सड़क पर खड़े ट्रैक्टर से टकराकर युवक की मौत, लापरवाह ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज – जशपुर जिले के कमतरा बेहराटोली मार्ग की घटना, ग्रामीणों ने की हत्या का मामला दर्ज करने की मांग

जशपुर, 14 जून 2025। थाना नारायणपुर क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बेने चटकपुर निवासी 35 वर्षीय मजदूर आशीष चातक की शुक्रवार की रात एक दर्दनाक सड़क हादसे में मौत हो गई। हादसा तब हुआ जब वे रायकोना में एक पारिवारिक शादी में शामिल होकर मोटरसाइकिल से घर लौट रहे थे। परिजनों के अनुसार, रात करीब 8 बजे आशिष कुनकुरी थाना क्षेत्र के ग्राम कमतरा बेहराटोली के पास मेन रोड पर पहुंचे ही थे कि वहां खड़े एक ट्रैक्टर से उनकी मोटरसाइकिल सीधी टकरा गई। टक्कर के बाद आशीष गंभीर रूप से घायल अवस्था में सड़क पर पड़े मिले। सूचना पाकर उनका छोटा भाई और ग्रामीण मौके पर पहुंचे तथा पुलिस की गाड़ी की मदद से उन्हें होलीक्रॉस अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने रात 9:30 बजे मृत घोषित कर दिया। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस को बताया गया कि ग्राम जोकारी निवासी झूलन यादव का ट्रैक्टर, बिना इंडिकेटर या किसी प्रकार के चेतावनी संकेत के, अंधेरे में मुख्य मार्ग पर खड़ा किया गया था। आशीष हेलमेट पहने हुए थे, फिर भी टक्कर इतनी भीषण थी कि उनकी जान नहीं बच सकी। थाना कुनकुरी पुलिस ने मामले में झूलन यादव के अज्ञात ट्रैक्टर चालक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा BNS 106(1) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है। लगातार हो रही हैं ऐसी दुर्घटनाएं ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए बताया कि यह कोई पहली घटना नहीं है। एक दिन पहले ही नेशनल हाईवे पर इसी तरह खड़ी एक पिकअप से टकराकर एंबुलेंस ड्राइवर की मौत हो गई थी। ग्रामीणों और स्थानीय समाजसेवियों ने मांग की है कि ऐसे लापरवाह वाहन चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस तत्काल निरस्त किए जाएं और उन पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाए। जांच जारी, प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। वहीं सोशल मीडिया और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है कि ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लिया जाए और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

एयर इंडिया बोइंग विमान में मृत यात्रियों को कुनकुरी नगरपंचायत परिवार ने दी श्रद्धांजलि,सभागार में अध्यक्ष विनयशील ने जताया दुःख

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कुनकुरी,13 जून 2025 –  आज कुनकुरी नगरपंचायत सभागार में एयर इंडिया के बोइंग विमान हादसे में मृत लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। नगरपंचायत अध्यक्ष विनयशील, उपाध्यक्ष दीपक केरकेट्टा, पार्षद अजीत एक्का, इमरान खान, मुक्ति मिंज, नीलमणि सहित नगरपंचायत कर्मचारी और आम नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। अध्यक्ष विनयशील ने घटना की जानकारी देते हुए कहा कि यह हादसा बेहद दुखद और देश को झकझोर देने वाला है। भारत ने उन नागरिकों को खोया है जो देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे – उद्योगपति, इंजीनियर, समाजसेवी और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी जैसे वरिष्ठ नेता इस दुर्घटना में नहीं रहे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को मृतकों के परिजनों को हरसंभव सहायता देनी चाहिए। हादसे की खबर से कुनकुरीवासियों में भी गहरा शोक है। सभी ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की। इसके बाद नगरपंचायत का नियमित कार्य प्रारंभ किया गया।

महतारी वंदन योजना की पृष्ठभूमि में दर्दनाक घटना: शराब की लत ने ले ली सुमित्रा की जान, बेटी की आपबीती ने किया भावुक

