जशपुर के बगीचा में धार्मिक स्थल पर भजन बंद कराने का प्रयास, आरोपी नासिर खान गिरफ्तार

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जशपुर,04 जनवरी 2024 –  छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के बगीचा में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल पर भजन-आरती बंद कराने की कोशिश का मामला सामने आया है। इस घटना ने स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। घटना के बाद श्रद्धालुओं और सामाजिक संगठनों ने विरोध जताते हुए आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।जिसपर बगीचा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए नासिर खान को गिरफ्तार किया है। घटना का विवरण: जानकारी के अनुसार, 3 जनवरी की सुबह 6 से 7 बजे के बीच धार्मिक स्थल के पुजारी पूजा-अर्चना और भजन-आरती कर रहे थे। इसी दौरान एक व्यक्ति ने वहां पहुंचकर पूजा-पाठ में बाधा उत्पन्न की और भजन-आरती बंद करने का दबाव बनाया। आरोपी ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए पुजारी और अन्य श्रद्धालुओं को धमकी दी। पुजारी द्वारा तुरंत इस घटना की जानकारी स्थानीय श्रद्धालुओं को दी गई। इसके बाद धार्मिक स्थल पर बैठक कर घटना की निंदा की गई और थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस की त्वरित कार्रवाई: मामले की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 196(2) और 299 के तहत मामला दर्ज किया गया। आरोपी को तत्काल गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने कहा, “धार्मिक सौहार्द्र को बिगाड़ने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। घटना के तुरंत बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, और मामले की जांच जारी है।” स्थानीय लोगों में रोष: इस घटना के बाद स्थानीय श्रद्धालुओं और सामाजिक संगठनों में आक्रोश देखा गया। उनका कहना है कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता और श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने प्रशासन से इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की है। शांति बनाए रखने की अपील: स्थानीय प्रशासन और समाज के प्रबुद्ध व्यक्तियों ने शांति बनाए रखने की अपील की है। सभी पक्षों से सौहार्द्रपूर्ण माहौल बनाए रखने का आग्रह किया गया है।  

पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या: नेशनल हाईवे जाम, आरोपियों और पुलिस पर कार्रवाई की मांग

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  बीजापुर,04 जनवरी 2025 –  बीजापुर जिले के निर्भीक पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या और शव मिलने की घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। तीन दिनों से लापता मुकेश का शव शुक्रवार को ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में स्थित सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया। घटना के बाद पत्रकार समुदाय में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। हत्या का संदिग्ध मामला: बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव द्वारा जारी बयान के अनुसार, पत्रकार मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी को शाम के समय घर से निकले थे। कुछ देर बाद उनका फोन बंद हो गया और वह वापस नहीं लौटे। परिजनों ने काफी तलाश के बाद उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पुलिस जांच में शुक्रवार को उनका शव चट्टानपारा बस्ती में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में एक सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ। भ्रष्टाचार के खिलाफ खबर बनी कारण? मुकेश के भाई युकेश चंद्राकर ने खुलासा किया कि कुछ दिनों पहले मुकेश ने गंगालूर से नेलसनार तक बन रही 45 किलोमीटर लंबी सड़क में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार को उजागर किया था। उन्होंने बताया कि मुकेश बीजापुर के अंदरूनी नक्सल प्रभावित इलाकों में पत्रकारिता करते हुए ज्वलंत मुद्दों को सामने लाने में अग्रणी थे। पत्रकारों का विरोध प्रदर्शन: मुकेश के शव मिलने के बाद शनिवार सुबह से ही बीजापुर में पत्रकारों ने नेशनल हाईवे को जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने हत्या के दोषियों की गिरफ्तारी और कड़ी सजा के साथ-साथ बीजापुर एसपी को सस्पेंड कर तबादला करने की मांग की है। प्रदर्शन स्थल पर पुलिस की भारी तैनाती की गई है, लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, उनका आंदोलन जारी रहेगा। मुकेश चंद्राकर को क्षेत्र में निर्भीक और सशक्त पत्रकार के रूप में जाना जाता था। उन्होंने न केवल भ्रष्टाचार उजागर किया, बल्कि नक्सल कब्जे से जवानों को छुड़ाने में भी अहम भूमिका निभाई। उनकी हत्या ने पूरे बस्तर संभाग को स्तब्ध कर दिया है। सरकार और प्रशासन पर उठे सवाल: इस जघन्य हत्या ने पुलिस और प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पत्रकारों का आरोप है कि मुकेश की हत्या में पुलिस की लापरवाही भी जिम्मेदार है। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि हत्या के पीछे छिपे कारणों और दोषियों को फांसी की सजा दी जाए।  

