ण इकाई) में चलने वाली सभी योजनाओं की जानकारी दी गई। साथ ही लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण, मानव तस्करी, बाल विवाह, नशा मुक्ति,बाल श्रम,दत्तक ग्रहण, गुड टच बैड टच के बारे जानकारी दी गई। परिवीक्षा अधिकारी श्रीमती अंजना मिश्रा ने बताया कि बच्चों के विरुद्ध हो रहे अपराधों को शून्य स्तर पर लाने हेतु जिलों की भौगोलिक, सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप कार्य योजना तैयार कर बच्चों के सर्वोत्तम हित में बाल अपराधों में कमी लाने हेतु पाठशालाओं, महाविद्यालयों, छात्रावासों, पंचायतों, राज संस्थाओं एवं नवनागरिकों, शासकीय एवं अशासकीय बाल देखभाल संस्थाओं के अधिकारियों/कर्मचारियों के माध्यम से जिलेभर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।इस अभियान में कंचन प्रजापति,अमित तिड़ू, रोहित चौधरी जागरूकता के सन्देश दे रहे हैं।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान: विष्णुदेव साय सरकार की सराहनीय पहल,आंगनबाड़ी केंद्रों में पालकों को किया जा रहा जागरूक

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जशपुर,05 अक्टूबर 2024: 2015 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार के नेतृत्व में एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य देश में लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत कन्या भ्रूण हत्या रोकने, बाल विवाह के खिलाफ सख्त कदम उठाने, और बेटियों की शिक्षा में प्रगति लाने की दिशा में लगातार कार्य किए जा रहे हैं। इसी के तहत कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के निर्देश पर पालकों को आंगनबाड़ी केंद्रों में बुलाकर बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ के बारे में जागरूक किया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को राज्य के विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार बेटियों को सशक्त बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। उनका भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल बनाने के लिए हमें उनके जन्म से लेकर शिक्षा और अधिकारों तक हर स्तर पर साथ देना होगा।” उन्होंने विशेष रूप से कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ कड़े कदम उठाने और बाल विवाह को रोकने के लिए कड़े कानूनों के पालन की बात कही। शिक्षा को बढ़ावा: विष्णुदेव साय सरकार ने बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं को अमल में लाया है। इस अभियान के तहत बेटियों को स्कूलों में दाखिला दिलाने और उनकी पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता अभियानों के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा रही है। इसके तहत कई छात्राओं को सरकारी योजनाओं से सीधे लाभान्वित किया जा रहा है, जिससे उनकी शिक्षा में बाधाएं दूर हो रही हैं। सामाजिक जागरूकता और बदलाव: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत छत्तीसगढ़ में विभिन्न सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य लड़कियों के अधिकारों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। इसके साथ ही बाल विवाह को रोकने के लिए सख्त कानूनों का पालन भी सुनिश्चित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री की अपील: मुख्यमंत्री ने समाज से अपील करते हुए कहा कि “हमें अपनी बेटियों को बेहतर शिक्षा और अवसर प्रदान करना होगा ताकि वे समाज में समान अधिकारों के साथ आगे बढ़ सकें। यह हमारा कर्तव्य है कि हम बेटियों को सशक्त बनाएं और उनकी सुरक्षा और शिक्षा में कोई कमी न हो।”  

प्रिंसिपल हमारे प्रेयर में दिखने चाहिए कहकर छात्र संघ ने खत्म की हड़ताल, एसडीएम ने उच्चाधिकारियों तक छात्र संघ की मांग पहुंचाने का दिया आश्वासन