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जशपुर/कुनकुरी, 12 जून 2025: छत्तीसगढ़ सरकार की बहुप्रचारित महतारी वंदन योजना, जिसका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है, अब एक दुखद घटना को लेकर चर्चा में है। नारायणपुर थाना इलाके के केराडीह बरटोली गांव की एक महिला सुमित्रा बाई (35 वर्ष) की मौत ने सभी को झकझोर दिया है। घटना के पीछे घरेलू कलह, नशे की लत और गरीबी की पृष्ठभूमि साफ झलकती है। परिजनों की माने तो सुमित्रा बाई को उसके पति जयनंदन राम ने 10 जून को नशे की हालत में जोकारी गांव से घर लाया था। बताया जा रहा है कि सुमित्रा अक्सर महतारी वंदन योजना के पैसे से शराब खरीदकर पीती थी। उसी रात दोनों में जमकर झगड़ा हुआ, मारपीट भी हुई और पति ने उसे कथित रूप से एक सुई भी लगवाई।दूसरे दिन भी इलाज चला लेकिन  रात को उसकी तबीयत बिगड़ गई, उल्टियां होने लगीं और फिर वह बेहोश हो गई। चौथे दिन सुबह करीब 6 बजे उसे कुनकुरी होलीक्रॉस अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस पूरी घटना की सबसे मार्मिक बात यह रही कि मृतका की 14 वर्षीय बेटी कल्पना बाई, जो आठवीं कक्षा में पढ़ती है, ने कैमरे में जो बयान दिया, वह दिल को छू लेने वाला था। कल्पना ने कहा –”पापा ने जानबूझकर मम्मी को नहीं मारा। मम्मी की शराब पीने की आदत से पापा बहुत परेशान रहते थे। पापा राजमिस्त्री हैं, रोज काम पर जाते हैं। मम्मी कई बार दो-दो दिन घर नहीं आती थी। मैं ही घर का सारा काम करती हूं। मम्मी जब निमत (होश में) रहती थी, तो सबका ख्याल रखती थी।” पति जयनंदन राम ने बताया कि “पत्नी महतारी वंदन का पैसा शराब पीने में उड़ा देती थी।शराब की लत इतनी ज्यादा थी कि वह खाना भी नहीं खाती थी और कमजोर हो गई थी। दो-दो दिन से बाहर शराब पी रही थी तो उसे घर लाने के बाद गुस्से में पीट दिया।” यह बयान कुनकुरी थाना परिसर में मीडियाकर्मी को दी है। चूंकि घटना में घरेलू झगड़ा, मारपीट और इलाज के दौरान मौत की बात सामने आई है, इसलिए पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। अब देखना यह होगा कि पुलिस की विवेचना में आगे क्या तथ्य सामने आते हैं, और क्या यह मामला अस्वाभाविक मृत्यु तक सीमित रहेगा या फिर गंभीर अपराध में तब्दील होगा।

कुनकुरी तहसीलदार ने अवैध निर्माण पर कसा शिकंजा, न्यायालय के आदेश के उल्लंघन पर कार्रवाई के निर्देश,थाना प्रभारी ने मकान निर्माण बंद कराया

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जशपुर, 11 जून 2025: कुनकुरी तहसील कार्यालय ने अवैध निर्माण कार्य पर सख्त रुख अपनाते हुए न्यायालय के आदेश के उल्लंघन पर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। तहसीलदार कार्यालय से जारी पत्र क्रमांक 1350/वाचक-1/2025 के अनुसार, ग्राम संजीव जैन वगैरह विरुद्ध गंगा सिंह भूमि विवाद प्रकरण में न्यायालय द्वारा पूर्व में जारी आदेश के बावजूद संबंधित भूमि पर निर्माण कार्य किया गया है। प्रकरण भूमि खसरा नंबर 215/2, 216 और रकबा 0.498 हेक्टेयर से संबंधित है, जिस पर न्यायालय ने 19 मई 2025 को निर्माण न करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद, आवेदक द्वारा प्रस्तुत निवेदन में बताया गया है कि विरोधी पक्ष ने न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। तहसीलदार, कुनकुरी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि उक्त निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाई जाए और न्यायालय के आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाए। इस आदेश की प्रति थाना प्रभारी कुनकुरी को भी भेजी गई है ताकि पुलिस की निगरानी में कार्रवाई की जा सके। थाना प्रभारी संतोष तिवारी ने न्यायालय के आदेश की पालना नहीं करने पर अनावेदक अमर सिंह पिता गंगा सिंह को निर्माण कार्य अगले आदेश तक बंद करने की सख्त समझाइश दी।जिस पर अनावेदक ने अपनी गलती मानी और काम बंद कर देने का वचन दिया। यह मामला क्षेत्र में अवैध निर्माण और भूमि विवादों को लेकर प्रशासन की सक्रियता को दर्शाता है। प्रशासन द्वारा दी गई इस चेतावनी को जमीन पर प्रभावी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।

