कुनकुरी को हो क्या गया है? हेल्थ एजुकेशन को लेकर हॉलीक्रॉस के बाद अब ये संस्थान पर लगा बड़ा आरोप,संस्था के कर्मचारी मीडिया को देखकर भागे,थाने में परीक्षार्थियों ने की शिकायत

जशपुर जिले में हॉलीक्रॉस नर्सिंग कॉलेज,कुनकुरी की प्राचार्या पर धर्मांतरण का दवाब डालने और धर्म नहीं बदलने पर अटेंडेंस शॉट करने के गम्भीर आरोप के बाद आज कुनकुरी शहर में संचालित साध्य इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंस पर परीक्षा के नाम पर धांधली करने का आरोप लगा है। कुनकुरी (जशपुर) 27 अप्रैल 2025 –  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह क्षेत्र कुनकुरी से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। मेडिकल एजुकेशन के नाम पर छात्रों के भविष्य से खुला खिलवाड़ करते हुए साध्य पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस कॉलेज में फर्जी तरीके से परीक्षा कराई गई। नगर पंचायत अध्यक्ष विनयशील को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए मौके पर पहुंचकर पूरे खेल का भंडाफोड़ किया। निर्धारित परीक्षा केंद्र स्वामी आत्मानंद स्कूल कुनकुरी और महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जशपुर की बजाय, परीक्षा को अचानक बदलकर कुनकुरी खेल मैदान के सामने स्थित निजी कार्यालय में शिफ्ट कर दिया गया था। सुबह 10 बजे नपं अध्यक्ष जब पहुंचे तो पाया कि कुछ परीक्षार्थी ऑफिस में बैठकर पहले से ही परीक्षा दे रहे थे, जबकि बाकी छात्र यहां-वहां भटकते हुए किसी तरह कार्यालय पहुंचे और प्रश्नपत्र का इंतजार कर रहे थे।विनयशील के सवाल-जवाब में फंसने पर और मीडिया को देखकर संस्था के पदाधिकारी और कर्मचारी मौके से भाग निकले। छात्राओं ने कुनकुरी थाने में पूरे मामले की लिखित शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने शिकायत में उन मोबाइल नंबरों का भी उल्लेख किया है, जिनसे कॉल कर उन्हें परीक्षा स्थल बदलने की सूचना दी गई थी। नगर पंचायत अध्यक्ष विनयशील ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के गृहनगर में इस तरह आदिवासी, पिछड़े और गरीब बच्चों को फर्जी तरीके से फंसाकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मांग की कि इस पूरे फर्जीवाड़े की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।  “बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा,” — नगर पंचायत अध्यक्ष विनयशील

व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर युवती का प्राइवेट वीडियो बनाकर किया वायरल, आरोपी दिल्ली से गिरफ्तार

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मैट्रोमोनी साइट पर हुई पहचान,वीडियो वायरल कर सोशल मीडिया पर की बदनाम करने की कोशिश जशपुर/कुनकुरी 22 अप्रैल 2025 जशपुर जिले की साइबर सेल और कुनकुरी पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक युवती की अश्लील वीडियो बनाकर वायरल करने वाले आरोपी को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की पहचान रोहित प्रसाद (27 वर्ष), निवासी सबरी मठ, थाना जलालपुर, जिला सारण, बिहार के रूप में हुई है। यह पूरा मामला कुनकुरी थाना क्षेत्र का है, जहाँ एक युवती ने 17 जनवरी 2025 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पीड़िता ने बताया कि साल 2023 में उसने शादी डॉट कॉम वेबसाइट पर अपना बायोडाटा अपलोड किया था। वहीं से आरोपी रोहित प्रसाद से उसकी पहचान हुई। दोनों के बीच मैसेज और मोबाइल पर बातचीत होने लगी। 21 दिसंबर 2023 को आरोपी ने व्हाट्सएप वीडियो कॉल कर युवती से निजी अंगों का प्रदर्शन करने को कहा, और विश्वास में आई युवती ने ऐसा कर भी दिया। आरोपी ने इसका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया। कुछ समय बाद जब युवती को अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उसने आरोपी से बातचीत बंद कर दी। इसी के बाद रोहित प्रसाद ने वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए कुनकुरी पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 509(ख) भादवि और आईटी एक्ट की धारा 67(ए) के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू की। साइबर सेल की निगरानी से हुई गिरफ्तारी पुलिस ने आरोपी के मोबाइल नंबर को साइबर सेल की निगरानी में रखा। लगातार ट्रैकिंग के बाद आरोपी की लोकेशन सागरपुर, दिल्ली में पाई गई। इसके बाद एक विशेष पुलिस टीम दिल्ली रवाना हुई और वहां से आरोपी को हिरासत में लेकर वापस जशपुर लाई गई। पुलिस ने आरोपी के पास से मोबाइल फोन जब्त कर लिया है, जिसमें वीडियो रिकॉर्डिंग सहित अन्य सबूत पाए गए। आरोपी ने पुलिस पूछताछ में अपराध स्वीकार कर लिया, जिसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का बयान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह ने इस मामले को लेकर कहा कि, “जशपुर पुलिस महिला संबंधी अपराधों को लेकर पूरी तरह संवेदनशील है। आरोपी चाहे कहीं भी हो, उसे कानून के दायरे में लाया जाएगा। सोशल मीडिया पर इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।” इस मामले में थाना प्रभारी राकेश यादव, सहायक उप निरीक्षक ईश्वर वारले, आरक्षक चंद्रशेखर बंजारे और नंदलाल यादव सहित साइबर सेल की टीम की भूमिका उल्लेखनीय रही।