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जशपुर/कोतबा – 6 घण्टे तक स्वामी आत्मानन्द स्कूल कोतबा के स्टूडेंट्स लैलूंगा-कोतबा-लवाकेरा स्टेट हाइवे जाम कर प्रिंसिपल फिल्मोन एक्का का ट्रांसफर कैंसिल करने की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे।1 बजे एसडीएम पत्थलगांव से चर्चा करने के बाद चक्का जाम हटाया गया और आंदोलन खत्म किया गया। शाला नायक अनुराग बंजारा ने कहा कि एक सप्ताह दशहरे की छुट्टी के बाद स्कूल खुले तो प्रेयर में हमारे प्रिंसिपल फिल्मोन सर दिखने चाहिए।यदि ट्रांसफर कैंसिल नहीं होता है तो स्टूडेंट्स फिर से क्लास की जगह रोड पर बैठेंगे। बता दें कि आज शनिवार सुबह 6 बजे से कक्षा पहली से लेकर 12 वीं तक के छात्र-छात्राओं ने प्रिंसिपल को शासन द्वारा हटाये जाने से नाराज होकर कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया था।इसके बाद 9 बजे तक में छात्र संघ ने सड़क ही जाम कर दी। स्थिति बिगड़ती देख प्रिंसिपल फिल्मोन ने खुद स्टूडेंट्स के बीच जाकर उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन स्टूडेंट्स अपनी मांग पर अड़े रहे।चक्का जाम की खबर से प्रशासन हरकत में आया और खण्ड शिक्षा अधिकारी,तहसीलदार धरनास्थल पहुंचकर शासन के नियमों का हवाला देते हुए छात्र नेताओं से हड़ताल खत्म करने को कहा लेकिन छात्र नहीं माने। इधर मार्निंग स्कूल होने से अंग्रेजी माध्यम के बच्चों के परिजन धरनास्थल में ही बच्चों के लिए नाश्ता पानी देते हुए घर चलने को कहने लगे लेकिन बच्चों ने साफ कह दिया कि हमारे अच्छे शिक्षक और अच्छे प्रिंसिपल के साथ भेदभाव किया गया है।परिजन और राजनीति करनेवाले किनारे रहें।शाला नायक अनुराग बंजारा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रिंसिपल फिल्मोन की कोई शिकायत नहीं है।वो न शराब पीते हैं न ही किसी से दुर्व्यवहार करते हैं फिर उन्हें क्यों हटाया गया ? हमें यही प्रिंसिपल चाहिए।

सिरफोड़वा कांड 3 : हेडमास्टर स्कूल से बाहर,मैडम स्कूल के अंदर, दो बच्चों में मारपीट, एक का सिर फूटा,लोगों में शिक्षकों के खिलाफ गुस्सा

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जशपुर/कुनकुरी – स्वामी आत्मानन्द में सिरफोड़वा कांड 2 के बाद अब एक ग्रामीण प्राथमिक शाला में सिरफोड़वा कांड हो गया है।घटना शुक्रवार 4 अक्टूबर की है।घायल बच्चे के सिर में टांके लगे हैं।इस घटना में गांव में लोगों का गुस्सा हेडमास्टर और टीचर के खिलाफ भड़का हुआ है। दरअसल, कुनकुरी विकासखंड के ढोढ़ीडांड ग्राम पंचायत के प्राथमिक शाला नवाटोली में खेल छुट्टी के दौरान यह घटना हुई है।स्कूल में पढ़नेवाले छात्रों ने बताया कि सभी बच्चे खेल रहे थे।उसी समय कक्षा 5 वीं के छात्र और कक्षा 4 थी के छात्र के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा शुरू हुआ।4 ने 5  को एक थप्पड़ मारा तो 5 चप्पल से 4 को मारा और भागने लगा,4 ने पत्थर से फेंककर मारा तो 5 के सिर में गड्ढा हो गया खून निकला।इस समय स्कूल में एक शिक्षिका कविता सिदार थी।हेडमास्टर मनोज गुप्ता 12 बजे के बाद भाग गया था।टीचर को जब छात्रों ने घटना की जानकारी दी तो वह बाहर आकर 4 को एक थप्पड़ मारी और घायल छात्र को अपनी स्कूटी में बिठाकर अस्पताल के गई। इस घटना के बारे में पूछे जाने पर ढोढ़ीडांड सरपँच श्रीमती कलिस्ता ने बताया कि ‘मुझे अभी तक स्कूल के हेडमास्टर ने नहीं बताया है।जाकर देखती हूँ।वैसे हेडमास्टर मनोज गुप्ता स्कूल से ज्यादा अपने निजी धंधे में ज्यादा ध्यान देता है।उसकी बहुत शिकायत है।दो अक्टूबर को विशेष ग्रामसभा में इसको हटाने के लिए चर्चा भी हुई है।’ वहीं ग्रमीणों ने बताया कि घटना के बाद टीचर कविता सिदार घायल बच्चे को सरकारी अस्पताल कुनकुरी ले गई जहां हेडमास्टर मनोज गुप्ता पहुंचा और हल्का मरहम-पट्टी कराकर बच्चे को घर भेज दिया।उसके सिर में गड्ढा ज्यादा होने से खून रिस रहा था।परिजन बच्चे को कुनकुरी के निजी अस्पताल पहुंचे जहां उसे टांका लगाया गया।हालांकि इन सब का खर्च टीचर कविता सिदार ने उठाया। बहरहाल,कुनकुरी विकासखंड में डेढ़ महीने के अंदर ऐसी तीन घटनाओं से साफ है सरकारी स्कूलों के जिम्मेदार शिक्षक,प्रशासकों पर शासन-प्रशासन का नियंत्रण मजबूत नहीं है।देखना यह होगा कि इस घटना पर जिला प्रशासन का क्या एक्शन होता है?