तेज रफ्तार वाहन की टक्कर से अज्ञात मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति की मौत, सरपंच ने की FIR दर्ज – घटना बेहराटोली कमतरा की

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🛑 तेज रफ्तार वाहन की टक्कर से अज्ञात मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति की मौत, सरपंच ने की FIR दर्ज – घटना बेहराटोली कमतरा की 🛑 📍 जशपुर/कुनकुरी, 11 जून 2025 जशपुर जिले के कुनकुरी थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बेहराटोली कमतरा में एक दर्दनाक सड़क हादसे में एक अज्ञात व्यक्ति की मौत हो गई है। यह हादसा मंगलवार की रात लगभग 10:30 बजे ग्राम के रौतिया पारा-बगीचा चराईडांड राज्यकीय मार्ग पर हुआ। ग्राम पंचायत कमतरा के सरपंच अभिषेक कुजूर ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि गांव के सचिव विनय यादव ने रात करीब 11 बजे उन्हें फोन कर सूचना दी कि सड़क किनारे एक अज्ञात व्यक्ति मृत अवस्था में पड़ा है। मौके पर पहुंचने पर सरपंच ने देखा कि मृतक की उम्र लगभग 50-55 वर्ष थी, चेहरे पर सफेद दाढ़ी और मूंछ थी, सिर पर गहरी चोट के साथ मस्तिष्क का हिस्सा सड़क पर बिखरा हुआ था। शरीर पर कई अन्य गंभीर चोटें थीं। गौर करने वाली बात यह है कि मृतक मानसिक रूप से अस्वस्थ प्रतीत हो रहा था और उसके दोनों पैरों में लोहे की बेड़ियाँ बंधी हुई थीं, जिससे संदेह है कि वह शायद किसी अन्य जगह से भटका हुआ था या उसे बंधक बनाया गया था। सरपंच के अनुसार यह स्पष्ट है कि कोई अज्ञात वाहन चालक बगीचा रोड की ओर से अत्यधिक तेज व लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाते हुए आया और उक्त व्यक्ति को टक्कर मार दी, जिससे उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई। घटना की जानकारी गांव के उपसरपंच मोहम्मद शरीफ को भी दी गई और तत्काल थाना कुनकुरी में शिकायत दर्ज कराई गई। 📝 पुलिस ने सरपंच की रिपोर्ट पर अपराध क्रमांक 121/2025 के तहत धारा 281, 106(1) BNS के तहत मामला दर्ज कर लिया है। मामले की विवेचना सउनि. ईश्वर प्रसाद वारले द्वारा की जा रही है। 🔍 पुलिस अब मृतक की पहचान और वाहन चालक की तलाश में जुट गई है। इस मामले ने क्षेत्र में कई सवाल खड़े कर दिए हैं — मृतक कौन था? वह लोहे की बेड़ियों में क्यों था? क्या वह किसी संस्थान या घर से भागा हुआ था या उसे छोड़ दिया गया? आखिर कौन है वह अज्ञात वाहन चालक जो यह हादसा कर फरार हो गया? 👉 स्थानीय लोगों ने इस दुर्घटना को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन से दोषियों को जल्द पकड़ने की मांग की है।

ऐतिहासिक प्राचीन श्री जगन्नाथ मंदिर, दोकड़ा में आज होगा देव स्नान महोत्सव, पूरी धाम की परंपराओं संग होगी भव्य पूजा

