कुनकुरी,05/12/2025 गुरुवार शाम तपकरा रोड गड़ाकटा में हुए एक सड़क हादसे ने न सिर्फ एक व्यक्ति की जान ले ली, बल्कि यह भी उजागर कर दिया कि इस शहर में सरकारी सिस्टम और मानवीय संवेदना — दोनों की सांसें कब की थम चुकी हैं।

दरअसल,कुंजारा निवासी 47 वर्षीय चंद्रिका यादव गुरुवार शाम साढ़े छह बजे अपनी मोटरसाइकिल सड़क किनारे खड़ी कर मोबाइल पर बात कर रहे थे। तभी अचानक पीछे से आई तेज रफ्तार बाइक ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। बाइक सवार कथित रूप से नशे में था और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक वह पीडब्ल्यूडी विभाग का कर्मचारी बताया जा रहा है। टक्कर इतनी भीषण थी कि चंद्रिका सड़क पर ही गिर पड़ा और तड़पते रहा।
लेकिन असली दर्दनाक कहानी उसके बाद शुरू हुई—घायल चंद्रिका काफी देर तक सड़क पर पड़े-पड़े जान बचाने की उम्मीद लिए तड़पता रहा, मगर न तो 108 एंबुलेंस मौके पर पहुंची, न वहां कार से गुजर रहे शहर के संभ्रांत युवाओं ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया। प्रत्यक्षदर्शी विकास यादव के शब्दों में, “जब तक उनमें प्राण थे, कोई मदद के लिए नहीं आया… जब प्राण निकल गए तब सरकारी शववाहन जरूर आ गया।”
कुनकुरी पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और शव का पंचनामा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
लेकिन यह सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं… यह सवाल है उस सिस्टम पर जो अक्सर समय पर नहीं जागता, उस समाज पर जो मोबाइल से वीडियो तो बना लेता है, पर गिरते इंसान को उठाने का साहस नहीं करता। कुनकुरी इलाके में यदि जीते जी इलाज नहीं मिलता और मरने के बाद कभी शववाहन भी नसीब नहीं होता, तो यह घटना बयान कर गई कि यहां सरकारी सिस्टम की मौत तो पहले ही हो चुकी थी — अब मानवीय संवेदना भी दम तोड़ चुकी है।





















