भारतीय मीडिया खासकर ज्यादातर जिम्मेदार मीडिया ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया है।ऐसी घटनाओं को जोर शोर से पाठकों/दर्शकों तक पहुंचा रहे हैं जिससे वैसे पाठक/दर्शक अपने भीतर के जानवर को परिवार में,समाज में प्रतिष्ठित करने के लिए तेजी से तैयार हो रहे हैं।
हाल की दो घटनाओं पर खबर प्रकाशन की बात कर लेते हैं।एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय न्यूज चैनल के वेब पोर्टल में खबर देखा जिसमें एक फ्लाइट पर रोमांस की खबर थी।खबर इस तरीके से बनाई गई थी जिसे पढ़कर अश्लील साहित्य का भौंडापन भी शरमा जाए।उस खबर में वाक्य इतने गिरे हुए थे कि प्रतिष्ठित चैनल को A सर्टिफिकेट दे देना चाहिए।
दूसरी खबर एक हत्याकांड को लेकर प्रिंट हो,इलेक्ट्रानिक हो,पोर्टल हो सभी ने उस बेटे की वीडियो,फोटो,बोले गए शब्दों को जमकर दिखाया।हत्या वाकई जघन्य,वीभत्स थी।कानून भी कहता है,अपराध से घृणा करो,अपराधी से नहीं।मैं तो जशपुर पुलिस को धन्यवाद देता हूँ जिसने इतने खौफनाक हत्याकांड को अंजाम देने वाले बेटे को घंटों तक प्रतीक्षा करने के बाद माइंड गेम से सुरक्षित पकड़ लिया।कुनकुरी थाने के हवलदार रामानुजम पांडे की वीरता की तारीफ सभी प्रत्यक्षदर्शी कर रहे हैं।
खैर,विमर्श का विषय यह है कि अराजकता के माहौल में हमारी युवा पीढ़ी क्राइम सीरियल जैसे सीरियल से भी एक कदम आगे आकर अपराध करने में लगी है।ऐसे समय में हत्या,लूट,बलात्कार,हत्या,सायबर क्राइम की खबरों को ऐसे प्रस्तुत किया जाए जो केवल सूचनात्मक हो,प्रेरक नहीं।मिडिया की जिम्मेदारी है कि खबरें समाज तक पहुंचाए,कैसे पहुंचानी है यह भी तो ,,,
हमारा समाज किस ओर जा रहा है,यह आम चिंता है। हम समाज को किस ओर ले जा रहे हैं,यह सोचने की जरूरत है।