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जशपुर/दोकड़ा,11जून 2025 –  ऐतिहासिक श्री जगन्नाथ मंदिर, दोकड़ा में आज देव स्नान महोत्सव का भव्य आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन पूरी धाम, ओडिशा की पारंपरिक विधियों के अनुसार संपन्न किया जाएगा। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हजारों श्रद्धालु इस आयोजन में भाग लेने के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। इस पावन अवसर पर मंदिर प्रांगण में भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। कीर्तन मंडलियों की सुमधुर भजनों की ध्वनि से वातावरण भक्तिमय हो उठेगा। मंदिर समिति ने कार्यक्रम की तैयारियां पूर्ण कर ली हैं और सुरक्षा व सुविधा व्यवस्था भी सुदृढ़ की गई है। कार्यक्रम का विस्तृत विवरण इस प्रकार है: दोपहर 1:00 बजे – मंगल आरती एवं कीर्तन मंडली का शुभारंभ 1:30 बजे – पहुंडी (भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा की विशेष शोभायात्रा) 2:30 बजे – देव स्नान (भगवानों का पवित्र जल से अभिषेक) 3:30 बजे – महाप्रभु श्रृंगार एवं गजानन वेश दर्शन 4:00 बजे – आरती एवं पुष्पांजलि अर्पण 4:30 बजे – महाप्रसाद वितरण रथयात्रा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि श्री जगन्नाथ रथयात्रा का प्रारंभ दोकड़ा में वर्ष 1942 में हुआ था। इसकी नींव स्वर्गीय सुदर्शन सतपथी एवं उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय सुशीला सतपथी ने रखी थी। यह परंपरा आज भी श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाई जा रही है। इस वर्ष भी विशाल रथ का निर्माण ओडिशा के प्रसिद्ध संबलपुर से आए कारीगरों द्वारा किया जा रहा है। रथ की कारीगरी और अलंकरण दर्शनीय है, जो स्थानीय संस्कृति और ओडिशा की परंपरा का समावेश प्रस्तुत करता है। स्थानीय जनमानस में उत्साह ग्रामवासी, श्रद्धालु एवं भक्तजन इस उत्सव को लेकर अत्यंत उत्साहित हैं। विशेष तौर पर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए यह दिन एक आध्यात्मिक पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। क्षेत्र के धार्मिक एवं सांस्कृतिक संगठनों ने भी महोत्सव को सफल बनाने में अपना योगदान दिया है।

 बड़ी खबर : जशपुर के तांबाकछार जंगल से आयशर प्रो गाड़ी में अर्जुन वृक्ष की लकड़ी तस्करी पकड़ी गई, ग्रामीणों ने हाइड्रा को भी रोका,क्या है अर्जुन वृक्ष?

