कबीर आश्रम के कब्जे की ज़मीन पर बिजली विभाग का निर्माण कार्य रोकने धरने पर बैठे कबीरपंथी,आज दूसरा दिन

कुनकुरी/जशपुर,17 मई 2025 – डुग़डुगिया स्थित कबीर आश्रम की वर्षों पुरानी कब्जे की जमीन को कबीरपंथी सरकारी दखल के बाद आक्रोशित हैं।बिजली विभाग का संभागीय ट्रांसफार्मर स्टेशन कबीरपंथ की उस जमीन पर बन रहा है, जो वर्षों से कबीर मेला डांड के रूप में सरगुजा,झारखंड के सीमावर्ती जिलों के लोगों के एकाेत्तरी चौका,सत्संग की जगह थी।

दरअसल,1950 ईस्वी से डुग़डुगिया में नेशनल हाईवे से लगा कबीर कुटिया (आज कबीर आश्रम) महंत हीरादास बाबा की कुटिया थी। आज  पचहत्तर सालों से यहां सदगुरू कबीर का दिया अनवरत जलता आ रहा है।मानवता,भाईचारे का संदेश देते हुए यह आश्रम विवादों से घिरा हुआ भी है।

कबीरपंथ की आमीन माता संघ की अध्यक्षा सुशीला दास बताती हैं कि जब यह सब जंगल था तब यहां महंत हीरादास दुर्गम क्षेत्र में आकर आदिवासियों,गैर आदिवासियों के बीच सत्य का मार्ग बताने इस स्थान पर आए।बाद के वर्षों में यह आस्था का केंद्र बना।आबादी बढ़ने के साथ लोग कुनकुरी की शासकीय जमीनों पर अतिक्रमण कर मकान बनाने लगे लेकिन कबीर पंथियों ने चट्टान से लेकर करीब दस एकड़ की जमीन पर अतिक्रमण होने नहीं दिया।

सुशीला दास स्व दिलीप सिंह जूदेव को याद करते हुए बताती हैं कि बीस – बाईस साल पहले महंत हीरादास का वसीयत छल कपट से विश्वनाथ सिंह  ने बनवाकर उनकी मृत्यु के बाद डेढ़ एकड़ जमीन को कई प्रभावशाली लोगों को बेच दिया।इस बात को लेकर हम लोग कुमार साहब से मिले और उन्होंने पूरी बात समझने के बाद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को चिट्ठी लिखी। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को जांच के आदेश दिए।फिर कलेक्टर कोर्ट में केस लड़े।कलेक्टर कोर्ट ने वसीयत को फर्जी पाया और बिक्री की हुई जमीन की रजिस्ट्री शून्य कर दी।इसके बाद मामला कमिश्नर कोर्ट में चला और कलेक्टर के आदेश को पलट दिया गया।हमने फिर राजस्व बोर्ड बिलासपुर में अपील की,सुनवाई चल रही है।इस मामले में बीते पच्चीस साल से भाजपा हो या कांग्रेस की सरकार सभी ने कबीर पंथ को पूरा सहयोग किया।हालांकि शहर के कुछ लोगों की नजर जमीन पर थी।वर्तमान सरकार के आते ही कबीर आश्रम को परेशान करना शुरू किए और मेलाडांड की जमीन को 1990 से बिजली विभाग को आबंटित करने का कागज दिखाकर हथिया लिया गया।जिसपर कबीरपंथियो ने प्रशासन की बात को मात भी लिया किंतु ठेकेदार और बिजली विभाग के अधिकारियों ने कबीर आश्रम से हुई बात से मुकरते हुए जबरन निर्माण कार्य करा रहे हैं।वहीं कुछ भाजपा नेताओं के दबाव में हमारे द्वारा घेरा किया गया था,उसे उखाड़कर ठेकेदार ले गया।यही नहीं आश्रम की जमीन पर भाजपा नेताओं के इशारे पर भुवनेश्वर यादव को तहसील ऑफिस से स्टे भी दे दिया गया ताकि हम अपनी जमीन को सुरक्षित न कर सकें।

धरने पर बैठे कबीर पंथी सीधे तौर पर आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा की अभी की सरकार हिंदुत्व की बात करती है लेकिन कबीर पंथियों को हिंदू क्यों नहीं मानती है? हमारी आस्था पर रोज चोट क्यों पहुंचाया जा रहा है?

बहरहाल,इस मामले में विवाद गहराता जा रहा है।अभी मुट्ठीभर कबीर पंथी धरने पर बैठे हैं।समय रहते शासन प्रशासन इस विवाद को सुलझा लेना चाहिए नहीं तो इस धरना प्रदर्शन में कबीरपंथियो की संख्या इतनी ना बढ़ जाए कि स्थिति संभालने के लिए सरकार को मुश्किल हो जाए।

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