“बेटी पढ़ाओ” की खुली पोल — दो छात्राओं को परीक्षा से वंचित करने के पीछे किसका हाथ? छत्तीसगढ़ में सरकार नाम की चीज है भी या नहीं? प्राचार्य की मनमानी देखिए,

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अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से छत्तीसगढ़ भू-भाग आदिम जनजातियों,अनुसूचित जातियों का रहा है,जिन्हें भारत सरकार ने संविधान के तहत विशेष दर्जा दिया हुआ है।जिनको मुख्यधारा में लाने के लिए लगातार कोशिशें हुईं हैं।वहीं “बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ” के नारे के साथ इन अंचलों की बेटियों को शिक्षा देने के लिए हर तरह से कोशिशें जारी है लेकिन कुछ कुंठित मानसिकता से ग्रसित लोग शिक्षा के मंदिरों में बैठकर मनमानी कर रहे हैं। दरअसल, मरवाही विकासखंड से एक बेहद चौंकाने वाली और शर्मनाक घटना सामने आई है। यहां स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय, सिवनी में पढ़ने वाली दो आदिवासी छात्राओं को 11वीं की मुख्य परीक्षा से सिर्फ इसीलिए वंचित कर दिया गया, क्योंकि एक के आधार कार्ड और मार्कशीट में नाम का अंतर था और दूसरी के पास जाति प्रमाणपत्र नहीं था। पहली छात्रा देवकी पावले — पंडरी गांव की निवासी है। उसने 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद आत्मानंद स्कूल में 11वीं में प्रवेश लिया। पढ़ाई की, अर्धवार्षिक परीक्षा दी। लेकिन जब मुख्य परीक्षा आई तो स्कूल प्रबंधन ने उसे परीक्षा देने से मना कर दिया, क्योंकि आधार कार्ड में उसका नाम “देवती बाई” और मार्कशीट में “देवकी पावले” दर्ज था। देवकी ने जब आधार में सुधार करवाने की कोशिश की तो आधार केंद्र ने 10,000 रुपये की मांग की — एक गरीब आदिवासी परिवार के लिए असंभव रकम। मजबूर होकर उसने परीक्षा छोड़ दी, और उसका पूरा साल खराब हो गया। दूसरी छात्रा शालिनी पेंड्रो — यही स्कूल, यही कक्षा, लेकिन समस्या दूसरी। उसका जाति प्रमाण पत्र नहीं बना था। बस इसी वजह से उसे परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया। स्कूल प्रशासन की यह मनमानी न सिर्फ छात्रा के भविष्य के साथ अन्याय है, बल्कि आदिवासी समाज के लिए भी एक अपमान है। गांव के सरपंच तपेश्वर पोट्टम ने मौके पर पहुंचकर नाराज़गी जताई और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की। वहीं मरवाही के विकासखंड शिक्षा अधिकारी दिलीप कुमार पटेल ने स्वीकार किया कि उन्हें इस घटना की जानकारी मीडिया से मिली है। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है, और पूरक परीक्षा में दोनों छात्राओं को शामिल कर उनका एक साल बचाने की पूरी कोशिश की जाएगी। मरवाही आदिवासी बहुल इलाका है। यहां आदिवासी विधायक हैं, आदिवासी कलेक्टर हैं — ऐसे में दो आदिवासी छात्राओं का आधार और जाति प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज़ों के कारण परीक्षा से वंचित हो जाना शासन-प्रशासन के लिए गहरी चिंता और शर्म का विषय होना चाहिए। अब सवाल ये है कि क्या सिर्फ जांच और आश्वासन से इन छात्राओं का भविष्य संवर पाएगा? या फिर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर सरकार यह संदेश देगी कि ‘बेटी पढ़ाओ’ सिर्फ नारा नहीं, एक जिम्मेदारी है।