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📍 जशपुर/बगीचा, 11 जून 2025 जशपुर जिले के बगीचा क्षेत्र से जंगल तस्करी की एक बड़ी और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। तांबाकछार के सघन जंगल से लाखों की औषधीय लकड़ी तस्करी करते हुए एक आयशर प्रो गाड़ी पकड़ी गई है। इस गाड़ी में पूरे के पूरे अर्जुन पेड़ के लट्ठे लदे हुए पाए गए, जो कि बहुमूल्य औषधीय वृक्षों में गिने जाते हैं। 🌳 क्या है अर्जुन वृक्ष की खासियत? अर्जुन पेड़ (Terminalia arjuna) भारतीय आयुर्वेद में हृदय रोगों के इलाज के लिए बेहद उपयोगी माना जाता है। इसकी छाल से दवाएं बनती हैं जो ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने, हृदय को मजबूत रखने और कोलेस्ट्रॉल घटाने में काम आती हैं। ऐसे में इसकी तस्करी न केवल वन संपदा का दोहन है, बल्कि देश की पारंपरिक औषधीय विरासत पर भी कुठाराघात है। 🚛 तस्करी में प्रयुक्त वाहन और घटनाक्रम: तस्करी में प्रयुक्त आयशर प्रो गाड़ी को ग्रामीणों की सतर्कता और वन विभाग की तत्परता से जब्त कर लिया गया है। यह गाड़ी रायपुर नंबर की है और इसके चालक व श्रमिक मौके से फरार हो गए। लकड़ी की लोडिंग में प्रयुक्त हाइड्रा मशीन को तस्कर भगा ले गए थे, लेकिन ग्रामीणों ने सूझबूझ से उसे रास्ते में रोक दिया, जो अब वहीं खड़ी है। 🌲 वन विभाग का बयान और रहस्य बना मौन: इस पूरे मामले में बगीचा रेंजर अशोक सिंह ने घटना की पुष्टि की है। वहीं SDO ईश्वर कुजूर ने सुबह तक कोई भी बयान देने से इंकार किया है, उनका कहना है कि “मुल्यांकन के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।” 🤔 बड़े सवाल, गहरी जड़ें: यह घटना सिर्फ एक गाड़ी पकड़ने की नहीं, बल्कि जशपुर के जंगलों में फैले अवैध लकड़ी तस्करी रैकेट की गवाही है। यह स्पष्ट हो गया है कि अर्जुन जैसे औषधीय पेड़ की सुनियोजित कटाई हो रही है। ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इन पेड़ों पर नजर किसकी है? कहीं स्थानीय तस्करों की आड़ में कोई बड़ा नेटवर्क तो जंगलों को उजाड़ने में लगा नहीं? 🗣️ ग्रामीणों की मांग – हो उच्च स्तरीय जांच तांबाकछार सहित जशपुर के अन्य वनों में बीते कुछ महीनों में औषधीय पेड़ों की कटाई के कई मामले सामने आ चुके हैं। ग्रामीण अब उच्च स्तरीय जांच और जिम्मेदार अफसरों की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं। 🔍 जशपुर का जंगल सिर्फ हरियाली नहीं, जीवनदायिनी औषधियों का भंडार है – उसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।  

आंखों-देखी: केरसई पंचायत – विकास के इंतज़ार में खड़ा एक आदिवासी गांव : जशपुर जिले के फरसाबहार विकासखंड के दौरे से लौटकर संतोष चौधरी,संपादक ख़बर जनपक्ष

