कुनकुरी नगरपंचायत अध्यक्ष का ताज किसके सिर पर सजेगा?जातियों में बंटे खेतों में वोटों की लहलहाती फसल काटने उतरे सुदबल और विनयशील पर पूरे छत्तीसगढ़ की निगाहें क्यों? एक विश्लेषण
प्रदेश में नगरपंचायत की एक सीट काफी सुर्खियों में हैं – कुनकुरी नगरपंचायत अध्यक्ष की सीट।वह इसलिए कि इसी सीट पर वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दोनों ने अपनी पसंद के उम्मीदवार उतारे हैं।उसपर भी दिलचस्प ये कि अध्यक्ष पद पर दो ही प्रत्याशी खड़े हैं, एक सत्ता दल बीजेपी से सुदबल राम यादव ,दूसरे सत्ता से बेदखल दल कांग्रेस से विनयशील गुप्ता। इतने से आपको यह समझ में आ गया होगा कि नगरपंचायत कुनकुरी का चुनाव नेक-टू-नेक है।निर्दलीय कोई है नहीं जो चुनाव में किसी का खेल बिगाड़ दे या बना दे। मतदान 11 फरवरी को होना है।आज शाम से चुनावी शोर भी थम जाएगा।शहर में दोनों प्रत्याशी गली-गली,चौक-चौराहों,बस्तियों में घूम रहे हैं।विनयशील का चुनावी कमान पूर्व विधायक यूडी मिंज,जिलाध्यक्ष मनोज सागर यादव समेत तमाम पुराने कांग्रेसी नेताओं ने सम्हाला हुआ है।वहीं सुदबल राम यादव को जिताने के लिए कुनकुरी के वर्तमान विधायक व मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय,जिलाध्यक्ष भरत सिंह समेत भाजपा के तमाम नेता सम्हाल रहे हैं। अब बचे वोटर तो जो बात देखने-सुनने और वोटरों से चर्चा ने सामने आई उसमें पहला यह कि ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने से शहर का विकास और ज्यादा होगा।वोटरों की बुनियादी सुविधाओं में वृद्धि होगी।वहीं दूसरा यह कि सुदबल राम यादव मुख्यमंत्री का प्रत्याशी है तो अगर हार गया तो मुख्यमंत्री सीधे कुनकुरी से नाराज़ हो सकते हैं,जिसका रिस्क उठाने में खासकर वे मतदाता झिझक रहे हैं जो सीएम के मिलने-जुलने वालों में से हैं।ऐसे जागरूक मतदाता ही चुनावी खेल में मोहरे का काम करते हैं। विनयशील गुप्ता को लेकर पहली बात यह कि कुनकुरी शहर में उनके रौनियार समाज के वोटर ज्यादा हैं जिन्हें बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है।पहली बार कोई प्रत्याशी इस समाज से लड़ रहा है।विनयशील ने बीते 5 साल कांग्रेस की सत्ता में राजनीति को करीब से देखा-समझा है बल्कि राजनीति में शामिल रहकर देश-प्रदेश के कई चुनावों में मॉनिटरिंग भी की।कुनकुरी शहर में अगर एक लाइन में चुनाव के समझने की कोशिश करें तो यह सम्भव नहीं है।लोकल इलेक्शन में वोटर आपको ही,आपको ही कहकर प्रत्याशी को भ्रमित करता है जो यहां भी दिख रहा है।जो कह रहे हैं कि बीजेपी जीतेगी, कांग्रेस जीतेगा वे विचारधारा से प्रभावित वोटर हैं।आम वोटर चुप है,11 तारीख़ को ईवीएम में जायेगा और अपना वोट चुपचाप दबा आएगा। बहरहाल,चुनावी दंगल जारी है।