कुनकुरी डायलिसिस सेंटर किडनी मरीजों को दे रहा जीवन लेकिन मरीजों ने खोली पोल,कभी भी जा सकती है जान

अब तक 955 सेशन, छत्तीसगढ़ ही नहीं, ओडिशा के मरीज भी ले रहे निःशुल्क लाभ

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कुनकुरी, 24 मई 2025 – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता से स्थापित कुनकुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का डायलिसिस सेंटर बीते पाँच महीनों में किडनी मरीजों के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं हुआ है। यह सेंटर न केवल कुनकुरी विकासखंड, बल्कि कांसाबेल, दुलदुला, फरसाबहार जैसे आसपास के इलाकों के मरीजों की जीवनरेखा बन चुका है। इतना ही नहीं, पड़ोसी राज्य ओडिशा के सीमावर्ती जिला सुंदरगढ़ से भी दर्जनों मरीज यहां आकर निःशुल्क डायलिसिस सेवा का लाभ उठा रहे हैं।

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फोटो:कुनकुरी डायलिसिस सेंटर में मरीज से बात करते हुए स्टाफ

अब तक 955 डायलिसिस सेशन हो चुके हैं – हर एक सेशन उन परिवारों के लिए राहत की सांस लेकर आया है, जो अब तक अंबिकापुर,रायपुर,रांची जाकर निजी अस्पतालों में महंगे इलाज का बोझ उठाने को मजबूर थे। इस प्रशंसनीय पहल के बीच एक गंभीर तकनीकी समस्या लगातार मरीजों और उनके परिजनों को चिंतित कर रही है – बिजली की अनियमित आपूर्ति।

डायलिसिस और बिजली का सीधा रिश्ता – जानलेवा हो सकती है लापरवाही

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फोटो: फरसाबहार khavskhaani से मरीज का डायलिसिस होता हुआ

डायलिसिस के दौरान मरीज के शरीर से खून बाहर निकालकर मशीन में साफ किया जाता है और फिर शरीर में वापस पहुंचाया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया अत्याधुनिक मशीनों द्वारा संचालित होती है, जो पूरी तरह बिजली पर निर्भर हैं।
यदि डायलिसिस के दौरान बिजली अचानक गुल हो जाए और तुरंत बैकअप चालू न हो, तो मशीन में मौजूद खून क्लॉट होकर वापस नहीं लौट सकता। विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्थिति में 2.5 से 3 लीटर खून शरीर से बाहर ही जम सकता है – यह सीधे मरीज के प्राणों पर संकट ला सकता है।

मरीज ने जताई चिंता, प्रशासन से तत्काल समाधान की मांग

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फोटो: दुलदुला से आया मरीज आपबीती बताते हुए

ख़बर जनपक्ष के संपादक संतोष चौधरी को मरीजों और परिजनों ने बताया कि डायलिसिस की गुणवत्ता बेहतर है, लेकिन बिजली कटते ही उनका दिल कांप जाता है। डंडाडीह,दुलदुला से आए मरीज ने आपबीती सुनाते हुए कहा – एक बार लाइट भाग गया तो मशीन के पाइप में मेरा खून जम गया था।फिर गर्मी भी लगती है।यह परेशानी अभी पानी-बिजली खूब किया तब से बढ़ गया है।ऐसी ही परेशानी दो और बुजुर्ग मरीजों के परिजनों ने भी बताई।

डायलिसिस सेंटर से जानकारी मिली कि समस्या उच्च अधिकारियों तक पहुंचा दी गई है और समाधान जल्द किया जाएगा।

समस्या नहीं, जीवन-मरण का प्रश्न है ये
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि डायलिसिस जैसे जीवन रक्षक इलाज के लिए 24 घंटे की निर्बाध बिजली आपूर्ति और प्रभावी बैकअप सिस्टम जैसे जेनरेटर अनिवार्य हैं। इसमें एक पल की लापरवाही भी जानलेवा हो सकती है।

मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को खतरे से बचाना ज़रूरी
कुनकुरी का डायलिसिस सेंटर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की  पहल का नतीजा है, जिसने सीमावर्ती अंचलों के गरीब और जरूरतमंद मरीजों को नई ज़िंदगी दी है। अब प्रशासन और तकनीकी विभागों की जिम्मेदारी है कि इस जनहित योजना की विश्वसनीयता और सतत संचालन सुनिश्चित करें, ताकि हर मरीज यहां निश्चिंत होकर जीवन पा सके – डर नहीं।