लेख : सीरिया संकट और इस्लामिक स्टेट: सतर्कता, समझदारी और जिम्मेदार दृष्टिकोण की आवश्यकता

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सीरिया में हुए तख्तापलट से उपजे हालात का आतंकवादी समूह अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए एक बड़ा झूठ फैला रहे हैं। सामाजिक व धार्मिक मामलों के जानकार निर्मल कुमार ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किये हैं। सीरिया में हाल ही में हुए राजनीतिक और सैन्य घटनाक्रमों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता पैदा कर दी है। 8 दिसंबर 2024 को विद्रोही गुटों ने राष्ट्रपति बशर अल-असद के 24 वर्षीय शासन को समाप्त कर दिया, जिससे उन्हें देश छोड़कर रूस भागने पर मजबूर होना पड़ा। इस तख्तापलट के बाद, हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) विद्रोही गुट ने मोहम्मद अल-बशीर को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया। हालांकि, इस राजनीतिक बदलाव के बीच सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि कुछ कट्टरपंथी गुट इस घटनाक्रम को इस्लामिक स्टेट (ISIS) की जीत के रूप में चित्रित कर रहे हैं। वे इसे एक दिव्य अभियान का हिस्सा बताकर मध्य एशिया और अन्य क्षेत्रों के मुस्लिम युवाओं को अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। कट्टरपंथी प्रचार और वास्तविकता का अंतर कट्टरपंथी प्रचारकों द्वारा प्रस्तुत की जा रही यह व्याख्या न केवल भ्रामक है, बल्कि खतरनाक भी है। वे “इस्लामिक शासन” और “खिलाफत” की अवधारणाओं को तोड़-मरोड़कर युवाओं के बीच झूठा नैरेटिव गढ़ रहे हैं। यह प्रचार तंत्र युवाओं की धार्मिक भावनाओं को भड़काने और उन्हें हिंसा के मार्ग पर ले जाने के लिए तैयार किया गया है। वास्तव में, सीरियाई संघर्ष एक बहुआयामी समस्या है, जिसमें कई गुट सत्ता, प्रभाव और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। ISIS जैसे चरमपंथी समूह इस संघर्ष को अपने “खिलाफत” के पुनर्जन्म के रूप में दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। वे इसे एक धार्मिक युद्ध के रूप में प्रचारित करते हैं, जबकि उनकी गतिविधियाँ इस्लाम के मूल सिद्धांतों के विपरीत हैं। यह एक वैचारिक जाल है, जो अंततः विनाश, मौत और पीड़ा की ओर ले जाता है। इस्लामी शासन और ‘खिलाफत’ की सच्ची अवधारणा “इस्लामी शासन” और “खिलाफत” की अवधारणा इस्लामी न्याय, परामर्श (शूरा), सहिष्णुता और करुणा पर आधारित है। इस्लामी परंपरा में शूरा का विशेष महत्व है, जिसमें शासक और जनता के बीच विचार-विमर्श होता है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक प्रारंभिक स्वरूप है। ISIS द्वारा स्थापित तथाकथित “इस्लामिक स्टेट” एक आतंकवादी ढांचा था, जिसने इस्लामी सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन किया। उनका शासन अत्याचार, उत्पीड़न और हिंसा पर आधारित था। न्याय, दया और मानव गरिमा जैसे मूल इस्लामी सिद्धांतों को उन्होंने अपने राजनीतिक एजेंडे की पूर्ति के लिए तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया। इसके विपरीत, इस्लामी इतिहास में वास्तविक जिहाद का अर्थ है – व्यक्तिगत सुधार, समाज में न्याय की स्थापना और मानवता की सेवा। जिहाद कभी भी आतंकवाद, हिंसा