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विशेष रिपोर्ट :  11 जून 2025 जशपुर जिले का केरसई पंचायत — स्टेट हाईवे-17 के दोनों ओर फैला एक गांव जो मानो विकास के द्वार पर खड़ा होकर अब भी दस्तक की प्रतीक्षा कर रहा है। स्कूल है, बैंक है, व्यापारिक सुविधा है, लेकिन दो सबसे बुनियादी ज़रूरतें – सड़क और पानी – आज भी गांववालों की पहुंच से बाहर हैं। मुख्य सड़क से जैसे ही बड़का बस्ती और नवाटोली की ओर कदम बढ़ते हैं, एक उखड़ी, गड्ढों से भरी सीमेंट कांक्रीट की सड़क मानो यह बताने लगती है कि असली लड़ाई अब शुरू होती है। थोड़ी ही दूर पर बैराटोली की एक महिला मिलती है, जो रास्ता दिखाते हुए बताती है – “यही कच्चा रास्ता है, बाबू।” रास्ता जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, दृश्य एक आदिम समाज की झलक देता है – बरगद के पेड़ के नीचे बैठी एक बुज़ुर्ग महिला, पास में उसका नशे में धुत बेटा, ऊपर टीले पर मिट्टी का घर और सामने से आती आंगनबाड़ी सहायिका जो पांच नन्हें बच्चों को लेकर लौट रही थी। वह कहती है, “सरकार ने सब दिया, लेकिन सड़क देना भूल गई।” बड़का बस्ती की आंगनबाड़ी तक पहुँचने पर दुश्वारी और बढ़ जाती है। कार्यकर्ता बताती हैं कि बच्चों के लिए पानी आसपास के घरों से मांगकर लाना पड़ता है। टंकी है, लेकिन केवल हवा से भरी — सपनों की तरह खोखली। हालांकि आंगनबाड़ी का कक्ष और रसोई स्वच्छ और सुसज्जित हैं, लेकिन सड़क की बदहाली उस सुंदरता पर धूल फेंक देती है। गांव की महिलाएं और बच्चे बताते हैं कि यहां साइकिल या बाइक से गिरना आम बात है। बरसात में स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है। बीमार या गर्भवती महिलाओं को खाट पर उठाकर एक किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है। कई बार इलाज पहुंचने से पहले मौत दस्तक दे देती है। युवक कैलाश तिर्की बताते हैं, “नेता लोग चुनाव के वक्त आते हैं, सड़क का वादा कर जाते हैं, और फिर गायब हो जाते हैं।” लेकिन इस बार एक उम्मीद जगी है – गोपाल कश्यप नाम का एक स्थानीय युवक बीडीसी बना है, जो सचमुच कुछ करना चाहता है। गांववालों की आवाज़ बनकर वह खुद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मिल चुका है, इंजीनियरों को लेकर मुआयना करवा चुका है। ब्लॉक डेवलपमेंट कमेटी मेंबर गोपाल कश्यप कहते हैं – “मैं खुद भी आदिवासी हूं, मैं इन लोगों की तकलीफ समझता हूं। इन ग्रामीणों के साथ मुख्यमंत्री निवास बगिया जाकर मुख्यमंत्री जी से सड़क और पानी को लेकर ज्ञापन दिया। उनकी पहल से सड़क के लिए अनुपूरक बजट में प्रस्ताव भेजा गया है और पानी के लिए भी जगह चिन्हित कर ली है। जल्द ही पीएचई विभाग के साथ मिलकर बोरिंग कराएंगे।” बड़का बस्ती में 80 घर हैं और सभी उरांव आदिम जनजाति से हैं। वे शिक्षित हैं, लेकिन सहज, शांत और संघर्ष से अधिक इंतज़ार को जीवन का हिस्सा मानने वाले लोग हैं। केरसई पंचायत की यह तस्वीर केवल एक गांव की नहीं है, यह उस भारत की झलक है जो विकास के नक्शे पर चिन्हित तो है, लेकिन अब भी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्षरत है। यहां की मिट्टी में अब भी उम्मीद की जड़ें हैं — बस ज़रूरत है, उस जड़ को सींचने वाले हाथों की।

