जशपुर,02 मई 2025 –
जिले के क्रेडा विभाग में सौर सुजला योजना के साथ भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखी जा रही है। विभाग के सहायक अभियंता निलेश श्रीवास्तव पर खुलेआम ठेकेदारी करने, ईकाई संचालकों से कमीशन वसूलने और योजनाओं को निजी व्यवसाय में बदलने के गंभीर आरोप लगे हैं।सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार श्रीवास्तव न केवल विभागीय कार्यों में लापरवाही बरत रहे हैं, बल्कि अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ मिलकर योजनाओं को ठेकेदारी का जरिया बना चुके हैं। SSY, SHM, JJM सहित अन्य योजनाओं में टेक्नीशियन और हेल्परों के माध्यम से काम बंटवाया जा रहा है, और ईकाई वालों से JCC निकलवाने तक हर मोड़ पर “सुविधा शुल्क” वसूला जा रहा है।
इतना ही नहीं, हितग्राहियों से योजनाओं का लाभ दिलाने से पहले कमीशन तय करने की बात की जा रही है। आरोप तो यह भी है कि यह अधिकारी यूपीआई से भी रिश्वत स्वीकार कर रहे हैं, जो तकनीकी रूप से डिजिटल भ्रष्टाचार का नया उदाहरण बनता है।तस्वीरें जो सोशल मीडिया में तैर रही हैं –
पूर्व में सूरजपुर जिले में भी इन पर ऐसे ही आरोप लग चुके हैं, जहां इनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई भी हुई थी, लेकिन शायद सबक नहीं मिला।
सत्ता का संरक्षण या उदासीन प्रशासन?
सबसे गंभीर सवाल यह है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद अधिकारी पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही। क्या सत्तारूढ़ दल के कुछ प्रभावशाली लोग इन्हें संरक्षण दे रहे हैं? जनता पूछ रही है — क्या मुख्यमंत्री के जिले में अधिकारियों को सिर्फ भ्रष्टाचार फैलाने के लिए नियुक्त किया गया है? क्या विष्णु सरकार का सुदर्शन चक्र ऐसे भ्रष्टाचारियों पर चलेगा या यह सिर्फ नारे तक ही सीमित रहेगा?
अब जनता जवाब चाहती है।
जशपुर की जनता इस पूरे मामले पर सीधी कार्रवाई की मांग कर रही है। अगर ऐसे अधिकारियों पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया, तो सौर ऊर्जा जैसी लोक-कल्याणकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएंगी।एक समर्पित भाजपाई ने इस मामले पर चुटकी लेते हुए कहा – यह अधिकारी सत्ता की जांघ में चिपका वह जोंक है जो धनरक्त चूस रहा है।
बहरहाल,भ्रष्टाचार के इस चर्चे पर अधिकारी का क्या कहना है,यह उनका पक्ष सामने आते ही पाठकों को बताया जाएगा।फिलहाल उनसे संपर्क नहीं हो पाया है।