या निर्दोष लोगों की हत्या को सही नहीं ठहराता। यह शिक्षा, दान, शांतिपूर्ण प्रतिरोध और न्याय के लिए प्रयास करने के रूप में प्रकट होता है। सीरियाई संघर्ष: चरमपंथी समूहों का एजेंडा वर्तमान सीरियाई घटनाक्रम को कुछ कट्टरपंथी गुट “खिलाफत” की स्थापना के प्रयास के रूप में चित्रित कर रहे हैं। वे जिहाद और खिलाफत जैसे पवित्र शब्दों का दुरुपयोग कर युवाओं को अपने जाल में फंसाने का प्रयास कर रहे हैं। इस्लामी शिक्षाओं को विकृत करके, वे ऐसे नैरेटिव गढ़ रहे हैं जो हिंसा और अराजकता को बढ़ावा देते हैं। इन समूहों का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम युवाओं की धार्मिक भावनाओं का दोहन करना और उन्हें अपने हिंसक अभियानों का हिस्सा बनाना है। यह एक वैचारिक जाल है, जो अंततः विनाश, मौत और पीड़ा की ओर ले जाता है। युवाओं को शिक्षित और सतर्क रहना होगा मुस्लिम युवाओं को इन कट्टरपंथी गुटों के झूठे प्रचार से सावधान रहना होगा। उन्हें इस्लामी शिक्षाओं का सही अर्थ समझने के लिए विद्वानों और धार्मिक विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लेना चाहिए। इस्लाम शिक्षा, करुणा, मानवता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित धर्म है। युवाओं को यह समझना होगा कि ISIS और अन्य चरमपंथी गुट इस्लाम के सच्चे सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। इस्लाम में किसी निर्दोष व्यक्ति की हत्या को गंभीर पाप माना गया है। कुरान कहता है: “जिसने किसी निर्दोष की हत्या की, उसने संपूर्ण मानवता की हत्या की।” (सूरह अल-मायदा: 5:32) समाज और नेतृत्व की भूमिका • धार्मिक नेताओं को कट्टरपंथ के खिलाफ स्पष्ट और प्रभावी बयान देने होंगे। • माता-पिता और शिक्षकों को युवाओं को चरमपंथी विचारधारा से दूर रखने के लिए शिक्षित और मार्गदर्शन करना होगा। • सरकारों को कट्टरपंथ को रोकने के लिए ठोस नीतियाँ अपनानी होंगी। • शिक्षण संस्थानों में सहिष्णुता, शांति और संवाद को बढ़ावा देना होगा। इस्लाम: शांति और न्याय का धर्म इस्लाम ने हमेशा ज्ञान, शांति और सहिष्णुता को प्राथमिकता दी है। इस्लामी इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं, जब मुसलमानों ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में भी न्याय, करुणा और सह-अस्तित्व के सिद्धांतों को बनाए रखा। युवाओं को यह समझना होगा कि इस्लाम का सच्चा अनुसरण शिक्षा, सेवा, और सामाजिक सुधार के माध्यम से किया जाता है। यह हिंसा, रक्तपात या नफरत के माध्यम से संभव नहीं है। ऐसे में समझने की जरूरत है कि सीरिया में हालिया राजनीतिक परिवर्तन को ISIS की जीत के रूप में प्रचारित करना एक खतरनाक झूठ है। मुस्लिम युवाओं को इस दुष्प्रचार से सतर्क रहना चाहिए और इस्लाम की सच्ची शिक्षाओं को अपनाना चाहिए। आतंकवाद, हिंसा और चरमपंथ इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ हैं। यह प्रत्येक मुस्लिम की जिम्मेदारी है कि वह ज्ञान, शांति और न्याय के मार्ग पर चले। कुरान और पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की शिक्षाओं के आधार पर, हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए, जो करुणा, सहिष्णुता और मानवता के मूल्यों पर आधारित हो। (यह लेख निर्मल कुमार के निजी विचार हैं।)

बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या: सीएम साय समेत पत्रकारिता जगत और समाज में शोक की लहर

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ख़बर ज़नपक्ष डेस्क : बीजापुर के युवा और समर्पित पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या की खबर ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस जघन्य घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि यह पत्रकारिता जगत और समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का आया बयान   मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर शोक संदेश जारी करते हुए लिखा, “मुकेश चंद्राकर जी की हत्या का समाचार अत्यंत दुखद और हृदयविदारक है। इस घटना के अपराधियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। सभी संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि जल्द से जल्द अपराधियों को गिरफ्तार कर कड़ी सजा दिलाई जाए।” पत्रकारिता में योगदान मुकेश चंद्राकर बीजापुर के चर्चित पत्रकारों में से एक थे और उनके यूट्यूब चैनल “बस्तर जंक्शन” ने नक्सल प्रभावित इलाकों में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया था। उनकी साहसी पत्रकारिता ने उन्हें लोगों के बीच एक पहचान दिलाई। परिवार और समाज में शोक मुकेश चंद्राकर के परिवार और स्थानीय पत्रकार समुदाय में इस घटना से भारी आक्रोश और दुख का माहौल है। उनकी हत्या ने क्षेत्र में प्रेस की सुरक्षा और स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पुलिस जांच में प्रगति इस मामले में पुलिस ने अब तक एक संदिग्ध को हिरासत में लिया है और कई सुरागों पर काम कर रही है। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने दावा किया है कि इस केस को जल्द सुलझाया जाएगा। शोक संदेश मुख्यमंत्री श्री साय के अलावा कई अन्य नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकार संगठनों ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। सभी ने अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने की मांग की है।  

बुरी खबर: बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्या की खबर,घर के पास लाश मिली,आधिकारिक पुष्टि फिलहाल नहीं

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रायपुर डेस्क,03 जनवरी2025 –  बीजापुर जिले के चर्चित पत्रकार मुकेश चंद्राकर बीते तीन दिनों से लापता हैं। सोशल मीडिया में खबर आ रही है कि उनकी अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी है।लाश उनके घर के पास मिली है।इस खबर ने पूरे पत्रकार जगत में सनसनी फैला दी है। पुलिस ने शुरुआती जांच में अपहरण की आशंका जताई है और मामले को सुलझाने के लिए तेजी से कदम उठा रही है। बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने आज दोपहर में मीडिया को बताया कि इस मामले में कुछ अहम सुराग मिले हैं और एक संदिग्ध को हिरासत में लिया गया है। दरअसल, 1 जनवरी की शाम मुकेश चंद्राकर टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनकर घर से निकले थे। कुछ देर बाद उनका फोन बंद हो गया। जब रात तक वे घर नहीं लौटे, तो उनके भाई और साथी पत्रकार युकेश चंद्राकर ने उनकी तलाश शुरू की। करीबियों और संभावित स्थानों पर खोजबीन के बाद जब कोई सूचना नहीं मिली, तो युकेश ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। CCTV और संदिग्ध पर पुलिस की नजर शहर के CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है। जांच में पुलिस को कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। एक संदिग्ध को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है। फेसबुक यूजर अंशु रजक ने लिखा है – बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर को एक ठेकेदार ने मार डाला अपने घर के सेप्टिक टैंक में दफना दिया.. वो भी सिर्फ इसलिए क्योकि उसके भ्रष्टाचार को मुकेश ने उजागर किया.. सच्चाई लोगो को बताई और इसका परिणाम मिला मौत .. छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की जरूरत है..!! मुकेश चंद्राकर: नक्सल मुद्दों की रिपोर्टिंग में सक्रिय नाम मुकेश चंद्राकर बीजापुर में “बस्तर जंक्शन” नामक यूट्यूब चैनल चलाते थे, जो नक्सल गतिविधियों और मुद्दों की रिपोर्टिंग के लिए जाना जाता है। उनकी निर्भीक पत्रकारिता ने उन्हें क्षेत्र में एक अलग पहचान दिलाई है। सक्रिय पत्रकार की हत्या ने बस्तर के पत्रकार समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने बस्तर आईजी से मुलाकात कर मामले को जल्द सुलझाने और मुकेश का पता लगाने की मांग की थी। कई पत्रकारों का दल भी उनकी तलाश में जुटा हुआ था। मुकेश चंद्राकर की हत्या की खबर ने स्थानीय लोगों और प्रशासन को गहरी चिंता में डाल दिया है। क्षेत्र में उनके योगदान और निर्भीक पत्रकारिता को देखते हुए, यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रेस स्वतंत्रता और सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा करता है।  