लेख:शांत वातावरण: कैसे भारतीय मुसलमान अपने सपनों को पुनः प्राप्त कर रहे हैं

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निर्मल कुमार (लेखक सामाजिक और आर्थिक मामलों के जानकार हैं।यह उनके निजी विचार हैं।इनके लेख राष्ट्रीय स्तर पर सराहे जाते हैं।) एक तरह की क्रांति होती है जो नारों या बैनरों से अपनी घोषणा नहीं करती। यह खिड़कियाँ नहीं तोड़ती या सुर्खियाँ नहीं बटोरती। इसके बजाय, यह देर रात तक पढ़ाई के सत्रों की मंद रोशनी में, धूल भरे खेल के मैदानों में, उधार की किताबों और दूसरे हाथों के सपनों के साथ किराए के कमरों में चुपचाप सामने आती है। यहीं आपको यह क्रांति मिलेगी। और यहीं पर, आज, भारतीय मुसलमान आधुनिक भारत की सबसे शक्तिशाली कहानियों में से एक-एक कहानी लिख रहे हैं। यह सिर्फ़ व्यक्तिगत सफलता की कहानी नहीं है। यह टकराव के ज़रिए नहीं, बल्कि शांत, निरंतर उत्कृष्टता के ज़रिए स्थान पाने की कहानी है। ऐसी कहानी जो तालियों की मांग नहीं करती बल्कि हर आदमी के द्वारा खड़े होकर तालियाँ बजाने की हकदार है। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के 17 वर्षीय माजिद मुजाहिद हुसैन को ही लीजिए। उनका शहर अक्सर खबरों में नहीं आता, लेकिन माजिद ने इसे चमकने का एक कारण दिया। जब इस साल जेईई एडवांस के नतीजे घोषित किए गए, तो उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 3 हासिल की थी। उनके पास बेहतरीन कोचिंग सेंटर या असीमित संसाधन नहीं थे। उनके पास जो था वह इतना मजबूत विश्वास था कि दो साल तक उन्होंने सोशल मीडिया से लॉग आउट करके और अपने सपनों में लॉग इन करके शोर को सचमुच बंद कर दिया। उन्होंने सिर्फ़ एक परीक्षा पास नहीं की; उन्होंने धारणा की अदृश्य दीवार को तोड़ दिया जो अक्सर उनके जैसे नामों पर छाया होती है। देश भर में, संघर्ष के एक अलग कोने में, सैकड़ों अन्य मुस्लिम छात्र भी उठ खड़े हुए। रहमानी30 में, एक शांत लेकिन उग्र शैक्षणिक आंदोलन जहां 205 में से 176 छात्र इस साल जेईई एडवांस में सफल हुए। उनमें से ज़्यादातर ऐसे घरों से आते हैं जहां सपनों को अक्सर कर्तव्य के लिए बदल दिया जाता है। फिर भी वे यहां हैं, आईआईटी के दरवाज़े खटखटा रहे हैं, अनुमति नहीं मांग रहे हैं, बल्कि साबित कर रहे हैं कि वे इसके हकदार हैं। और फिर लड़कियां हैं। ओह, वे कैसे उठ खड़ी होती हैं। कश्मीर के पुलवामा के दिल में, एक ऐसा नाम जो अक्सर संघर्ष से जुड़ा होता है, जहां दो युवा लड़कियां, सदाफ़मुश्ताक और सिमराह मीर ने JEE Mains 2025 में 99 पर्सेंटेज से ज़्यादा अंक लाकर हर रूढ़ि को तोड़ दिया। जिस क्षेत्र में दुनिया सुर्खियाँ देखती है, वहाँ उन्हें संभावनाएँ भी दिखती हैं। और वे उन संभावनाओं को सच्चाई में बदल रहे हैं।   यह भावना कच्ची, वास्तविक और अथक है, जो केवल शिक्षाविदों तक ही सीमित नहीं है। ट्रैक और पूल में, मैदानों और फ्लडलाइट्स में, मुस्लिम एथलीट न केवल पदक बल्कि उम्मीदें भी जगा रहे हैं। मोहम्मद अफसल ने 800 मीटर में पिछले सात सालों में किसी भी भारतीय पुरुष से अधिक तेज दौड़ लगाई और एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। बिहार के पैराप्लेजिक तैराक शम्स आलम अब खुले पानी में तैराकी के लिए विश्व रिकॉर्ड रखते हैं और इस श्रेणी में विश्व स्तर पर नंबर एक स्थान पर हैं। हर स्ट्रोक, हर लैप के साथ, वह उस दुनिया को बताते हैं जो अक्सर विकलांगता और पहचान को नकारती है: “मैं मौजूद हूं। मैं बेहतरीन हूं।” कश्मीर के बांदीपुरा में, किकबॉक्सिंग की विश्व चैंपियन और टीनेज कोच तजामुल इस्लाम युवा लड़कियों को सिखा रही हैं कि पितृसत्ता और डर को कैसे खत्म किया जाए। कंक्रीट से नहीं बल्कि साहस से बनी उनकी अकादमी 700 से अधिक लड़कियों को प्रशिक्षित करती है। वह सिर्फ लड़ाके नहीं बनाती। वह आजादी का निर्माण करती है।   यह सिर्फ़ सफलता की कहानियों का संग्रह नहीं है। यह एक सांस्कृतिक धारा है। एक शांत विद्रोह। एक कोमल लेकिन दृढ़ अनुस्मारक कि भारतीय मुस्लिम पहचान सिर्फ़ पीड़ित होने या बदनामी तक सीमित नहीं है। यह जीवंत, विशाल और विजयी है। यह उन पिताओं से भरा हुआ है जो अपनी बेटियों को डॉक्टर बनाने के लिए फल बेचते हैं। उन माताओं से भरा हुआ है जो अपने बेटों को कोचिंग क्लास का खर्च उठाने के लिए देर रात तक सिलाई करती हैं। ऐसे बच्चे जो सिर्फ़ अपने लिए नहीं, बल्कि ऐसे भविष्य के लिए प्रार्थना करते हैं जहाँ योग्यता अविश्वास से न छनकर आए। ये सिर्फ़ व्यक्तिगत प्रतिभा की कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि सामूहिक लचीलेपन की कहानियाँ हैं।   अगर आप ध्यान से सुनें, तो इन कहानियों में कोई गुस्सा नहीं है। बस ध्यान केंद्रित करें। कोई मांग नहीं, सिर्फ़ समर्पण। कोई कड़वाहट नहीं, सिर्फ़ विश्वास। अब समय आ गया है कि हम ध्यान दें। समय आ गया है कि हम इन आवाज़ों को बुलंद करें, सिर्फ़ डेटा शीट और खेल के पन्नों में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना में भी। क्योंकि आज जो कुछ चुपचाप हाशिये पर चल रहा है, वह कल मुख्यधारा को फिर से परिभाषित कर सकता है। और शायद, बस शायद, क्रांतियों का मतलब शोर से नहीं, बल्कि नतीजों से होता है,, रोष से नहीं, बल्कि आग से,, क्रोध से नहीं, बल्कि संकल्प से।