झारखंड से पकड़ा गया लाखों के गबन का फरार ब्रांच मैनेजर, बगीचा पुलिस की सटीक कार्रवाई,पुलिस बोली – अपराधी कोई भी हो, कानून से नहीं बच सकता

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बगीचा/जशपुर,19 अप्रैल 2025 – स्पंदना स्फूर्ति फाइनेंस लिमिटेड में 2.69 लाख रुपए के गबन के मामले में फरार चल रहे ब्रांच मैनेजर नितेश विश्वकर्मा को जशपुर पुलिस ने झारखंड के पलामू जिले से गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में एक अन्य आरोपी सूरज कुमार भारती को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। फाइनेंस कंपनी का पैसा खुद खर्च कर रहे थे आरोपी बगीचा फाइनेंस शाखा के मैनेजर नरेंद्र साहू ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि शाखा के कर्मचारी सूरज भारती और ब्रांच मैनेजर नितेश ने मिलकर ₹2,69,051 की गबन की। दोनों आरोपी लोन की किस्तों को ग्रामीण महिला हितग्राहियों से वसूल कर कंपनी में जमा करने की बजाय कैश और फोनपे के जरिए खुद खर्च कर रहे थे। ग्रामीण महिलाओं की शिकायत के बाद मामला उजागर हुआ और फाइनेंस कंपनी की जांच में दोनों की मिलीभगत की पुष्टि हुई। घटना के बाद से फरार था आरोपी, झारखंड से पकड़ा गया मामला दर्ज होने के बाद से नितेश विश्वकर्मा फरार चल रहा था। एसएसपी शशि मोहन सिंह के निर्देशन में निरीक्षक संतलाल आयाम के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई। लगातार दबिश और साइबर सेल की मदद से पुलिस को पता चला कि आरोपी पिपरा खुर्द (पलामू, झारखंड) में छिपा है। टीम ने मौके पर दबिश देकर आरोपी को गिरफ्तार कर जशपुर लाया। पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने अपने साथी सूरज के साथ मिलकर रकम गबन की और उसे घरेलू खर्चों में उड़ा दिया। पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवालों का मिला करारा जवाब इस कार्रवाई को लेकर कुछ वर्गों द्वारा राजनीतिक टिप्पणी की जा रही थी, लेकिन पुलिस ने यह गिरफ्तारी कर साफ कर दिया कि जशपुर पुलिस का फोकस सिर्फ अपराध और अपराधियों पर है, न कि किसी दबाव या राजनीति पर। जशपुर पुलिस ने कहा – अपराधी कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह ने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि अपराध करने वाले को कानून के दायरे में लाया जाए और पीड़ित को न्याय मिले। पुलिस पर जनता और जनप्रतिनिधियों का भरोसा बना हुआ है, जिसे हम कायम रखेंगे।” टीम ने किया सराहनीय कार्य इस मामले की विवेचना और गिरफ्तारी में निरीक्षक संतलाल आयाम, आर. 685 मुकेश पांडेय, आर. 747 उमेश भारद्वाज और सायबर सेल के सै. बली रवि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

कुनकुरी का सरकारी अस्पताल बना किडनी मरीजों के लिए नई उम्मीद की किरण,मरीजों ने कहा- ‘जीवन वापसी के लिए धन्यवाद’