इंस्टाग्राम पर LIVE SUCIDE : जांजगीर-चांपा में 19 वर्षीय युवती ने प्रेम प्रसंग के चलते फांसी लगाकर की खुदकुशी,जांच में जुटी पुलिस

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जांजगीर-चांपा,03 जनवरी 2024 – जिले के मिसदा गांव में एक 19 वर्षीय युवती ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना को और भी चौंकाने वाला बना दिया जब युवती ने यह कदम इंस्टाग्राम पर लाइव होकर उठाया। 20 से अधिक लोगों ने यह घटना लाइव देखी और कमेंट्स के जरिए उसे ऐसा न करने की अपील भी की, लेकिन दुर्भाग्यवश कोई उसे रोक नहीं पाया। प्रेम प्रसंग का मामला होने का संदेह मृतका की पहचान कुमारी अंकुर नाथ के रूप में हुई है। नवागढ़ थाना प्रभारी भास्कर शर्मा ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा हुआ प्रतीत हो रहा है। घटना के दौरान मृतका के परिवार के सदस्य घर पर नहीं थे। पुलिस ने मोबाइल फोन जब्त कर जांच के लिए भेज दिया है और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) निकाली जा रही है। लाइव वीडियो के बाद मची हलचल लाइव वीडियो को गांव के अन्य लोगों और सोशल मीडिया यूजर्स ने देखा, जिसके बाद परिजनों को इसकी सूचना दी गई। जब तक घर के सदस्य पहुंचे, तब तक युवती फांसी के फंदे से झूल चुकी थी। उसे तुरंत सीएचसी अस्पताल, नवागढ़ ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिवार और सोशल मीडिया पर मिले सुराग मृतका के माता-पिता हैदराबाद में मजदूरी का काम करते हैं, जबकि वह अपनी बहन के साथ गांव में रहती थी। बताया गया है कि युवती ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी.और उसके बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। पुलिस को जांच में पता चला कि युवती ने पांच दिन पहले अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक सैड सॉन्ग पर रील पोस्ट की थी, जिससे उसके मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा रहा है। पुलिस जांच जारी पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया और परिवार के सदस्यों के बयान दर्ज किए हैं। पुलिस का कहना है कि मोबाइल फोन और इंस्टाग्राम अकाउंट की पूरी जांच के बाद ही सटीक कारणों का पता चल सकेगा। फिलहाल पुलिस हर एंगल से मामले की जांच कर रही है। जागरूकता की जरूरत यह घटना सोशल मीडिया पर हो रहे मानसिक स्वास्थ्य के प्रभावों को उजागर करती है। युवाओं को ऐसे खतरनाक कदम उठाने से रोकने और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। (यदि आप या आपका कोई जानने वाला तनाव में है या आत्महत्या के विचार कर रहा है, तो कृपया तुरंत मदद लें। मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन पर संपर्क करें।)

हवस के दरिंदे ने पड़ोस की बालिका को भगाया,सूचना मिलते ही 3 घण्टे में पुलिस ने यूँ खत्म किया ‘ऑपरेशन मुस्कान’