रायपुर पुलिस का बड़ा कदम: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंधित चाकू की बिक्री पर सख्ती, SSP ने अमेजन-फ्लिपकार्ट अधिकारियों के साथ की अहम बैठक

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रायपुर, 8 जून 2025 | संवाददाता अमित कुमार की रिपोर्ट शहर में बढ़ते चाकूबाजी की घटनाओं पर लगाम कसने और अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए रायपुर पुलिस ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। पुलिस उप महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा अमेजन, फ्लिपकार्ट, डेलीवरी, डी.टी.डी.सी जैसी ऑनलाइन शॉपिंग व कोरियर कंपनियों के अधिकारियों के साथ एक विशेष बैठक आयोजित की गई। यह बैठक सिविल लाइन्स स्थित सी-04 सभाकक्ष में हुई, जिसमें नगर पुलिस अधीक्षक आजाद चौक अमन झा (भा.पु.से), प्रभारी एंटी क्राइम एवं साइबर यूनिट निरीक्षक परेश कुमार पांडे सहित विभिन्न शॉपिंग और कोरियर कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए।   बैठक का मुख्य फोकस:ऑनलाइन माध्यम से प्रतिबंधित बटनदार और धारदार चाकुओं की बिक्री और डिलीवरी पर रोक लगाना। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बैठक में बताया कि शहर में हुई हालिया चाकूबाजी की घटनाओं में आरोपियों ने ऐसे चाकू ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से ऑर्डर कर मंगाए थे। चूंकि बाजार में इनकी खुलेआम बिक्री प्रतिबंधित है, अपराधी अब ऑनलाइन माध्यम का दुरुपयोग कर रहे हैं।   SSP ने दिए कड़े निर्देश: सभी ऑनलाइन कंपनियों को प्रतिबंधित चाकुओं की बिक्री तत्काल बंद करने के निर्देश कोरियर कंपनियों को ऐसे किसी भी पार्सल की डिलीवरी न करने की सख्त हिदायत दी गई है।ऐसे सामान मंगाने वाले उपभोक्ताओं की जानकारी पुलिस को समय पर देने को कहा गया है। निर्देशों की अवहेलना करने पर कानूनी कार्रवाई और नोटिस जारी किए जाएंगे। बैठक में यह भी चर्चा की गई कि इन खतरनाक चाकुओं को साइट्स से तकनीकी रूप से कैसे हटाया जाए ताकि आम जनता इन्हें आसानी से खरीद न सके।   पुलिस की यह पहल सिर्फ निर्देश नहीं — एक मजबूत संदेश है।रायपुर पुलिस की इस कार्यवाही से यह साफ संकेत है कि साइबर माध्यम से हो रहे अपराधों पर भी अब पुलिस की पैनी निगाह है।ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स की ज़िम्मेदारी भी तय की जा रही है, ताकि वे सामाजिक सुरक्षा में अपनी भागीदारी निभाएं।