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस उपलब्धि पर जताई खुशी, जशपुर जिले ने राष्ट्रीय पोषण माह में रचा इतिहास,5 लाख से ज्यादा गतिविधियों के साथ प्रदेश में पहले स्थान पर

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  जशपुरनगर, 28 सितंबर 2024/ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशन में छत्तीसगढ़ के आंगनबाड़ी केंद्रों में राष्ट्रीय पोषण माह के तहत विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इस अभियान में जशपुर जिले ने कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन में प्रदेश में सबसे अधिक सफलता हासिल की है और पहले स्थान पर पहुंच गया है। जशपुर जिले में अब तक 5 लाख 68 हजार से अधिक गतिविधियों का संचालन किया जा चुका है, जिससे जिले ने प्रदेश भर में अपनी अलग पहचान बनाई है। राष्ट्रीय पोषण माह अभियान: जनआंदोलन के रूप में इस साल 1 से 30 सितंबर तक आयोजित ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ का मुख्य उद्देश्य जनसमुदाय तक स्वास्थ्य, पोषण, और स्वच्छता के महत्व को पहुंचाना है। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के मार्गदर्शन में इसे जनआंदोलन के रूप में संचालित किया जा रहा है, जिसमें जनप्रतिनिधि, पंचायतीराज संस्थाएं, स्वयंसेवी संस्थाएं, महिला स्व-सहायता समूह, युवा संगठन और अन्य सामाजिक संस्थाएं सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। अभियान के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण 2.0 कार्यक्रम के अंतर्गत जागरूकता बढ़ाने, स्वच्छता बनाए रखने और कुपोषण की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इस पहल ने जनमानस में सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जशपुर जिला पूरे राज्य में राष्ट्रीय पोषण माह अभियान की सबसे उत्कृष्ट मिसाल पेश कर रहा है। 5 लाख से अधिक गतिविधियों के सफल आयोजन से यह स्पष्ट है कि जिला प्रशासन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, और स्थानीय समुदाय इस जनहितकारी अभियान को सफल बनाने के लिए एकजुट होकर काम कर रहे हैं। कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल ने कहा, “यह अभियान केवल एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह जनआंदोलन है, जिसका उद्देश्य हमारे समाज के सबसे निचले तबके तक पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता का संदेश पहुंचाना है। जशपुर के लोग इस अभियान में पूरी सक्रियता से भाग ले रहे हैं और यही हमारी सफलता की कुंजी है।” इस अभियान में पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधि, महिला मंडल, नेहरू युवा केंद्र, नेशनल कैडेट कोर (NCC), और राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) जैसे संगठन भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन सभी की सामूहिक भागीदारी ने इसे और अधिक प्रभावी बनाया है, जिससे जशपुर जिले में अभूतपूर्व परिणाम सामने आए हैं। इस अभियान ने जशपुर जिले में न केवल पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई है, बल्कि स्थानीय समुदायों को एक साथ लाने और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में भी अहम भूमिका निभाई है। इस प्रेरणादायक पहल से प्रदेश के अन्य जिलों को भी सीख मिल रही है और वे भी इसे सफल बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जिले में 76 हजार से ज्यादा बच्चों तक पहुंचेगा पोषण,आईआईटी मुम्बई भी बना सहयोगी