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जशपुर,03 जनवरी 2025 – 2 जनवरी की सुबह 9 बजे स्कूल जाने को कहकर निकली 17 वर्षीया बालिका अपहरण का शिकार हो गई।शाम 6 बजे के करीब पुलिस को इसकी सूचना मिली।एसपी शशिमोहन सिंह के निर्देश पर तत्काल पुलिस टीम ने तलाश शुरू की जो तकरीबन तीन घण्टे में जशपुर शहर से नाबालिग बालिका को पड़ोसी युवक के चंगुल से छुड़ाने में सफल रही। फिलहाल  पुलिस अपहृत बालिका के बयान पर अपहरण करनेवाला पड़ोसी युवक को भारतीय नागरिक संहिता व बालकों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध कायम कर रही है। पीड़िता नाबालिग है इसलिए उसकी पहचान उजागर न हो इसलिए ख़बर ज़नपक्ष आरोपी पड़ोसी का नाम ,फोटो उजागर नहीं कर रहा है। उल्लेखनीय है कि जशपुर पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह के निर्देश पर बालकों व महिला सम्बन्धी अपराध पर त्वरित कारवाई की जा रही है।आंकड़े देखिए – वर्ष 2024 में दुष्कर्म के कुल 137 प्रकरण दर्ज हुए, जिनमें से 129 प्रकरणों में कुल 170 आरोपी गिरफ्तार हुए। वर्ष 2023 में 118 और वर्ष 2022 में 172 प्रकरण दर्ज हुए थे। बीते एक वर्ष में ऐसे अपराधों में कमी आना इसकी सफलता को दर्शाता है।

धार्मिक स्थलों पर विवाद को बढ़ावा देना भारत की एकता के लिए हानिकारक है – मोहन भागवत