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जशपुर,कुनकुरी 19 अप्रैल 2025 – आदिवासी बहुल जिला जशपुर के हृदयस्थल कुनकुरी में अब किडनी रोग से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत और जीवन की नयी उम्मीद का केंद्र बन चुका है – कुनकुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत संचालित किडनी डायलिसिस सेंटर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शी सोच और दृढ़ संकल्प से यह सेंटर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और पीएमएनडीपी के तहत 21 फरवरी 2025 से शुरू किया गया। दीपचंद्र डायलिसिस सेंटर, दिल्ली के सहयोग से संचालित यह सुविधा आज सैकड़ों मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। मरीजों की जुबानी – जीवन वापसी की कहानी   फरसाबहार विकासखंड के देवरी गांव से आये विजय कुमार एक्का, एक रिटायर्ड फौजी हैं। वे सीकेडी स्टेज 5 से पीड़ित हैं और पहले रांची व अंबिकापुर जाकर डायलिसिस कराने की परेशानी झेलते थे। अब कुनकुरी में उपचार मिल रहा है तो विजय एक्का और उनकी पत्नी को राहत की सांस मिली है। विजय कहते हैं, ” जीने की उम्मीद छोड़ दिया था,अब लगता है जीवन लंबा और आसान रहेगा। बस एक ब्लड बैंक की सुविधा और हो जाए तो  किडनी मरीजों को और राहत मिल जाएगी।” बेमताटोली के प्रदीप पाल पहले रायपुर जाकर डायलिसिस कराते थे। हर यात्रा में 8 से 10 हजार रुपये खर्च हो जाते थे। वे बताते हैं, “अब कुनकुरी में फ्री डायलिसिस से राहत मिली है, जिससे मुझे कर्ज से निकलने की राह दिखाई दे रही है।” चटकपुर के लाल बहादुर सिंह को सप्ताह में चार बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। वे अब आसानी से हर बार मोटरसाइकिल से 50 रुपये के पेट्रोल से कर आ-जा पाते हैं। उनका कहना है, “सरकार ने सारी सुविधाएं मुफ्त दी हैं, हम जैसे गरीबों के लिए यह बहुत बड़ी बात है।” ऐसे ही अनुभव और भी मरीजों ने ख़बरजनपक्ष से शेयर किए। आधुनिक मशीनें ,महानगरों जैसी सुविधा भी सेंटर मैनेजर अभिषेक कुमार गिरी और सीनियर टेक्नीशियन सुमित मिश्रा मरीजों की सेवा में पूरी तल्लीनता से जुटे हैं। मरीजों को समय पर डायलिसिस, परामर्श और जीवन जीने की प्रेरणा भी दी जा रही है। अब तक सेंटर पर – 21 से 28 फरवरी के बीच 14 डायलिसिस सेशन हुए, मार्च महीने में 185 डायलिसिस सेशन, 17 एक्टिव मरीजों के साथ, और 1 से 18 अप्रैल तक 116 सेशन हो चुके हैं। सेंटर हर दिन सुबह 7:30 से शाम 4:30 तक चालू रहता है। एक मरीज के डायलिसिस में करीब 4 घंटे का समय लगता है। खास बात यह है कि यहाँ की मशीनें अत्याधुनिक हैं, जो किसी भी बड़े शहर के अस्पताल से कम नहीं। जरूरत – बंद ब्लड बैंक शुरू करने की कई मरीजों ने बताया  कि डायलिसिस से पहले ब्लड की आवश्यकता होती है, पर कुनकुरी में ब्लड बैंक बंद होने के कारण जशपुर जाकर ब्लड चढ़वाना पड़ता है। इससे न सिर्फ आर्थिक बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से भी वे परेशान होते हैं। यदि कुनकुरी में ही ब्लड बैंक की सुविधा मिले तो मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। जानकारी का आभाव-बाकी विकासखंडों तक पहुंचे यह संदेश इस बेहतरीन सुविधा की जानकारी अभी केवल कुनकुरी और आसपास के क्षेत्र तक सीमित है। जबकि दुलदुला, कांसाबेल, बगीचा और फरसाबहार जैसे विकासखंडों के कई मरीज अभी तक इससे अनजान हैं। जरूरत है कि शासन और प्रशासन द्वारा इन इलाकों में जागरूकता फैलाकर अधिक से अधिक मरीजों को इसका लाभ दिलाया जाए। कुनकुरी का यह डायलिसिस सेंटर एक मिसाल बन चुका है – जहां सरकार की नीतियां, तकनीकी उन्नति और संवेदनशीलता का संगम दिखाई देता है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की यह पहल आदिवासी क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है। यह सिर्फ एक हेल्थ सेंटर नहीं, बल्कि सैकड़ों परिवारों की मुस्कान और उम्मीदों का केंद्र बन गया है।

विशेष लेख : भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत: परंपरा, पहचान और नवाचार का समागम,