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*जशपुर में अब तक 60 हज़ार से अधिक बच्चों की वजन त्यौहार में हुई जांच* *जनप्रतिनिधियों से लेकर जनसमुदाय तक सभी बन रहे अभियान के सहभागी* *जशपुर, 20 सितम्बर 2024/* जशपुर जिले में 01 से 30 सितंबर तक पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधि, मितानिन, 0 से 6 वर्ष के बच्चों के अभिभावकों को शामिल करते हुए महिला बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से प्रत्येक आंगनबाड़ी में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत महिला बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं, सहायिकाएं प्रतिदिन आंगनबाड़ियों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। जिसके अंतर्गत महिलाओं के साथ एनीमिया पर चर्चा के साथ उनकी एनीमिया की जांच भी की जा रही है, पर्यावरण संरक्षण एवं जल संरक्षण के ऊपर जन समुदाय को जागरूक करने के साथ टेक्नोलॉजी का सरकारी कामकाज अनुप्रयोग विषय पर भी चर्चा की जा रही है जिसका थीम है ‘टेक्नोलॉजी फॉर गवर्नेंस एरियाज इनफ्लुएंसिंग न्यूट्रिशन‘। इसके माध्यम से सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना का लाभ प्रथम गर्भवती महिलाओं को दिलाना, जिसकी एंट्री ऑनलाइन होती है एवं आंगनबाड़ी में बच्चों की सभी जानकारियों की एंट्री पोस्ट ट्रैकर में करते हुए उन्हें लाभान्वित करना आदि किया जा रहा है। *पोषण माह से समुदाय में आ रही जागरूकता* मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशानुरूप पोषण माह के अंतर्गत महिलाओं बच्चों को लाभान्वित करने के लिए विभिन्न योजनाओं का लाभ उन्हें पहुंचा जा रहा है जैसे प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत जो माताएं लाभान्वित होने से छूट गई थी उन्हें लाभ दिलाया जा रहा है।पोषक आहार पर दिए गए ज्ञान से गर्भवती महिलाओं के खान-पान में सुधार देखने को मिल रहा है ।वे अब प्रोटीन को अपने आहार में शामिल कर रही हैं, पोषण माह मानने से आंगनबाड़ी में जन समुदाय की भागीदारी बढ़ी है साथ ही साथ वजन त्यौहार भी मनाया जा रहा है जिसमें जनप्रतिनिधि भी शामिल होकर जनसमुदाय को स्वस्थ एवं पोषण के संबंध में जागरूक करने सामने आ रहे हैं और अपनी भागीदारिता निभा रहे हैं। *आईआईटी मुम्बई भी पोषण अभियान में है साथी* जशपुर में आईआईटी मुम्बई के द्वारा पोषण माह में अपना योगदान दिया जा रहा है। जिसमें आईआईटी मुम्बई के मार्गदर्शन में सभी को सही पोषण, स्वस्थ बच्चा एवं सही स्तनपान के महत्व को अच्छे से लोगों समझाने में मदद की जा रही है। वजन त्यौहार में 0 से 6 वर्ष के सभी बच्चों का वजन लेकर बच्चों की पोषण स्थित उनके अभिभावकों को बताया जा रहा है एवं उनके आहार में सुधार एवं पोषण पुनर्वास केंद्रों में भेजने के लिए सलाह भी दिया जा रहा है। *जिले के 76 हज़ार बच्चों को मिलेगा लाभ* जशपुर जिले के लगभग 4115 आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण माह अभियान चलाया जा रहा है। जिसका लाभ जिले के 76 हजार से अधिक बच्चों को प्राप्त होगा। अभी तक के वजन त्यौहार में 60 हज़ार बच्चों का वजन लेकर ऑनलाइन एंट्री की जा चुकी है।

सीएम साय के गृह जिले में राष्ट्रीय पोषण माह की धूम, पोषण रथ बच्चों के पौष्टिक आहार और समय पर टीकाकरण करवाने की दे रही जानकारी

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  *जशपुर, 21/ सितम्बर 2024*/ मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय बच्चों को पोष्टिक आहार देने और समय पर टीकाकरण करवाने के निर्देश दिए हैं। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत संचालित वजन त्यौहार के तहत लोगों को जागरूक करने के लिए गांव गांव में पोषण रथ का संचालन किया जा रहा है। पोषण रथ द्वारा महिलाओं एवं बच्चों को पौष्टिक आहार, टीकाकरण, एनीमिया एवं उससे बचने के उपाय, आयरन फोलिक एसिड की गोली लेने, गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं के सम्पूर्ण देखभाल, डायरिया से बचने के उपाय इत्यादि के संबंध वीडियो महिलाओं एवं अन्य लोगों को दिखाया गया। ज्ञात हो कि पोषण रथ जशपुर जिले में निरंतर गांव गांव घूमकर लोगों को जागरूक और प्रसार कर रही है। उल्लेखनीय है कि जिसमें 12 से 23 सितम्बर तक चलने वाले वजन तिहार में बच्चों के वजन में बढ़ोत्तरी को मापने के साथ ही सामुदायिक जागरूकता का कार्य किया जा रहा है। पोषण माह के तहत सुपोषण चौपाल, अन्नप्राशन दिवस, परिवार चौपाल, पोषण मेला, व्यंजन प्रदर्शन जैसे आयोजन पंचायत और शहरी क्षेत्रों में किए जा रहे हैं। पोषण के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए स्कूलों में नारा लेखन, निबंध, चित्रकला और दीवार लेखन प्रतिस्पर्धाएं भी आयोजित किये जा रहे हैं। ग्रामीण महिलाओं को 0 से 6 साल के बच्चे, किशोरी बालिकाओं के खान-पान और स्वास्थ्य देखभाल के बारे में बताया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार भोजन में शामिल करने का आग्रह किया जा रहा है।