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(निर्मल कुमार की कलम से) नई दिल्ली,03 जनवरी 2025:   स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में पुणे में दिए गए एक प्रभावशाली भाषण में देशवासियों से आग्रह किया कि वे विभाजनकारी बयानों को नकारें और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को अपनाएं। ‘विश्वगुरु भारत’ शीर्षक से आयोजित व्याख्यान श्रृंखला के दौरान उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया के सामने यह उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए कि कैसे विभिन्न धर्म और विचारधाराएं आपस में सौहार्दपूर्वक रह सकती हैं। उत्तर प्रदेश के संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद और राजस्थान के अजमेर शरीफ जैसे धार्मिक स्थलों को लेकर उभरे विवादों का संदर्भ देते हुए भागवत ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर विवादों को बढ़ावा देना भारत की एकता के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा, “नफरत और दुश्मनी के आधार पर नए मुद्दे उठाना अस्वीकार्य है। हमें इतिहास से सीख लेनी चाहिए और उन गलतियों को दोहराने से बचना चाहिए, जिन्होंने समाज में विघटन को बढ़ावा दिया है।” विकास और एकता के बीच संतुलन आवश्यक भारत इस समय विकास और विश्व नेतृत्व के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। ऐसे में यह आवश्यक है कि देश अपनी महत्वाकांक्षाओं और आंतरिक असमानताओं के बीच संतुलन स्थापित करे। भागवत ने स्पष्ट किया कि राम मंदिर का मामला एक लंबे समय से हिंदू आस्था से जुड़ा मुद्दा था, जबकि वर्तमान में उठाए जा रहे अन्य धार्मिक स्थलों के विवाद अधिकतर नफरत और वैमनस्य से प्रेरित हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे मुद्दों को उठाने से न केवल धार्मिक समुदायों के बीच दरार पैदा होती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को भी नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि भारत का गौरवशाली अतीत हमेशा से समावेशिता, सहिष्णुता और विभिन्न विचारधाराओं के प्रति सम्मान का समर्थक रहा है। भारत ने अपनी प्राचीन परंपराओं के माध्यम से कट्टरता, आक्रामकता और बहुसंख्यकवाद जैसे विचारों को नियंत्रित किया है। भागवत ने दोहराया कि किसी को भी श्रेष्ठता का दावा नहीं करना चाहिए, बल्कि भारत के सहिष्णु अतीत से प्रेरणा लेकर सभी धर्मों को, विशेषकर अल्पसंख्यकों को, उनके लिए उचित स्थान और सम्मान देना चाहिए। “हर व्यक्ति को अपने विश्वास और पूजा-पद्धति का पालन करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।” भारत की ताकत: बहुलतावाद और समावेशिता भारत की ताकत इसकी बहुलतावादी संस्कृति में निहित है, जिसने सदियों से देश को विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के संगम स्थल के रूप में फलने-फूलने का अवसर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक जैसे द्वैत से परे है। जब हर व्यक्ति भारत की समग्र पहचान को समझेगा, तब बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक की सोच स्वतः समाप्त हो जाएगी। “हम सब एक हैं” का विचार तब एक वास्तविकता बन जाएगा। भागवत ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को भय और पूर्वाग्रह से मुक्त होकर अपने धर्म का पालन करने का अधिकार होना चाहिए। भारत का संविधान भी समानता और धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करता है, और यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम इन सिद्धांतों का पालन करें। हिंदू-मुस्लिम एकता और संवाद की आवश्यकता देश में बढ़ते विभाजनकारी माहौल को देखते हुए हिंदू-मुस्लिम एकता और समाज में सद्भावना को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता है। भागवत ने कहा कि दोनों समुदायों को समानताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए और मतभेदों को दूर करने के लिए संवाद और सहयोग का रास्ता अपनाना चाहिए। सोशल मीडिया के दौर में, जहां विभाजनकारी विचार तेजी से फैलते हैं, संयम और समझदारी आवश्यक है। उकसाने वाले बयानों को खारिज करना और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखना, सामूहिक प्रयासों के मुख्य स्तंभ होने चाहिए। शिक्षा और धार्मिक नेतृत्व की भूमिका भागवत ने धार्मिक नेताओं और समुदाय के प्रभावशाली व्यक्तियों की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि धार्मिक नेता संवाद और मेल-मिलाप को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा, शैक्षणिक संस्थानों को भी छात्रों में सहिष्णुता, करुणा और आपसी सम्मान जैसे मूल्यों को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। भारत: विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर भागवत ने कहा कि दुनिया भारत की ओर देख रही है, और हमें एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए, जिससे यह सिद्ध हो कि धार्मिक और वैचारिक विविधता संघर्ष का कारण नहीं, बल्कि शक्ति का स्रोत हो सकती है। यदि भारत आंतरिक मतभेदों को सुलझाकर अपनी एकता को मजबूत करता है, तो वह वैश्विक स्तर पर नेतृत्व कर सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह लक्ष्य केवल सरकार या किसी एक संगठन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक भारतीय नागरिक, समुदाय और संस्था का दायित्व है। उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति को अपने विश्वास और पूजा-पद्धति का पालन करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।” भागवत का भाषण न केवल भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने का आह्वान है, बल्कि यह देशवासियों के लिए एक चेतावनी भी है कि वे विभाजनकारी विचारधाराओं से दूर रहें। यह भाषण भारत के लिए एक दिशा-निर्देश है कि वह अपनी सहिष्णुता और बहुलतावादी परंपराओं के आधार पर विश्वगुरु बनने की अपनी यात्रा को जारी रखे।