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निर्मल कुमार भारत की सांस्कृतिक विरासत केवल अतीत का गौरव नहीं, बल्कि भविष्य का मार्गदर्शक भी है। यह विविधता की वह जीवंत परंपरा है जो हज़ारों वर्षों से कई धर्मों, भाषाओं, कलाओं और जीवनशैलियों को अपने भीतर समाहित किए हुए है। आज जब वैश्वीकरण, तकनीकी परिवर्तन और सामाजिक तनाव हमारे चारों ओर गहराते जा रहे हैं, भारत का यह साझा सांस्कृतिक बुनियाद एक ऐसा नैतिक और व्यावहारिक संसाधन बन कर उभरता है जिससे हम न केवल अपने देशवासियों को जोड़ सकते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी समरसता, सहयोग और सतत विकास का मॉडल प्रस्तुत कर सकते हैं। सह-अस्तित्व की परंपरा और आध्यात्मिक एकता भारत के इतिहास में सह-अस्तित्व की भावना सबसे प्रमुख रही है। हमारे संतों, कवियों और विचारकों ने कभी सीमाओं में विश्वास नहीं किया। कबीर, रैदास, गुरु नानक, संत तुकाराम, मीराबाई और बुल्ले शाह जैसे संतों ने धर्मों के बीच की दीवारों को तोड़कर आध्यात्मिक एकता का मार्ग दिखाया। सूफी और भक्ति आंदोलन ने भारत को एक साझा आध्यात्मिक चेतना दी, जिसने धर्म के नाम पर होने वाले विभाजन को चुनौती दी और प्रेम, करुणा, सेवा और समता को केंद्र में रखा। आज अजमेर शरीफ, निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह, वाराणसी के घाट, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, कोणार्क और मदुरै के मंदिर जैसे स्थल न केवल तीर्थ हैं, बल्कि विविध सांस्कृतिक पहचान के मिलन बिंदु भी हैं। इन स्थलों पर हर वर्ग, धर्म और जाति के लोग समान श्रद्धा से आते हैं। पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक समस्याओं का समाधान भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणाली — जैसे आयुर्वेद, योग, सिद्ध चिकित्सा, वास्तु शास्त्र, पंचगव्य, जैविक खेती और पारंपरिक जल-संरक्षण प्रणाली — आज फिर से प्रासंगिक होती जा रही हैं। COVID-19 महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया प्राकृतिक जीवनशैली की ओर मुड़ी, तब भारत के योग और आयुर्वेद को नई वैश्विक मान्यता मिली। रैनी वाटर हार्वेस्टिंग की सदियों पुरानी भारतीय तकनीकें — जैसे कि राजस्थान की बावड़ियां, कर्नाटक की कावेरी प्रणाली और पूर्वोत्तर भारत की बांस आधारित जल निकासी प्रणालियाँ — अब शहरी योजनाओं में शामिल की जा रही हैं। यह ज्ञान केवल ग्रामीण भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे महानगरों की योजनाओं में भी पारंपरिक जल प्रबंधन पद्धतियों को एकीकृत किया जा रहा है। विविध कलाएँ: जीवित परंपराओं का स्वरूप भारत की कलात्मक विरासत उतनी ही समृद्ध है जितनी कि इसकी आध्यात्मिक परंपरा। वारली, मधुबनी, गोंड, पट्टचित्र और फड़ चित्रकला जैसे जनजातीय और लोक कला रूप हमारी विविधता को जीवंत रखते हैं। कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, मोहिनीअट्टम और बाउल संगीत जैसी कलाएँ आज भी नई पीढ़ियों द्वारा सीखी और प्रस्तुत की जा रही हैं। डिजिटल युग में, इन कलाओं को पुनर्जीवित करने की ज़िम्मेदारी भी तकनीक ने ली है। “क्राफ्ट विलेज”, “गूगल आर्ट्स एंड कल्चर”, और “हुनर हाट” जैसी पहलें कारीगरों और कलाकारों को नए बाज़ार और दर्शक दे रही हैं। इससे न केवल संस्कृति संरक्षित हो रही है, बल्कि आजीविका के अवसर भी बढ़ रहे हैं। जशपुर: आदिवासी विरासत की चमक छत्तीसगढ़ का जशपुर ज़िला इस साझा विरासत की अनदेखी लेकिन अत्यंत मूल्यवान धरोहर है। यह क्षेत्र आदिवासी संस्कृति, पर्यावरणीय संतुलन और हस्तशिल्प कला का केंद्र रहा है। यहाँ की पत्थलगड़ी परंपरा, पारंपरिक जड़ी-बूटी चिकित्सा प्रणाली और नृत्य जैसे सरहुल, कर्मा, दंडा, सुवा और पंथी आदिवासी गौरव के जीवंत रूप हैं। जशपुर के बघिमा और गिंगला जैसे गाँवों में महिलाएं पारंपरिक हस्तशिल्प में माहिर हैं — जैसे बांस की टोकरियाँ, साज-सज्जा की वस्तुएं और स्थानीय प्राकृतिक रंगों से बने कपड़े। ये सिर्फ कलात्मक उत्पाद नहीं, बल्कि पारंपरिक ज्ञान की सजीव पुस्तकें हैं। इस जिले के बच्चों को अगर अपनी परंपरा से जोड़ा जाए तो वे वैश्विक नागरिक बनते हुए भी अपनी जड़ों से जुड़ाव बनाए रख सकते हैं। सांस्कृतिक कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध भारत की सांस्कृतिक विरासत अब केवल सीमाओं के भीतर की बात नहीं रही। भारत-नेपाल के तारा धाम या भारत-भूटान की बौद्ध विरासत पर संयुक्त शोध परियोजनाएँ, बांग्लादेश के साथ साझा भाषा उत्सव, और श्रीलंका में रामायण पर्यटन सर्किट जैसे प्रयास इस बात का प्रमाण हैं कि सांस्कृतिक विरासत कूटनीति का एक मज़बूत माध्यम बन चुकी है। नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार और बौद्ध सर्किट का विकास भारत की उस विरासत को दोबारा जीवित करने का प्रयास है, जिसने कभी एशिया को बौद्धिक और नैतिक नेतृत्व दिया था। शिक्षा में विरासत की भूमिका राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि विद्यार्थियों को केवल रोजगार के योग्य ही नहीं, सांस्कृतिक रूप से भी सजग और संवेदनशील नागरिक बनाया जाए। स्कूली पाठ्यक्रमों में स्थानीय इतिहास, पारंपरिक ज्ञान और कला को स्थान देने से बच्चे अपनी जड़ों से जुड़ते हैं। देशभर में चल रही “हेरिटेज वॉक”, “लोक उत्सव” और “स्कूल इन म्यूज़ियम” जैसी पहलें इसी सोच का हिस्सा हैं। भविष्य की दिशा भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत एक स्थिर स्मारक नहीं है, बल्कि वह गतिशील धरोहर है जो निरंतर विकसित हो रही है। यह सिर्फ़ अतीत की कहानियाँ नहीं सुनाती, बल्कि हमें यह सिखाती है कि सहिष्णुता, विविधता और समावेशिता ही स्थायी प्रगति का मार्ग है। आज जबकि पूरी दुनिया अपनी पहचान की तलाश में असमंजस में है, भारत के पास एक ऐसा सांस्कृतिक मॉडल है जो अतीत की गहराई, वर्तमान की चुनौती और भविष्य की संभावनाओं—तीनों को संतुलित करता है। इस मॉडल को और मज़बूत बनाने के लिए ज़रूरी है कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को न केवल संरक्षित करें, बल्कि सक्रिय रूप से उसका उपयोग शिक्षा, रोजगार, सामाजिक समरसता और वैश्विक संवाद के लिए करें। आइए, हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करें कि भारत की यह बहुरंगी, बहुस्तरीय, और बहुधर्मी सांस्कृतिक धरोहर केवल किताबों और स्मारकों में न रह जाए, बल्कि हमारी ज़िंदगी की धड़कनों में बनी रहे — आज, कल और आने वाली पीढ़ियों तक। (लेखक निर्मल कुमार अंतर्राष्ट्रीय समाजिक-आर्थिक मामलों के जानकार हैं।यह उनके निजी विचार हैं।)