नए साल की दावत में ‘मुर्गा विवाद,’ जर्मन शेफर्ड ने बिगाड़ा पड़ोसी का प्लान

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जशपुर/कुनकुरी,03 जनवरी 2025: नए साल का जश्न मनाने के लिए तैयारियां कर रहे एक परिवार की खुशियों पर तब पानी फिर गया, जब उनके पकवान का मुख्य किरदार, मुर्गा, पड़ोसी के जर्मन शेफर्ड कुत्ते का शिकार बन गया। इस ‘मुर्गा विवाद’ ने न सिर्फ दोनों पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ा दिया, बल्कि मामला थाने तक पहुंच गया। कहानी की शुरुआत लंबीटोली के निवासी देवनाथ राम ने नए साल की दावत के लिए एक खास मुर्गा पाला था। परिवार और दोस्तों के साथ स्वादिष्ट दावत की योजना बनाई गई थी। लेकिन उनका सपना उस वक्त टूट गया जब पड़ोसी प्रेम यादव का तीन महीने का जर्मन शेफर्ड कुत्ता उनके घर में घुसकर मुर्गे को चट कर गया। हर्जाना मांगने पर बढ़ा विवाद मुर्गा खाने की इस घटना से नाराज देवनाथ राम ने प्रेम यादव से हर्जाने में उतने ही वजन और रंग का नया मुर्गा देने की मांग की। लेकिन कुत्ते के मालिक प्रेम यादव ने हर्जाना देने से साफ इनकार कर दिया और उल्टा मुर्गे को संभालकर न रखने के लिए देवनाथ को खरी-खोटी सुना दी। देखते ही देखते विवाद गाली-गलौच और धक्का-मुक्की तक पहुंच गया। थाने तक पहुंचा ‘मुर्गा मामला’ हालात बिगड़ते देख देवनाथ राम ने कुनकुरी थाने में शिकायत दर्ज कराई। दूसरी ओर, प्रेम यादव भी अपने पक्ष को लेकर थाने पहुंच गए। थाना प्रभारी ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की और झगड़ा न करने की हिदायत दी। समझौते पर खत्म हुआ विवाद थाने में हुई बातचीत के बाद मामला सुलझा लिया गया। कुत्ते के मालिक ने देवनाथ राम को 500 रुपये बतौर हर्जाना दिया, और मामला शांत हो गया। शहर में चर्चा का विषय बना ‘मुर्गा विवाद‘ इस अनोखे ‘मुर्गा-कुत्ता’ विवाद ने पूरे इलाके में चर्चा छेड़ दी। नए साल पर जहां लोग पार्टी और जश्न में व्यस्त थे, वहीं लंबीटोली मुहल्ले के इस किस्से ने सबका ध्यान खींच लिया। “मुर्गा खाओ, लेकिन संभलकर!” इस घटना ने लोगों को यह सिखाया कि मुर्गे की दावत की योजना बनाते वक्त उसे सुरक्षित रखना भी जरूरी है। मुर्गा विवाद की यह कहानी भले ही मजेदार लगे, लेकिन पड़ोसियों के रिश्ते पर इसने जरूर गहरा असर छोड़ा है।  

कोई है,,,,,,साहब ने सुशासन का झंडा बुलंद करने दफ्तर छोड़ा

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*जशपुर/मनोरा,02 जनवरी 2025 – जब पूरा देश नए साल के जश्न में खोया हुआ था, मनोरा ब्लॉक के कर्मठ ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर (बीईओ) संजय पटेल ने सुशासन की परिभाषा ही बदल दी। बीईओ साहब ने नए साल का स्वागत अपने “फील्ड” में किया। अब फील्ड का मतलब यहां दोहरा है – एक सरकारी क्षेत्र का, दूसरा असली खेत-मैदान वाला। 1 जनवरी को जब हमारा “सरकारी दफ्तरों में सुशासन कैसा चल रहा है?” विषय पर उनके कार्यालय का दौरा हुआ, तो वहां एक महिला पियून ड्यूटी करती मिली। दूसरे कर्मचारी, जिनका नाम  लेटगू राम है, जो घर का बिजली वायरिंग कराने के लिए पहले ही दफ्तर छोड़ चुके थे। संजय पटेल ने बताया कि नए साल पर भी तीन कर्मचारी – दीपांशु, विभा और अन्य – छुट्टी पर चले गए थे। लेकिन खुद बीईओ साहब ने फील्ड जाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विद्यार्थियों “अपार पहचान” बनाने के लिए अभिभावकों का इंतजार करने के बाद ही फील्ड का रुख किया गया। आपको लगता है क्या कि विष्णु के सुशासन और कलेक्टर रोहित व्यास के प्रशासन में मनोरा के बीईओ संजय पटेल जैसे अधिकारी नए साल का जश्न मनाने का साहस कर सकते हैं? आखिर, जब जिम्मेदारी की बात आती है, तो पटेल साहब पूरे ब्लॉक को दिखा देते हैं कि सुशासन का मतलब सिर्फ कुर्सी पर बैठना नहीं, बल्कि “फील्ड” में पसीना बहाना है।ऐसे कर्मठ अधिकारी को, जो 1 जनवरी को भी सुशासन का झंडा उठाए हुए हैं, उनकी कर्मठता पर शाबाशी जरूर दी जानी चाहिए।