अपेक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल रायगढ़ द्वारा नि:संतान दंपतियों के लिए निःशुल्क जांच एवं परामर्श शिविर 27 अप्रैल को कुनकुरी में

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अपेक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल रायगढ़ द्वारा नि:संतान दंपतियों के लिए निःशुल्क जांच एवं परामर्श शिविर 27 अप्रैल को कुनकुरी में कुनकुरी | 16 अप्रैल 2025 अपेक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल एवं आईवीएफ सेंटर, रायगढ़ द्वारा नि:संतान दंपतियों के लिए एक विशेष निःशुल्क जांच एवं परामर्श शिविर का आयोजन 27 अप्रैल 2025, दिन रविवार को अग्रसेन भवन, कुनकुरी में किया जा रहा है। इस शिविर में प्रसिद्ध इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. रश्मि गोयल नि:शुल्क जांच और परामर्श हेतु उपलब्ध रहेंगी। शिविर का उद्देश्य नि:संतानता को लेकर जागरूकता फैलाना और सही समय पर इलाज हेतु लोगों को प्रेरित करना है। बांझपन अब कोई अभिशाप नहीं – डॉ. रश्मि गोयल डॉ. रश्मि ने बताया कि आधुनिक जीवनशैली, अत्यधिक तनाव और बढ़ते प्रदूषण के कारण बांझपन एक आम समस्या बन चुकी है। कई बार कपल जब तक इलाज के लिए तैयार होते हैं, तब तक उम्र बढ़ जाती है और सफलता की संभावना घट जाती है। उन्होंने कहा कि इस शिविर का उद्देश्य सिर्फ इलाज ही नहीं बल्कि समाज में इस विषय को लेकर सकारात्मक सोच विकसित करना भी है। उन्होंने बताया कि आज भी कई परिवार महिलाओं को दोषी मानते हैं, जबकि शोधों के अनुसार 50% से अधिक मामलों में पुरुष बांझपन के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। रायगढ़ में उपलब्ध है एडवांस तकनीक अपेक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल पहले भी इस प्रकार के शिविर आयोजित करता रहा है और रायगढ़ में सभी आधुनिक इनफर्टिलिटी तकनीकों को उपलब्ध कराने में अग्रणी रहा है। अस्पताल छत्तीसगढ़ में आईवीएफ और इनफर्टिलिटी के मामलों में सर्वाधिक सफलता दर के साथ काम कर रहा है। स्थानीय इलाज, महानगरों जैसा भरोसा डॉ. रश्मि गोयल ने कहा कि हमारा प्रयास है कि कुनकुरी व आसपास के इलाकों के मरीजों को इलाज के लिए महानगरों की ओर न जाना पड़े। इस शिविर के माध्यम से हम उन्हें विशेषज्ञ परामर्श और प्राथमिक जांच सुविधाएं यहीं उपलब्ध कराएंगे। शिविर में ये सुविधाएं रहेंगी उपलब्ध: नि:शुल्क वीर्य जांच नि:शुल्क विशेषज्ञ परामर्श अन्य सभी जाँचों में विशेष रियायतें कैसे कराएं पंजीयन? अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि सीमित स्लॉट के कारण इच्छुक दंपती मोबाइल नंबर 9329142515 या 9329915092 पर कॉल करके अग्रिम पंजीयन करवा सकते हैं, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

जशपुर पुलिस की नई पहचान: ‘केवल प्रकरण नहीं, अब फिल्म भी’ | आज होगा SSP शशिमोहन सिंह की शॉर्ट फिल्म ‘कजरी – द बैटल फॉर फ्रीडम’ का भव्य विमोचन, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय करेंगे रिलीज

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जशपुर पुलिस की नई पहचान: ‘केवल प्रकरण नहीं, अब फिल्म भी’ | आज होगा SSP शशिमोहन सिंह की शॉर्ट फिल्म ‘कजरी – द बैटल फॉर फ्रीडम’ का भव्य विमोचन, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय करेंगे रिलीज जशपुर, 6 अप्रैल 2025 | जशपुर पुलिस अब अपराध के विरुद्ध केवल कानूनी कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए रचनात्मक माध्यमों को भी अपनाने लगी है। इसी क्रम में आज एक ऐतिहासिक क्षण जशपुर में जुड़ने जा रहा है, जब जिले के पुलिस अधीक्षक आईपीएस शशिमोहन सिंह द्वारा निर्देशित शॉर्ट फिल्म ‘कजरी – द बैटल फॉर फ्रीडम’ का विमोचन स्वयं मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय करेंगे। यह फिल्म मानव तस्करी जैसे संवेदनशील और गंभीर विषय पर आधारित है। खास बात यह है कि इस फिल्म के निर्देशक, स्क्रिप्ट राइटर और प्रमुख कलाकार स्वयं SSP शशिमोहन सिंह हैं। उन्होंने फिल्म में एसपी की भूमिका निभाई है और पूरी कहानी को जमीनी हकीकत से जोड़ा है। फिल्म की मुख्य विशेषताएं: कहानी: फिल्म एक आदिवासी लड़की ‘कजरी’ की है, जो मानव तस्करी के जाल में फंस जाती है और फिर अपनी आजादी की लड़ाई लड़ती है। लोकेशन: फिल्म की शूटिंग जशपुर जिले के विभिन्न स्थलों पर की गई है, जिससे दर्शकों को स्थानीय संस्कृति और वातावरण की सजीव झलक मिलती है। कलाकार: इस फिल्म में पत्रकारों, स्थानीय शिक्षक व सर्पविशेषज्ञ केसर हुसैन सहित कई स्थानीय कलाकारों ने अभिनय किया है। यह फिल्म एक प्रयास है जन-जागरूकता फैलाने का, ताकि समाज मानव तस्करी जैसे अपराधों के खिलाफ सजग हो सके। आज के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथों इसका औपचारिक विमोचन होना है। फिल्म को लेकर पूरे जिले में उत्सुकता का माहौल है, और यह उम्मीद जताई जा रही है कि यह फिल्म राज्य ही नहीं, देशभर में एक संदेशवाहक के रूप में उभरेगी।

विष्णु के सुशासन में दारूबाजों की खैर नहीं, पार्टी कर रहे हो तो सावधान हो जाओ,,,

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रायपुर,05 अप्रैल 2025 – छत्तीसगढ़ सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत 1 अप्रैल 2025 से शादी, पार्टी और अन्य सामाजिक आयोजनों में शराब परोसने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए शुल्क भी निर्धारित किया गया है। लाइसेंस शुल्क विवरण: निजी भवन में आयोजन: यदि कोई अपने निजी भवन (फार्म हाउस को छोड़कर) में निजी कार्यक्रम में शराब परोसना चाहता है, तो उसे एक दिन के लिए ₹10,000 का लाइसेंस शुल्क देना होगा। होटल, रेस्टोरेंट, मैरिज हॉल या फार्म हाउस में आयोजन: इन स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों के लिए एक दिन का लाइसेंस शुल्क ₹15,000 निर्धारित किया गया है। इवेंट, कंसर्ट, लाइव संगीत, नृत्य कार्यक्रम, नव वर्ष समारोह आदि: ऐसे बड़े आयोजनों में शराब परोसने के लिए एक दिन का लाइसेंस शुल्क ₹30,000 होगा। लाइसेंस प्राप्ति की प्रक्रिया: आयोजकों को संबंधित आयोजन से पूर्व स्थानीय आबकारी विभाग में आवेदन कर निर्धारित शुल्क जमा करना होगा। बिना लाइसेंस के शराब परोसने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सरकार का उद्देश्य: आबकारी विभाग के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य शराब के अवैध सेवन और बिक्री पर नियंत्रण रखना है, साथ ही सरकारी राजस्व में वृद्धि करना है। इस वर्ष सरकार का लक्ष्य 12 हजार करोड़ का है। शराब की कीमतों में कमी: नई आबकारी नीति के तहत, 1 अप्रैल 2025 से शराब की कीमतों में लगभग 4% की कमी आएगी, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। यह नई नीति राज्य में शराब के उपभोग और बिक्री को अधिक संगठित और नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सीएमओ के रवैये पर बिफरे नपं अध्यक्ष विनयशील, चिट्ठी लिखकर कहा – दो दिन में,,,,

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नगर पंचायत अध्यक्ष ने मांगी कुनकुरी डैम और छठ घाट की सफाई कार्य की जानकारी, अनियमितताओं पर उठाए सवाल कुनकुरी,03 अप्रैल 2025: नगर पंचायत कुनकुरी के अध्यक्ष विनयशील ने नगर के एकमात्र निस्तारी डैम एवं छठ घाट की सफाई कार्य में हो रही अनियमितताओं पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस संबंध में नगर पालिका अधिकारी से विस्तृत जानकारी मांगी है। अध्यक्ष विनयशील ने बताया कि शासन द्वारा इस कार्य के लिए नगर पंचायत को लगभग 97.5 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई थी। बावजूद इसके, जनता में इस कार्य की गुणवत्ता को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। नगर पालिका अधिकारी से मौखिक तौर ओर तीन बार छठ घाट,तालाब की फाइल मांगी लेकिन सीएमओ ने उन्हें नहीं दी है।अध्यक्ष ने निम्नलिखित दस्तावेज तत्काल उपलब्ध कराने की मांग की है: 1. स्वीकृत कार्य आदेश की प्रति 2. तकनीकी स्वीकृति 3. बिल भुगतान एवं नोटशीट 4. कार्य जुड़े अन्य दस्तावेज 5. अब तक हुए कार्यों की जांच और उनके अनुरूप प्रमाण पत्र   अध्यक्ष ने कहा कि पारदर्शिता की कमी और अनियमितताओं के कारण नगर पंचायत की छवि खराब हो रही है और जनता में असंतोष बढ़ रहा है। उन्होंने पत्र में इस बात पर चिंता जताते हुए चाही गई जानकारी को दो दिन के अंदर अवलोकन कराने कहा है जिससे कि शहर सरकार और छत्तीसगढ़ शासन प्रशासन की जो बदनामी हो रही है, उसे रोका जा सके। इस पत्र की एक प्रति सहायक संचालक, नगरीय निकाय संभाग सरगुजा को भी भेजी गई है।